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एस्टोनिया के अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव में ईरानी फ़िल्म "डिफेंसलेस माउंटेन" की स्क्रीनिंग
ईरानी डॉक्यूमेंट्री फिल्म "डिफेंसलेस माउंटेन" को एस्टोनियाई अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति फ़िल्म महोत्सव में प्रदर्शित किया जाएगा।
मात्सालो इंटरनेशनल नेचर फ़िल्म फ़ेस्टिवल (एमएएफएफ) एस्टोनिया में आयोजित एक वार्षिक प्रकृति फ़िल्म कार्यक्रम है।
इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में, जो इसका 22वां संस्करण है, वन्य जीवन, पर्यावरण संरक्षण, प्रकृति-उन्मुख जीवन शैली और मूल लोगों की प्रकृति से संबंधित परंपराओं का सम्मान करने के बारे में सभी प्रकार की नई अंतर्राष्ट्रीय डाक्युमेंट्रीज़ प्रदर्शित की जाएंगी।
दुनिया भर के अन्य महत्वपूर्ण पर्यावरण और वन्यजीव कार्यों के साथ-साथ "मुस्तफ़ा गंदुम्कार" द्वारा निर्देशित और निर्मित ईरानी डाक्युमेंट्री फ़िल्म "डिफेंसलेस माउंटेन" 26 सितम्बर से 6 अक्टूबर तक इस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में दिखाई जाएगी।
डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म डिफेंसलेस माउंटेन में ईरान के "गरीन" पर्वत के लोगों के जीवन का एक काव्यात्मक पर्यावरणीय चित्रण पेश किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रतियोगिता में ईरानी कारीयों का बेहतरीन प्रदर्शन
क्रोएशिया की अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह के बाद इस आयोजन में ईरान के दो प्रतिनिधियों सहित प्रतिभागियों का बेहतरीन प्रदर्शन रहा हैं।
क्रोएशिया में 30वीं अंतरराष्ट्रीय कुरान प्रतियोगिता का उद्घाटन समारोह 27 सितंबर की शाम को कार्यक्रम के आयोजकों जूरी और प्रतिभागियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया था।
शोध को पढ़ने और संपूर्ण पवित्र कुरान को याद करने के दो विषयों में इन प्रतियोगिताओं की प्रतियोगिताएं शुक्रवार, 27 सितंबर की सुबह से शुरू होंगी और शनिवार की दोपहर तक जारी रहेंगी। शनिवार शाम को समापन समारोह एवं श्रेष्ठ लोगों का सम्मान भी होगा।
घोषित कार्यक्रम के अनुसार 28 सितंबर शनिवार को देश के दो प्रतिनिधि प्रतियोगियों के स्थान पर उपस्थित होकर इस प्रतियोगिता में भाग लेंगे। तदनुसार शनिवार की सुबह, महदी महदावी सामान्य याद रखने के क्षेत्र में अन्य प्रतिभागियों के साथ प्रतिस्पर्धा करती है, और दोपहर में यूसुफ जाफ़रज़ादेह शोध पढ़ने के क्षेत्र में अन्य प्रतिभागियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।
क्रोएशिया की अंतर्राष्ट्रीय कुरान प्रतियोगिता दो विषयों में आयोजित की जाती है संपूर्ण याद करना और शोध पढ़ना पिछले कुछ वर्षों में हमारे देश की ओर से हमेशा एक पाठक या संपूर्ण पवित्र कुरान को याद करने वाले को इस कार्यक्रम में भेजा जाता था।
इस प्रतियोगिता के निर्णायकों में क्रोएशिया से अजीज अलअलीली, कतर से यूसुफ अलहम्मादी, तुर्की से उस्मान शाहीन इराक से शेरजाद ताहिर और अल्जीरिया से कमाल गोदा जैसे प्रोफेसर शामिल हैं।
रूसी राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों को न्यूक्लियर हमले की चेतावनी दी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले भी कई बार परमाणु हथियार के इस्तेमाल की धमकी दे चुके हैं इस बार उन्होंने परमाणु नीति में बदलाव की घोषणा भी की है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर से पश्चिम देशों को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है।एक रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन ने राजधानी मॉस्को में बुधवार को सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई थी।
इसमें उन्होंने कहा कि रूसी सरकार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े नियम और शर्तों को बदलने जा रही है।
पुतिन ने कहा कि देश के परमाणु सिद्दांत में कई नई चीजें जोड़ी जाएंगी इसमें रूस के खिलाफ मिसाइल या फिर ड्रोन हमलों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है।
पुतिन ने कहा कि अगर रूसी इलाके में बड़े पैमाने पर मिसाइल या ड्रोन हमला होता जिससे देश की संप्रभुता पर गंभीर खतरा होता है तो तब भी रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
पुतिन ने कहा कि यदि कोई गैर परमाणु देश परमाणु संपन्न देश के समर्थन से रूस पर हमला करता है तो इसे दोनों देशों की तरफ से किया गया हमला माना जाएगा उन्होंने कहा कि रूस के परमाणु हथियार देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी हैं।
राष्ट्रपति पुतिन ने बुधवार को परमाणु नीति पर चर्चा के लिए मॉस्को की सुरक्षा परिषद के साथ बैठक की थी।
यूपी मे मुसलमानों के रोजगार को खत्म करने की कोशिश
समाजवादी पार्टी ने कहा कि मुसलमानों और दलितों को निशाना बनाने के लिए एक आदेश जारी किया गया है, हिमाचल सरकार भी यूपी के नक्शेकदम पर चली है, राज्य मंत्री विक्रम आदित्य सिंह ने भी ऐसा ही आदेश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश में खाने-पीने की दुकानों, ढाबों और होटलों पर मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य करने के फरमान पर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है। सरकार का तर्क है कि खाने-पीने की चीजों में आपत्तिजनक चीजें मिलाना और लोगों के स्वास्थ्य और साफ-सफाई से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी, लेकिन इस निर्देश पर विपक्षी दलों ने नाराजगी जताई है। सामाजिक स्तर पर भी इस फरमान के खिलाफ गहरी नाराजगी और चिंता है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जैसे प्रमुख विपक्षी दलों ने इस फरमान पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह मुसलमानों के रोजगार को खत्म करने की कोशिश है। गौरतलब है कि कावड यात्रा के दौरान ढाबों और होटलों समेत सभी खाने-पीने की दुकानों पर मालिकों का नाम लिखना अनिवार्य कर दिया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मामला सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है बल्कि हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी आश्चर्यजनक रूप से योगी सरकार के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यहां भी ऐसे ही आदेश जारी किए हैं।
इससे पहले यूपी की योगी सरकार ने भोजन में लार और मूत्र जैसे गंदे और अशुद्ध पदार्थों की कथित मिलावट को बेकार और अपमानजनक बताते हुए दिशानिर्देश जारी करने का दावा किया था और कहा था कि ऐसे निंदनीय आंदोलनों को रोकने के लिए ही यह सख्ती दिखाई जा रही है। समाजवादी पार्टी ने सरकार के इस कदम पर बेहद आक्रोश व्यक्त किया और सवाल उठाया कि मिलावट को खत्म करने और भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने के प्रयास समाज की भलाई के लिए जरूरी हैं, लेकिन ढाबों और रेस्तरां के नाम उजागर करने का क्या मतलब है मालिकों का विवरण? इसके द्वारा कौन से लक्ष्य और हित पूरे किये जाने हैं? समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि अगर खाद्य पदार्थों की पवित्रता और गुणवत्ता का मामला है, तो मिलावट को रोकने के लिए प्रत्यक्ष और स्पष्ट रूप से प्रासंगिक उपाय किए जाने चाहिए। लेकिन अगर ढाबा और रेस्तरां मालिकों की सांप्रदायिकता को उजागर करने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है, तो हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे। योगी सरकार के इस आदेश का विरोध करते हुए समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रवि दास मेहरोत्रा ने कहा कि अब पुलिस पूरे प्रदेश के सभी दुकानदारों से वसूली करेगी और फर्जी मुकदमे दर्ज करेगी भाजपा दलितों और पिछड़ों की दुकानें बंद करना चाहती है और मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ही ऐसे फरमान जारी कर रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरशद आजमी ने मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर एक महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाला और कहा कि 'नाम बोर्ड' लगाने का निर्देश एक अनावश्यक कदम है क्योंकि हर दुकान का पहले से ही एक पंजीकरण होता है जिसमें सभी जानकारी दर्ज होती है। उन्होंने आगे कहा कि अगर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने की जरूरत है तो बीफ फैक्ट्री संचालकों के नाम भी उजागर करने चाहिए ताकि समान मानक बनाए रखा जा सके।
ये मामला सिर्फ यूपी तक ही सीमित नहीं है बल्कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार भी योगी के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश कर रही है। नगर विकास राज्य मंत्री विक्रम आदित्य सिंह ने भी ऐसा ही फरमान जारी किया है। उन्होंने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।
मोदी सरकार ने मुसलमानों से वक्फ संपत्ति छीनने के लिए ही बिल बनाया
मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि वक्फ संपत्ति मुसलमानों की निजी संपत्ति है लेकिन बीजेपी इसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है।
वक्फ बिल के लिए गठित जेपीसी के सदस्य और एमआईएम अध्यक्ष बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को मुंबई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों की रक्षा नहीं करना चाहती बल्कि मुसलमानों से वक्फ संपत्तियों को छीनना चाहती है के लिए बिल बनाया गया है नागपाड़ा में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एमआईएम मुंबई के अध्यक्ष रईस लश्करिया और पूर्व विधायक वारिस पठान भी मौजूद थे। जब उनसे जेपीसी में वक्फ संशोधन विधेयक के विवरण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चाहे वह संसद की समिति हो या जेपीसी इसके मामले गोपनीय हैं, इसलिए मैं इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि मोदी सरकार ने निजी संपत्ति को छीनने और उसे जब्त करने के लिए एक संशोधन विधेयक लाया है।'
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि वक्फ संपत्ति मुसलमानों की निजी संपत्ति है जबकि बीजेपी इसे सार्वजनिक संपत्ति बता रही है जो पूरी तरह से गलत है। भाजपा और आरएसएस द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड के पास देश में 940,000 एकड़ जमीन है और यह भी फैलाया जा रहा है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक संपत्ति है जबकि सच्चाई यह है कि ये सब बातें पूर्णतया झूठ हैं। उनमें कोई सच्चाई नहीं है।
भारतीय दूतावास ने नागरिकों से लेबनान की यात्रा न करने का हुक्म दिया
लेबनान और इज़राईल के बीच जंग के चलते भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों से अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की आग्रह किया है।
हाल ही में हवाई हमलों और संचार उपकरणों में विस्फोट की घटना के बाद बेरूत में भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों से अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने का आग्रह किया है।
उन्होंने लेबनान में रहने वाले भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द देश छोड़ने की सलाह दी है और लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतने और दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी है जिन्हें बढ़ती स्थिति के बीच यहां रहना होगा।
दूतावास ने बुधवार को अपने नोटिस में कहा,1 अगस्त, 2024 को जारी की गई सलाह की पुनरावृत्ति के रूप में और क्षेत्र में हालिया विकास और वृद्धि को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की दृढ़ता से सलाह दी जाती है।
लेबनान में पहले से मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को भी लेबनान छोड़ने की दृढ़ता से सलाह दी जाती है जो लोग किसी भी कारण से रह गए हैं उन्हें अत्यधिक सावधानी बरतने अपनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने और हमारी ईमेल आईडी के माध्यम से बेरूत में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है।
फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस और हिज़्बुल्लाह विजयी है
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया हैं।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया हैं।
उन्होंने कहा कि पवित्र डिफ़ेंस, देश की मूल्यवान रक्षा का कारनामा होने के साथ ही अल्लाह और धर्म की राह में जेहाद का भी डिफ़ेंस था जिसने इस्लाम को नई ज़िंदगी दी, ईरानी राष्ट्र को लोकप्रिय बनाया और देश में आध्यात्मिकता का माहौल पैदा किया।
उन्होंने फिलिस्तीन और लेबनान की हालिया घटनाओं को पवित्र डिफ़ेंस की घटनाओं की तरह और अल्लाह की राह में जेहाद का एक उदाहरण बताया और कहा कि फ़िलिस्तीन नामक एक इस्लामी देश पर दुनिया के सबसे दुष्ट काफ़िरों में से एक ने अवैध क़ब्ज़ा कर लिया है और निश्चित शरई हुक्म यह है कि सभी को फ़िलिस्तीन और मस्जिदुल अक़सा को उनके अस्ल मालिकों को लौटाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि लेबनान हिज़्बुल्लाह संगठन, जिसने ग़ज़ा के लिए अपने सीने को ढाल बना लिया है और दुखद घटनाओं का सामना कर रहा है, अल्लाह की राह में जेहाद की स्थिति में है।
उन्होंने थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध से इस युद्ध की एक और समानता की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि इस जंग में काफ़िर और दुष्ट दुश्मन सबसे अधिक हथियारों और संसाधनों से लैस है और अमेरिका भी उसकी पीठ पर है और अमेरिकियों का यह दावा कि वे ज़ायोनीयों के कामों से अवगत नहीं हैं और इस संबंध में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, झूठ है। उन्हें जानकारी भी है, वे हस्तक्षेप भी कर रहे हैं और उन्हें ज़ायोनी शासन की जीत की ज़रूरत भी है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस संबंध में आगे कहा कि अमेरिका की इसी वर्तमान सरकार को आगामी चुनावों के लिए यह दिखाने की ज़रूरत है कि उसने ज़ायोनी सरकार की मदद की है और उसे जीत दिलाई है, हालांकि उसे अमेरिकी मुसलमानों के वोट भी चाहिए इसी लिए वह यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है।
अपने संबोधन के एक दूसरे हिस्से में उन्होंने सन 1980 में ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू किए जाने की वजह बताते हुए कहा कि ईरान की सीमाओं पर हमले की नीयत सद्दाम और बास पार्टी तक ही सीमित नहीं थी बल्कि उस समय की विश्व व्यवस्था के सरग़ना यानी अमेरिका, सोवियत संघ और उनके पिट्ठू भी हमला करने की ताक में थे।
इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि ईरान की बेमिसाल क्रांतिकारी जनता से बड़ी शक्तियों की दुशमनी की वजह यह थी कि इस क्रांति की नई सोच और संदेश उनके लिए असहनीय था और उनकी दुशमनी इस लिए थी कि इस्लामी क्रांति, दुनिया पर राज करने वाली भ्रष्ठ और विध्वंसक व्यवस्था और अन्य देशों पर अपनी संस्कृति और राय थोपने वाली व्यवस्था के ख़िलाफ़ एक खुली आवाज़ थी।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि वर्चस्सवादी, इस्लामी इंक़ेलाब के नए पैग़ाम को सहन नहीं कर सकते थे जो राष्ट्रों के लिए आकर्षक और विकास के रास्ते पर ले जाने वाला था, कहा कि वो ईरान पर हमले के मौक़े की ताक में थे और सद्दाम ने जो एक सत्ता लोभी, लालची, घटिया, ज़ालिम और निरंकुश व्यक्ति था बड़ी ताक़तों को यह मौक़ा दे दिया कि उनके बहकावे में आकर उसने ईरान पर हमला कर दिया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि आज अलग अलग मैदानों में ईरानी क़ौम की मज़बूत के साथ मौजूदगी की बरकत से किसी में भी ईरान की सीमाओं पर हमले की हिम्मत नहीं है और वे लोग आज एक दूसरी शक्ल में दुष्टता और दुश्मनी में लगे हुए हैं। इस बात को पूरी गहराई से समझना चाहिए कि दुश्मनी की वजह परमाणु ऊर्जा, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकार जैसे बहाने नहीं हैं बल्कि वो भ्रष्ट विश्व व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामिक रिपब्लिक की तरफ़ से पेश की जाने वाली नई सोच के विरोधी हैं।
उन्होंने थोपी गई जंग के आग़ाज़ में सैन्य संसाधनों के लेहाज़ से देश की ख़राब स्थिति की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि आम और भौतिक अनुमानों और उसूलों के अनुसार हमलावर पक्ष को एक या कुछ हफ़्तों के भीरत तेहरान तक पहंच जाना था लेकिन एक साल गुज़रने के बाद हमारी इन्हीं फ़ोर्सेज़ के हाथों ज़बरदस्त विजय ने जो जंग के शुरू में कमज़ोर थीं पूरी तरह से लैस सद्दाम की सेना पर गहरा वार किया और आठ साल बाद उसे देश की सीमाओं से बाहर ढकेल दिया गया और इस विजय की अस्ली वजह ईमान और संघर्ष था।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह कहा कि जंग केवल देश की रक्षा के लिए नहीं थी, हालांकि देश की रक्षा का शुमर अहम मूल्यों में होता है लेकिन जंग का मसला इससे कहीं आगे यानी इस्लाम की रक्षा और क़ुरआनी आदेशों पर अमल करने के अर्थ में था जिसे इस्लामी शिक्षाओं में अल्लाह की राह में जेहाद कहा जाता है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पवित्र डिफ़ेंस ने इंकेलाब और इस्लाम को ज़िंदा रखा, कहा कि इसी बुनियाद पर पूरे का पूरा मोर्चा, इबादतगाह, दुआ, तवस्सुल, आधी रात को अल्लाह की बारगाह में गिड़गिड़ाना और निष्ठपूर्ण सेवा के मैदान में बदल गया और इस तरह की भावना की वजह से ही अल्लाह ने अपनी इज़्ज़त, मदद और फ़तह ईरानी क़ौम को प्रदान की।
प्रतिरोध की जीत निश्चित है: आयतुल्लाह ख़ामेनेई
इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया।
उन्होंने कहा कि पवित्र डिफ़ेंस, देश की मूल्यवान रक्षा का कारनामा होने के साथ ही अल्लाह और धर्म की राह में जेहाद का भी डिफ़ेंस था जिसने इस्लाम को नई ज़िंदगी दी, ईरानी राष्ट्र को लोकप्रिय बनाया और देश में आध्यात्मिकता का माहौल पैदा किया।
उन्होंने फिलिस्तीन और लेबनान की हालिया घटनाओं को पवित्र डिफ़ेंस की घटनाओं की तरह और अल्लाह की राह में जेहाद का एक उदाहरण बताया और कहा कि फ़िलिस्तीन नामक एक इस्लामी देश पर दुनिया के सबसे दुष्ट काफ़िरों में से एक ने अवैध क़ब्ज़ा कर लिया है और निश्चित शरई हुक्म यह है कि सभी को फ़िलिस्तीन और मस्जिदुल अक़सा को उनके अस्ल मालिकों को लौटाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि
लेबनान हिज़्बुल्लाह संगठन, जिसने ग़ज़ा के लिए अपने सीने को ढाल बना लिया है और दुखद घटनाओं का सामना कर रहा है, अल्लाह की राह में जेहाद की स्थिति में है।
उन्होंने थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध से इस युद्ध की एक और समानता की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि
इस जंग में काफ़िर और दुष्ट दुश्मन सबसे अधिक हथियारों और संसाधनों से लैस है और अमेरिका भी उसकी पीठ पर है और अमेरिकियों का यह दावा कि वे ज़ायोनीयों के कामों से अवगत नहीं हैं और इस संबंध में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, झूठ है। उन्हें जानकारी भी है, वे हस्तक्षेप भी कर रहे हैं और उन्हें ज़ायोनी शासन की जीत की ज़रूरत भी है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस संबंध में आगे कहा कि अमेरिका की इसी वर्तमान सरकार को आगामी चुनावों के लिए यह दिखाने की ज़रूरत है कि उसने ज़ायोनी सरकार की मदद की है और उसे जीत दिलाई है, हालांकि उसे अमेरिकी मुसलमानों के वोट भी चाहिए इसी लिए वह यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है।
अपने संबोधन के एक दूसरे हिस्से में उन्होंने सन 1980 में ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू किए जाने की वजह बताते हुए कहा कि ईरान की सीमाओं पर हमले की नीयत सद्दाम और बास पार्टी तक ही सीमित नहीं थी बल्कि उस समय की विश्व व्यवस्था के सरग़ना यानी अमेरिका, सोवियत संघ और उनके पिट्ठू भी हमला करने की ताक में थे।
इस्लामी क्रांति, दुनिया पर राज करने वाली भ्रष्ठ और विध्वंसक व्यवस्था के ख़िलाफ़ एक खुली आवाज़ थी
इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि ईरान की बेमिसाल क्रांतिकारी जनता से बड़ी शक्तियों की दुशमनी की वजह यह थी कि इस क्रांति की नई सोच और संदेश उनके लिए असहनीय था और उनकी दुशमनी इस लिए थी कि इस्लामी क्रांति, दुनिया पर राज करने वाली भ्रष्ठ और विध्वंसक व्यवस्था और अन्य देशों पर अपनी संस्कृति और राय थोपने वाली व्यवस्था के ख़िलाफ़ एक खुली आवाज़ थी।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि वर्चस्सवादी, इस्लामी इंक़ेलाब के नए पैग़ाम को सहन नहीं कर सकते थे जो राष्ट्रों के लिए आकर्षक और विकास के रास्ते पर ले जाने वाला था,
कहा कि वो ईरान पर हमले के मौक़े की ताक में थे और सद्दाम ने जो एक सत्ता लोभी, लालची, घटिया, ज़ालिम और निरंकुश व्यक्ति था बड़ी ताक़तों को यह मौक़ा दे दिया कि उनके बहकावे में आकर उसने ईरान पर हमला कर दिया।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि
आज अलग अलग मैदानों में ईरानी क़ौम की मज़बूत के साथ मौजूदगी की बरकत से किसी में भी ईरान की सीमाओं पर हमले की हिम्मत नहीं है और वे लोग आज एक दूसरी शक्ल में दुष्टता और दुश्मनी में लगे हुए हैं। इस बात को पूरी गहराई से समझना चाहिए कि दुश्मनी की वजह परमाणु ऊर्जा, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकार जैसे बहाने नहीं हैं बल्कि वो भ्रष्ट विश्व व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामिक रिपब्लिक की तरफ़ से पेश की जाने वाली नई सोच के विरोधी हैं।
उन्होंने थोपी गई जंग के आग़ाज़ में सैन्य संसाधनों के लेहाज़ से देश की ख़राब स्थिति की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि
आम और भौतिक अनुमानों और उसूलों के अनुसार हमलावर पक्ष को एक या कुछ हफ़्तों के भीरत तेहरान तक पहंच जाना था लेकिन एक साल गुज़रने के बाद हमारी इन्हीं फ़ोर्सेज़ के हाथों ज़बरदस्त विजय ने जो जंग के शुरू में कमज़ोर थीं पूरी तरह से लैस सद्दाम की सेना पर गहरा वार किया और आठ साल बाद उसे देश की सीमाओं से बाहर ढकेल दिया गया और इस विजय की अस्ली वजह ईमान और संघर्ष था।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह कहा कि जंग केवल देश की रक्षा के लिए नहीं थी, हालांकि देश की रक्षा का शुमर अहम मूल्यों में होता है लेकिन जंग का मसला इससे कहीं आगे यानी इस्लाम की रक्षा और क़ुरआनी आदेशों पर अमल करने के अर्थ में था जिसे इस्लामी शिक्षाओं में अल्लाह की राह में जेहाद कहा जाता है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पवित्र डिफ़ेंस ने इंकेलाब और इस्लाम को ज़िंदा रखा,
कहा कि इसी बुनियाद पर पूरे का पूरा मोर्चा, इबादतगाह, दुआ, तवस्सुल, आधी रात को अल्लाह की बारगाह में गिड़गिड़ाना और निष्ठपूर्ण सेवा के मैदान में बदल गया और इस तरह की भावना की वजह से ही अल्लाह ने अपनी इज़्ज़त, मदद और फ़तह ईरानी क़ौम को प्रदान की।
तेहरान और स्टॉकहोम के बीच संबंधों में जहर घुल रहा है
स्टॉकहोम में ईरान के दूतावास ने एक बयान जारी करके ईरान के ख़िलाफ स्वीडिश नागरिकों को मैसेज भेजने और पवित्र क़ुरआन को जलाने का बदला लेने के लिए उनको उकसाने के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।
स्वीडिश एटार्नी जनरल के कार्यालय ने दावा किया है कि 2023 में, ईरान की ख़ुफ़िया एजेन्सी ने एक एसएमएस ऑपरेटर को हैक करके जनता को पवित्र क़ुरआन जलाने वालों से बदला लेने के लिए भड़काने की कोशिश की थी।
स्टॉकहोम में इस्लामी गणतंत्र ईरान के दूतावास ने एक बयान में इस निराधार आरोप को खारिज करते हुए एलान किया है कि: इन चीज़ों को पेश करना और मीडिया में इनको जारी करना, दोनों देशों के बीच संबंधों के माहौल को ज़हरीला बनाकर प्रभावित कर सकता है।
स्टॉकहोम में ईरान के दूतावास ने स्वीडिश सरकार की आफ़िशल बॉडीज़ से ईरान के ख़िलाफ इन ग़ैर-दस्तावेज सामग्रियों को रोकने और स्वीडिश न्यायिक प्रणाली के सही फ़ैसलों द्वारा इस मामले पर मुक़द्दमा चलाने की अनुमति न देने की अपील की है।
इराकी शिया मिलिशिया ने अमेरिकी सेना पर हमला करने की धमकी दी
इराकी शिया मिलिशिया कताइब हिजबुल्लाह ने धमकी दी कि अगर इजरायल ने इराक पर हमला किया तो वह अमेरिकी सेना की मौजूदगी पर हमला करेगा।
ईरान समर्थित शिया मिलिशिया के सुरक्षा नेता अबू अली अल-असकर ने बुधवार को एक बयान में कहा कि इराकी हवाई क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल द्वारा तीव्र गतिविधि देखी जा रही है, जो "इराक के खिलाफ इज़राइली आक्रमण की संभावना के संकेत देता है।
बयान में कहा गया तदनुसार, कताइब हिजबुल्लाह ने अपनी चेतावनी दोहराई है कि उसकी प्रतिक्रिया केवल इज़राइल तक सीमित नहीं होगी बल्कि इसमें संपूर्ण अमेरिकी उपस्थिति शामिल होगी।
समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अलअस्कर ने इराक में शिया मिलिशिया समूह इस्लामिक रेजिस्टेंस से अपने अभियानों की संख्या और पैमाने तथा इजराइल के लिए खतरे के स्तर को बढ़ाने का भी आह्वान किया है।
इससे पहले दिन में, इराक में इस्लामिक प्रतिरोध ने प्रभावित स्थलों को निर्दिष्ट किए बिना या किसी हताहत की रिपोर्ट किए बिना "फिलिस्तीन और लेबनान में हमारे लोगों के साथ एकजुटता में" इजरायली ठिकानों पर कई ड्रोन और मिसाइल हमलों की जिम्मेदारी ली।
7 अक्टूबर, 2023 को गाजा में इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष की शुरुआत के बाद से, इराक में इस्लामिक प्रतिरोध ने गाजा में फिलिस्तीनियों के समर्थन में क्षेत्र में इजरायल और अमेरिकी ठिकानों पर कई हमले किए हैं।