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आतंकवादी गुट अलक़ाएदा का एक आतंकी सरग़ना ख़ालिद बातरफ़ी, यमन में मारा गया।

ईरान प्रेस के अनुसार अलक़ाएदा के सूत्रों ने बताया है कि उसका एक वरिष्ठ कमांडर, यमन में मारा गया।  इन सूत्रों ने कहा है कि ख़ालिद बातरफ़ी की मौत के बाद अब उसके स्थान पर साद बिन आतिफ़ अलऔलक़ी को लाया जाएगा।

जेल से फ़रार ख़ालिद को सन 2020 के आरंभ में क़ासिम अर्रीमी की हत्या के बाद अलक़ाएदा की ओर से यमन के लिए अलक़ाएदा प्रमुख नियुक्त किया गया था।  यमन के तटवर्ती नगर मलका की जेल पर सन 2015 में अलक़ाएदा के आतंकियों के हमले में इस जेल से लगभग 150 आतंकवादी निकल भाग थे।

जेल से फरार आतंकवादियों में ख़ालिद बातरफ़ी भी था जो बाद में यमन में अलक़ाएदा प्रमुख बनाया गया।  इस आतंकवादी की मौत के बारे में अभी बहुत सी बातें स्पष्ट नहीं हैं।

 

भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए जो एक साथ होंगे तेलुगु देशम पार्टी और जन सेना पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा की है।

एक संयुक्त बयान में तीनों पार्टियों ने कहा कि साथ आने से आंध्र प्रदेश के लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने में मदद मिलेगी।

बयान में कहा गया कि भाजपा और टीडीपी का बहुत पुराना रिश्ता है। टीडीपी 1996 में एनडीए में शामिल हुई और अटल बजी और नरेंद्र मोदी जी की सरकार में सफलतापूर्वक साथ काम किया। 2014 में टीडीपी और भाजपा ने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। जेएसपी ने आंध्र प्रदेश में 2014 के आम चुनाव और विधानसभा चुनावों में समर्थन दिया था।

हालांकि गठबंधन पर मुहर लग चुकी है लेकिन सीट-बंटवारे की व्यवस्था की औपचारिक घोषणा होना बाकी है। भाजपा ने कहा कि एक-दो दिन में तौर-तरीकों पर विचार किया जाएगा।

गठबंधन पर मुहर लगने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश में हम सभी सीटें जीतेंगे।

 

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश बुरी तरह बर्बाद हो गया है, भाजपा और टीडीपी का एक साथ आना देश और राज्य के लिए शुभ संकेत है।

ज्ञात रहे कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से मोदी सरकार के इनकार के बाद टीडीपी 2018 में एनडीए से बाहर हो गई थी।

इसके बाद, टीडीपी ने ‘धर्म पोरातम’ या ‘न्याय के लिए लड़ाई’ शुरू की और एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘आतंकवादी’ करार देते हुए नायडू ने उन पर अपनी पत्नी को ‘छोड़ने’ का भी आरोप लगाया था।

हालांकि टीडीपी को 2019 के चुनावों में अभूतपूर्व हार का सामना करना पड़ा, जब उन्हें वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने सत्ता से बाहर कर दिया।

नायडू तब से एनडीए में लौटने के इच्छुक थे, जिन्होंने जून 2023 में पांच साल में पहली बार शाह से मुलाकात की थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुनाव प्रचार के दौरान एक फ़िलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ता ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

अरब मीडिया के मुताबिक अमेरिकी शहर अटलांटा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भाषण के दौरान फ़िलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाए गए।

फ़िलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ता ने नारा लगाते हुए कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन आप एक तानाशाह हैं, फिलिस्तीन में नरसंहार हो रहा है और आप न केवल चुप हैं बल्कि इसका समर्थन भी कर रहे हैं।

विदेशी मीडिया के मुताबिक, राष्ट्रपति जो बाइडन का भाषण शुरू होने के कुछ ही देर बाद एक प्रदर्शनकारी चिल्लाया, "आप क्या करने जा रहे हैं? हज़ारों फिलिस्तीनियों ने अपनी जान गंवा दी है।

सेंडर्स कहते हैं कि ग़ज़्ज़ा के बच्चों के नरसंहार में अमरीका को भागीदार नहीं बनना चाहिए।

अमरीकी डेमोक्रेट सेनेटर बर्नी सेंडर्ज़ ने इस्राईल के लिए हथियारों की सप्लाई को तत्काल रोकने की मांग की है।

सीबीएस टीवी चैनेल के साथ बात करते हुए उन्होंने ग़ज़्ज़ा संकट को अभूतपूर्व संकट बताया।  सेंडर्स ने वाइट हाउस से मांग की है कि इस्राईल के लिए हथियारों की आपूर्ति को बिना किसी विलंब के रोक दिया जाना चाहिए।

इस अमरीकी सेनेटर का कहना था कि नेतनयाहू के भीतर इस्राईल के संचालन की क्षमता नहीं है।  उनका कहना था कि अमरीका को किसी भी स्थति में ग़ज़्ज़ा के बच्चों की हत्या में भागीदार बनना नहीं चाहिए।  उन्होंने यह भी कहा कि फ़िलिस्तीनियों की हत्या करने में नेतनयाहू की जंगी मशीन के लिए एक पैसा भी नहीं ख़र्च किया जाए।

इसी बीच स्टाकहोम अन्तर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्था एसआईपीआरआई की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध के एक क्षेत्रीय संकट में परिवर्तित होने की प्रबल संभावना के बावजूद अमरीका और यूरोपीय संघ के देश, पश्चिमी एशिया में इस्राईल के लिए अधिक हथियार भेज रहे हैं।

इसी संस्था द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार सन 2019 से 2023 तक पश्चिम एशिया के लिए संयुक्त राज्य अमरीका, फ्रांस, इटली और जर्मनी ने लगभग 81 प्रतिशत हथियार निर्यात किये हैं।  दूसरी ओर ख़बर मिली है कि ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम की मांग को लेकर अमरीका के सिनेमा जगत से जुड़े लोगों ने हालीवुड में विरोध प्रदर्शन किये हैं।     

अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के मीडिया सूत्रों ने घोषणा की है कि इस्राईली अधिकारी ग़ज़्ज़ा और विशेष रूप से दक्षिणी ग़ज़्ज़ा के रफ़ह पास के खिलाफ युद्ध जारी रखने पर सहमत हुए हैं।

ज़ायोनी शासन की हमलावर सेना ने ग़ज़्ज़ा और रफ़ह के खिलाफ हमलों को मंजूरी दे दी है और ज़ायोनी अधिकारियों ने ग़ज़्ज़ा और विशेष रूप से रफ़ह के ख़िलाफ़ जो ग़ज़्ज़ा के दक्षिण में स्थित है, युद्ध जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है।

इस्राईली सेना के प्रवक्ता ने यह भी घोषणा की कि इस्राईल के सेना प्रमुख, इस्राईल के आंतरिक सुरक्षा संगठन शाबाक, दक्षिणी ग़ज़्ज़ा पट्टी के इस्राईली सैन्य कमांडर, शाबक के उप प्रमुख और कई अन्य इस्राईली सैन्य कमांडर युद्ध जारी रखने पर सहमत हुए हैं।

इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयुक्त के प्रवक्ता का कहना है कि अगर इस्राईल रफ़ह पर हमला करता है तो वह अमानवीय अपराधों का दोषी माना जाएगा।

ग़ज़्ज़ा के लिए अमरीका की ओर से भेजी जाने वाली मानवीय सहायता को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हास्यास्पद और दिखावटी बताया है।

नासिर कनआनी ने सोमवार को साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में ज़ायोनियों के हाथों ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनी बच्चों और महिलाओं की हत्याओं की ओर संकेत किया।  उन्होंने कहा कि यह काम अमरीका के खुले समर्थन से जारी है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के महिला आयोग से अवैध ज़ायोनी शासन का निष्कासन, मानवाधिकारों का दावा करने वाले देशों के लिए बड़ी परीक्षा है।  उन्होंने बोर्ड आफ गवर्नस की हालिया बैठक की ओर संकेत करते हुए कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी के साथ ईरान की सहकारिता जारी है।  कनआनी ने कहा कि ग़ैर तकनीकी और निराधार आरोप, तेहरान के फैसलों को प्रभावित नहीं कर पाएंगे।

ईरान के प्रवक्ता ने मानवाधिकारों के बारे में पश्चिमी देशों के दोहरे व्यवहार की आलोचना करते हुए बताया कि विशेष प्रकार के बीमारों के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं पर रोक के बावजूद अमरीकी यह दावा कर रहे हैं कि ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं।  यह बात सफेद झूट है।

इसी के साथ कनआनी ने स्वीडन की जेल में बंद ईरानी नागरिक हमीद नूरी के संदर्भ में कहा कि उनके बारे में न्यायालय के पुनर्विचार के फैसले को अस्वीकार्य मानते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय धर्म प्रचारक ने कहा: भारत के कुछ हिस्सों में शिया अपने बौद्धिक और सांस्कृतिक संकट के चरम पर हैं और उनकी नज़र ईरान पर है, क्योंकि दुनिया के संकटग्रस्त शियाओं की उम्मीद ईरान और क़ुम से जुड़ी हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन हाशमी हमदानी ने बिहार और असदाबाद के छात्रों और विद्वानों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा: छात्रों और विद्वानों को पता होना चाहिए कि आज की दुनिया में कई कौशल, क्षमताएं हैं और काम करने के तरीके। अवसर और क्षेत्र हैं और हम इन अवसरों का उपयोग शियावाद के विकास और प्रगति के लिए कर सकते हैं।

उन्होंने कहा: एक धार्मिक विद्वान की गतिविधियाँ और दिनचर्या इस्लाम और शियावाद के विस्तार के लिए समर्पित हैं। इसलिए शिया धर्म की प्रगति के लिए और अधिक संघर्ष करने की जरूरत है।

होजतुल इस्लाम हमदानी ने कहा: कुछ देशों में शिया बौद्धिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत परेशान हैं और उनकी नजरें ईरान पर हैं क्योंकि दुनिया के परेशान शियाओं की उम्मीद ईरान और क़ोम हैं। दुर्भाग्य से, कुछ क्षेत्रों में वहाबियों ने बहुत काम किया है और लोगों का ब्रेनवॉश किया है।

इस अंतर्राष्ट्रीय उपदेशक ने कहा: हमारी सभी गतिविधियाँ लोगों की सेवा से संबंधित हैं। हालाँकि, एक सफल गतिविधि को प्राप्त करने के लिए ज्ञान और समझ बढ़ाने की आवश्यकता होती है ताकि लोग आप पर भरोसा करें और आपका सहयोग करें और यह केवल अनुसंधान और प्रयास के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।

 

 

अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन कहते हैं कि उन्हें यक़ीन है कि ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू इस्राईल के लिए फ़ायदेमंद से ज़्यादा नुक़सानदेह हैं।

एमएसएनबीसी टीवी चैनल को इंटरव्यू देते हुए जो बाइडन ने कहा कि ग़ज़ा जंग को नेतनयाहू जिस तरह हैंडल कर रहे हैं उसको देखकर यही लगता है कि वो इस्राईल को फ़ायदा नहीं नुक़सान पहुंचा रहे हैं।

जो बाइडन ने यह भी कहा कि रफ़ह शहर पर हमले का मामला उनकी रेड लाइन है। अब सवाल यह है कि अगर जो बाइडन की सोच वाक़ई यही है तो उन्होंने ग़ज़ा युद्ध के पहले दिन से ज़ायोनी शासन के खुलकर समर्थन का एलान क्यों किया। जो बाइडन यहां तक आगे चले गए कि उन्होंने ज़ायोनी शासन के हमलों में फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों के नरसंहार को सेल्फ़ डिफ़ेंस का नाम दिया और ज़ायोनी शासन की मदद के लिए एयर ब्रिज बना दिया ताकि इस्राईल को ग़ज़ा पट्टी पर हमलों में किसी भी तरह हथियारों की कोई कमी न हो। जो बाइडन ने पूरी ताक़त लगा दी कि ज़ायोनी शासन को शिकस्त से बचाएं।

सच्चाई यह है कि जो बाइडन ग़ज़ा में जारी नस्लीय सफ़ाए की जंग में नेतनयाहू का अपराध में पूरी तरह भागीदार हैं। उन्होंने 2 हज़ार से ज़्यादा अमरीकी मेरीन्ज़ भेजे हैं जो ग़ज़ा युद्ध में ज़ायोनी शासन की मदद कर रहे हैं। जो बाइडन ने ग़ज़ा पट्टी में तटीय इलाक़े में एक अस्थायी बंदरगाह बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। नाम तो यह दिया है कि मानवीय सहायता गज़ा वासियों तक पहुंचाने का यह ज़रिया है लेकिन दरअस्ल यह ज़ायोनी शासन की भयानक साज़िश को अमली जामा पहनाने की कोशिश है।

नेतनयाहू का जहां तक सवाल है तो उनकी मूर्खता और नाकामियों से पर्दा हटाने वाली उनकी ग़लतियां नहीं बल्कि फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ की विवेकपूर्ण कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की गतिविधियां और फ़ैसले हैं जिन्होंने अपनी बहादुरी और दूरदर्शिता से इस्राईल के साथ ही अमरीका की भी योजनाओं पर पानी फेर दिया है।

इस्माईल हनिया ने सात अक्तूबर को फ़िलिस्तीन के इतिहास का महत्वपूर्ण मोड़ बताया है।

हमास के नेता ने कहा कि 7 अक्तूर 2023 की तारीख़, फ़िलिस्तीन के इतिहास का एतिहासिक मोड़ इसलिए है क्योंकि वर्चस्ववादी देशों ने फ़िलिस्तीन के मुद्दे को हमेशा के लिए भुलाने के भरसक प्रयास किये किंतु सात अक्तूबर की घटना ने फ़िलिस्तीन के मुद्दे को अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया।

अपने एक भाषण में इस्माईल हनिया का कहना था कि वर्तमान समय में अवैध ज़ायोनी शासन, शताब्दी का सबसे बड़ा अपराध अंजाम दे रहा है।  हालांकि उसको आज नहीं तो कल, अपनी करतूतों का भुगतान, करना होगा।  हमास के नेता के अनुसार फ़िलिस्तीनियों के कड़े प्रतिरोध के कारण ज़ायोनी कभी भी अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाएंगे।  उन्होंने कहा कि हर प्रकार की समस्याओं का मुक़ाबला करने के बावजूद ग़ज़्ज़ावासी, यहां पर बाक़ी रहेंगे।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के नेता ने कहा कि व्यापक स्तर पर जनसंहार करने के बावजूद बिना किसी सहमति के इस्राईल अपना एक बंधक भी नहीं आज़ाद करा पाएगा।  हनिया ने बताया कि वार्ता के दौरान हमने पांच नियम निर्धारित किये हैं इन नियमों को लागू किये बिना कोई भी वार्ता संभव नहीं होगी।  इस्माईल हनिया का कहना है कि अपने बंधकों को स्वतंत्र कराने के बाद इस्राईल एक बार फिर से ग़ज़्ज़ा पर व्यापक हमले करने के चक्कर में है।

 फ़्रांसीसी सिंगर और रैपर Milanie Georgiades " मिलेनी जोरजियाड्स " का कहना है कि मुसलमान बनने के बाद मेरे नए जीवन में जो खुशियां आईं वे ईश्वर पर ईमान की वजह से हैं!

हालिया वर्षों में इस्लाम की तरफ़ उन्मुख होकर मुसलमान होने वालों में से एक, फ़्रांसीसी सिंगर और रैपर Milanie Georgiades "मिलेनी जोरजियाड्स" भी हैं जिनका स्टेज नाम Diam's "डिएम्स" है।  उन्होंने ख्याति के शिखर पर इस्लाम स्वीकार किया।

Milanie Georgiades "मिलेनी जोरजियाड्स" का जन्म 25 जूलाई 1980 को साइप्रस में हुआ था।  मिलेनी या डिएम्स के पिता यूनानी थे जबकि उनकी माता फ़्रांसीसी थीं।  डिएम्स का बचपन बहुत ही कठिनाइयों में बीता। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।  जब डिएम्स की आयु चार वर्ष की थी तो उनके माता-पिता अच्छे भविष्य की आशा में उसको लेकर फ़्रांस चले आए।  फ़्रांस में आने के बाद डिएम्स की ज़िन्दगी अच्छी होने की जगह और ख़राब हो गई।  हुआ यह कि सात वर्ष की आयु में वह अपने माता-पिता से हाथ धो बैठीं।  अब डिएम्स के जीवन में अधिक उथल पुथल आरंभ हो गई।  बेसहारा होने की वजह से डिएम्स को अनाथालय जाना पड़ा।  अनाथालय में उन्होंने अनाथों के साथ रहकर जो समय गुज़ारा उससे वह बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं थीं।  वह सदैव परेशान रहा करती थीं।

सन 1994 में डिएम्स के जीवन में एक बदलाव आया।  डिएम्स के भीतर गीत और संगीत की अपार क्षमता मौजूद थी। उन्होंने इस क्षेत्र में क़दम बढ़ाए और बहुत ही कम समय में संगीत की दुनिया में वह छा गईं।  संगीत के क्षेत्र में डिएम्स इतनी मश्हूर हो चुकी थीं कि उनको फ़्रांस में संगीत की दुनिया की शहज़ादी कहा जाने लगा।  अब डिएम्स के पास दौलत और शोहरत सब कुछ था।  उन्होंने कई ख्याति प्राप्त अवार्ड भी जीते।  उनसे आटोग्राफ लेने वालों की संख्या बहुत अधिक थी।  इतना सब कुछ होने के बावजूद धन-दौलत और शोहरत कोई भी चीज़ डिएम्स को भीतर से शांत नहीं कर पाई।  डिएम्स भीतर से अशांत और व्याकुल रहा करती थीं।  सन 2007 में डिएम्स, अवसाद या डिप्रेशन का शिकार हो गई जिसके कारण उनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

अस्पताल से वापस आने के बाद डिएम्स एक बार अपनी एक मुसलमान दोस्त से मिलने उसके घर पर गईं।  शाम के समय वह अपने मित्र के घर पहुंचीं।  जब डिएम्स अपने मित्र के घर पहुंची तो सहेली ने उनका स्वागत करते हुए उन्हें बिठाया और कहा कि अगर तुम बुरा न मानो तो मैं कुछ देर के लिए नमाज़ पढ़ने जा रही हूं।  नमाज़ ख़्त्म होते ही मैं आ जाऊंगी।  यह कहकर वह बराबर वाले कमरे में नमाज़ पढ़ने चली गई और डिएम्स वहीं पर बैठ गईं।  कुछ ही देर में डिएम्स भी बराबर वाले कमरे में गईं जहां पर उनकी दोस्त नमाज़ पढ़ रही थी।  डिएम्स ने पहली बार किसी को इस प्रकार की उपासना करते हुए देखा।  उनको अपने मित्र की उपासना का अंदाज़ विचित्र सा लगा।  नमाज़ ख़त्म होने के बाद डिएम्स ने अपनी सहेली से नमाज़ के बारे में पूछा।  उन्होंने पूछा कि क्या मैं भी यह काम कर सकती हूं?  बाद में डिएम्स का कहना था कि मुझको यह काम करके अभूतपूर्व शांति मिली।  कुछ समय के बाद डिएम्स, मुसलमान हो गईं।

जब डिएम्स से पूछा गया कि क्या आपने अनन्य ईशवर की याद को संगीत का विकल्प बना लिया है तो इसके जवाब में डिएम्स का कहना था कि नहीं ऐसा नहीं है।  उन्होंने कहा कि दोनों की आपस में तुलना नहीं की जा सकती।  अब मैं केवल ईश्वर के प्रेम में जी रही हूं।  मुझको अब अकेलेपन का एहसास नहीं रहा।  मेरे जीवन को एक अर्थ मिल गया है।  पूर्व फ़्रांसीसी सिंगर और रैपर डिएम्स कहती हैं कि अब मैं अपनी पूरी निष्ठा से पांच बार नमाज़ पढ़ती हूं जिससे मुझको बहुत शांति मिलती है।

डिएम्स कहती हैं कि हो सकता है कि कुछ लोग यह सोचते हों कि कुछ बंधनों और पाबंदियों के कारण हम मुसलमान, सौभाग्यशाली नहीं हैं जबकि ऐसा नहीं है।  डिएम्स जो विगत में एक मश्हूर गायिका थीं अब पश्चिमी संगीत के बारे में कहती हैं कि वास्तव में अब मैं संगीत नहीं सुनती हूं।  मैं यह नहीं चाहती कि इस प्रकार के संगीत को मुझ पर थोपा जाए।  डिएम्स कहती हैं कि मैं सोचती हूं कि पश्चिमी संगीत ख़तरे उत्पन्न कर सकता है।  वे कहती हैं कि इसको स्वीकार करना एक प्रकार की मूर्खता है।  उनका कहना है कि अब मैं बदल चुकी हूं और संगीत के वातावरण से कोई संपर्क रखना ही नहीं चाहती।

फ़्रांसीसी सिंगर और रैपर Milanie Georgiades "मिलेनी जोरजियाड्स" जैसे कलाकारों द्वारा इस्लाम अपनाए जाने के कारण इस्लाम विरोधी बहुत क्रोधित हो गए हैं।  इन इस्लाम विरोधियों ने मिलेनी डिएम्स की छवि को ख़राब करने और उन्हें इस्लाम से वापस लाने के लिए बेहूदा कार्यवाहियां शुरू कर दीं विशेषकर इसलिए क्योंकि डिएम्स ने हिजाब पहनना आरंभ कर दिया है।  फ़्रांस जैसे देश में, जहां पर आज़ादी के बारे में बहुत बातें कही जाती हैं और यह बताया जाता है कि यहां पर पूर्ण रूप से स्वतंत्रता पाई जाती है, हिजाब करने वाली महिलाओं के लिए बाधाए उत्पन्न की गई हैं।  इस बारे में डिएम्स कहती हैं कि जब मैं मुसलमान हो गई तो पेरिस में मेरे कुछ ऐसे चित्र प्रकाशित किये गए जिनसे मुझको तकलीफ़ हुई।  यह मेरे वे निजी फोटो थे जिनको चुराकर छापा गया था।  उन्होंने कहा कि यह एक ख़तरनाक खेल था।  अपने विरोधियों को संबोधित करते हुए डिएम्स कहती हैं कि हर एक इंसान को यह कहने का अधिकार है कि वह अपने जीवन से संतुष्ट और खुश है।  जब ऐसा है तो इसको दूसरों को भी बताया जा सकता है।

डिएम्स कहती हैं कि ऐसा लगता है कि मेरा हिजाब, फ़्रांस में एक समस्या बन गया है।  वे कहती हैं कि यह सुनने को मिल रहा है कि मेरा काम राजनीति से प्रेरित था जो विद्रोह के समान है।  उन्होंने एक फ़्रांसीसी पत्रिका को दिये गए साक्षात्कार में कहा कि क्या जो इस्लाम को स्वीकार करता है या हिजाब पहनता है उसके पास वैचारिक स्वतंत्रता नहीं है?  वे कहती हैं कि हिजाब से वीरता, धैर्य, व्यक्तित्व, पक्का इरादा और संकल्प पैदा होता है।  हिजाब या पर्दे से स्त्री का आध्यात्म मज़बूत होता है।  मेरा हिजाब मेरे ईश्वर के साथ संपर्क का एक माध्यम है।  मैने पर्दा करने का फैसला स्वयं लिया है।  अब मैं अपने पूरे मन के साथ पर्दा करने लगी हूं। हिजाब करके मैंने अपने आप को पहचाना है।  सन 2015 में डिएम्स ने एक किताब लिखी जिसका नाम था, "फ़्रांसीसी मुसलमान मेलाई"।  इस किताब में उन्होंने विरोधियों का जवाब देते हुए इस्लाम के पक्ष में बहुत कुछ कहा है।

पश्चिम में व्यापक दुष्प्रचारों के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया जाता है कि तकफ़ीरी एवं अन्य आतंकवादी गुटों की हिंसक कार्यवाहियां, इस्लामी विचारधारा से प्रभावित हैं।  इस प्रकार पश्चिमी संचार माध्यम सभी मुसलमानों को आतंकवादी दर्शाते हैं।  विशेष बात यह है कि इन आतंकवादी गुटों के बनाने में पश्चिमी सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।  पश्चिमी देशों के संचार माध्यमों की ओर से इस्लाम विरोधी व्यापक दुषप्रचारों के दृष्टिगत, अतिवादी दक्षिणपंथी और इस्लाम विरोधी दोनो ही पक्ष समस्त मुसलमानों को पश्चिम में की जाने वाली आतंकवादी घटनाओं का ज़िम्मेदार बताते हैं।

जनवरी सन 2015 में पेरिस में Charlie Hebdo "शार्ली हेब्दो" पत्रिका के कार्यालय पर होने वाले हमले के बाद पश्चिम विशेषकर फ़्रांस में मुसलमानों के विरुद्ध दुष्प्रचार और वहां के अतिवादियों द्वारा मुसलमानों के विरुद्ध हिंसक कार्यवाहियों में तेज़ी से वृद्धि हुई।  उस समय मिलेनी डिएम्स ने एक संदेश में इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की थी।  अपने शोक संदेश में उन्होंने लिखा था कि मैं फ़्रांसीसी हूं।  मुसलमान हूं।  मैं भी इस घटना से बहुत दुखी हूं।  वे लिखती है कि इस्लाम के नाम पर की जाने वाली इस प्रकार की हिंसा से मैं बहुत दुखी हूं।  इस्लाम ने आतंकवाद की निंदा की है और वह शांति का पक्षधर है।  इस्लाम प्रतिरोध या हिंसा का पाठ नहीं देता बल्कि वह मानव जाति को शांति एवं उच्च शिक्षा सिखाता है।  वे लिखती हैं कि वे लोग जो जातिवादी विचारधारा रखते हैं वास्तव में अनपढ़ और मूर्ख हैं।  इस्लाम हमें बुराइयों से दूर रखता है।