ईरान ने सीरिया में संकट बढ़ने से कैसे रोका

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ईरान ने सीरिया में संकट बढ़ने से कैसे रोका

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने एक साक्षात्कार में कहा कि सीरिया में परामर्शदाता के रूप में ईरान की उपस्थिति का उद्देश्य इस देश की सेना की सहायता, आतंकवादी गुटों से मुक़ाबला और पूरे क्षेत्र में असुरक्षा को बढ़ने से रोकना था और अपने परामर्शदाता सैनिकों को निकालने पर आधारित निर्णय भी ज़िम्मेदारी से भरा क़दम था और सीरिया और क्षेत्र की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन ने सीरिया में बश्शार असद की सरकार के ख़त्म हो जाने के बाद पहली बार एक प्रेस कांफ्रेन्स में सीरिया में होने वाले परिवर्तनों के बारे में किये गये प्रश्नों का जवाब दिया।

इस प्रेस कांफ्रेन्स में रूसी राष्ट्रपति से विभिन्न प्रश्नों को पूछा गया और उनके जवाबों से स्पष्ट हो गया कि उनकी बातें सूक्ष्म नहीं थीं। मिसाल के तौर पर रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि सीरिया में रूस का कोई थल सैनिक नहीं था। इसी प्रकार रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि वहां पर हमारी सैनिक छावनियां हैं एक वायुसेना की है जबकि दूसरी नौसेना की।

सीरिया में जो ज़मीनी व थलसेना थी उसमें सीरियाई सैनिक और कुछ दूसरे सैनिक थे। जैसकि हम सभी जानते हैं कि हमारे पास छिपाने के लिए कोई बिन्दु नहीं है दूसरे शब्दों में लड़ने वाले ईरान के समर्थक थे यहां तक कि वहां से हमने अपनी विशेष कार्यवाही के सैनिकों को निकाल लिया था हमारा काम वहां केवल लड़ना नहीं था।

रूसी राष्ट्रपति से जब यह पूछा गया कि सीरिया में अंतिम दिनों में क्या हुआ जिसकी वजह से बहुत कुछ बदल गया तो उन्होंने सीरिया के रणक्षेत्र में जो कुछ हुआ था उसे बयान किया और कहा कि जब विद्रोही गुट हलब के नज़दीक पहुंच गये तो लगभग 30 हज़ार लोग हलब की रक्षा के लिए लड़ रहे थे। 350 अर्धसैनिक नगर में दाख़िल हो गये। सीरियाई सैनिक और उनके साथ ईरान के समर्थक लड़ने वाले बिना लड़ाई के पीछे हट गये और अपने ठिकानों को विस्फ़ोटों से उड़ा दिया।

रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि कुछ जगहों पर सशस्त्र झड़पें हुईं पर उन्हें छोड़कर समूचे सीरिया की यही हालत थी। अगर पहले हमारे ईरानी दोस्त हमसे कहते कि हमारी मदद करें ताकि हम अपने सैनिकों को सीरिया पहुंचा सकें पर अब वे हमसे कह रहे हैं कि हमें सीरिया से निकाले लें। हमने चार हज़ार ईरानी संघर्षकर्ताओं को हमीम छावनी से तेहरान स्थानांतरित किया। कुछ ईकाइयां जिन्हें ईरान का समर्थक कहा जाता है लड़ाई के बिना लेबनान और इराक़ चली गयीं।

जब से सीरिया में बश्शार असद की सरकार सरकार गिरी है और बश्शार असद सीरिया से रूस चले गये हैं उसके बाद से ईरान के विदेशमंत्री और विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता सहित विभिन्न ईरानी अधिकारियों ने टीवी कार्यक्रमों और प्रेस कांफ्रेन्सों में हाज़िर होकर सीरिया में होने वाले परिवर्तनों के संबंध में वास्तविकताओं को बयान किया परंतु रूसी राष्ट्रपति ने जो बातें वार्षिक प्रेस कांफ्रेन्स में कही वे कुछ आयामों से सूक्ष्म नहीं थीं।

इसी संबंध में ईरान के विदेशमंत्राल के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने रूसी राष्ट्रपति की हालिया बातों के संबंध में एक साक्षात्कार किया है जिसके महत्वपूर्ण अंशों का उल्लेख हम यहां कर रहे हैं।

इस्माईल बक़ाई ने सीरिया में आतंकवाद से मुक़ाबले के लिए लंबे समय से ईरान और रूस के मध्य होने वाली सहकारिता व सहयोग की ओर संकेत किया और कहा कि यह अस्वाभाविक नहीं है कि सीरिया के परिवर्तनों में प्रभावी भूमिका निभाने वाले पक्ष अपने विचारों को विशेष व भिन्न रूप में बयान करें और पेश करें परंतु प्रतीत नहीं हो रहा है कि सीरिया में बश्शार असद की सरकार के अंतिम दिनों में ईरान की परामर्शदाता के रूप में भूमिका के बारे में बातें व जानकारियां सूक्ष्म नहीं थीं।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीरिया में परामर्शदाता के रूप में ईरान की उपस्थिति का उद्देश्य इस देश की सेना की सहायता, आतंकवाद से मुक़ाबला और पूरे क्षेत्र में असुरक्षा फ़ैलने से रोकना था और सीरिया से निकलने का जो फ़ैसला किया गया वह भी सीरिया की सैनिक व सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखकर गया।

 

दाइश के ख़त्म होने के बाद सीरिया में ईरान की सैन्य उपस्थिति बदल गयी।

ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने कहा कि सीरिया की क़ानूनी सरकार के आह्वान व मांग पर ईरान वहां गया था और ईरान और सीरिया ने आतंकवाद से मुक़ाबले में वर्षों तक प्रभावी सहयोग किया और सीरिया और इराक़ में दाइश को पैर जमाने और क्षेत्र में आतंकवाद को फ़ैलने से रोक दिया।

उन्होंने आगे कहा कि सीरिया में दाइश के प्रभाव के कम व ख़त्म हो जाने के बाद इस देश में ईरान की सैन्य उपस्थिति परिवर्तित हो गयी और ईरान की सैन्य उपस्थिति दाइश और तकफ़ीरी आतंकवादी गुटों को दोबारा अस्तित्व में आने से रोकने और ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में सीरियाई सैनिकों की मज़बूती तक सीमित हो गयी, यह काम सफ़ल था और सबने देख लिया कि सीरिया से ईरान के परामर्शदाता सैनिकों के निकलने के बाद अतिग्रहणकारियों ने तुरंत सीरिया के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर क़ब्ज़ा कर लिया और साथ ही सीरिया की आधारभूत सेवाओं को नष्ट व बर्बाद कर दिया।

तेहरान मा᳴स्को के साथ विचारों के आदान- प्रदान को आधिकारिक रास्तों से किये जाने को प्राथमिकता देता है।

 

सीरिया से ईरान स्थानांतरित किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या के बारे में जब विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इनमें ईरानी कूटनयिकों के परिवार, ईरानी और ग़ैर ईरानी तीर्थयात्री और इसी प्रकार कुछ वे ग़ैरईरानी नागरिक थे जो सीरिया में लेबनानी शरणार्थियों की मदद करने के लिए वहां गये थे और इन सभी लोगों को ईरानी विमानों से हमीम एअरपोर्ट से और रूस के सहयोग से ईरान स्थानांतरित कर दिया गया।

विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने अपनी वार्ता के अंत पर बल देकर कहा कि ईरान और रूस के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहयोग हैं और विभिन्न सतहों पर दोनों देशों के मध्य वार्ता होती रहती है और तेहरान इस बात को प्राथमिकता देता है कि दोनों देशों के मध्य विचारों और अनुभवों का आदान- प्रदान भी औपचारिक मार्गों से हो

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