ईरानी महिलाएं

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यदि आप पत्रिकाओं या वैबसाइटों पर नज़र डालेंगे तो निश्चित रूप से उन पर महिलाओं के चित्र पायेंगे। पत्रिकाओं की अधिक से अधिक प्रत्रितायां बेचने या फिर इंटरनेट और टीवी पर वस्तुओं के विज्ञापन हेतु महिलाओं एवं उनके चित्रों का प्रयोग किया जाता है। अकसर हम विश्व की सबसे अधिक सुन्दर महिला, सफलतम महिला और इसी प्रकार के बहुत से समाचार सुनते रहते हैं तथा हॉलिबुड की महिला अभिनेत्रियों के निजी जीवन के समाचारों की टीवी चैनलों एवं मीडिया में इतनी भरमार है कि इन्सान का जी ऊब जाता है।

किन्तु इन समाचारों में जो कुछ भी हम पढ़ते हैं वह सब इन महिलाओं के विदित सौन्दर्य और विशेषताओं से संबन्धित होता है और दुर्भाग्यवश पश्चिम में महिलाओं के मानवीय सौन्दर्य एवं शिष्टाचार को कोई महत्व नहीं दिया जाता।

यह विषय इस लिए दुखद है कि पश्चिमी एवं ज़ायोनी विज्ञापन एजेंसियां, महिला को विज्ञापन सामग्री की सीमा तक गिरा कर उसे पूंजीवादी अर्थव्यस्था एवं समाज में अश्लीलता फैलाने के लिए प्रयोग कर रही हैं तथा महिलाओं की मानवीय, नैतिक एवं आध्यात्मिक प्रगित से भयभीत हैं।

अरब में भी अज्ञानता के काल में अत्याचार, अश्लीलता एवं कामुकता अपने चरम पर थी, ईश्वर ने प्रेम और प्यार के पैग़म्बर मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) को विश्ववासियों के मार्ग दर्शन के लिए भेजा ताकि विश्व में शिष्टाचार एवं मानवता की बयार बहाएं। इस्लाम के अवतरण के साथ ही पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने अपने आचरण एवं कथनों से नारी के स्थान को ऊंचा किया तथा सदगुणों, नैतिकता और आध्यात्मिकता एवं अधिकारों की प्राप्ति में उसे पुरुष के समांतर ठहराया। उस दौर में महिलाओं के संबंध में दृष्टिकोण के परिवर्तन के साथ ही महिलाओं ने इस्लाम के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा उल्लेखनीय एवं आदर्शीय कार्य अंजाम दिए। उन्होंने परिवार, समाज और संकट ग्रस्त परिस्थितियों में एक महिला के नैतिक, भावनात्मक एवं उच्च मानवीय आचरण की ऐसी तस्तवीर खींची कि उनमें से कुछ को हर काल की महिलाओं के लिए महान आदर्श ठहराया जा सकत है। इस विवरण के साथ हम ऐसी महिलाओं की चर्चा करेंगे कि जिन्होंने इस्लाम के आरम्भिक दौर की महिलाओं विशेषकर पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पवित्र पुत्री का अनुसरण करते हुए संकट ग्रस्त परिस्थितियों से राष्ट्र को निकालने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यद्यपि इस्लाम ने महिलाओं को युद्ध क्षेत्र में उपस्थित होने का आदेश नहीं दिया है किन्तु हम इतिहास में देखते हैं कि जब कभी भी मुस्लिम महिलाओं ने देखा कि अपनी भूमि एवं इस्लाम की रक्षा के लिए उनकी उपस्थिति ज़रूरी है तो वे उपस्थित हुईं। ईरान के ऊपर सद्दाम द्वारा थोपा गया युद्ध भी कि जो ईरान के सीमावर्ती शहरों पर वायु एवं ज़मीनी आक्रमणों से शुरू हुआ, इस क्रूर लड़ाई में भी ख़ुर्रमशहर, सूसनगर्द एवं हुवैज़ा शहरों की बहादुर महिलाओं ने शत्रु के अमानवीय हमलों का पुरुषों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर मुक़ाबला किया और उसे खदेड़ने के लिए अपनी जान की बाज़ी तक लगा दी और उनमें से कुछ शहीद होकर अमर हो गईं। इस प्रकार, आठ वर्षीय पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान सात हज़ार महिलाएं शहीद हुई हैं।

इसी संदर्भ में हाल ही में तेहरान में राष्ट्र की सात हज़ार शहीद महिलाएं शीर्षक सम्मेलन आयोजित हुआ कि जिसका उद्घाटन 6 मार्च को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई के मार्ग-दर्शक संदेश से हुआ। इस सम्मेलन का उद्देश्य था कि सद्दाम द्वारा थोपे गए युद्ध के दौरान ईरानी मुस्लिम महिलाओं की भूमिका की समीक्षा की जाए तथा उनकी याद को जीवित रखा जाए।

वरिष्ठ नेता अपने संदेश में एक जगह उल्लेख करते हैं कि आज आप लोग यहां हज़ारों शहीद महिलाओं की याद मनाने के लिए उपस्थित हुए हैं कि जिन्होंने देश और इस्लाम के इतिहास का मार्ग परिवर्तन करने में प्रशंसनीय भूमिका निभाई तथा गौरवपूर्ण ईश्वर के समक्ष उपस्थित हो गईं। फ़रिश्तों की एक टुकड़ी ने इस्लाम के मार्ग में अपनी जान निछावर कर दी, वे दर्शक नहीं थीं उन्होंने क़दम आगे बढ़ाया तथा नए ईरान के निर्माताओं की भूमिका में प्रकट हुईं। वे महान महिलाएं थीं कि जिन्होंने पूर्व एवं पश्चिम के सामने महिला की नई परिभाषा प्रस्तुत की।

वरिष्ठ नेता बल देकर कहते हैं कि क्रांति और उसके बाद थोपे गए युद्ध के दौरान माताओं ने अपने बच्चों को इस्लाम के मार्ग में वीर सैनिकों में परिवर्तित कर दिया, तथा पत्नियों ने भी इस संवेदनशील काल में अपने पतियों को प्रतिरोधी एवं मज़बूत इन्सानों में परिवर्तित कर दिया।

युद्ध भड़कने के बाद मोर्चे पर केवल पुरुषों की तैनाती विजय की गारंटी नहीं दे सकती, बल्कि युद्ध का समर्थन एवं सहयोग, निरंतर मोर्चे पर डटे रहने के लिए पुरुषों का उत्साह बढ़ाना एवं उनका प्रोत्साहन, बच्चों की देखभाल और परिवार की रक्षा, घायलों की देखभाल तथा उनका उपचार, मोर्चे के पीछे की ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करना और अन्य बहुत से ऐसे कारक हैं कि जो योद्धाओं की मानसिकता एवं युद्ध का भविष्य निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सद्दाम द्वारा ईरान के विरुद्ध थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध के दौरान, ईरानी मुस्लिम महिलाओं ने उक्त क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वरिष्ठ नेता का मानना है कि ईरानी महिलाओं को इस्लाम ने यह शक्ति प्रदान की और उन्होंने प्रारम्भिक इस्लमी महिलाओं को अपना आदर्श बनाया जिससे उनकी आस्था और मज़बूत हो गई तथा ईश्वर से संपर्क बनाने इच्छा अधिक सुदृढ़ हो गई तथा उन्होंने अपने बच्चों एवं पतियों पर भी काफ़ी प्रभाव डाला। वरिष्ठ नेता इस संदर्भ में कहते हैं कि हमारे देश की महिलाओं ने क्रांति के दौरान पुरुषों के आंदोलन समर्थन किया, यदि महिलाओं की दृढ़ आस्था एवं संकल्प न होता तो संभवतः हमारे बहुत से पुरुषों में यह शक्ति प्राप्त नहीं होती कि वे नाना प्रकार के सख़्त मुक़ाबलों एवं आंदोलनों में उपस्थित हो सकें।

मोर्चों पर बहादुरी से डटे रहने के लिए योद्धाओं के साहस को मज़बूत करना तथा सदैव उनको प्रोत्साहित करना आठ वर्षीय थोपे गए युद्ध के दिनों में महिलाओं के महत्वपूर्ण कार्यों में से है। उन दिनों युद्ध की विभीषिका के दौरान ऐसी महिलाएं थीं कि जिन्होंने कई कई महीनों तक यहां तक कि एक बार भी अपने पतियों से मुलाक़ात नहीं की थी और कभी उनके बच्चों के जन्म को कई महीने बीत जाने के बाद उनकी संक्षिप्त सी मुलाक़ात हो पाती थी, किन्तु इन धैर्य रखने वाली एवं उत्साहित महिलाओं के यहां तक कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी होठों पर शिकायत नहीं होती थी और वे उत्साहपूर्वक इन कठिनाईयों का स्वागत करती थीं। अपने बच्चों की उदासी देखती थीं और उनकी ढाढ़स बंधाती थीं और अपनी उदासी को प्रकट नहीं करती थीं। यह कार्य न केवल सरल बल्कि बहुत बड़ी एवं जटिल कला है। इसके अतिरिक्त सहायता राशि एवं सामग्री एकत्रित करने, युद्ध के मोर्चे पर खाना और खाद्य पदार्थ भेजने, योद्धाओं के लिए वर्दी सीने और गर्म कपड़े तैयार करने, ख़ून दान करने तथा घायलों का उपचार करने में भी महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृष्टि में ईरानी मुस्लिम महिलाओं ने क्रांति की सफलता एवं थोपे गए युद्ध के दौरान अपने बलिदानों से एक नई आदर्शीय महिला का रूप प्रस्तुत किया जिसने इतिहास रच दिया। वरिष्ठ नेता ने शहीद महिला सम्मेलन में अपने संदेश में इस्लामी क्रांत एवं पवित्र प्रतिरक्षा के क्षेत्र में महिलाओं के कर्बला के शहीदों से प्रभावित साहस की ओर संकेत करते हुए उल्लेख किया कि नए युग में इन प्रतिरोधी महिलाओं के ख़ून के आशीर्वाद से नए साहस एवं नई शक्ति ने जन्म लिया है कि जिसकी शीघ्र या देर से विश्व की महिलाओं का भविष्य एवं स्थान निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

यह आदर्श वर्तमान विश्व की पीड़ित एवं उपकरणीय रूप में प्रयोग होने वाली महिलाओं को उनकी सृष्टि की ओर पलटा सकता है तथा उन्हें इस अव्यवस्थित स्थिति से मुक्ति दिला सकता है। दुर्भाग्यवश पश्चिम की ग़लत संस्कृति ने नारी को घर के शांत वातावरण से निकाल कर और उसे प्रतिकूल अवस्था में डाल कर अश्लीलता के गढ़े में धकेल दिया और इस तरह महिलाओं पर आधुनिक अत्याचारों का आरम्भ हुआ।

इस्लमी क्रांति के वरिष्ट नेता का मानना है कि महिला की प्रकृत्ति को पहचानने और उसके साथ व्यवहार करने में पश्चिम वासियों ने समस्त सीमाएं लांघ दी हैं। मूल रूप से महिला के प्रति पश्चिमी दृष्टिकोण असमानता एवं असंतुलन पर आधारित है। पूर्वी संस्कृति में भी पुरुष को मूल भूमिका प्राप्त है तथा आम तौर पर पूर्व में महिला को रचनात्मक एवं अद्भुत परिवर्तनों की प्रतिभा रखने वाली के रूप में पहचाना नहीं जाता। इस बीच ईरान की मुस्लिम महिलाओं ने उज्जवल रचनात्मक कार्य अंजाम देकर सिद्ध कर दिया कि महिला परिवार, समाज और यहां तक कि युद्ध क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभा सकती है, बग़ैर इसके कि उसका दुरुपयोग हो तथा उसके मूल्यों को नष्ट कर दिया जाए। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की दृषअटि में ईरानी महिलाएं न पूर्वी और न पश्चिमी आदर्श हैं बल्कि उनके अनुसार, अधिकतर पूर्व में महिला को इतिहास के निर्माण में अप्रभावी एवं महत्वहीन तत्व के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी संस्कृति में भी अक्सर महिला होने को उसके मनुष्य होने पर वरीयता दी जाती है तथा वह पुरुषों के लिए यौन इच्छाओं की पूर्ति का माध्यम एवं नवीन पूंजीवाद की सेवक है। किन्तु इस्लामी क्रांति एवं पवित्र प्रतिरक्षा की वीर महिलाओं ने सिद्ध कर दिया कि वे आदर्श का तीसरा रूप हैं कि जो न पूर्वी है और न पश्चिमी।

ईरानी महिलाओं ने विश्व की महिलाओं के सामने इतिहास का नया द्वार खोल दिया और सिद्ध कर दिया कि महिला होने, पवित्र होने, सज्जन होने और हिजाब पहनने के साथ साथ केन्द्र का बिंदु बने। परिवार की पवित्रता की रक्षा के साथ साथ राजनीतिक एवं सामाजिक स्तर पर भी नए नए कीर्तिमान स्थापित किए जा सकते हैं और महान उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं। ऐसी महिलाएं कि जिन्होंने स्त्री भावना, दयालुता एवं दया को जेहाद, शहादत और प्रतिरोध के साथ समावेश करके वीरता, शुद्धता और अपने बलिदान द्वारा बड़े बड़े रण क्षेत्रों को विजय किया है।

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