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हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह की शहादत से भारत में भी शोक की लहर है लखनऊ में भी हुई जोरदार प्रदर्शन और लोगों ने दुकान बंद करके निकाला कैंडल मार्च।

लखनऊ: हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह की शहादत से भारत में भी शोक की लहर है जहां एक ओर ताज़ियाती जलसे किए जा रहे हैं तो वहीं लोग सड़कों पर निकल इज़राइल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

जम्मू कश्मीर मेरठ के बाद लखनऊ में भी हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद शिया समुदाय में आक्रोश है। सड़कों पर हजारों का हुजूम हिजबुल्लाह ज़िंदाबाद इज़राइल मुर्दाबाद के नारे लगाता दिखा।

रविवार शाम लखनऊ छोटे इमामबाड़ा से लेकर बड़ा इमामबाड़ा तक हजारों की संख्या में शिया मुसलमानों ने विरोध मार्च निकाला। हाथों में हसन नसरल्लाह की तस्वीर लेकर जिंदाबाद के नारे लगाए। शिया मुसलमान ने इसराइल के प्रधानमंत्री का पोस्टर जलाकर विरोध जताया।

1 किलोमीटर लंबा कैंडल मार्च निकाला

प्रदर्शनकारी ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए ब्लैक डे है। हम सभी लोग नसरल्लाह कुछ श्रद्धांजलि देने और इसराइल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। छोटा इमामबाड़ा से लेकर बड़ा इमाम तक लगभग 1 किलोमीटर लंबा प्रदर्शन किया। नसरल्लाह हमारे बहुत मजबूत लीडर और शिया कौम के मार्गदर्शक थे।

नसरल्लाह ने शिया समाज और मानवता के लिए कई बड़े काम किए हैं जिनको बुलाया नहीं जा सकता। ISIS के हमलों के दौरान इमाम अली की बेटी हजरत जैनब के दरगाह की सुरक्षा किया था। उन्होंने हमेशा फिलिस्तीन के पीड़ितों का साथ दिया। इस पूरी घटना का जिम्मेदार इस्राइल है, वो बेगुनाहों का लहू बहा रहा है।

इस्राइल को बताया- मौत का जिम्मेदार

वहीं अन्य प्रदर्शनकरी ने बताया कि हसन नसरल्लाह की मौत का शिया समुदाय तीन दिनों तक शोक मनाएगा। आज हम लोग सड़कों पर उतर कर इस्राइल का विरोध कर रहे हैं। इजराइल का प्रधानमंत्री पीड़ितों की मदद करने वालों पर हमला कर रहा है।

हम दुनिया के 56 मुस्लिम मुल्कों से यह गुहार लगाते हैं कि एक साथ आए और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। तीन दिन तक गम मनाएंगे, अपने घरों की छतों पर काला झंडा लगाकर श्रद्धांजलि देंगे। हमारी मांग है कि इस्राइल फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों पर अपनी आक्रामकता को तत्काल रोके।

हिंदुस्तान में वली फकीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन महदी महदवीपुर ने एक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के बहादुर नेता की शहादत पर गहरा दुःख और शोक व्यक्त करते हुए संवेदना व्यक्त की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्तान में वली-ए-फ़कीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन महदी महदवीपुर ने एक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के बहादुर नेता की शहादत पर गहरा दुःख और अफ़सोस व्यक्त करते हुए संवेदना प्रकट की है।

उनका पूरा संदेश निम्नलिखित है:

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन

लेबनान में हिज़बुल्लाह के प्रतिरोध के प्रतीक, महान मुजाहिद,और दूरदर्शी नेता हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन जनाब आगा सैयद हसन नसरुल्लाह की दर्दनाक और हृदयविदारक शहादत की खबर अत्यंत दुखद और ह्रदय को दु:ख पहुंचाने वाली थी।

इस महान मुजाहिद और उच्च कोटि के धार्मिक विद्वान ने 32 वर्षों तक इस्लामी प्रतिरोध संगठन हिज़बुल्लाह का नेतृत्व करते हुए, ज़ायोनी क़ब्ज़ा करने वाली सरकार इसराइल के खिलाफ संघर्ष किया और अनेकों बार ज़ायोनी इसराइली सेना की शैतानी साज़िशों को नाकाम किया।

यही हिज़बुल्लाह की ताकत और उनका महान उद्देश्य है, जिसने लेबनान को इसराइली ज़ायोनी सेनाओं के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई, उसे पूरी तरह से स्वतंत्र और गर्वित बनाया, और लेबनान के सम्मानित नागरिकों, चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय से हों, उन्हें संस्कृति और सभ्यता की ओर अग्रसर किया।

मासूम बच्चों के हत्यारों ज़ायोनी इसराइली सेनाओं के खिलाफ हिज़बुल्लाह हमेशा लेबनान और इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे के लिए एक मज़बूत दीवार बनकर खड़ी रही है। पिछले एक साल से, ग़ज़ा में ज़ायोनी इसराइली सेनाओं की आक्रामकता के खिलाफ ग़ज़ा के मज़लूम फ़िलिस्तीनी मुसलमानों की रक्षा में हिज़बुल्लाह बहादुरी और साहस के साथ अब भी खड़ी है और अपने जान माल की कुर्बानी देकर इस संघर्ष का सामना किया है।

इस्लामी प्रतिरोध के नेता सैयद हसन नसरुल्लाह का रास्ता स्वतंत्रता, दृढ़ता, बलिदान, वफादारी, शहादत की चाह, वीरता, और ईमानदारी से किया गया जिहाद है जिसे दुनिया के सभी पीड़ित और मजलूम लोग हर हाल में पूरी ताकत से आगे बढ़ाएंगे।

इस महान क्षति पर इमाम-ए-ज़माना इमाम महदी अ.ज.इस्लामी क्रांति के महान नेता हज़रत आयतुल्लाहिल  उज़मा ख़ामेनई हिज़बुल्लाह के बहादुर और दिलेर सदस्य, समर्थक, दुनिया के सभी स्वतंत्रता और न्याय के प्रेमी लोग, विशेष रूप से सैयद प्रतिरोध सैयद हसन नसरुल्लाह के परिवार के प्रति हम गहरी संवेदना और शोक प्रकट करते हैं।

इंशाअल्लाह हिज़बुल्लाह पहले से भी अधिक राष्ट्रीय संगठित और मज़बूत रूप में सामने आएगी और सैयद मज़लूम सैयद नसरुल्लाह का रक्त इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे में नई ऊर्जा और शक्ति का संचार करेगा।

इंशाअल्लाह

वस्सलाम;

मेंहदी महदवीपुर

 

लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद भारत में भी भारी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है इजराइल के हमलों के खिलाफ सहारनपुर हलवाना सादात के लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया साथ ही लेबनान को अपना पूरा समर्थन देने की अपील कर रहे हैं।

सहारनपुर, लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद भारत में भी भारी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है इजराइल के हमलों के खिलाफ सहारनपुर हलवाना सादात के लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही लेबनान को अपना पूरा समर्थन देने की अपील कर रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हिजबुल्लाह चीफ की तस्वीर हाथ में लेकर जोरदार नारेबाजी की इस प्रदर्शन में बच्चे भी शामिल थे प्रदर्शनकारियों ने इजराइल विरोधी और अमेरिका विरोधी नारे लगाए और लेबनान के शीर्ष नेता की हत्या की निंदा की।

इस दौरान उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह खत्म नहीं हुआ है। तुमने एक हिजबुल्लाह चीफ को मारा है, अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा, हिजबुल्लाह जिंदाबाद, अमेरिका मुरदाबाद-इजराइल मुरदाबाद के नारे लगे। ख़ामेनई ज़िंदाबाद, सिस्तानी ज़िंदाबाद की सदाएं भी गूंजी।

इस दौरान प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम लेबनान को भरोसा देना चाहते कि वो बिल्कुल भी फिक्र ना करें, क्योंकि हम उनके साथ हैं। शिया समुदाय उनके साथ है। हम उनका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। आपको पता नहीं कि आपने किसको शहीद किया है। आपने एक हिजबुल्लाह को मारा है, अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा। हिजबुल्लाह जिंदाबाद…।

 

 

 

 

 

आयतुल्लाहिल उज़्मा जाफ़र सुब्हानी ने प्रतिरोध के महान नेता और विद्वान सय्यद हसन नसरुल्लाह की दमनकारी शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिरोध के स्कूल के प्रशिक्षित लोग दुश्मन की जड़ें काट देंगे।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जाफ़र सुब्हानी ने महान प्रतिरोध नेता और विद्वान सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि प्रतिरोध के स्कूल के प्रशिक्षित लोग दुश्मन की जड़ें काट देंगे।

आयतुल्लाह जाफ़र सुब्हानी के शोक संदेश का पाठ इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

"इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन"

मज़लूमाना शहादत, प्रतिरोध का प्रतीक, प्रतिष्ठित विद्वान, क़ुद्स और मज़लूम फ़िलिस्तीनियों के रक्षक की शहादत ने इस्लामी दुनिया को गहरा दुःख पहुँचाया है।

ये वे महान व्यक्तित्व थे जो मुसलमानों और इस्लामी भूमि के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी पूरी ऊर्जा के साथ खड़े हुए और अपने 30 वर्षों के बुद्धिमान नेतृत्व के दौरान प्रतिरोध को अमली जामा पहनाया। शहादत और प्रतिरोध का पेड़, जो उत्पीड़कों के खिलाफ खड़ा है, कभी नहीं मुरझाएगा बल्कि दिन-ब-दिन मजबूत और अधिक फलदायी होगा।

कमजोर दुश्मन सोचता है कि अगर ऐसे महान लोगों को मार दिया जाएगा, तो प्रतिरोध का झंडा जमीन पर गिर जाएगा, लेकिन सय्यद हसन नसरुल्लाह के स्कूल के महान और प्रशिक्षित लोग इस परचम को उठाकर दुश्मन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे ।

मैं हज़रत वली अस्र (अ), सय्यद हसन नसरुल्लाह के सम्मानित परिवार, लेबनान के सम्मानित और बहादुर लोगों और दुनिया भर के आज़ाद लोगों की सेवा में सय्यद मक़ावमत और उनके परिवार की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं इस महान शहीद की आत्मा की शांति, उनके परिवार के लिए धैर्य की दुआ करता हूं।

जाफ़र सुब्हानी

क़ुम अल-मुक़द्देसा

दक्षिणी लेबनान के तैरे देब्बा शहर में एक नागरिक सुरक्षा केंद्र को निशाना बनाकर किए गए इज़राइली हवाई हमले में चार पैरामेडिक्स मारे गए जबकि कई अन्य घायल हो गए हैं।

दक्षिणी लेबनान के तैरे देब्बा शहर में एक नागरिक सुरक्षा केंद्र को निशाना बनाकर किए गए एक इज़राइली हवाई हमले में चार पैरामेडिक्स मारे गए। जबकि कुछ और अन्य के भी घायल होने की सूचना है।

वहीं इराक़ और सीरिया के बीच सीमावर्ती पट्टी के पास अमेरिकी हवाई हमले इराक़ के सैयदुश्शोहदा ब्रिगेड के एक ठिकाने को भी निशाना बनाया था बैरूत के दक्षिणी उपनगरीय क्षेत्र ज़ाहिया पर इजराइल ने हवाई हमले किए है।

बता दें कि इजराइल ने लेबनान में जंग रोकने से इनकार कर दिया है बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस ने बताया है कि अमेरिका-फ्रांस की तरफ से जंग रोकने की मांग की थी इसका नेतन्याहू ने जवाब नहीं दिया है बताया जा रहा है नेतन्याहू की सलाह पर सेना पूरी ताकत से लेबनान में लड़ाई जारी रखेगी।

गौरतलब है कि इजराइल ने लेबनान के यूनीन इलाके में गुरुवार को हमला किया इसमें 23 सीरियाई लोगों की मौत हो गई।

यह सभी लोग लेबनान में काम के लिए गए थे। इसके बाद शुक्रवार को बैरूत में हमले किए थे। जिसमें  हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह उनकी बेटी जैनब और दामाद शहीद हो गए थे। इजराइल के लगातार हमलों में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई घायल हो चुके है।

सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर क़ुम मुक़द्दसह के हौज़ा-ए-इल्मिया फैज़िया में एक विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें छात्रों और आम जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इस्राइली हुकूमत के ज़ुल्म के खिलाफ अपना ग़म और ग़ुस्सा ज़ाहिर किया हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर क़ुम अलमुक़द्देसा के हौज़ा ए इल्मिया फैज़िया में एक विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमें छात्रों और आम जनता ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और इस्राइली हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ अपने ग़म और ग़ुस्से का इज़हार किया।

इजलास की शुरुआत सुबह 9 बजे मदरसा-ए-इल्मिया फैज़िया में हुआ जहां प्रतिभागियों ने अज़ा अज़ा अस्त आज ख़ामेनेई इमाम साहिब-ए-अज़ा अस्त आज" और सैयद हसन नसरुल्लाह पेश ख़ुदा अस्त आज जैसे नारे लगाए।

प्रदर्शनकारियों ने रहबर-ए-मुअज्ज़म इंक़लाब और शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की तस्वीरें उठाई हुई थीं और फ़िलिस्तीन और लेबनान के मज़लूम आवाम के साथ एकजुटता का इज़हार किया।

प्रदर्शनकारियों ने मर्ग बर अमरीका मर्ग बर इस्राइल जिनायत इस्राइल जिनायत अमरीका अस्त" और "वाए अगर ख़ामेनेई इज़्न-ए-जिहादम दहद" जैसे नारे लगाकर अपने जज़्बात का इज़हार किया।

इजलास में रहबर-ए-मुअज्ज़म इंक़लाब सैयद अली ख़ामेनेई का पैग़ाम भी पढ़ा गया जिसमें सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर ताज़ियत पेश की गई।

फ़ुक़हा की काउंसिल और तेहरान के इमाम-ए-जुमा आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातमी ने इस इजलास में खिताब करते हुए इस्राइली हुकूमत के अत्याचारों की मज़म्मत की और मुक़ावमत की हिमायत जारी रखने का अज़्म ज़ाहिर किया।

इजलास के आख़िर में प्रदर्शनकारियों ने मदरसा-ए-फ़ैज़िया से मस्जिद ए क़ुद्स तक रैली निकाली जिसमें वे अपने नारों के ज़रिए अमरीका और इस्राइल के खिलाफ अपने एहसासात का इज़हार कर रहे थे।

कश्मीर में एक बार फिर फिलिस्तीन और लेबनान में जारी ज़ायोनी आतंकी गतिविधियों के खिलाफ विशाल विरोध प्रदर्शन किया गया। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर के हज़ारों लोगों ने सड़कों पर उतर कर ज़ायोनी शासन द्वारा हिज़्बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह की हत्या की कड़ी निंदा की।

गुजरात के सोमनाथ जिले के गिर इलाके में प्रभासपट्टन प्रशासन और पुलिस द्वारा 9 दरगाहों और मस्जिदों को तोड़े जाने के खिलाफ जनता में तीव्र आक्रोश है। मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

अल्पसंख्यक समन्वय समिति के संयोजक मुजाहिद नफीस ने मकतूब को बताया कि गुजरात के सोमनाथ जिले के गेरी इलाके में प्रभासपाटन प्रशासन द्वारा दरगाहों और मस्जिदों समेत 9 धार्मिक स्थलों को तोड़े जाने के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा है मुख्यमंत्री भूपिंदर पटेल को एक खुला पत्र लिखा है और इस अन्याय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। प्रशासन भारी पुलिस बल और तोड़फोड़ उपकरणों के साथ देर रात इलाके में दाखिल हुआ वहां बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए, लेकिन प्रशासन के आश्वासन के बाद कि कोई तोड़फोड़ नहीं होगी, जनता उन पर विश्वास करके लौट गई, जिसके बाद पुलिस ने इलाके को घेर लिया और सुबह 4 से 5 बजे के बीच 9 दरगाहों और मस्जिदों को ध्वस्त कर दिया गया।

ज्ञात हो कि हाजी मंगरोल शाह दरगाह 1924 से जूनागढ़ राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में सूचीबद्ध है। ये सभी मामले वक्फ कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित हैं। समिति के सदस्य के अनुसार, इन परिस्थितियों में विध्वंस प्रक्रिया को अंजाम देना स्पष्ट रूप से अनुचित है। यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी लंबित मामलों में विध्वंस प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि मामला अदालत और प्रशासन के आश्वासन के बावजूद होना चाहिए पक्ष की ओर से तोड़फोड़ की कार्रवाई मुसलमानों के साथ स्पष्ट अन्याय है, साथ ही मुख्यमंत्री से आगे की कार्रवाई रोकने की मांग की गई है। साथ ही उस कलेक्टर और अधीक्षक के खिलाफ भी जांच की मांग की गई है जिनके आदेश पर ये दरगाहें और मस्जिदें तोड़ी गईं।

दुनिया में जब भी इंसानियत को कुचलने के लिए जुल्म और अत्याचार का अंधकार फैलता है तब तब एक आवाज़ उठती है जो इन सभी बातिल और शैतानी ताक़तों को चुनौती देती है। हसन नसरुल्लाह भी वही आवाज़ हैं, जो केवल लेबनान और अवैध राष्ट्र के संघर्ष तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह एक वैश्विक आदर्श बन गए हैं। नसरुल्लाह केवल एक सैन्य या राजनीतिक नेता नहीं हैं, बल्कि वह एक आध्यात्मिक योद्धा हैं, जो इमामे जमाना अ.स. की सेना के सिपाही के रूप में जुल्म और अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनके विचार, कर्म और नेतृत्व ने उन्हें एक महान व्यक्ति के रूप में स्थापित किया, जिनका जीवन आज की दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

हसन नसरुल्लाह का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

31 अगस्त 1960 को लेबनान के एक शिया मुस्लिम परिवार में जन्मे हसन नसरुल्लाह का प्रारंभिक जीवन साधारण था। हालांकि, उनके अंदर शुरू से ही कुछ खास था—ज्ञान प्राप्त करने की असीम प्यास। उन्होंने इमाम मूसा सद्र और आयतुल्लाह मुहम्मद बक़िर अल-सद्र जैसे प्रमुख इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में धार्मिक अध्ययन किया, जिन्होंने उन्हें न्याय, समानता और प्रतिरोध की अवधारणाओं से अवगत कराया। उनकी शिक्षा और धार्मिक जागरूकता ने उन्हें इस्लाम की गहरी समझ दी और उन्हें एक नैतिक और आध्यात्मिक नेता बनने की राह पर अग्रसर किया।

हिज़्बुल्लाह का अज़ीम लीडर

1980 के दशक में, जब इस्राईल ने दक्षिण लेबनान पर आक्रमण किया, तब हसन नसरुल्लाह ने प्रतिरोध का झंडा उठाया। यह वह समय था जब हिज़्बुल्लाह का गठन हुआ ही था, और नसरुल्लाह ने इस संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1992 में, हिज़्बुल्लाह के महासचिव के रूप में उनका उदय हुआ, और उनके नेतृत्व में संगठन ने इस्राईल के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए। उनके नेतृत्व में, 2000 में ज़ायोनी सेना को दक्षिण लेबनान से पीछे हटने पर मजबूर किया गया—यह न केवल एक सैन्य जीत थी, बल्कि एक नैतिक विजय भी थी जिसने नसरुल्लाह को दुनिया भर में प्रतिरोध और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में स्थापित कर दिया।

2006 का इस्राईल-लेबनान युद्ध और नसरुल्लाह का धैर्य

2006 में, जब इस्राईल और हिज़्बुल्लाह के बीच 33 दिनों का युद्ध हुआ, तब हसन नसरुल्लाह ने अद्वितीय धैर्य और साहस का प्रदर्शन किया। ज़ायोनी बमबारी और हमलों के बावजूद, नसरुल्लाह ने अपने अनुयायियों का मनोबल टूटने नहीं दिया। उन्होंने अपने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि जुल्म चाहे कितना भी बड़ा हो, अगर सच्चाई और हौसला साथ हो, तो उसे मात दी जा सकती है। युद्ध के बाद, लेबनान के पुनर्निर्माण में नसरुल्लाह ने बड़ी भूमिका निभाई, जिससे उन्हें केवल एक सैन्य नेता ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक के रूप में भी देखा गया।

इमामे जमाना अ.स. के सच्चे सिपाही

हसन नसरुल्लाह की नेतृत्व क्षमता और उनकी विचारधारा में इमामे जमाना अ.स. का एक विशेष स्थान है। वह मानते हैं कि अंतिम मुक्ति और इंसानियत के लिए न्याय की स्थापना तभी संभव होगी जब इमामे जमाना अ.स. की वापसी होगी। इस विश्वास ने नसरुल्लाह और उनके अनुयायियों को अत्याचार और अन्याय के खिलाफ हमेशा दृढ़ बनाए रखा। वह अपने अनुयायियों को सिखाते हैं कि हर शख्स जो जुल्म के खिलाफ लड़ता है, वह इमामे जमाना अ.स. की सेना का हिस्सा है। नसरुल्लाह का यह संदेश लोगों के दिलों में गहरी जगह बनाता है और उन्हें इस बात का यकीन दिलाता है कि जुल्म के खिलाफ लड़ाई केवल सैन्य संघर्ष नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य भी है।

हिज़्बुल्लाह का सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व

हिज़्बुल्लाह के महासचिव के रूप में, नसरुल्लाह ने न केवल एक सैन्य नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उन्होंने लेबनान में सामाजिक और राजनीतिक सुधारों में भी अपनी भूमिका निभाई। उनकी नेतृत्व क्षमता का सबसे बड़ा उदाहरण 2006 के युद्ध के बाद देखा गया, जब उन्होंने अपने संगठन को लेबनान की राजनीति और समाज सेवा में गहराई से शामिल किया। उनके नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने लेबनान में अस्पताल, स्कूल और बुनियादी ढांचे के विकास में बड़ा योगदान दिया, जिससे जनता में उनका विश्वास और समर्थन और मजबूत हुआ।

फिलिस्तीनी संघर्ष में नसरुल्लाह की भूमिका

हसन नसरुल्लाह ने हमेशा फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों की वकालत की है। उनके नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने कई बार इस्राईल के खिलाफ फिलिस्तीनी संगठनों का समर्थन किया और उनके संघर्ष में भागीदारी की। नसरुल्लाह का मानना है कि फिलिस्तीन केवल एक अरब मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक अन्याय का प्रतीक है। जब तक फिलिस्तीनियों को उनका हक नहीं मिलेगा, तब तक इस क्षेत्र में शांति की कोई संभावना नहीं है। नसरुल्लाह के इस दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल लेबनान, बल्कि पूरे मुस्लिम और अरब जगत में एक आदर्श नेता बना दिया है।

 

धार्मिक और नैतिक नेतृत्व

हसन नसरुल्लाह की विचारधारा का आधार इस्लामिक न्याय और नैतिकता में निहित है। वह मानते हैं कि इस्लाम केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि यह एक जीवन शैली है, जिसमें न्याय, समानता और इंसानियत के लिए खड़ा होना अनिवार्य है। उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया है कि किसी भी जुल्म के खिलाफ खड़े होना एक धार्मिक कर्तव्य है, और यही वह सच्ची इस्लामी शिक्षाएं हैं जो उन्होंने अपने जीवन में आत्मसात की हैं। उनका यह दृष्टिकोण उन्हें एक धार्मिक और नैतिक नेता के रूप में स्थापित करता है, जिनकी शिक्षाओं ने लाखों लोगों को जागरूक किया है।

शहादत का आदर्श

नसरुल्लाह का मानना है कि शहादत का अर्थ केवल अपनी जान देना नहीं है, बल्कि यह उस सिद्धांत के लिए जीना है, जिसमें इंसानियत और इंसाफ की बात हो। उनके अनुयायियों का यह विश्वास है कि अगर नसरुल्लाह शहीद भी हो जाएं, तो उनकी विचारधारा और उनका संघर्ष कभी नहीं रुकेगा। वह अपने अनुयायियों को सिखाते हैं कि शहादत हार नहीं है, बल्कि यह जुल्म के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत बनाती है। नसरुल्लाह की यह विचारधारा उन्हें एक आध्यात्मिक योद्धा के रूप में स्थापित करती है, जो जुल्म के खिलाफ अपने संघर्ष में कभी नहीं झुकते।

हसन नसरुल्लाह का जीवन एक उदाहरण है कि किस तरह एक व्यक्ति अत्याचार के खिलाफ खड़ा हो सकता है और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है। वह केवल एक सैन्य या राजनीतिक नेता नहीं हैं, बल्कि वह एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक और इमामे जमाना अस की सेना के सच्चे योद्धा हैं। उनका जीवन, उनका संघर्ष, और उनकी विचारधारा आने वाली पीढ़ियों को जुल्म के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती रहेगी। नसरुल्लाह की जीवन गाथा इंसानियत के लिए न्याय की एक अमिट छाप छोड़ती है जो दुनिया में हमेशा याद रखी जाएगी।

 

हौज़ा इलमिया नजफ़ अशरफ़ ने दुष्ट इसराइल के हमले में शहीद हुए सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर गहरा दुख और शोक व्यक्त करते हुए तीन दिन के शोक की घोषणा की है।

हौज़ा इल्मिया नजफ़ अशरफ़ के बयान का पूरा पाठ इस प्रकार है।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

बहुत से ऐसे पैगम्बर हुए हैं, जिनके साथ अल्लाह के बहुत से बंदों ने इतने शानदार तरीके से जिहाद किया कि वे ईश्वर की राह में आने वाली कठिनाइयों से कमजोर नहीं हुए, न उन्होंने कायरता दिखाई और न ही सामने अपमान दिखाया।

हौज़ा इलमिया नजफ अशरफ सय्यद  सैय्यद हसन नसरल्लाह और उनके साथ शहीद हुए सज्जनों की शहादत पर शोक की घोषणा करते हैं।

इस बड़ी और गंभीर आपदा में, हौज़ा उलमिया नजफ़ अशरफ़ सबसे पहले इमाम ज़माना की सेवा मे संवेदना व्यक्त करता हैं।

कल मस्जिद खदरा में शहीद के लिए मजलिसे तरहीम का आयोजन किया गया है।

हौ़ज़ा इल्मीया नजफ अशरफ