
رضوی
अमरीकी समाज में पनप रहा ग़ुस्सा, लावा बनकर फूट सकता है
हालिया वर्षों में अमरीका में ऐसे क्रोधित लोगों की एक बड़ी संख्या को देखा जा सकता है, जो प्रवासियों पर अपना ग़ुस्सा उतारते हैं और अपनी हिफ़ाज़त के लिए हथियार लेकर चलते हैं।
यह लोग अपना काफ़ी वक़्त विदेशी और घरेलू ख़तरों के भय में गुज़ारते हैं। लोग वीकेंड में फ़ायरिंग की प्रैक्टिस करते हैं और अपने चेहरों को मास्क से छिपाते हैं।
यह लोग इन कामों को सिर्फ़ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि प्रवासियों की संभावित ख़तरों से निपटने के लिए करते हैं। अकसर उनके पास हथियार होते हैं और वे निजी मुलाक़ातों और डेली वॉकिंग के वक़्त भी अपने पास हथियार रखते हैं।
यह लोग तनहाई का एहसास करते हैं, जिसके नतीजे में वह ख़ुद को निचले दर्जे का अमरीकी समझने लगे हैं और असुरक्षा की भावना में उनमें दिन ब दिन मज़बूत होती जा रही है।
2019 में कोविड-19 से पहले, सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिकारियों का ध्यान इस बात की तरफ़ गया कि अकसर अमरीकी ख़ुद को तनहा समझते हैं। ख़ास तौर पर ग्रामीण इलाक़ो में हर पांच में से तीन लोग ख़ुद को अकेला समझते हैं।
इस तरह की भावनाओं का न सिर्फ़ सेहत पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि दिल की बीमारियों, नशा, निराशा और ख़ुदकुशी के रुझान में इज़ाफ़ा होता है। दूसरे शब्दों में, कमज़ोर सामाजिक रिश्ते उन्हें विनाश की ओर ले जाते हैं।
हालिया वर्षों में आपने देखा होगा कि अमरीका में प्रवासियों के ख़िलाफ़ ग़ुस्सा बढ़ रहा है और अमरीकी लोग ख़ुद को अलग-थलग समझने लगे हैं। ट्रम्प और उनके समर्थकों का शुमार इन्हीं लोगों में होता है, जो ख़ुद को अलग-थलग समझते हैं और अकेलेपन की वजह से हर वक़्त ग़ुस्से में रहते हैं।
ट्रम्प के अकसर समर्थक गोरे और ज़्यादा उम्र के लोग हैं। वे सामूहिक बैठकों में पहचान से संबंधित नारे लगाते हैं और यह एहसास दिलाने का प्रयास करते हैं कि वह एक नए समाज का गठन कर रहे हैं।
मशहूर दार्शनिक हना आर्नेट ने इस संदर्भ में कहा थाः जिन लोगों में हीन भावना और तनहाई का एहसास होता है, वे इस तरह के आंदोलनों से जुड़ जाते हैं। दर असल, ट्रम्प और उनके साथियों ने लोगों के इस एहसास से फ़ायदा उठाया और उसे एक सामाजिक आंदोलन में बदल दिया।
यहां यह जानना ज़रूरी है कि अमरीका युद्धों और सैन्य मामलों पर भारी बजट ख़र्च करता है, जिसकी वजह से सामाजिक ज़रूरतों पर कम ख़र्च किया जा रहा है, जिससे लोगों में अकेलनेपन का एहसास बढ़ रहा है। ब्राउन यूनिवर्सिटी ने युद्धों पर ख़र्च होने वाले बजट को 8 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा बताया है। अगर यही बजट लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए ख़र्च किया जाता, तो समाज में कई तरह की बुराईयों से छुटकारा पाया जा सकता था।
आख़िर में कहा जा सकता है कि अगर सामाजिक प्राथमिकताओं और बजट में कोई बदलाव नहीं आएगा और युद्धों के बजाए अलग-थलग पड़ते जा रहे नागरिकों की सामाजिक ज़रूरतों पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तो अमरीकी समाज में ग़ुस्सा लावा बनकर फूट सकता है।
ईरान में प्रतिरोध के सच्चे रक्षक कौन है और सुन्नी मुस्लमानों का क्या है किरदार?
ईरान के सुन्नी समुदाय के शिक्षकों और बुद्धिजीवियों का सम्मान कार्यक्रम, सुन्नी मुसलमानों के धार्मिक ज्ञान की योजना परिषद द्वारा आयोजित किया गया था।
शुरुआत में ईरान के पश्चिमी भाग के आदर्श शिक्षक मौलवी महमूद मुदर्रिस ने भाषण दिया और कहा:
हम एक ऐसे दशक में हैं जो शुभ अवसरों और स्मरणोत्सवों से सजा हुआ है और इस ज़मीन के लोग इन दिनों को नहीं भूले हैं जिनमें हज़रत फ़ातेमा मासूमा और हज़रत इमाम अली रज़ा का जन्म दिन है और दोनों बड़ी हस्तियों के जन्म दिन के अवसर पर पूरे ईरान में करामत दशक मनाया जाता है।
उन्होंने कहा:
हमें खुशी है कि इन गौरवपूर्ण अवसरों पर ईरान के सुन्नी मुसलमानों की इस्लामिक साइंसेज प्लानिंग काउंसिल और अन्य समूहों के स्कूलों के प्रयासों से ये प्रेमपूर्ण समारोह आयोजित किए जाते हैं।
सुन्नी मुसलमानों के इस विद्वान और प्रोफ़ेसर कहते हैं:
जब तक हम शिक्षा और प्रशिक्षण के मार्ग में प्रयास करते हैं और अपने पूर्वजों के अवशेषों को संरक्षित करने का प्रयास करेंगे, तब तक शत्रुओं को निश्चित रूप से अपनी साज़िशों और षडयंत्रों पर पछतावा होगा और उन्हें निराशा होगी।
ईरान के विश्वविद्यालयों में सर्वोच्च नेता के प्रतिनिधि निकाय के प्रमुख मुस्तफ़ा रुस्तमी ने भाषण देते हुए कहा:
सृष्टि से संबंधित आयतों में जिसमें बताया गया है कि ईश्वर ने सृष्टि के बाद हज़रत आदम को जो पहली चीज़ प्रदान की, वह ज्ञान है।
ज्ञान और उपासना में, पैग़म्बरे इस्लाम ज्ञान का चयन करते हैं और कुछ रिवायतों में यह उल्लेख किया गया है कि विद्वान, भक्त और उपासक से श्रेष्ठ है क्योंकि उपासक ख़ुद को बचाना चाहता है और विद्वान और आलिम ईश्वरी बंदों को बचाना चाहता है, अलबत्ता इस इल्म की भी ज़िम्मेदारी है और उसे जुल्म के सामने चुप नहीं रहना चाहिए।
मौलाना रुस्तमी ने कहा: ओलमा, पैग़म्बरों के उत्तराधिकारी हैं और यह आलिमों की महान प्रतिबद्धता और कर्तव्य को दर्शाता है। इस्लामी क्रांति व्यवस्था के गौरवपूर्ण कार्यों में एक वैज्ञानिक विकास और परिवर्तन है। हमको यह नहीं भूलना चाहिए कि इस्लामी क्रांति की सफलता से पहले देश की वैज्ञानिक स्थिति कैसी थी, इस हद तक कि देश का केंद्रीय इलाक़े को समाज की सामान्य और बुनियादी जरूरतों की को पूरा करने के लिए विदेशी प्रोफेसरों की सेवाएं लेनी पड़ती थीं।
सीस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में खातमुल-अंबिया स्पेशलाइज्ड सेंटर के प्रमुख मौलवी नरोई ने भाषण देते हुए कहा:
शोधकर्ताओं और छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुसंधान कार्यक्रमों को मज़बूत करने पर विचार किया जाना चाहिए, विशेष क्षेत्रों और विभागों में नज़रियतं और सूचनाओं के आदान-प्रदान के अवसर पैदा करने के लिए सेमिनार और अनुसंधान सम्मेलन आयोजित करने और शिक्षा के क्षेत्र में प्रशिक्षण पर विशेष रूप से ध्यान देने पर विचार किया जाना चाहिए।
ईरान के संस्कृति और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्रालय में सुन्नी समुदाय के सलाहकार, मामुस्ता अब्दुस्सलाम इमामी ने इस अवसर पर भाषण देते हुए कहा:
इन चार दशकों में सुन्नी और शिया ओलमा, हमेशा एकता और एकजुटता के अग्रदूत रहे हैं।
नसरोई कहते हैं:
ईरान के सुन्नी मौलवियों ने स्पष्टीकरण और बयान के मैदान में तथा फ़िलिस्तीन की मज़लूम जनता के प्रतिरोध और प्रतिरोध की रक्षा के क्षेत्र में हमेशा अच्छी भूमिका अदा की है। आज इस्लामी जगत और फिलिस्तीन के शक्तिशाली लोगों के ख़िलाफ़ एक असंतुलित और असमान युद्ध छेड़ रखा है और सबसे महत्वपूर्ण बात जो बुजुर्गों ने कही वह यह है कि फ़िलिस्तीन, मानव अधिकारों के झूठे दावेदारों की पोल खोलने का मंच है।
ईरान के सुन्नी ओलमा और विद्वानों के सम्मान समारोह में सुन्नी और शिया विद्वानों और बुद्धिजीवियों की उपस्थिति
मामुस्ता इमामी ने कहा:
35 हजार मज़लूमों को पूरी दुनिया की नज़रों के सामने शहीद कर दिया गया जिनमें आधी निर्दोष महिलाएं और बच्चे हैं,और पूरी दुनिया इस पर चुप है। फ़िलहाल फ़िलिस्तीन इस्लामी जगत की व्यावहारिक कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहा है और सुन्नी मौलवियों ने कई बार इस महत्व को ज़ाहिर भी किया है और इस अहम मुद्दे पर बल भी दिया है।
ईरान के संस्कृति और इस्लामी मार्गदर्शन मंत्रालय में सुन्नी समुदाय के सलाहकार कहते हैं:
आज दुनिया यूक्रेन और ग़ज़ा के दो बड़े परीक्षणों का सामना कर रही है। पश्चिम ने यूक्रेन के लिए क्या किया, लेकिन ग़ज़ा की रक्षा के लिए कोई व्यावहारिक कार्रवाई नहीं की गई। इस्लामी जगत का जागना ज़रूरी है और अफसोस की बात यह है कि अमेरिकी और यूरोपीय छात्र तो जाग गए और घटनास्थल पर आ भी गए लेकिन वे ग़ज़ा के पड़ोसी देशों से व्यावहारिक कार्रवाई करने में नाकामी पर अफ़सोस के अलावा कुछ भी नहीं कर सके जिन्होंने कफन भेजने के अलावा कुछ नहीं किया। कई लोगों को इस बात पर गर्व था कि उन्होंने ग़ज़ा के लोगों के लिए आसमान से खाना गिराने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जो इस्लामी उम्मा की शान में नहीं है।
एशिया में ईरान का दबदबा बरक़रार, पांचवीं बार ईरानी ताइक्वांडो टीम बनी चैंपियन
ईरान की नेश्नल ताइक्वांडो टीम ने पांचवीं बार एशियाई ताइक्वांडो चैम्पियनशिप जीत ली।
वियतनाम की मेजबानी में 33 देशों के 244 ताइक्वांडो खिलाड़ियों की भागीदारी से 16 मई से वियतनाम के दनांग शहर के टीएन सोन हॉल में आयोजित 26वीं एशियाई ताइक्वांडो चैंपियनशिप 18 मई को समाप्त हुई जिसमें ईरान की पुरुष टीम ने चैंपियनशिप का ख़िताब जीत लिया।
इस टूर्नामेंट के आख़िर में, ईरान की नेश्नल मेन्स ताइक्वांडो टीम ने 3 स्वर्ण पदक, एक रजत और एक कांस्य मैडल जीता और इस तरह से एशिया में अपनी पांचवीं चैंपियनशिप का ख़िताब जीत लिया।
ईरान की तरफ़ से मेहदी हाजी मूसाई, मुहम्मद हुसैन यज़दानी और आरियन सलीमी ने गोल्ड मैडल जीते जबकि अली ख़ुशरू रजत पदक हासिल किया और मतीन रेज़ाई ने ब्रान्ज़ मैडल जीता।
दक्षिण कोरिया भी तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य के साथ दूसरे स्थान पर रहा जबकि उज़्बेकिस्तान और सऊदी अरब तीसरे और चौथे स्थान पर रहे।
ईरान की राष्ट्रीय ताइक्वांडो टीम ने इससे पहले 2008, 2010, 2014 और 2016 में चैंपियनशिप जीती थी।
ईरान की महिला खिलाड़ी मेल्का मीरहुसैनी और सईदा नासिरी ने एशियाई ताइक्वांडो चैंपियनशिप के महिला वर्ग में क्रमशः रजत और कांस्य पदक जीते।
ग़ज़ा में मेरकावा-4 टैंक शिकार, नेतनयाहू की वार कैबिनेट में फूट
फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में यमनियों का मिलियन मार्च, आतकंवादियों के पासपोर्ट कैंसल करने का इराक़ का फ़ैसला और इस्राईली सरकार में मतभेदों का गहराना मध्यपूर्व में पिछले 24 घंटों में घटने वाली कुछ महत्वपूर्ण घटनाए हैं।
आतकंवादियों के पासपोर्ट कैंसल करने का इराक़ का फ़ैसला
अल-अरबी अल-जदीद की रिपोर्ट के मुताबिक़, इराक़ी सरकार ने ईरान विरोधी अलगाववादियों और आतकंवादियों के पासपोर्ट कैंसल करने का फ़ैसला लिया है, जिसे इस देश के कुर्दिस्तान इलाक़े ने जारी किया है।
ग़ज़ा में इस्राईल ने अब तक 600 मस्जिदों को ध्वस्त कर दिया है
ग़ज़ा के वक़्फ़ मंत्रालय का कहना है कि ज़ायोनी सेना के हमलों में अब तक 604 मस्जिदें ध्वस्त हो चुकी हैं और 200 से ज़्यादा मस्जिदों को नुक़सान पहुंचा है।
मेरकावा-4 का शिकार
हमास की सैन्य शाख़ा अल-क़स्साम ब्रिगेड के लड़ाकों ने शनिवार को इस्राईल के एक मेरकावा— टैंक का शिकार किया। इस टैंक को रफ़ह में यासीन 105 से निशाना बनाया गया है।
इस्राईल के हमलों में शहीद होने वाले 40 फ़ीसदी फ़िलिस्तीनी सुरक्षित इलाक़ों में शहीद हुए हैं
ग़ज़ा की रेड क्रीसेंट सोसाइटी की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्राईल के हमलों में शहीद होने वाले 40 फ़िलिस्तीनी उन इलाक़ों में शहीद हुए हैं, जिनके लिए इस्राईल ने दावा किया था कि यह इलाक़े नागरिकों के लिए सुरक्षित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक़, इस्राईली सेना ने ग़ज़ा की क्रासिंग्स को बंद कर दिया है, जिसकी वजह से इस युद्ध ग्रस्त इलाक़े में मानवीय संकट और अधिक गहरा गया है।
केलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में फ़िलिस्तीन समर्थक छात्रों का दमन
ग़ज़ा में इस्राईली नरसंहार का विरोध और पीड़ित फ़िलिस्तीनियों का समर्थन करने वाले केलिफ़ोर्निया में मेडिकल यूनिवर्सिटी के छात्रों के ख़िलाफ़ अमरीकी पुलिस ने हिंसा का इस्तेमाल किया है और उनके साथ मारपीट की है।
कान्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल में फ़िलिस्तीनी फ़िल्म निर्माता
फ़िलिस्तीनी फ़िल्म निर्माताओं का एक प्रतिनिधिमंडल, अंतर्राष्ट्रीय समर्थन हासिल करने और फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों के बारे में लोगों को जागरुक करने के लिए कान्स फ़िल्म फ़ेस्टिवल में भाग ले रहा है।
हमासः अमरीकी सरकार ग़ज़ा युद्ध को लंबा खींचने के लिए ज़िम्मेदार है
हमास के एक सीनियर नेता सामी अबू ज़ोहरी ने कहा है कि फ़िलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इस्राईल के युद्ध अपराधों में अमरीका भी शरीक है और वह इस्राईल को हथियारों और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति करके इस युद्ध को लंबा खींच रहा है।
अबू-उबैदाः हम लंबे युद्ध के लिए तैयार हैं
अल-क़स्साम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू उबैदा ने बेनज़ीर प्रतिरोध के लिए ग़ज़ा के लोगों की तारीफ़ करते हुए कहा है कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध लंबे समय तक चलने वाले युद्ध के लिए तैयार है। अबू उबैदा का कहना था कि रफ़ह, अल-ज़ैतून और जबालिया मैं दाख़िल होकर दुश्मन ने अपने लिए नरक के दरवाज़े खोल दिए हैं।
ग़ज़ा युद्ध में फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में यमनी नागरिकों ने मिलियन मार्च किया है
लाखों यमनी नागरिकों ने राजधानी सना के अल-सबईन स्क्वायर और कई अन्य शहरों में लगातार 31वें हफ़्ते, ग़ज़ा युद्ध में फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में मार्च निकाला है। प्रदर्शनकारियों ने ग़ज़ा के समर्थन में पवित्र जिहाद और हमारे लिए कोई रेड लाइन नहीं जैसे नारे लगाए।
इस्राईल की वार कैबिनेट में बिखराव
हेब्रू टीवी चैनल कैन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नेतनयाहू के नेतृत्व वाली वार कैबिनेट में मतभेद इतने गहरा गए हैं कि यह बिखरने की कगार पर है। रिपोर्ट के मुताबिक़, गैंट समेत कई इस्राईली नेताओं ने कैबिनेट से निकलने की धमकी दी है।
ज़ायोनी दुश्मन पीछे हट रहा है और विफलता का सामना कर रहा है: खालिद मेशाल
फिलिस्तीनी आंदोलन हमास के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि ज़ायोनी दुश्मन को हार का सामना करना पड़ा है और वह पीछे हट रहा है और आठ महीने के गाजा युद्ध के बाद उसने अपनी विश्वसनीयता खो दी है।
अल-जज़ीरा टीवी चैनल के अनुसार, हमास आंदोलन के प्रमुख खालिद मेशाल ने शनिवार को तुर्की के इस्तांबुल में तोर्फ अल-अहरार बैठक में अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि प्रतिरोध बेहतर स्थिति में है। गाजा और क्षेत्र में, हर जगह प्रतिरोध फिर से उभर आया है और मुस्लिम उम्मा से नरसंहार शासन की आक्रामकता को रोकने के लिए अपना विरोध जारी रखने की अपील कर रहा है।
उन्होंने कहा कि इस समय हमारे पास इजराइल को हराने और ज़ायोनी परियोजना को नष्ट करने का ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने कहा कि इजराइल तूफान की तरह अमेरिका के समर्थन से अपराध कर रहा है.
इस बीच, अल-क़सम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू ओबैदाह ने कहा कि नेतन्याहू कैदियों की अदला-बदली करने के बजाय अपने सैनिकों को कैदियों की तलाश में गाजा की सड़कों पर भेजना पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें मार दिया जाता है और ताबूतों में वापस लाया जाता है
तेल अवीव, वाशिंगटन, न्यूयॉर्क और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में इज़राइल विरोधी प्रदर्शन
हजारों लोगों ने तेल अवीव में प्रधान मंत्री नेतन्याहू और उनके युद्ध मंत्रिमंडल के खिलाफ प्रदर्शन किया और गाजा में युद्धविराम और इजरायली बंधकों को जीवित वापस करने की मांग की।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, तेल अवीव में हुए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बलों ने पानी की बौछारें कीं। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इजरायली पुलिस हिंसा का प्रतीक है और अराजकता फैला रही है.
उधर, गाजा के प्रति अमेरिका और ज़ायोनी सरकार की क्रूर कार्रवाइयों की निंदा करते हुए बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीन समर्थकों ने वाशिंगटन और न्यूयॉर्क में विरोध प्रदर्शन किया है। शनिवार शाम को, लगभग 400 प्रदर्शनकारी वाशिंगटन के नेशनल मॉल सार्वजनिक पार्क में एकत्र हुए और गाजा पर इज़राइल के युद्ध को तत्काल समाप्त करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने "कब्जे वाली भूमि पर कोई शांति नहीं होगी", "नरसंहार बंद करो", "अपराध बंद करो" और "इजरायल को फिलिस्तीन से बाहर निकालो" जैसे नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की भी आलोचना की और उन पर गाजा युद्ध में मानव जीवन के लिए चिंता का दिखावा करने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर, ऐसी खबरें हैं कि पुलिस ने न्यूयॉर्क शहर के ब्रुकलिन में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों लोगों पर हमला किया। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक पुलिस ने फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे दर्जनों लोगों को गिरफ्तार भी किया है. वियना, बर्लिन, पेरिस और जिनेवा समेत कई यूरोपीय शहरों से भी इसी तरह के विरोध प्रदर्शन की खबरें आई हैं।
बता दें कि 7 अक्टूबर से अब तक इजरायली हमलों में शहीद फिलिस्तीनियों की संख्या 35,000 से ज्यादा हो गई है.
फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध हमलों में 15 इज़रायली सैनिक मारे गए
हमास की सैन्य शाखा कताएब अलकेसाम ने घोषणा की है कि उन्होंने दक्षिणी गाजा में 15 इज़रायली सैनिकों को मार डाला।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हमास की सैन्य शाखा ने आज सुबह शनिवार को घोषणा की है की इजरायली सैनिकों का एक समूह दक्षिणी गाजा में राफा शहर के पूर्व में अलतंवर नामक पड़ोस में एक घर में छिपा हुआ था, इस दौरान प्रतिरोध बलों ने उन पर हमला किया और उन्हें मार डाला।
अलक़ेसाम ने बताया,कि प्रतिरोध बलों ने घर को राडिया नामक एक कार्मिक विरोधी बम से उड़ा दिया और तुरंत घर में प्रवेश किया और शेष सैनिकों को मार डाला और उन पर मशीन गन और ग्रेनेड से हमला किया।हमास की सैन्य शाखा ने घोषणा की ऑपरेशन में 15 इजरायली सैनिक मारे गए।
यह ऑपरेशन पिछले हफ्ते बुधवार शाम को इजरायली मीडिया की रिपोर्ट के बाद किया गया था कि गाजा के उत्तर में फिलिस्तीनी प्रतिरोध बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन में कम से कम 5 इजरायली सैनिक मारे गए थे
इज़रायली सूत्रों ने कहा कि ऑपरेशन में 10 से अधिक इज़रायली सैनिक घायल हो गए उनमें से कुछ की हालत गंभीर हैं इज़रायली मीडिया की रिपोर्ट के बाद यह ऑपरेशन चलाया गया कि हमास की सेनाएं उत्तरी गाजा में फिर से युद्ध के लिए तैयार हो गई हैं।
यमन हम इज़रायली जहाज को निशाना बनाते रहेंगें
यमन ने फिलिस्तीन के समर्थन में जारी अपने सैन्य अभियान को ग़ज़्ज़ा जनसंहार बंद न होने तक जारी रखने का ऐलान करते हुए कहा कि हम ज़ायोनी दुश्मन के लिए सामान ले जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना जारी रखेंगे।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,यमन ने फिलिस्तीन के समर्थन में जारी अपने सैन्य अभियान को ग़ज़्ज़ा जनसंहार बंद न होने तक जारी रखने का ऐलान करते हुए कहा कि हम ज़ायोनी दुश्मन के लिए सामान ले जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना जारी रखेंगे।
अपने सैन्य अभियान को अब सिर्फ लाल सागर, अदन की खाड़ी या अरब सागर तक सीमित न रखते हुए यमन ने एलान किया है कि हम जहाँ तक दुश्मन के हितों को निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं वहां तक हमले करेंगे।
यमन के लोकप्रिय जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव ने कहा कि जो कंपनियां ज़ायोनी दुश्मन तक सामान पहुंचाती हैं, उनके जहाजों को हम हर उस क्षेत्र तक निशाना जहाँ तक हम हमला करने में सक्षम हैं।
यमनी सशस्त्र बलों द्वारा घोषित ऑपरेशन का चौथा चरण भूमध्य सागर तक सीमित नहीं है और इसमें कब्जे वाले क्षेत्रों में माल परिवहन करने वाले सभी जहाज शामिल हैं।
इंसान की ख़िल्क़त का रहस्य
सूरए मोमेनून की आयत नंबर 115
« أَفَحَسِبْتُمْ أَنَّمَا خَلَقْنَاكُمْ عَبَثًا وَأَنَّكُمْ إِلَيْنَا لَا تُرْجَعُونَ»
तो क्या तुमने यह समझा था कि हमने तुम्हें व्यर्थ पैदा किया है और यह कि तुम्हें हमारी और लौटना नहीं है?"
इस आयत की रौशनी में सिर्फ यही नहीं कि अल्लाह ने इंसान को व्यर्थ में नहीं बनाया, बल्कि उसने उसे बहुत ऊंचे मक़सद के लिए ख़ल्क़ किया है।
इंसान की ख़िल्क़त का असली मक़सद
सूरह बकरा की आयत नंबर 30
وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي جَاعِلٌ فِي الْأَرْضِ خَلِيفَةً قَالُوا أَتَجْعَلُ فِيهَا مَن يُفْسِدُ فِيهَا وَيَسْفِكُ الدِّمَاءَ وَنَحْنُ نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ قَالَ إِنِّي أَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُونَ . وَعَلَّمَ آدَمَ الْأَسْمَاءَ كُلَّهَا ثُمَّ عَرَضَهُمْ عَلَى الْمَلَائِكَةِ فَقَالَ أَنبِئُونِي بِأَسْمَاءِ هَـٰؤُلَاءِ إِن كُنتُمْ صَادِقِينَ»
ऐ रसूल उस समय को याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा: मैं धरती पर अपना ख़लीफ़ा बनाने वाला हूँ और उन्होंने कहा, क्या उसे बनाएगा जो ज़मीन में फसाद बरपा करे और ख़ूंरेज़ी करे जबकि हम तेरी तस्बीह और तक़्दीस करते हैं। इरशाद हुआ मैं वह जानता हूँ जो तुम नहीं जानते। और अल्लाह ने आदम अस को तमाम अस्मा की तालीम दी और फिर उन सबको फरिश्तों के समाने पेश करके फ़रमाया कि ज़रा तुम इन सबके नाम तो बताओ अगर तुम अपने विशेषधिकार के ख़्याल में सच्चे हो।
इंसान की ख़िल्क़त का सबसे बुलंद मक़सद उसका ज़मीन पर अल्लाह के खलीफा के रूप में चयन है। इसी लिए अल्लाह ने उसे अपने मख़लूक़ात में सबसे अफ़ज़ल क़रार दिया और अपने बेहद ख़ास लुत्फ़ो करम से उसे खलीफा ए इलाही की सिफ़त से नवाज़ा।
इसराइल के हमले के खिलाफ कई देशों की चेतावनी
कई देशों के विदेश मंत्रियों ने इज़राइल शासन को चेतावनी दी हैं कि अगर गाज़ा पट्टी पर हमला हुआ तो नतीज़ा गलत होगा।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मध्य पूर्व समाचार का हवाला देते हुए, 13 देशों के विदेश मंत्रियों ने ज़ायोनी शासन को 4 पेज के पत्र में गाजा पट्टी के दक्षिण में राफा शहर पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमले के खिलाफ चेतावनी दी हैं।
इस संदर्भ में, जर्मन समाचार एजेंसी ने घोषणा की कि इन देशों ने फिलिस्तीनी राष्ट्र के लिए अधिक सहायता की भी मांग की है।
इस पत्र में 13 देशों के विदेश मंत्रियों ने ज़ायोनी शासन के विदेश मंत्री यज़राइल कैट्स को संबोधित किया और घोषणा की कि इज़राइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है।
इन मंत्रियों ने अलअक्सा तूफान ऑपरेशन की भी निंदा की जो पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास आंदोलन और फिलिस्तीनी समूहों द्वारा किया गया था।
साथ ही, उन्होंने ज़ायोनी शासन के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से गाजा पट्टी में विनाशकारी और बढ़ते मानवीय संकट को कम करने के लिए अपने सभी प्रयासों का उपयोग करने के लिए कहा दुनिया के 13 देशों के मंत्रियों ने तेल अवीव से मानवीय सहायता के प्रवेश के लिए राफा सीमा सहित सभी सीमा को फिर से खोलने की मांग की हैं।
इस पत्र पर जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फिनलैंड, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और स्वीडन के विदेश मंत्रियों ने हस्ताक्षर किए।