बंदगी की बहार- 8

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बंदगी की बहार- 8

पवित्र रमज़ान को मुसलमानों के बीच विशेष महत्व प्राप्त है।

रमज़ान का महीना वास्तव में एक नई शुरूआत का महीना है।  यह महीना पापों से दूरी और ईश्वर से निकटता का महीना है।  न केवल इस्लामी देशों में बल्कि उन देशों में भी मुसलमान, रमज़ान को बड़े ही उत्साह से मनाते हैं जहां पर वे बहुसंख्यक नहीं हैं।  मुसलमान कहीं पर भी हों वे रमज़ान में रोज़े अवश्य रखते हैं।  कार्यक्रम में हम यह देखने का प्रयास करेंगे कि संसार के विभिन्न देशों में रमज़ान कैसे मनाया जाता है।  तो पहले रुख़ करते हैं फ़िलिपीन का।

फ़िलिपीन में लगभग एक करोड़ बीस लाख मुसलमान वास करते हैं।  इस देश में पवित्र रमज़ान का स्वागत बहुत ही उत्साह के साथ किया जाता है।  फ़िलिपीन में रमज़ान के आगमन की सूचना इस देश का राष्ट्रीय मुसलमान आयोग करता है।  इस देश में मुसलमान, रमज़ान आरंभ होने से पहले ही मस्जिदों की सफाई में लग जाते हैं।  फ़िलिपीन में रमज़ान आने से पहले ही मस्जिदों की सफाई-सुथराई करके उनको सजाया जाता है।  इस महीने में वहां पर मस्जिदों के भीतर नमाज़ पढ़ने और पवित्र क़ुरआन का पाठ करने का चलन अधिक है।  फ़िलिपीन की मशहूर मस्जिदों में से एक, "डिमाउकोम" मस्जिद है।  यह गुलाबी मस्जिद के नाम से ही जानी जाती है।  सन 2014 में गुलाबी मस्जिद बनकर तैयार हुई थी।  डिमाउकोम मस्जिद को इसाई मज़दूरों ने बनाया है।  यही कारण है कि गुलाबी मस्जिद, फिलिपीन में धर्मों के बीच एकता का प्रतीक है।  शांति एवं प्रेम की भावना के दृष्टिगत डिमाउकोम मस्जिद का नाम गुलाबी मस्जिद रखा गया है।  रमज़ान के महीने में फ़िलिपीन के मुसलमान, सामान्यतः गुलाबी कपड़े पहनकर जाते हैं।  इसका एक उद्देश्य दूसरों के साथ एकता का प्रदर्शन करना है।

फ़िलिपीन में बच्चे, रमज़ान के दौरान बहुत ही सक्रिय दिखाई देते हैं।  वे मस्जिदों में एकत्रित होकर उस बच्चे के साथ पवित्र क़ुरआन का पाठ करते हैं जो उनमें सबसे अधिक क़ुरआन पढ़ना जानता हो।  वहां पर लोगों के बीच इस्लामी शिक्षाओं को प्रचलित करने का चलन बहुत दिखाई देता है।  सहर से पहले बच्चे रंगबिरंगे कपड़े पहनकर हाथ में मोमबत्ती लिए हुए स्थानीय भाषा में गीत गाकर लोगों को सहर खाने के लिए उठाते हैं।  रमज़ान के महीने में फ़िलिपीनवासी, खाने का विशेष प्रबंध करते हैं।  इस प्रकार वे सहर और इफ़्तार में रंग-बिरंगे खाने खाते हैं।  वे लोग रमज़ान के खानों को बहुत सजाते हैं।  फ़िलिपीन में सहर और इफ़्तार दोनो समय दस्तरख़ान पर एक विशेष प्रकार का शेक रखा होता है जो दूध, बादाम, केले और शकर से बना होता है।  इसके अतिरिक्त खाने के लिए भी वे एक विशेष प्रकार का मीठा व्यंजन तैयार करते हैं जिसका नाम "अलअयाम" है।  ईद के दिन फ़िलिपीन के मुसलमान ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद मस्जिदों तथा धार्मिक स्थलों से निकलकर" सड़कों पर जश्न मनाते हैं।

अब हम चीन में मुसलमानों के बीच रमज़ान के दौरान होने वाली गतिविधियों के बारे में चर्चा करेंगे।  चीन संसार में आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा देश है।  यहां की जनसंख्या एक अरब चार करोड़ है।  चीन में दो करोड़े से अधिक मुसलमान रहते हैं।  चीन में 56 प्रकार की जातियां हैं जिनमें मुसलमान 10 जातियों में बंटे हुए हैं।  इन दस जातियों में चीन में मुसलमानों की दो जातियां बहुत प्रसिद्ध हैं उईगूर और हूई जाति।  चीन की कुल जनसंख्या की तुलना में इस देश में मुसलमानों की जनसंख्या का अनुपात कम है किंतु फिर भी वे करोड़ो में हैं।  चीन के मुसलमान, संसार के अन्य मुसलमानों की तुलना में पवित्र रमज़ान का खुले मन से स्वागत करते हैं।  वे लोग अपने घरों और मस्जिदों को साफ-सुथरा करके सजाते हैं।  चीनी मुसलमानों के बीच मस्जिदों को बहुत महत्व प्राप्त है।  इन मस्जिदों में से एक, न्यूजी मस्जिद है।  रमज़ान के महीने में इस मस्जिद में चहल-पहल बहुत बढ़ जाती है।  इसमें 1000 से अधिक लोगों के लिए नमाज़ पढ़ने की जगह है।  न्यूजी मस्जिद, बीजिंग में स्थित सबसे पुरानी मस्जिद है।  न्यूजी मस्जिद का निर्माण सन 996 ईसवी में करवाया गया था।

चीन की मस्जिदों में इफ़्तारी का बहुत ही उपयुक्त प्रबंध किया जाता है।  वहां की एक परंपरा यह है कि जिसका घर मस्जिद से निकट होता है वह अपनी क्षमता के अनुसार खाने-पीने का सामान मस्जिद में लाता है।  इफ़्तार के समय सबलोग एकसाथ बैठकर रोज़ा खोलते हैं।  चीन में रोज़े को सामान्यतः खजूर, केले, किशमिश और ख़रबूज़े से खोला जाता है।  रमज़ान के दौरान चीन में एक विशेष प्रकार का व्यंजन तैयार किया जाता है जिसको "डोउज़ोऊ" कहते हैं।  इसको चीनी बहुत पसंद करते हैं।  जब ईद आती है तो चीनी मुसलमान साफ़ सुथरे होकर उसका स्वागत करते हैं।  वे लोग अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर मस्जिदों में एकत्रित होते हैं और ईद की नमाज़ पढ़ते हैं।  ईद की नमाज़ पढ़ने के बाद चीन में क़ब्रिस्तान जाने का चलन है।  क़ब्रिस्तान जाकर वे अपने मुर्दों के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।  चीन के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में ईद के दिन सामान्यतः छुट्टी रहती है।

इन्डोनेशिया में मुसलमान बहुसंख्यक हैं।  इस देश की जनसंख्या में 86 प्रतिशत मुसलमान हैं।  इन्डोनेशिया के मुसलमान, संसार के अन्य मुसलमानों की ही भांति पवित्र रमज़ान का स्वागत करते हैं।  इन्डोनेशिया में रमज़ान से संबन्धित कुछ परंपराए हैं जिसमें से Nyorog, Perlon, Nyadran अर्थात नियोराग, परलोन और नियाड्राम की ओर संकेत किया जा सकता है।  नियोराग नाम परंपरा इन्डोनेशिया के बेटावी क़बीले में प्रचलित है।  इस परंपरा में लोग अपने परिवार के बड़े-बूढ़ों जैसे दादा-दादी, नाना-नानी, मामा, चाचा या अन्य परिजनों के घर जाते हैं।  वे लोग अपने साथ परिवार के सदस्यों के लिए खाने की कोई चीज़ अवश्य अपने साथ ले जाते हैं जिसे "नयाराक़" कहते हैं।  यह एक प्रकार का उपहार है जिसमें सामान्यतः खाने-पीने की चीज़ें होती हैं।

इन्डोनेशिया में जब रमज़ान का चांद दिख जाता है तो लोग सड़को पर निकलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं।  वहां पर सहर के समय लोगों को उठाने के लिए ढोल बजाई जाती है।  अन्य देशों की भांति इन्डोनेशिया में भी इफ़्तार से कुछ पहले ही लोग मस्जिदों में पहुंचने लगते हैं।  कुछ मस्जिदों में लोग अपने घरों से खाने का सामान ले जाते हैं जबकि कुछ अन्य मस्जिदों में उस मस्जिद की ओर से इफ़्तार का प्रबंध किया जाता है।  इन्डोनेशिया में इफ़्तारी में कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किये जाते हैं।

रमज़ान का अंत इन्डोनेशिया में भी ईद से होता है।  जब ईद का चांद दिखाई देता है तो लोग सड़कों पर निकलकर अल्लाहो अकबर के नारे लगाते हैं।  बाद में ईद से विशेष संगीत बजाया जाता है।  ईद का चांद देखते ही इन्डोनेशिया वासी एक-दूसरे को ईद की बधाई देने लगते हैं।  वहां पर ईद के दौरान दूसरे शहरों की यात्रा का भी सफर प्रचलित है।  ईद की छुट्टियों में वहां के लोग लंबी-लंबी यात्राओं पर निकलते हैं।  इन्डोनेशिया में ईद की छुट्टी एक सप्ताह की होती है।

इन्डोनेशिया के बाद अब हम रुख़ करते हैं मलेशिया का।  मलेशिया में मुसलमानों की संख्या लगभग 60 प्रतिशत है।  मलेशिया में मलायो जाति के अतिरिक्त चीनी तथा भारतीय भी रहते हैं।  मलेशिया के लोग अपनी भाषा में रमज़ान को "बुलान पुआसा" कहते हैं।  बुलान का अर्थ होता है महीना और पुआसा का मतलब है रोज़ा रखना।  मलेशिया में मस्जिदें सुबह की अज़ान से एक घण्टा पहले खुल जाती हैं जो शाम में इशा की नमाज़ तक खुली रहती हैं।  इस दौरान वहां पर मस्जिदों में रमज़ान के दौरान कई प्रकार के आयोजन किये जाते हैं जैसे क़ुरआन पढ़ना, लोगों को इस्लामी जानकारी उपलब्ध कराना।  इस दौरान क़ुरआन पढने और पढ़ाने के कार्यक्रमों पर विशेष बल दिया जाता है।  इन कार्यक्रमों में बहुत बड़ी संख्या में लोग भाग लेते हैं।  मलेशिया में कुछ टीवी चैनेल रमज़ान के दौरान पवित्र क़ुरआन पढ़ने और पढ़ाने के कार्यक्रम पेश करते हैं।  इनपर इस्लामी शिक्षाएं भी दी जाती हैं।

क्वालालंपुर में रमज़ान का प्रभाव केवल वहां की जनता पर ही नहीं पड़ता बल्कि इसे हर ओर देखा जा सकता है।  वहां पर कुछ रेस्टोरेंट शाम के समय खुलते हैं जो पूरी रात खुले रहते हैं।  मलेशिया में रमज़ान के दौरान मस्जिदों में बहुत रौनक़ होती है।  लोग अपनी अधिकांश नमाज़ें मस्जिदों में जाकर ही पढ़ते हैं।

अंत में आपको यह बताना चाहते हैं कि रमज़ान में सहरी खाने पर विशेष बल दिया गया है।  आहार विशेषज्ञों का कहना है कि सहरी करना सबसे अहम बिन्दु है। रोज़ा रखने वालों को नींद के चक्कर में सहरी खाना कभी नहीं छोड़नी चाहिए। क्योंकि सहरी खाने से बहुत लाभ हैं।  जानकारों का कहना है कि रात का खाना कभी भी सहरी का स्थान नहीं ले सकता।  आप सहरी ज़रूर खाएं चाहे कुछ नवाले ही सही।  पैग़म्बरे इस्लाम का कथन है कि सहरी अवश्य खाओ चाहे एक खजूर या एक घूंट पानी ही सही।

 

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