इतिहास गवाह है कि हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) ने अपने पिता, इमाम मूसा काज़िम (अ) की अनुपस्थिति में अहले बैत (अ) के शियो के विद्वत्तापूर्ण प्रश्नों के उत्तर देकर इमामत परिवार की विद्वत्तापूर्ण प्रतिष्ठा को उजागर किया।
इतिहास गवाह है कि हज़रत फ़ातिमा मासूमा (स) ने अपने पिता, इमाम मूसा काज़िम (अ) की अनुपस्थिति में अहले बैत (अ) के शियो के विद्वत्तापूर्ण प्रश्नों के उत्तर देकर इमामत परिवार की विद्वत्तापूर्ण प्रतिष्ठा को उजागर किया।
एक रिवायत के अनुसार, कुछ शिया इमाम काज़िम (अ) के समक्ष अपनी समस्याएँ प्रस्तुत करने मदीना आए, लेकिन चूँकि इमाम सफ़र पर थे, इसलिए उन्होंने अपने प्रश्न लिखकर लौटने से पहले अहले बैत इमाम (अ) को सौंप दिए। इस अवसर पर हज़रत मासूमा (स) ने उनके सभी प्रश्नों के विस्तृत उत्तर लिखित रूप में दिए।
कारवां मदीना से खुशी और संतुष्टि के साथ रवाना हुआ, लेकिन रास्ते में उनकी मुलाक़ात इमाम मूसा काज़िम (अ) से हुई। जब इन लोगों ने यह घटना सुनाई और इमाम ने अपनी बेटी के लिखित उत्तर पढ़े, तो उन्होंने तीन बार पुकारा: "फ़दाहा अबूहा" - उसके पिता उस पर क़ुर्बान हों।
यह घटना हज़रत मासूमा (अ) की उच्च बौद्धिक स्थिति और इस तथ्य का स्पष्ट प्रमाण है कि उन्हें न केवल अहले-बैत (अ) के परिवार द्वारा शिक्षित किया गया था, बल्कि वे बौद्धिक विरासत की प्रतिनिधि भी थीं।