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हौज़ा इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य ने तीनों राष्ट्रीय राज्य संस्थानों की हिजाब कानून के प्रवर्तन में ज़िम्मेदारियों पर जोर देते हुए कहा,हिजाब न केवल एक शरीयत का फर्ज़ है बल्कि यह इस्लामी गणराज्य ईरान की संसद द्वारा कानून भी है।

हौज़ा इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य आयतुल्लाह महमूद रजब़ी ने एक प्रतिनिधि से बातचीत के दौरान कहा,आज हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि इस्लाम मक़तबे अहल बैत (अ.ल.) और इस्लामी क्रांति के दुश्मन हर अवसर को इस्लामी व्यवस्था के खिलाफ साजिश के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

उन्होंने कहां,हिजाब एक अनिवार्य शरीयत का आदेश है जिसका पालन सभी पर आवश्यक है। अल्हमदुलिल्लाह हमारे समाज का अधिकांश भाग धार्मिक है और शरीयत के आदेशों का पालन करता है। कभी कभी उत्पन्न होने वाली कुछ बुराइयों को दुश्मन के प्रचार का साधन नहीं बनने देना चाहिए ताकि वह यह धारणा न बना सके कि हमारा समाज हिजाब का विरोधी है।

उन्होंने आगे कहा,दुनिया ने देखा कि विभिन्न घटनाओं में जब दुश्मन ने हिजाब के मुद्दे को अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहा तो स्वयं महिलाओं ने इसका सामना किया और दुश्मनों ने भी यह स्वीकार किया कि वे इससे कोई लाभ नहीं उठा सके।

हौज़ा इल्मिया की सुप्रीम काउंसिल के सदस्य ने कहा,अल्हमदुलिल्लाह हमारा समाज धार्मिक है और इस्लाम, मक़तबे अहल-बैत अ.स. इस्लामी व्यवस्था और नेतृत्व के प्रति वफादार है। लेकिन इसके बावजूद, हमें सतर्क रहना चाहिए और दुश्मनों की साजिशों से होशियार रहना चाहिए ताकि वे किसी भी परिस्थिति का गलत फायदा न उठा सकें।

 

 

ईरान के विदेश मंत्री ने जोर देकर कहा, हम किसी भी तरह के दबाव या धमकी के तहत बातचीत नहीं करेंगे और ऐसी किसी भी वार्ता को विचार योग्य तक नहीं मानते चाहे उसका विषय कुछ भी हो।

ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास इराक़ची ने एक्स पर लिखा,ईरान का परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम हमेशा पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा है और रहेगा इसलिए इसकी तथाकथित ‘संभावित सैन्यीकरण’ जैसी कोई बात ही नहीं है।

हम किसी भी दबाव या धमकी के तहत बातचीत नहीं करेंगे। हम ऐसी किसी भी वार्ता को विचार योग्य तक नहीं मानते चाहे उसका विषय कुछ भी हो बातचीत और धौंस में अंतर होता है।

हम इस समय तीन यूरोपीय देशों के साथ और अलग से रूस और चीन के साथ समान परिस्थितियों और आपसी सम्मान के आधार पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

इसका उद्देश्य अधिक विश्वास और पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय खोजना है ताकि ईरान के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को लेकर अधिक स्पष्टता हो सके और बदले में अवैध प्रतिबंध हटाए जा सकें।

अतीत में जब भी अमेरिका ने ईरान के साथ सम्मानपूर्वक संवाद किया उसे सम्मान ही मिला। लेकिन जब भी उसने धमकीभरी भाषा अपनाई, तो उसे ईरान के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा हर क्रिया की अनिवार्य रूप से एक प्रतिक्रिया होती है।

ब्रिटेन सरकार द्वारा ईरान सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ निगरानी उपायों को कड़े करने की घोषणा और इस देश के सुरक्षा मंत्री के उस बयान जिसमें उन्होंने विदेशी प्रभाव पंजीकरण योजना में ईरान को उन्नत श्रेणी में शामिल करने की बात कही, जिस पर गुरुवार 6 मार्च को ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बक़ाई की प्रतिक्रिया सामने आई है।

ब्रिटेन सरकार द्वारा ईरान सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ निगरानी उपायों को कड़े करने की घोषणा और इस देश के सुरक्षा मंत्री के उस बयान जिसमें उन्होंने विदेशी प्रभाव पंजीकरण योजना में ईरान को उन्नत श्रेणी में शामिल करने की बात कही, जिस पर गुरुवार 6 मार्च को ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बक़ाई की प्रतिक्रिया सामने आई है।

इस संबंध में उन्होंने एक संदेश में कहा कि ब्रिटेन सरकार ईरानियों के प्रति अपनी अव्यावहारिक और द्वेषपूर्ण मानसिकता पर अड़ी हुई है, ताकि वह अपने अपराधों को छुपा सके चाहे वह फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ नरसंहार का समर्थन हो या फिर ईरान विरोधी आतंकवाद को बढ़ावा देना जिसकी जड़ें 1953 ईरान तख्तापलट तक जाती हैं, जब ब्रिटेन ने जनता द्वारा चुनी गई सरकार के खिलाफ साजिश रची थी और यह घटना कभी भी हमारी यादों से मिट नहीं सकती।

बक़ाई ने ब्रिटिश अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा,यह एक घटिया बचाव है कि आप ईरान पर उसी चीज का आरोप लगाएं जिसमें खुद आप निपुण हैं यानी राष्ट्रों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप! विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा, लेकिन अब उन्नीसवीं सदी नहीं रही जो भी सरकार ईरानी जनता पर बेबुनियाद आरोप लगाएगी या उनके खिलाफ शत्रुतापूर्ण कदम उठाएगी उसे जवाबदेह होना पड़ेगा।

बक़ाई का यह इशारा 19वीं सदी के ब्रिटिश साम्राज्य की ओर था जिसे “वह दौर जब ब्रिटेन में सूरज नहीं डूबता था कहा जाता था और इसे ब्रिटिश साम्राज्य के स्वर्ण युग के रूप में देखा जाता है।

विदेशी प्रभाव पंजीकरण योजना ब्रिटेन में विदेशी सरकारों के एजेंटों की गतिविधियों की निगरानी के लिए बनाई गई है इस नए कदम के तहत, ईरानी सरकार के कर्मचारी या जो भी ब्रिटेन में ईरान सरकार की ओर से गतिविधियां कर रहे हैं उन्हें इस योजना के तहत अपना नाम पंजीकृत कराना होगा।

ब्रिटिश सरकार के अनुसार, यदि ईरान सरकार के कर्मचारी इस नियम का पालन नहीं करते हैं, तो यह एक आपराधिक कृत्य माना जाएगा, जो अधिकतम 5 साल की कैद तक की सजा का कारण बन सकता है।

इस्माइल बक़ाई ने ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर लगाए गए उस आरोप को बेबुनियाद बताया था, जिसमें कहा गया था कि ईरान ब्रिटेन की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों को सलाह दी कि वे ईरान के खिलाफ शत्रुतापूर्ण नीतियों और निराधार आरोपों पर जोर देने के बजाय, ईरानी जनता के खिलाफ अपनी गलत नीतियों को त्यागें और आतंकवाद को बढ़ावा देने व उसे प्रोत्साहित करने से बाज आ

तालिबान का कहना है कि उनके नियंत्रण वाले अफ़ग़ानिस्तान में महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह सुरक्षित हैं और उनके खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा नही हुई हैं।

तालिबान के उप प्रवक्ता हामिदुल्लाह फ़ितरत ने शनिवार (18 हुत, 8 मार्च – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस) को अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा कि महिलाओं की इज्जत, गरिमा और उनके धार्मिक अधिकारों की रक्षा इस्लामी अमीरात की प्राथमिकता है। उन्होंने दावा किया कि अफ़ग़ान महिलाएं पूरी सुरक्षा में हैं और किसी भी तरह की हिंसा से मुक्त जीवन जी रही हैं।

तालिबान प्रवक्ता ने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं कर सकता और न ही उन्हें अपमानित कर सकता है। उनके मुताबिक, तालिबान की अदालतें और अन्य संबंधित संस्थाएं इस बात को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं कि महिलाओं को उनके विवाह, दहेज, संपत्ति और अन्य धार्मिक अधिकार मिलें और इनकी निगरानी और सुरक्षा की जाए।

उन्होंने आगे कहा कि अफ़ग़ान महिलाओं के अधिकार इस्लामी शरीयत, अफ़ग़ानी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार सुनिश्चित किए गए हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अफ़ग़ान समाज एक इस्लामी समाज है, जो पश्चिमी समाज और उसकी संस्कृति से पूरी तरह अलग है।

हालांकि, हकीकत इसके विपरीत है। तालिबान के शासन के तहत अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। उन्हें शिक्षा और काम करने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया है, जो कि न केवल शरीयत की व्याख्या बल्कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के भी खिलाफ़ है।

हमास आंदोलन ने एक बयान में बताया कि उसके एक प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र की खुफिया एजेंसी के प्रमुख से मुलाकात की और युद्धविराम समझौते के लिए तीन अहम शर्ते रखी हैं।

फ़िलस्तीनी संगठन हमास के प्रवक्ता ने अलजज़ीरा मुबाशिर चैनल को बताया कि हमास ने युद्धविराम वार्ता जारी रखने के लिए तीन मुख्य शर्तें रखी हैं

बंदियों का आदान-प्रदान ,ग़ाज़ा से इसरायली क़ब्ज़ा करने वाली सेनाओं की पूरी तरह वापसी,इसरायल की ओर से युद्ध दोबारा शुरू न करने की प्रतिबद्धता उन्होंने स्पष्ट किया कि मध्यस्थों के साथ दूसरी चरण की वार्ता शुरू करने को लेकर बातचीत जारी है, और आने वाले दिनों में कूटनीतिक गतिविधियों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

साथ ही हमास के प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र की योजना को स्वीकार कर लिया है जिसमें एक स्वतंत्र फ़िलस्तीनी शख्सियतों वाली जन समर्थन समिति बनाई जाएगी जो ग़ाज़ा का प्रशासन संभालेगी।

यह समिति तब तक ग़ाज़ा का प्रबंधन करेगी जब तक फ़लस्तीनी गुट अपने आपसी मतभेदों को हल नहीं कर लेते और संसदीय एवं राष्ट्रपति चुनाव नहीं हो जाते।

ग़ौरतलब है कि इस योजना का इसरायली शासन, अमेरिका और फ़िलस्तीनी अथॉरिटी ने विरोध किया है।

इसी बीच, इसरायली चैनल 12 ने दावा किया है कि हमास ने युद्धविराम की मौजूदा स्थिति को बढ़ाने पर सहमति जताई है और आगामी हफ्तों में युद्ध फिर से शुरू होने की संभावना नहीं है।

 

राजनीतिक विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने फिलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के साथ बातचीत के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले का विश्लेषण किया।

इस्राईली मुद्दों के विशेषज्ञ "फ़ेरास याग़ी" ने अमेरिका और हमास के बीच सीधी बातचीत का ज़िक्र करते हुए इसे ट्रम्प प्रशासन के दृढ़ विश्वास का परिणाम क़रार दिया कि सीधी बातचीत से क़ैदियों की रिहाई में तेजी आएगी और यह क्षेत्र में व्यापक योजनाओं की प्रस्तावना है।

दूसरी ओर, एक अन्य फ़िलिस्तीनी विश्लेषक "हसन लाफ़ी" ने कहा: हमास के साथ अमेरिकी बातचीत के दो नकारात्मक और सकारात्मक पहलू हैं।

इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि ट्रम्प प्रशासन इस बात को लेकर आश्वस्त है कि हमास के बिना क़ैदियों की समस्या का समाधान संभव नहीं है और यह नेतन्याहू के सैन्य दबाव की हार जैसा है।

 उनके अनुसार, नकारात्मक पहलू युद्ध रोकने की प्रतिबद्धता दिए बिना, अधिक कैदियों को रिहा करने की हमास के ख़िलाफ़ अमेरिकी चाल है।

फ़िलिस्तीन के राजनीतिक विश्लेषक अय्याद अल-क़रा ने कहा कि हमास के साथ अमेरिकी वार्ता एक व्यापक बातचीत शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम है जो क़ैदियों के मुद्दे से परे है और ग़ज़ा में युद्ध को रोकने और क़ब्ज़ा करने वालों को अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए मजबूर करने की संभावना की ओर ले जाती है।

उन्होंने कहा: ये वार्ताएं इज़राइली क़ब्ज़े में वाशिंगटन के विश्वास में गिरावट और हमास पर क़ाबू पाने या इसे राजनीतिक रूप से हाशिए पर डालने में उनकी नाकामी को ज़ाहिर करती हैं।

इस दौरान; अरब जगत के एक प्रमुख विश्लेषक अब्दुल बारी अतवान ने कहा, अरब मध्यस्थों के माध्यम से डोनल्ड ट्रम्प का बातचीत का रुख़, हमास के लिए शर्तें तय करने में सरकार और उनके दूत की निराशा का नतीजा है।

इस संबंध में इज़राइली टीवी चैनल "i24" ने भी हमास के ख़िलाफ़ डोनल्ड ट्रम्प और बेन्यामीन नेतन्याहू की निराधार धमकियों की ओर इशारा किया और कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति और ज़ायोनी प्रधानमंत्री अपनी धमकियों पर अमल करने में सक्षम नहीं हैं और अब हमास के साथ दोस्ती की कोशिश कर रहे हैं।

ग़ज़ा में युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त करने में नेतन्याहू की असमर्थता को जारी रखते हुए, अमेरिका और हमास के बीच सीधी बातचीत के बाद, ज़ायोनी शासन के चैनल 13 ने कुछ ज़ायोनी अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा है कि: यदि डोनल्ड ट्रम्प हमास के साथ एक समझौते पर पहुंचते हैं, तो बेंजामिन नेतन्याहू के लिए इसका विरोध करना बहुत मुश्किल होगा और अमेरिकी इस पर कार्रवाई करेंगे।

इस बीच, फिलिस्तीन का इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन "हमास" अपनी सभी मांगों पर अमल किए जाने पर जोर दे रहा है जिसमें कैदियों की अदला-बदली, ग़ज़ा से क़ाब्ज़ि सेनाओं की पूर्ण वापसी और वार्ता जारी रखने के लिए युद्ध फिर से शुरू न करने की ज़ायोनी शासन की प्रतिबद्धता शामिल है।

इस्लाम में औरत को एक माँ, बेटी, बहन और पत्नी के रूप में विशेष दर्जा दिया गया है। कुरआन और हदीस में महिलाओं के अधिकार, सम्मान और सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया है,इस्लाम औरत को सम्मान की नज़र से देखता है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,इस्लाम में औरत को एक माँ, बेटी, बहन और पत्नी के रूप में विशेष दर्जा दिया गया है। कुरआन और हदीस में महिलाओं के अधिकार, सम्मान और सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया है,इस्लाम औरत को सम्मान की नज़र से देखता है।

इस्लाम चाहता है कि औरत में इतनी इज़्ज़त और शान रहे कि उसे इस बात की तनिक भी परवाह न हो कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं। यानी औरत में आत्म-सम्मान ऐसा हो कि उसे इस बात की परवाह नहीं होनी चाहिए कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं देख रहा है।

यह स्थिति कहाँ और यह बात कहाँ कि औरत अपना लेबास, अपना श्रंगार, अपनी चाल और अपने बातचीत के अंदाज़ को किस तरह का अपनाए कि लोग उसे देखें?ग़ौर कीजिए इन दोनों बातों में कितना अंतर है!

सोशल साइट X के एक यूज़कर्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता ने ब्रिटेन को ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल द्वारा किये जा रहे अपराधों में उसका भागीदार बताया है।

सोशल साइट X के एक यूज़कर्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता जेर्मी कोर्बिन ने इस्राईल द्वारा ग़ज़ा पर किये गये हमले का उल्लेख किया है।

उन्होंने लिखा कि वह ब्रिटेन द्वारा ग़ज़ा पट्टी में निभाई जा रही भूमिका व योगदान के बारे में स्वतंत्र और एक पूर्णरूप जांच कराये जाने के इच्छुक हैं। उन्होंने लिखा कि हमारी सरकार नस्ली सफ़ाये में इस्राईल की भागीदार है और हम उसके समस्त पहलुओं व आयामों को जानने का अधिकार रखते हैं।

टैरिफ़ युद्ध में कोई पक्ष विजेता नहीं है

सोशल साइट X के एक अन्य यूज़कर्ता एलेक्स कोल ने ट्रम्प के टैरिफ़ युद्ध की उपमा गड्ढा खोदने से दी है।

उन्होंने ट्रम्प को संबोधित करते हुए लिखा कि हे मूर्ख कमीने, उस गड्ढे का खोदना जारी रख और वह भी यह काम जारी रखेगा। कोई भी टैरिफ़ युद्ध में विजयी नहीं होगा।

नैटो, जूलानी सरकार के कृत्यों का अस्ली कारण व ज़िम्मेदार

सोशल साइट X के एक अन्य यूज़र जैक्सन हिंकल ने इस समय सीरिया में होने वाली लड़ाइयां और जूलानी सरकार के तत्वों द्वारा अलवियों के आम नागरिकों के मारे जाने की ओर संकेत किया और लिखा कि सीरिया में आतंकवादी अकारण ही आम लोगों के मकानों पर हमले कर रहे हैं! यह वही चीज़ है जिसका ज़िम्मेदार नैटो है।

तुर्किये और क़तर 14 साल से सीरिया को बर्बाद व ख़त्म करने की चेष्टा में थे .

इसरायल के ऊर्जा मंत्रालय ने ग़ज़ा पट्टी को दी जाने वाली बिजली आपूर्ति को रोकने का आदेश जारी कर दिया।

इसरायल के ऊर्जा और राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा मंत्री इसरायल काट्ज़ ने घोषणा की है कि उन्होंने इज़रायल इलेक्ट्रिसिटी कंपनी को ग़ज़ा को बिजली आपूर्ति बंद करने का निर्देश दिया है उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है,मैंने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत इसरायल इलेक्ट्रिसिटी कंपनी को ग़ज़ा पट्टी में बिजली आपूर्ति रोकने का निर्देश दिया है।

शनिवार को ग़ाज़ा पट्टी से इतिहास में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर रॉकेट हमला किया गया। इसरायली सेना के अनुसार, तीन हज़ार से अधिक रॉकेट इसरायल की ओर दागे गए, और दर्जनों लड़ाके इसरायली सीमा क्षेत्रों में घुस गए। इस हमले के जवाब में इसरायल ने पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया और सैनिकों ने सीमावर्ती इलाकों को सुरक्षित करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी।

हामास की सैन्य शाखा क़सम ब्रिगेड्स, ने घोषणा की कि उसने इसरायल पर 5000 से अधिक रॉकेट दागे हैं। इसके जवाब में, इसरायली सेना ने आयरन स्वॉर्ड्स ऑपरेशन की शुरुआत की और ग़ज़ा में हमास के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए।

इसरायल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने कहा कि देशभर में सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है और बड़ी संख्या में रिज़र्व सैनिकों को तैनात किया जा रहा है।

 

ज़ायोनी शासन के युद्धमंत्री ने सीरिया में खूनी संघर्ष की छाया में इस स्थिति का राजनीतिक इस्तेमाल करने की कोशिश की है।

ज़ायोनी शासन के युद्धमंत्री इज़राइल काट्ज़ ने कल सीरिया में मौजूदा घटनाक्रम के जवाब में कहा: अल-जूलानी ने आधिकारिक कपड़े पहनकर एक उदारवादी चेहरा दिखाया था, लेकिन अब उनके चेहरे से नक़ाब उतर गयी है।

काट्ज़ ने सीरिया में सरकार बदलने के बाद से ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े के विस्तार को उचित ठहराते हुए दावा किया: इज़राइल खुद को सीरिया के खतरों से बचाता है, और हमारी सेनाएं हरमून हाइट्स सहित सीरियाई क्षेत्रों में रहेंगी और गोलान और अल-जलील हाइट्स की रक्षा करेंगी।

दूसरी ओर, इज़राइल के अत्यंत कट्टरपंथी और युद्धप्रेमी तथा और इज़राइल के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ ईयाल ज़मीर ने अपने युद्धोन्मादी बयानों में दावा किया: यह वर्ष ग़ज़ा और ईरान पर ध्यान केंद्रित करने के साथ युद्ध का वर्ष होगा।

उधर ग़ज़ा के मुद्दे पर इज़राइली विदेशमंत्री गैदिउन सार ने गंभीर घेराबंदी और मानवीय सहायता रद्द किए जाने के बीच ग़ज़ापट्टी में फिर से अकाल के खतरे के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की चेतावनियों को खारिज कर दिया।

शनिवार को सार ने दावा किया कि वह इन चेतावनियों को केवल झूठ मानते हैं। उन्होंने दावा किया कि ज़ायोनी शासन पर मानवीय सहायता भेजने का कोई दायित्व नहीं है।

अमेरिका की हरकतें और वाशिंगटन का व्यवहार भी अन्य विषय हैं जिन पर मक़बूज़ा क्षेत्रों के अंदर अभी भी शोर है।

पिछले कुछ समय से ज़ायोनी शासन और अमेरिका के बीच संबंधों के प्रकार को लेकर समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष की खबरें आती रही हैं। इस संदर्भ में ज़ायोनी शासन की कैबिनेट के विपक्ष के प्रमुख "याईर लैपिड" ने कहा कि अमेरिका, इज़राइली कैबिनेट की कमजोरी के कारण हमास के साथ बातचीत कर रहा है क्योंकि उसे अपने नागरिकों के जीवन की चिंता है।

बेशक, इज़राइल और अमेरिका के बीच अनौपचारिक बातचीत में, यह भी बताया गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के सलाहकार और उनके दामाद के पिता मासाद बोलुस ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में अपने घर पर वेस्ट बैंक के ज़ायोनी निवासियों के प्रमुख "योसी डेगन" से मुलाकात की और ज़ायोनी शासन के लिए अपने समर्थन पर ज़ोर दिया।

इस बैठक के दौरान, बोलुस ने डेगन से कहा: इज़राइल और लेबनान में अपने भाइयों और बहनों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना मेरे लिए सम्मान की बात है।