हज़रत ज़ैनब स.ल;सब्र और इस्तिक़ामत की बुलंदी

Rate this item
(0 votes)
हज़रत ज़ैनब स.ल;सब्र और इस्तिक़ामत की बुलंदी

हज़रत ज़ैनब स.ल.सब्र और इसतिक़ामत की बुलंदी और फ़ज़ाइल का मर्कज़ रही है लेकिन अली और फातिमा स.ल.के घराने में एक ऐसी हस्ती भी है, जो अपने बाप के लिए ज़ीनत है तो अपनी मां के लिए फ़ातिमी सीरत का सच्चा आईना है। अगर जनाब फातिमा स.ल. की कोई दूसरी मिसाल है तो वह दूसरी फातिमा, जनाब ज़ैनब (स.ल.) हैं, जिन्होंने इस्मतों की गोद में पल कर, पाकीज़गी के घेरे में परवरिश पाई और चादर-ए-तत्हीर के साए में पली बढ़ी। यक़ीनन हर रिश्ता अपने इत्तेहाद की मुकाम पर फाईज़ नज़र आता है।

हज़रत ज़ैनब स.ल.सब्र और इसतिक़ामत की बुलंदी और फ़ज़ाइल का मर्कज़ रही है लेकिन अली और फातिमा स.ल.के घराने में एक ऐसी हस्ती भी है, जो अपने बाप के लिए ज़ीनत है तो अपनी मां के लिए फ़ातिमी सीरत का सच्चा आईना है। अगर जनाब फातिमा स.ल. की कोई दूसरी मिसाल है तो वह दूसरी फातिमा, जनाब ज़ैनब (स.ल.) हैं, जिन्होंने इस्मतों की गोद में पल कर, पाकीज़गी के घेरे में परवरिश पाई और चादर-ए-तत्हीर के साए में पली बढ़ी। यक़ीनन हर रिश्ता अपने इत्तेहाद की मुकाम पर फाईज़ नज़र आता है।

मौलाना गुलज़ार जाफ़री साहब, जो हमें हजरत ज़ैनब (स) की ज़िंदगी और उनकी महान हिम्मत के बारे में बताने जा रहे हैं। मौलाना साहब, सबसे पहले आप हमें बताइए कि हज़रत ज़ैनब (स.ल.) का स्थान इस्लामी इतिहास में क्या है?

मौलाना गुलज़ार जाफ़री : हज़रत ज़ैनब (स.ल.) न केवल अली और फातिमा (अ) के घराने की शान हैं, बल्कि वे इस्मत और पवित्रता का जीवित उदाहरण भी हैं। वे अपने बाप और मां दोनों के लिए सम्मान और गर्व की वजह हैं। उनकी परवरिश ऐसे माहौल में हुई जहां हर रिश्ता अपने चरम शिखर पर था। उनकी शख्सियत में इमामत और विलायत का असली असर देखा जा सकता है।

कर्बला की घटनाओं में उनकी भूमिका के बारे में कुछ बताएं?

मौलाना गुलज़ार जाफ़री: कर्बला में जब हर तरफ भय, आग और मौत का माहौल था, तब हजरत ज़ैनब (स.ल.) ने एक मजबूत और स्थिर किरदार निभाया। जहां कई योद्धा घबराए हुए थे, वहां उन्होंने धैर्य और मजबूती से अपने क़ौम और रिश्तेदारों की रक्षा की। इमाम सज्जाद (अ) की बात पर उन्होंने सब्र दिखाया और अपने कंधों पर इमामत का बोझ उठाए रखा।

हज़रत ज़ैनब (स.ल.) ने इमाम से कई बार सवाल किए, जो उस समय की इमामत के लिए अस्वीकार्य था। इस पर आपका क्या कहना है?

मौलाना गुलज़ार जाफ़री: यह सवाल केवल सवाल नहीं था। हजरत ज़ैनब (स) ने इस सवाल के माध्यम से अपने मिशन की मजबूती और उस दौर की इमामत की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने कर्बला की हकीकत को सामने रखा और अपने क़ौम को शरियत की ओर बुलाया। उनकी यह ताकत उनके धर्म और मिशन की सच्चाई को दर्शाती है।

उनके धैर्य और ईमानदारी से हमें क्या सीख मिलती है?

मौलाना गुलज़ार जाफ़री: हजरत ज़ैनब स.ल. की ज़िंदगी हमें सिखाती है कि चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन हो, इस्तिक़ामत और इत्मिनान-ए-नफ़्स के साथ अपने कर्तव्यों को निभाना चाहिए। उन्होंने ईश्वर पर पूरा भरोसा रखा और कभी अपने मिशन से भटकाव नहीं होने दिया। यह सब्र और हिम्मत हमें हर चुनौती में डटे रहने की प्रेरणा देती है।

 धन्यवाद मौलाना साहब, आपके विचारों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला।

 

Read 7 times