हर इंसान अपने साथियों से प्रभावित होता है और हर इंसान के भाग्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उसके साथियों द्वारा निर्धारित होता है।
इस दुनिया में इंसान बिना दोस्तों के, अजनबी और परदेसी की तरह रहता है, और उसके लिए जीवन का कोई अर्थ नहीं होता। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो सच्चे और हमदर्द दोस्तों के आशीर्वाद से पूर्णता और समृद्धि के शिखर पर पहुंचे हैं, और दूसरी ओर, ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो बुरे और अयोग्य लोगों की संगत और दोस्ती के कारण, असफल रहे हैं। लेकिन अच्छे और सच्चे दोस्त पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? इस संबंध में पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों की हदीसें हमारा मार्गदर्शन कर सकती हैः
अच्छे लोगों की संगति
पैग़म्बरे इस्लाम (स) की हदीस हैः अच्छे लोगों के सथ उठो-बैठो, क्योंकि अच्छा काम करोगे वह तुम्हारा उत्साह बढ़ायेंगे और अगर बुराई करोगे तो वह तुम्हारी आलोचना करेंगे।
अच्छा दोस्त
इमाम हुसैन (अ)
तुम्हारा वह दोस्त है, जो तुम्हें बुराई से रोके और वह तुम्हारा दुश्मन है, जो गुनाह करने के लिए प्रोत्साहित करे।
अधिक दोस्त
इमाम हसन असकरी (अ)
जिस व्यक्ति का चरित्र पवित्र है, जिसका स्वभाव उदार है, और जिसका चरित्र सहनशील है, उसके अनेक मित्र होंगे।
समस्त बुराईयां
हज़रत अली (अ)
तुम्हारी समस्त बुराईयां, बुरी संगति की वजह से हैं।
मुर्दा दिल दोस्त
पैग़म्बरे इस्लाम (अ)
मुर्दा दिल लोगों के साथ उठने-बैठने से बचो। लोगों ने पूछा हे ईश्वरीय दूत, मुर्दा दिल लोग कौन हैं? फ़रमायाः हर धनवान व्यक्ति जिसका धन उसे विद्रोही बनाता है।
दोस्ती का कर्तव्य
इमाम सादिक़ (अ)
जो कोई अपने दोस्त को बुराई करते देखे और सक्षम होने के बावजूद उसे उससे नहीं रोके, तो उसने उसके साथ ग़द्दारी की है, और जो कोई नादान से दोस्ती करने से नहीं बचेगा, संभवतः उसी की तरह हो जाएगा।
दोस्त के साथ बर्ताव
हज़रत अली (अ)
दोस्त के साथ हमदर्दी करो, अगर वह तुम्हारी बात नहीं भी माने और उसके साथ संपर्क में रहो भले ही वह तुम्हे सताए।
तीन आदतें
हज़रत अली (अ)
तीन आदतें दोस्ती का कारण बनती हैः अच्छा स्वभाव, दयालुता और विनम्रता।