
رضوی
आयतुल्लाह खमेनेई ने 3 हज़ार से अधिक क़ैदियों की सज़ा माफ़ की
ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे रहमत हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (अस) के शुभ जन्मदिन के अवसर पर देश की विभिन्न जेलों में अलग अलग अपराध के लिए बंद सज़ा याफ्ता क़ैदियों को न्यायपालिका की अपील पर बड़ी राहत दी है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम लीडर ने जहाँ कुछ बंदियों की रिहाई पर सहमति जताई हैं वहीँ कुछ क़ैदियों की सज़ा घटा दी गयी तो कुछ को माफ़ी दी गई है।
पैग़म्बरे रहमत हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (अस) और इमाम जाफर सादिक (अस) के जन्म के अवसर पर सर्वोच्च नेता की ओर से जारी माफ़ी का विवरण देते हुए, न्यायपालिका के उप प्रमुख ने कहा: मौत की सजा पाने वाले 69 दोषियों की सज़ा आजीवन कारावास में बदल दी गई, और देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरे में डालने वाले दोषियों में से 140 महिला और 39 पुरुषों को भी माफी दे दी गई है।
अमेरिका के दौरे पर रवाना हुए मोदी क्वाड समिट में लेंगे हिस्सा
अब तक 8 बार अमेरिका के दौरे पर जा चुके भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर अमेरिका के दौरे पर निकल चुके हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक पीएम मोदी आज से 23 सितंबर तक अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। इस दौरान वह क्वाड नेताओं के चौथे समिट में भाग लेंगे, जो आज डेलावेयर के विलमिंगटन में आयोजित होगा। इस समिट की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन मेजबानी करेंगे।
वहीं अमेरिका दौरे पर रवाना होने के बाद प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि आज, मैं राष्ट्रपति बाइडेन के गृहनगर विलमिंगटन में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने और न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भविष्य के शिखर सम्मेलन को संबोधित करने के लिए अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर जा रहा हूं।
तालिबान ने ईरान से माफ़ी मांगी, पाकिस्तान को दी सफाई
अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर क़ाबिज़ तालिबान एक बार फिर अपने हरकतों की वजह से मीडिया की सुर्ख़ियों में बने हुए हैं। दर असल हाल ही तालिबान अधिकारियों ने ईरान और पाकिस्तान दोनों देशों के अलग अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इस बीच पाकिस्तान और ईरान का राष्ट्रगान बजाए गए, लेकिन तालिबानी अधिकारी अपनी जगह से खड़े नहीं हुए, जिसके बाद उन्हें दोनों देशों की ओर से गुस्से का सामना करना पड़ा है।
पेशावर में 17 सितंबर को हो रहे एक प्रोग्राम के दौरान अफगान मिशन के दूत हाफिज मोहिबुल्लाह शाकिर समेत तालिबान अधिकारी पाकिस्तान के राष्ट्रगान के दौरान सीट पर बैठे रहे। वहीं, उसके 2 दिन बाद ईरान से भी ऐसी ही खबर सामने आई। तेहरान में हो रही इंटरनेशनल इस्लामिक यूनिटी कॉन्फ्रेंस के दौरान जब मेजबान देश ईरान का राष्ट्रगान शुरू हुआ तो सब लोग खड़े हो गए, लेकिन तालिबान प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख और उप मंत्री अज़ीज़ुर्रहमान मंसूर बैठे रहे। इस हरकत के बाद जब पाकिस्तान और ईरान की तरफ से विरोध किया गया तो तालिबान ने ईरान से माफी मांग ली, लेकिन पाकिस्तान की सफाई देकर छुट्टी कर दी।
फिलिस्तीन का झंडा थामना अपराध नहीं
कर्नाटक में ईदे मिलादुन-नबी के जुलूसों में फिलिस्तीनी झंडे लहराए जाने पर राज्य की राजनीती गरमा गई है। इस बीच राज्य के मंत्री बी. जेड. जमीर अहमद खान ने झंडे लहराए जाने का बचाव करते हुए बीजेपी पर हमला बोला। मंत्री ने जोर देकर कहा कि फिलिस्तीनी झंडा लहराना कोई मुद्दा नहीं है। केंद्र सरकार फिलिस्तीन को खुला समर्थन करती है।
जमीर अहमद खान ने चित्रदुर्ग, दावणगेरे और कोलार जैसी जगहों पर जुलूसों के दौरान फिलिस्तीनी झंडे लहराए जाने पर आपत्ति जताने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की आलोचना की। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों के पक्ष में नारे लगाना अस्वीकार्य माना जा सकता है, लेकिन सिर्फ झंडा थामना कोई गलत काम नहीं है। केंद्र सरकार ने खुद फिलिस्तीन को समर्थन दिया है, केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि हम फिलिस्तीन का समर्थन कर रहे हैं।
बता दें कि पिछले सप्ताह चिकमगलुरु में छह नाबालिगों को हिरासत में लिया गया था। इन नाबालिगों को दोपहिया वाहन चलाते समय फिलिस्तीनी झंडा थामे दिखाया गया था।
श्रीलंका में तख्तापलट के बाद पहला चुनाव
पिछले काफी समय से राजनैतिक एवं आर्थिक उथल पुथल का शिकार रहे श्रीलंका में आज तख्तापलट के बाद पहला चुनाव हो रहा है जिसमे राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के सामने सत्ता बचने की चुनौती है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि 1982 के बाद से श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है। इस चुनावी लड़ाई में विक्रमसिंघे को अनुरा कुमारा दिसानायके और साजिथ प्रेमदासा से कड़ी टक्कर मिल रही है। इनके अलावा और भी कई उम्मीदवार हैं जो चुनावी मैदान में मजबूती से ताल ठोक रहे हैं।
मतगणना के बाद चुनाव परिणाम का ऐलान रविवार को किया जाएगा। मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के अपने प्रयासों की सफलता के आधार पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में उतरे हैं जिस के लिए कई विशेषज्ञ विक्रमसिंघे की तारीफ कर चुके हैं।
सरकार की नजर अन्य अल्पसंख्यक वर्गों की संपत्तियों पर भी है! असदुद्दीन ओवैसी
क्या वक़्फ़ संशोधन विधेयक शुरुआत है? सरकार की नजर अन्य अल्पसंख्यक वर्गों की जमीनों और हिंदू बोर्ड के स्वामित्व वाली लाखों एकड़ जमीन पर भी है, जबकि वक्फ बोर्ड के पास केवल कुछ लाख एकड़ जमीन है।
हालांकि विवादास्पद वक्फ विधेयक पर जेपीसी सक्रिय रूप से बैठकें कर रही है और विभिन्न 'हितधारक' अपने विचार रख रहे हैं और यह संदेश दिया जा रहा है कि देश में वक्फ बोर्डों के पास लाखों एकड़ जमीन है, लेकिन हकीकत क्या है? सोशल मीडिया पर या विभिन्न हिंदुत्व घाटी समाचार पोर्टलों के माध्यम से बताया जा रहा है। इस संबंध में मशहूर हिंदी अखबार 'अमर अजाला' की एक लंबी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें सिलसिलेवार तरीके से बताया गया है कि वक्फ बिल लाने के पीछे सरकार का मकसद क्या है, सरकार के पास कितनी जमीन है. वक्फ बोर्ड और हिंदुओं के विभिन्न बोर्डों के पास कितनी जमीन है, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सरकार वक्फ बिल के जरिए एक तीर से कई लोगों को मारना चाहती है, उसका मकसद हर वर्ग और हर व्यक्ति की जमीन पर कब्जा करना है धार्मिक संस्था है ऐसे में अगर अगले कुछ महीनों में हिंदुओं के साथ-साथ अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के विभिन्न बोर्डों की जमीनों पर कब्जा करने के लिए कोई विधेयक लाया जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।
बिल लाने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
अमरजाला की रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ संशोधन बिल लाने का मकसद सरकार को एक तीर से मारना है. बिल के विरोधियों ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार फिलहाल इस बिल के जरिए मुसलमानों को निशाना बना रही है, लेकिन इसका मुख्य मकसद विभिन्न राज्यों के हिंदू बोर्डों की जमीनों का अधिग्रहण करना है, लेकिन इससे पहले उन्होंने मुसलमानों के बाद सिखों जैसे अन्य अल्पसंख्यकों को भी जमीन दे दी है. बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों की भूमि और संपत्ति का अधिग्रहण करने का भी प्रयास करेगा। विरोधियों का यह भी कहना है कि मोदी सरकार ने हिंदुओं को नुकसान पहुंचाने वाले कई विवादास्पद कानून पेश किए हैं और लाने का इरादा रखती है, लेकिन उन्हें मुस्लिम विरोध के पर्दे के तहत पेश करती है ताकि उसके आम समर्थकों को कोई संदेह न हो और हिंदुत्व घाटी में भी खुश रहें। ऐसे कानून आमतौर पर मुसलमानों द्वारा तुरंत उठाए जाते हैं, जिससे सरकार को अपना संदेश देने का मौका मिलता है, लेकिन वास्तव में वे कानून हिंदुओं के लिए अधिक हानिकारक होते हैं।
यूपी सरकार का विवादित बिल
उदाहरण के तौर पर मुस्लिमों की संपत्ति जब्त करने के लिए यूपी सरकार ने वंशज विधेयक पेश किया, लेकिन इसके निहितार्थ को समझते हुए खुद कई बीजेपी विधायकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. पता चला कि जैसे ही सरकार ने इसे लागू करना शुरू किया, उसे अपनी ही पार्टी के भीतर से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके बाद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और फिर कानून को रोक दिया गया. फिलहाल इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है, हालांकि मुसलमान मौजूदा वक्फ बिल के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, लेकिन जब अन्य वर्गों के खिलाफ बिल लाया जाएगा और उनकी जमीनें जब्त करने की कोशिश की जाएगी, तो वे भी आवाज उठाएंगे करने के लिए मजबूर किया गया।
किसके पास कितनी जमीन?
विवादित वक्फ बिल के समर्थन में सोशल मीडिया पर लगातार यह अभियान चलाया जा रहा है कि रेलवे और सेना के बाद सबसे ज्यादा जमीन और संपत्ति वक्फ बोर्ड के पास है, लेकिन उपरोक्त अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास वर्तमान में देश में केवल 9.5% भूमि है, 100,000 एकड़ भूमि है, जो पूरे देश के क्षेत्रफल का केवल कुछ प्रतिशत होगी, जबकि इसकी तुलना में, विभिन्न राज्यों में हिंदू बोर्डों के पास कई लाख एकड़ भूमि है। रेलवे और सेना की कुल भूमि से भी अधिक होगी। उदाहरण के लिए, अकेले तमिलनाडु में, हिंदू बोर्ड के पास 3.5 लाख एकड़ ज़मीन है, जबकि इसके पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में, हिंदू बोर्ड के पास 465,000 एकड़ ज़मीन है। गौरतलब है कि इन जमीनों पर हिंदू बोर्ड द्वारा विभिन्न मंदिर, आश्रम, धर्मशालाएं और अन्य इमारतें स्थापित की गई हैं जिनका उपयोग केवल हिंदुओं द्वारा किया जाता है। हिंदू बोर्डों को इनके किराये से भी अरबों रुपये मिलते हैं।
हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ सैन्य कमांडर इब्राहीम अक़ील शहीद
हिज़्बुल्लाह लेबनान ने दक्षिणी लेबनान में ज़ायोनी सेना की बमबारी में अपने वरिष्ठ सैन्य कमांडर की शहादत की खबर दी है।
हिज़्बुल्लाह ने आधिकारिक तौर पर ज़ायोनी सेना की ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों पर बमबारी में अपने वरिष्ठ कमांडरों में से एक हाज इब्राहीम अकील उर्फ अब्दुल कादिर की शहादत की घोषणा की है।
हिज़्बुल्लाह के बयान में कहा गया है कि महान सैन्य कमांडर इब्राहीम अकील एक लंबी उम्र तक रहे ख़ुदा में जिहाद करने के बाद अपने शहीद दोस्तों, भाईयों और अपने शहीद नेताओं के साथ शामिल हो गए।
गौरतलब है कि ज़ायोनी सेना के F-35 युद्धक विमानों ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में एक आवासीय इमारत पर बमबारी की थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई और 66 लोग घायल हो गए थे।
हिज़्बुल्लाह के शहीद कमांडर इब्राहीम अक़ील
दक्षिणी लेबनान के ज़ाहिया शहर में अवैध राष्ट्र इस्राईल ने एक रिहाइशी इमारत पर बमबारी करते हुए कई लोगों को मार डाला। इस हमले में हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ सैन्य कमांडर और संस्थापक सदस्य इब्राहीम अक़ील भी शहीद हो गए। जिन्हे ज़ायोनी सेना ने चार मिसाइलों का निशाना बनाया।
पाकिस्तान, तकफ़ीरी आतंकी गुट ने की 5 लोगों की हत्या
पाकिस्तान में एक बार फिर शिया समुदाय को निशाना बनाते हुए टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। ताज़ा मामला उत्तर-पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा के क्षेत्र का है जहाँ आतंकी गुट ने 5 लोगों को बेरहमी से मौत के घाट उतार कर उनके घरों में आग लगा दी।
आईएसआईएस आतंकी समूह ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान के शियाओं के खिलाफ अपने नए अपराध की ज़िम्मेदारी स्वीकार की है।
इस आतंकवादी समूह ने दावा किया कि उसने पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा के "मर्दन" क्षेत्र के "रुस्तम" गांव में पांच शियों को शहीद कर दिया और उनके घर में आग लगा दी। इस आतंकवादी घटना के बारे में अधिक विवरण प्रकाशित नहीं किया गया है।
पिछले कुछ दशकों में सिपाहे सहाबा और लश्कर झांगवी जैसे तकफ़ीरी वहाबी आतंकी संगठनों द्वारा हजारों पाकिस्तानी शियों को शहीद किया गया है, लेकिन यह पहली बार है कि तकफ़ीरी समूह आईएसआईएस ने पाकिस्तान में शियों की शहादत की जिम्मेदारी ली है।
तेहरान में 38वें अंतर्राष्ट्रीय वहदत इस्लामी कॉन्फ्रेंस का आग़ाज़
ईरान की राजधानी तेहरान में आज सुबह 19 सितंबर 2024 को 38वीं अंतर्राष्ट्रीय वहदत इस्लामी कॉन्फ्रेंस का आग़ाज़ हो गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की राजधानी तेहरान में फिलिस्तीन के मुद्दे पर केंद्रित 38वीं अंतर्राष्ट्रीय वहदत ए इस्लामी सम्मेलन का आज सुबह, 19 सितंबर 2024 को उद्घाटन हुआ है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 2500 देशी और विदेशी मेहमान, विद्वान, उलमा-ए-कराम और महत्वपूर्ण शख्सियतें भाग ले रही हैं।
इस सम्मेलन में शामिल मेहमान रहबर-ए-इंकलाब इस्लामी हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई से भी मुलाकात करेंगे।
यह उल्लेखनीय है कि इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में एकता और वहदत, सभ्यता और संस्कृति, वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों, मुसलमानों को दरपेश समस्याओं और इस्लामी जगत के खिलाफ होने वाली साज़िशों, खासतौर पर फिलिस्तीन के मुद्दे पर व्यापक चर्चा की जाएगी।
यह भी स्पष्ट किया गया है कि 38वीं अंतर्राष्ट्रीय वहदत इस्लामी सम्मेलन 19 से 21 सितंबर 2024 तक तेहरान में आयोजित की जाएगी।