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रूस के खिलाफ पिछले 2 साल से भी अधिक समय से नाटो की जंग लड़ रहा यूक्रेन अब सीरिया में आतंकी संगठनों को ड्रोन समेत आधुनिक हथियार पहुंचा रहा है।

रशिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, तहरीरुश्शाम और नुस्रह फ्रंट जैसे आतंकी संगठनों को यूक्रेन ड्रोन दे रहा है और बदले में इन संगठनों के आतंकियों को रूस के खिलाफ जंग के लिए मैदान में उतार रहा है।

बता दें की कुछ समयय पहले ही रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि यूक्रेन की एजेंसियां तहरीरुश्शाम के आतंकियों को रूस के खिलाफ घिनौने अभियानों के लिए इस्तेमाल कर रही हैं।

 

यमन सेना की हवाई रक्षा इकाई ने एक बार फिर अमेरिका को गहरा सदमा देते हुए ज़ीमार प्रांत के आसमान पर अमेरिका के अत्याधुनिक ड्रोन MQ9 का शिकार किया।

"अल-एलामुल-हरबी" के नाम से पहचाने जाने वाले यमनी सेना के सैन्य सूचना केंद्र ने सोमवार रात इस ड्रोन के विनाश से संबंधित तस्वीरें प्रकाशित कीं।

बता दें कि यमन सेना इस से पहले भी अमेरिका के इस अत्याधुनिक ड्रोन को कम से कम 9 बार शिकार कर चुकी है। 

 

ईद मिलादुन्नबी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है उनका जीवन इस्लामिक शिक्षाओं का आदर्श है जो इंसानियत दया न्याय और समानता पर आधारित है।

दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय द्वारा ईद मिलादुन्नबी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है जो पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

इस्लाम धर्म के प्रवर्तक और अंतिम नबी, पैगंबर मोहम्मद साहब ने इंसानियत और धार्मिकता की अद्वितीय मिसाल पेश की उनका जीवन इस्लामिक शिक्षाओं का आदर्श है जो इंसानियत, दया, न्याय और समानता पर आधारित है।

हज़रत पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म 12 रबी अलअव्वल को हुआ था यही तारीख पैगंबर साहब की मृत्यु का दिन भी माना जाता है इस वजह से इसे बारा वफात के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है "मृत्यु की बारहवीं तारीख,इस मौके पर मुसलमान पैगंबर मोहम्मद के जीवन उनके संदेश और इस्लाम के प्रति उनके योगदान को याद करते हैं।

हज़रत पैगंबर मोहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था उनके जीवन का हर पहलू इंसानियत के लिए एक वरदान के रूप में देखा जाता है मोहम्मद साहब ने एक ऐसे समय में इस्लाम का प्रचार किया जब समाज में अन्याय, असमानता और अज्ञानता का बोलबाला था उन्होंने सच्चाई, करुणा, भाईचारा और अल्लाह में अटूट विश्वास का संदेश फैलाया।

उनके जीवन के मुख्य उद्देश्य में मानवता के कल्याण और सामाजिक सुधार शामिल थे वे गरीबों और कमजोरों के हक में आवाज उठाते थे और हर इंसान के साथ समानता और न्याय की बात करते थे उनका जीवन सादगी और धैर्य का प्रतीक था।

 

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल गया है। आप नेता आतिशी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी। बैठक में अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा, सभी विधायकों ने खड़े होकर प्रस्ताव को स्वीकार किया।

आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित इस पद पर आसीन रह चुकी हैं।

ग़ज़्ज़ा में पिछले लगभग एक साल से जनसंहार कर रहे इस्राईल ने एक बार फिर ग़ज़्ज़ा पर बर्बर हमले किए जिसमे 4 बच्चों समेत कम से कम 16 बेगुनाह लोगों की मौत हो गयी है। ग़ज़्ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी सेना के हमलों में अब तक 41 हजार से अधिक बेगुनाह फिलिस्तीनी मारे गए हैं।

फिलिस्तीनी अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को हुए हमले में मध्य ग़ज़्ज़ा स्थित नुसेरात शरणार्थी शिविर में एक घर ध्वस्त हो गया, जिसमें चार महिलाओं और दो बच्चों सहित कम से कम 10 लोग मारे गए। सिविल डिफेंस के अनुसार ग़ज़्ज़ा शहर में ही एक घर पर हुए एक अन्य हमले में एक महिला और दो बच्चों समेत छह लोगों की मौत हो गई।

 

 

 

 

 

 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने कहा,ईरानी राष्ट्रपति अपने इराक दौरे के दौरान इराकी जनता, ज़ियारत ए अरबईन के दौरान हुसैनी मोकिबों के संस्थापकों और इराकी सरकार के लिए रहबर ए मोज़्ज़म इंकेलाबे इस्लामी का शुक्रिया का संदेश साथ लेकर आए थे।

नजफ अशरफ के इमामे जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सदरुद्दीन कबांची ने हुसैनिया ए अज़म फातिमिया में जुमे की नमाज़ के खुत्बों के दौरान जम्हूरिया इस्लामी ईरान के राष्ट्रपति के दौरे पर बात करते हुए कहा,ईरानी राष्ट्रपति,ईरानी राष्ट्रपति अपने इराक दौरे के दौरान इराकी जनता, ज़ियारत ए अरबईन के दौरान हुसैनी मोकिबों के संस्थापकों और इराकी सरकार के लिए रहबर ए मोज़्ज़म इंकेलाबे इस्लामी का शुक्रिया का संदेश साथ लेकर आए थे।

उन्होंने आगे कहा,हम भी ईरान की हिमायत खासतौर पर दाइश के खिलाफ जंग में उनके सहयोग पर अपने भाइयों का शुक्रिया अदा करते हैं।

नजफ अशरफ के इमामे जुमआ ने ईरान और इराकी अवाम के बीच मोहब्बत भरे रिश्तों, साझा मफादात और दीनी वहदत पर जोर देते हुए कहा, हम आलमी इस्तेक्बार के मुकाबले में एक साझा करते हैं। इराक और ईरान आलमी इस्तेक्बार के खिलाफ मुत्तहिद हैं और एक ही मोर्चे पर हैं।

उन्होंने क़ौमों की बेदारी, इसराइल के अंदरूनी ज़ुल्म और अरब मुल्कों की कोताही व गफलत को बयान करते हुए कहा,ग़ाज़ा की जंग बारहवें महीने में दाखिल हो चुकी है अमेरिका और मगरीबी दुनिया, फिलस्तीन में तमाम बेगुनाह हत्याओं को देखने के बावजूद इसराइली हुकूमत की हिमायत कर रहे हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन कबांची ने आगे कहा, खुद अमेरिका के अंदर जंग का ढोल बज चुका है, जहां गृहयुद्ध, प्रदर्शन और हिंसक हमले जारी है अमेरिका कमजोर हो चुका है और ट्रंप अपनी दीवानगी से उसे और गहरी खाई में धकेल देंगा।

 

ग़ज़्ज़ा में पिछले लगभग एक साल से जनसंहार मचा रहे इस्राईल को आर्थिक, सैनिक और राजनैतिक संरक्षण दे रहे अमेरिका के विदेश मंत्री एक बार फिर मध्यपूर्व के दौरे पर है।

ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना की ओर से जारी क़त्ले आम अपने 11 वे महीने में है और हर दिन वीभत्स होता जा रहा है अब देखना होगा कि क्या ब्लिंकन की यह यात्रा इसे रोक पाती है या नहीं।

सीज़फायर के नाम पर उनका यह मिडिल ईस्ट का दसवां दौरा है। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हम मध्य पूर्व में अपने साझेदारों, खासकर मिस्र और कतर के साथ इस बारे में बातचीत जारी रखेंगे कि प्रस्ताव में क्या-क्या शामिल होगा और यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि ऐसा प्रस्ताव तैयार किया जाए जिस पर दोना पक्ष राजी हो।

प्रिंसिपल हौज़ा ए इल्मिया खोवाहारान और हौज़ा ए इल्मिया ज़हेरा स.ल के तमाम अध्यापको की मौजूदगी में प्रिंसिपल ने कहा कि छात्रों की सहनशीलता को बढ़ाना शिक्षकों का कर्तव्य है और यह एक महत्वपूर्ण कार्य है कि वे छात्रों का धैर्य और संयम के साथ मार्गदर्शन करें।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,अराक में स्थित अलज़हरा स.अ. मदरसे में आज 1403/1404 के पहले शैक्षणिक सेमेस्टर के शिक्षकों की बैठक आयोजित की गई।

इसमें हज़रत हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन गुदरज़ी और इस्लामिक विज्ञान केंद्र की महिला शाखा के शैक्षिक और शोध विभागों के उपाध्यक्ष उपस्थित थे।

इस बैठक का उद्देश्य शैक्षिक सांस्कृतिक और शोध कार्यों को संगठित रूप से संचालित करना और इस्लामिक विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति और प्रगति के लक्ष्यों को स्पष्ट और निर्धारित करना था।

हुज्जतुल इस्लाम गुदरज़ी ने शिक्षकों से यह आग्रह किया कि वे छात्रों के आध्यात्मिक पहलुओं को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दें। इसके बाद उन्होंने हज़रत अली अ.स. से संबंधित एक हदीस का वर्णन किया जिसमें हज़रत अली ने अपने साथियों से कहा,मुझे नसीहत दो।उनके साथियों ने आश्चर्यचकित होकर कहा, हम? इस पर हज़रत अली ने फरमाया,सुनने में वह भलाई है जो जानने में नहीं है।

केंद्रीय प्रांत के महिला इस्लामी विज्ञान केंद्र की प्रमुख ने कहा कि शिक्षकों का यह कर्तव्य है कि वे छात्रों को सहनशीलता और धैर्य के साथ मार्गदर्शन करें।

उन्होंने यह भी कहा कि जैसे शहीद मुताहरी ने कहा,यह छात्र नहीं है जो शिक्षक को ढूंढता है, बल्कि शिक्षक है जो छात्र को ढूंढता है।

बैठक में अलज़हेरा स.अ.मदरसे की प्रबंधक सुश्री हाजी मोहम्मद हुसैनी ने आगामी शैक्षणिक वर्ष की योजनाओं को प्रस्तुत किया और छात्रों के आध्यात्मिक विकास के लिए संभावित उपायों पर जोर दिया।

अंत में महिला इस्लामी विज्ञान केंद्र के शैक्षिक और शोध उपाध्यक्षों ने अपने अपने सुझाव प्रस्तुत किए।

 

जापान के कानागाव नगर में होने वाली ड्राइंग की प्रतियोगिता में ईरानी बच्चों ने 20 पुरस्कार हासिल किया।

जापान के कानागाव नगर में होने वाली बच्चों की 22वीं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता "आज़ादी" शीर्षक के अंतर्गत आयोजित हुई जिसमें 60 देशों की 11 हज़ार से अधिक ड्राइंग पेश की गयी।

ईरान के आठ वर्षीय बालक बारान एहतरामी, 14 वर्षीय पुरहाम गुदर्ज़ी और 12 वर्षीय ईरानी बच्ची मरयम रहीमी को विशेष अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इसी प्रकार 17 ईरानी बच्चों को भी जापान के कानागावा में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ग़ज़ा के मज़लूमों का सपोर्ट करना, निश्चित तौर पर अनिवार्य कामों में से एक है और इस फ़रीज़े से पीछे हटने पर अल्लाह के सामने जवाब देना होगा

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने सोमवार 16 सितम्बर को एकता हफ़्ते के आग़ाज़ और ईदे मीलादुन्नबी के मौक़े पर, सुन्नी धर्मगुरुओं, सुन्नी मदरसों के प्रिंसपलों और जुमे के इमामों से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में उन्होंने इस्लामी उम्मत जैसी क़ीमती पहचान की रक्षा को ज़रूरी बताया और इस्लामी एकता की अहमियत पर बल दिया और इसे नुक़सान पहुंचाने की दुश्मनों की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहाः "इस्लामी उम्मत" का विषय किसी भी स्थिति में भुलाया न जाए।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता से सुन्नी धर्मगुरुओं और हस्तियों की मुलाक़ात

आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में कहा कि इस्लामी उम्मत की पहचान का विषय बुनियादी व राष्ट्रीयता से ऊपर का विषय है और भौगोलिक सीमाएं इस्लामी जगत की हक़ीक़त व पहचान को नहीं बदल सकतीं।

उन्होंने दुश्मन की मुसलमानों को उनकी इस्लामी पहचान की ओर से उदासीन करने की कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह इस्लामी शिक्षाओं के ख़िलाफ़ है कि एक मुसलमान को ग़ज़ा सहित दूसरी जगहों के दूसरे मुसलमानों के दुख दर्द की कोई फ़िक्र न हो।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने सुन्नी धर्मगुरुओं से इस्लामी पहचान और इस्लामी उम्मत को आधार बनाने की अपील की और इस्लामी जगत ख़ास तौर पर ईरान में धार्मिक मतभेदों को हवा देने की दुश्मनों की पुरानी गतिविधियों व चालों की ओर इशारा किया और कहा कि

वे हमारे मुल्क सहित दूसरे इस्लामी क्षेत्रों में वैचारिक, प्रचारिक व आर्थिक हथकंडों से शिया और सुन्नी समुदाय में फूट डालना चाहते हैं और दोनों ओर के कुछ लोगों को एक दूसरे की बुराई के लिए उकसा कर मतभेद व दुश्मनी को हवा देते हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने एकता को इन साज़िशों से निपटने का रास्ता बताया और बल दिया कि एकता का विषय टैक्टिक नहीं बल्कि क़ुरआनी उसूल व सिद्धांत है।

उन्होंने शिया-सुन्नी एकता को प्रभावित करने के लिए जान बूझकर या अनजाने में होने वाली कुछ हरकतों पर खेद जताते हुए कहाः

इतनी सारी साज़िशों के बावजूद, हमारे सुन्नी समाज ने इन दुश्मनी भरी हरकतों का गंभीरता से मुक़ाबला किया है जिसका सुबूत पवित्र रक्षा और दूसरे मौक़ों पर सुन्नी संप्रदाय के 15 हज़ार शहीद और हक़ और इंक़ेलाब की राह में बड़ी संख्या में सुन्नी धर्मगुरुओं की शहादत है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने एकता को इस्लामी जगत के सम्मान जैसे अहम लक्ष्य को हासिल करने का एकमात्र मार्ग बताया और कहा कि

आज ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के मज़लूमों का सपोर्ट निश्चित तौर पर अनिवार्य कामों में से एक है और अगर कोई इस फ़रीज़े से पीछे हटता है तो उसे अल्लाह के सामने जवाब देना होगा।

इस मुलाक़ात में मौलवी अब्दुर्रहमान चाबहारी ने जो सीस्तान व बलोचिस्तान प्रांत के धर्मगुरू और चाबहार के इमामे जुमा हैं, हुर्मुज़गान प्रांत के सुन्नी धर्मगुरू व क़िश्म के इमामे जुमा मौलवी अब्दुर्रहीम ख़तीबी और महाबाद के इमामे जुमा व पश्चिमी आज़रबाइजान के सुन्नी धर्मगुरू मामोस्ता अब्दुस्सलाम इमामी ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और इस्लामी गणराज्य के एकता को मज़बूत करने और सुन्नी समुदाय के प्रति सपोर्ट करने पर आधारित रवैये की सराहना की और एकता को बढ़ावा देने वाली पृष्ठिभूमि को मज़बूत करने और मुल्क की तरक़्क़ी के लिए सुन्नी बाहुल इलाक़े की क्षमताओं को ख़ास तौर पर उपयोग करने पर बल दिया और साथ ही तकफ़ीरी और चरमपंथी प्रक्रियाओं से निपटने को ज़रूरी बताया।