
رضوی
इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा को सैन्य क्षेत्र घोषित कर दिया
ज़ायोनी शासन ने अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन से लगी ग़ज़्ज़ा पट्टी की सीमा को बंद सैन्य क्षेत्र घोषित कर दिया है।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार ज़ायोनी शासन की आंतरिक सुरक्षा और गुप्तचर संस्थाओं की ओर से स्थिति का जाएज़ा लिए जाने के बाद इस्राईली सेना ने अपने एक बयान में कहा कि अगले कुछ दिनों में ग़ज़्ज़ा पट्टी के सीमावर्ती क्षेत्रों में और अधिक सैनिकों को तैनात किया जाएगा।
इस्राईली सेना का कहना है कि इस्राईल में घुसपैठ के प्रयासों को विफल बनाने के लिए ठोस कार्यवाहियों का क्रम जारी रहेगा।
ज़ायोनी शासन ने फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास पर आरोप लगाते हुए ग़ज़्ज़ा के भीतर और बाहर होने वाली घटनाओं का आरोप हमास पर लगाया है।
30 मार्च से शुरू हुई वापसी मार्च के नाम से फ़िलिस्तीनियों की शांतिपूर्ण रैली में अब तक ज़ायोनी सैनिकों की फ़ायरिंग में 195 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं जबकि 21 हज़ार 600 से अधिक घायल हुए हैं। यह रैली हर शुक्रवार को ग़ज़्ज़ा और इस्राईल की सीमा पर निकाली जाती है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान समेत अधिकतर देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने ज़ायोनियों के इन अपराधों की निंदा की है। 30 मार्च 1976 को ज़ायोनी शासन द्वारा फ़िलिस्तीनियों की ज़मीनों को ज़ब्त करने की वर्षगांठ के अवसर पर हर साल रैलियां निकाली जाती हैं। इस साल फ़िलिस्तीनियों ने इस रैली को वापसी मार्च का नाम दिया है और कहा है कि जब उनकी ज़मीनें वापस नहीं दी जातीं वे हर सप्ताह शुक्रवार को रैली निकालते रहेंगे।
अमरीका, ईरान से मुंह की खा चुका हैः वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने तेहरान के आज़ादी स्टेडियम में स्वयं सेवी बलों के एक लाख से अधिक लोगों के भव्य समूह को संबोधित किया।
वरिष्ठ नेता ने तेहरान के आज़ादी स्टेडियम में स्वयं सेवी बल बसीज के एक लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की शक्ति केवल एक नारा नहीं बल्कि एक वास्तविकता है और दुनिया का हर न्यायप्रिय व्यक्ति, ईरानी राष्ट्र की महानता को स्वीकार करता है जबकि दुश्मन ईरान की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में प्रगति से बहुत अधिक परेशान हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान ने आठ वर्षीय थोपे गये युद्ध में बड़ी शक्तियों को विफलता और पराजय का स्वाद चखाया। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि इस बड़ी बैठक बहुत ही संवेदनशील हालत में आयोजित हुई है। क्षेत्र और दुनिया के हालात बहुत ही संवेदनशील है विशेषकर हमारे ईरानी राष्ट्र के लिए स्थिति बहुत ही संवेदनशील है।
वरिष्ठ नेता का कहना था कि संवेदनशीलता इस दृष्टि से है कि एक ओर अमरीकी राजनेताओं और साम्राज्यवादियों की चीख़ पुकार तथा दूसरी ओर विभिन्न क्षेत्रों और मैदानों में मोमिन युवाओं का शक्ति प्रदर्शन, एक ओर देश की आर्थिक समस्याएं और जनता की वित्तीय परेशानियां और दूसरी ओर देश के बुद्धिजीवी वर्ग के इन हालात से संवेदनशील होने के कारण वैचारिक व व्यवहारिक प्रयास करने पर उन्हें विवश कर दिया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज मेरे भाषण का संक्षेप यह है कि पहले ईरान की महानता है, दूसरे इस्लामी गणतंत्र ईरान की शक्ति और तीसरा ईरानी राष्ट्र का अजेय होना है। उनका कहना था कि यह कोई अतिश्योक्ति नहीं है, यह केवल कोई नारा नहीं है, यह कोई खोखला या बेकारा का दावा नहीं है जो कुछ लोग करते हैं। यह वह वास्तविकताएं हैं कि ईरानी राष्ट्र के दुश्मन कामना करते हैं कि हमें इसके बारे में पता न चले या इससे निश्चेत रहें किन्तु यह बात सबसे स्पष्ट है जिसका कोई इन्कार कर सकता है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि मैंने ईरान की महानता और वैभवता की बात कही है तो यह केवल वर्तमान समय में नहीं बल्कि ईरान की महानता एक ऐतिहासिक बात है। उन्होंने कहा कि हमारे प्यारों ने विज्ञान, दर्शनशास्त्र, राजनीति, कला और ह्यूमनीटीज़ के क्षेत्र में राष्ट्रीय ध्वज लहराया, दुनिया के राष्ट्रों और मुस्लिम देशों के बीच राष्ट्र का सिर ऊंचा दिया, यह चीज़ हमारे काल से और इतिहास से जुड़ी हुई है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस्लामी लोकतंत्र की शक्ति के बारे में कहा कि ईरान की शक्ति यही है कि उसने देश को अमरीका और ब्रिटेन के वर्चस्व से निकाल दिया, उस वर्चस्व से निकाल दिया जो 19वीं शताब्दी के आरंभ से शुरु हुआ था और देश के समस्त मामलों पर निर्दयी विदेशी छाए हुए थे। इस्लामी गणतंत्र की यही शक्ति है कि उसने देश को अत्याचारी वर्चस्व से मुक्ति दिला दी।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि सबसे पहले इस्लाम है, अमरीका, इस्लाम से तमाचा खा चुका है और उसे इस्लाम से द्वेष और ईर्ष्या है। अमरीका, इस्लामी क्रांति से मुंह की खा चुका है, देश के समस्त मामले उन्हीं के हाथों में थे, देश के स्रोत उन्हीं के पास थे, देश की पूंजी उनकी मर्ज़ी से इधर उधर होती थी, देश की सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक नीतियां उन्हीं के हिसाब से तैयार होती थीं, उनके हाथ काट दिए गये, यह काम इस्लाम ने किया।
28वां वापसी मार्च, 3 फ़िलिस्तीनी शहीद, 376 घायल
फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार की रात बताया कि 28वें वापसी मार्च के दौरान ग़ज़्ज़ा की सीमा पर इस्राईली फ़ायरिंग में 3 फ़िलिस्तीनी शहीद और 376 घायल हो गये।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि घायलों में 10 महिलाएं और 30 बच्चे भी शामिल हैं।
प्रेस टीवी की रिपोर्ट के अनुसार फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता अशरफ़ क़दरा ने बताया कि इस्राईली फ़ायरिंग में 12 वर्षीय फ़ारस हफ़ीज़ और 24 वर्षीय महमूद करम घटना स्थल पर ही दम तोड़ गये जबकि एक अन्य युवा ने रास्ते में दम तोड़ दिया।
उनका कहना था कि फ़िलिस्तीनियों की ओर से इस्राईल के विरुद्ध हो रहे शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान इस्राईली सैनिकों की फ़ायरिंग में 376 से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल हुए हैं।
अशरफ़ क़दरा ने बताया कि शुक्रवार की रात फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन करते हुए टायर जलाए और इस्राईली सैनिकों पर पथराव किया किन्तु इस्राईली सैनिकों ने जवाब में निहत्थे फ़िलिस्तीनियों पर आंसू गैस के गोले दाग़े और गोलियां बरसा दीं।
उनका कहना था कि आंसू गैस से प्रथावित 192 फ़िलिस्तीनियों को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। उनका कहना था कि इस्राईली सैनिकों की फ़ायरिंग से 126 फ़िलिस्तीनी घायल हुए जिनमें से 7 की हालत चिंताजनक है।
अशरफ़ क़दरा का कहना था कि इस्राईली सैनिकों ने फ़िलिस्तीनी एंबुलेंस पर सीधे आंसू गैस से हमला किया किन्तु कोई जानी नुक़सान नहीं हुआ।
दूसरी ओर जेबालिया कैंप में स्थानीय पत्रकार मुहम्मद हज़मीन के सिर पर आंसू गैस का गोला लगा जिसके परिणाम में वह भीषण रूप से घायल हो गये।
ज्ञात रहे कि 30 मार्च से शुरू हुई वापसी मार्च के नाम से फ़िलिस्तीनियों की शांतिपूर्ण रैली में अब तक ज़ायोनी सैनिकों की फ़ायरिंग में 195 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं जबकि 21 हज़ार 600 से अधिक घायल हुए हैं। यह रैली हर शुक्रवार को ग़ज़्ज़ा और इस्राईल की सीमा पर निकाली जाती है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान समेत अधिकतर देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने ज़ायोनियों के इन अपराधों की निंदा की है। 30 मार्च 1976 को ज़ायोनी शासन द्वारा फ़िलिस्तीनियों की ज़मीनों को ज़ब्त करने की वर्षगांठ के अवसर पर हर साल रैलियां निकाली जाती हैं। इस साल फ़िलिस्तीनियों ने इस रैली को वापसी मार्च का नाम दिया है और कहा है कि जब उनकी ज़मीनें वापस नहीं दी जातीं वे हर सप्ताह शुक्रवार को रैली निकालते रहेंगे।
इस्लामी क्रांति के हज के राजनैतिक संदेशों को इस्लामी जगत तक पहुंचाने पर वरिष्ठ नेता का बल
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने सोमवार को हज समिति के सदस्यों से मुलाक़ात में इस्लामी क्रांति के हज के राजनैतिक संदेशों को इस्लामी जगत तक पहुंचाने पर बल दिया।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ईश्वर की ओर से हज की अनिवार्य उपासन के लिए मुसलमानों को एक विशेष समय व स्थान पर एकत्रित होने के आदेश को, मुसलमानों के आपसी संपर्क व सहयोग और इस्लामी समुदाय की शक्ति के प्रदर्शन जैसे अहम राजनैतिक संदेशों व आयामों का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि हज के आध्यात्मिक आयामों के अलावा जो काफ़ी अहम हैं, इन वास्तविकताओं और इस्लामी लक्ष्यों को भी स्पष्ट रूप से पेश किया जाना चाहिए और इसके लिए कार्यक्रम तैयार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि हज में इस्लामी समुदाय के लोगों के आपसी संपर्क, हाजियों तक इस्लामी क्रांति के संदेशों को पहुंचाना और उनकी शंकाओं को दूर करना, अन्य इस्लामी देशों के साथ इस्लामी गणतंत्र ईरान के संबंधों की मज़बूती का मार्ग प्रशस्त करना और सभी इस्लामी मतों का भाईचारे और शांतिपूर्ण ढंग से साथ रहना, हज के अहम राजनैतिक संदेशों में शामिल है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हज को इस्लामी क्रांति के लिए सम्मान का कारण बनना चाहिए इस लिए हज के राजनैतिक आयामों को भुलाया नहीं जाना चाहिए। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि इस्लामी क्रांति के बाद के हज और उससे पहले के हज तथा इस्लाम की मूल शिक्षाओं से अनभिज्ञ देशों के हज में बहुत अंतर है। उन्होंने सऊदी सरकार की ओर से ईरानी हाजियों के दुआए कुमैल के कार्यक्रम के आयोजन में डाली जाने वाली बाधाओं की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि इन बाधाओं और रुकावटों से गुज़रने की कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने इसी तरह हज के विकास के बहाने हज़रत मुहम्मद, हज़रत अली और इस्लाम के आरंभिक काल के मुजाहिदों की यादगारों को मिटाए जाने की कड़ी आलोचना की और कहा कि अन्य देश अपने एेतिहासिक अवशेषों की भरपूर तरह से रक्षा करते हैं और कभी कभी तो अपने इतिहास को समृद्ध दिखाने के लिए इस प्रकार के अवशेष गढ़ भी लेते हैं लेकिन सऊदी अरब में इसके विपरीत हो रहा है और मक्के व मदीने के अनेक इस्लामी अवशेषों को ध्वस्त कर दिया गया है।
डॉनल्ड ट्रम्प ने सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें यह दिन भी देखना पड़ेगाः आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी
तेहरान के जुमे के इमाम ने कहा है कि निराशा पैदा करना दुश्मन का लक्ष्य है।
आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने जुमे की नमाज़ के विशेष भाषण में कहा कि दुश्मन के व्यापक आर्थिक-मानसिक युद्ध छेड़ने और उसकी साज़िश का लक्ष्य हमेशा मंच पर हाज़िर रहने वाले ईरानी राष्ट्र में निराशा पैदा करना है।
उन्होंने कहा कि इस्लामी क्रान्ति के 40 साल के वजूद के दौरान अमरीका और अंतर्राष्ट्रीय ज़ायोनीवद की अगुवाई में साम्राज्यवादी व्यवस्था को कंपकपी छायी रही है, कहा कि प्रतिरोध के मोर्चे पर उन्हें मिलने वाली करारी हार का क्रम जारी है।
तेहरान के जुमे के अस्थायी इमाम ने बल दिया कि अगर अमरीका और इस्राईल ने ग़लती की तो क्षेत्र में उनकी छावनियां सुरक्षित नहीं रहेंगी और उनके लिए दुनिया अंधेर हो जाएगी।
आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हेदी किरमानी ने अवसर, आंतरिक स्रोत व सक्षमता के उपयोग, दृढ़ता व एकता की भावना की मज़बूती को दुश्मन को हराने का मार्ग बताया।
उन्होंने देश के दक्षिण-पश्चिमी शहर अहवाज़ पर हुए आतंकवादी हमले की भर्त्सना करते हुए कहा कि बच्चों के हत्यारे आतंकियों के निराश आक़ा, ईरानी जनता से बदला लेने के सिवा कोई और रस्ता नज़र नहीं आ रहा है।
आयतुल्लाह मोवह्हेदी किरमानी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के हालिया अधिवेशन की ओर इशारा करते हुए कहा कि अत्याचार का अंजाम पतन है और अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन ऐसा आएगा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में पूरी दुनिया के देशों के प्रतिनिधि उन पर हंसेंगे।
ईरान के ख़िलाफ़ अमरीकी पाबंदी का पहला असर, तेल की क़ीमत 100 डॉलर के पार जाएगी, स्टैन्डर्ड चार्टर्ड
मशहूर ब्रिटिश बैंक स्टैन्डर्ट चार्टर्ड के वरिष्ठ अधिकारी का अनुमान है कि ईरान के तेल उद्योग के ख़िलाफ़ अमरीकी पाबंदियों की वजह से तेल की क़ीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चली जाएगी।
इरना के अनुसार, पॉल होर्सनल ने कहा है कि ईरान के ख़िलाफ़ अमरीकी पाबंदियों की वजह से 2018 के अंत तक विश्व तेल मंडी में भारी शून्य पैदा होगा। उन्होंने कहा कि इस समय तेल की क़ीमत प्रति बैरल 85 डॉलर है और 100 डॉलर तक पहुंचने में अधिक दूरी नहीं बची है।
अमरीका की ओर से ईरान के तेल निर्यात को रोकने की कोशिश का विरोध बढ़ता जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमरीका दबाव के ज़रिए ईरान के तेल निर्यात को पूरी तरह नहीं रोक पाएगा, उसके दबाव की वजह से तेल बाज़ार में उतार चढ़ाए आएगा और तेल की क़ीमत प्रति बैरल 100 डॉलर पहुंच जाएगी।
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प का दावा है कि 4 नवंबर 2018 तक जो ईरान के अमरीकी पाबंदियों के लागू होने का दूसरा चरण है, ईरान का तेल निर्यात शून्य तक पहुंच जाएगा।
इसके बावजूद ईरान के तेल के बड़े ख़रीदार देशों ने जिसमें चीन शामिल है, कहा है कि वे ईरान से तेल की ख़रीदारी जारी रखेंगे।
ईरान की पवित्र प्रतिरक्षा काल की उपलब्धियां दुनियावालों के लिए प्रेरणा का आधार
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने कमान्डरों, इराक़ के बासी शासन द्वारा थोपी गयी जंग में भाग लेने वाले जियालों और कलाकारों के एक समूह से मुलाक़ात की।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने कमान्डरों, इराक़ के बासी शासन द्वारा थोपी गयी जंग में भाग लेने वाले जियालों और कलाकारों के एक समूह से मुलाक़ात की और इसमें पवित्र रक्षा के जियालों और उनके परिवार के सदस्यों की ओर से इस पवित्र रक्षा के दौर की बयान की गयी बातों को ईरानी राष्ट्र के लिए सबसे मूल्यवान धरोहर बताया और पवित्र रक्षा के काल को, इस वर्चस्ववादी दुनिया में शक्ति के समीकरण की स्थिति को निर्धारित करने वाला बताया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पवित्र रक्षा के संबंध में फ़िल्में बने, इस दौर की कलाकृतियों को देश से बाहर आम किया जाए और लिखित बातों का अनुवाद किया जाए और इस ईरानी राष्ट्र के ईश्वर पर आस्था, संघर्ष और दृढ़ता के संदेश को दुनिया वालों तक पहुंचाया जाए।
1980 से 1988 के दौरान के बासी शासन द्वारा थोपी गयी 8 वर्षीय जंग का काल इस्लामी क्रान्ति का स्वर्णिम दौर है। आठ वर्षीय थोपी गयी जंग ईश्वर पर आस्था, आत्मविश्वास, बलिदान, प्रतिरोध और वीरता का मत थी और ये सब इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैहि उस यादगार जुमले "हम सक्षम हैं" का प्रतिबिंबन है।
पवित्र रक्षा के दौर की यादों को फ़िल्म व किताब के रूप में तय्यार करना और उन्हें दुनिया की विभिन्न ज़बानों में प्रकाशित करना, ईरानी राष्ट्र के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक पहचान पत्र को पेश करने के समान है ताकि सबको यह पता चल जाए कि ईरानी राष्ट्र सबसे बुरे हालात में भी एक क़दम पीछे नहीं हटता। यह दृढ़ता और बलिदान किसी दौर से विशेष नहीं है बल्कि आज भी अगर इस्लामी क्रान्ति के दुश्मन ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ दबाव तेज़ करें तो उसी तरह कारगर है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता के शब्दों में जिस तरह इस्लामी क्रान्ति के आरंभ और पवित्र प्रतिरक्षा के काल में साम्राज्य के क्रान्ति के नेहाल को उखाड़ने की साज़िश नाकाम हो गयी और वह पीछे हटने पर मजबूर हुआ उसी तरह आज भी ईश्वर पर भरोसे, साहस और कोशिश से इस साज़िश को नाकाम किया जा सकता है।
इस समय अमरीकी अधिकारियों ने ईरान के ख़िलाफ़ जो आर्थिक जंग छेड़ रखी है और वे हर देश का चक्कर लगा रहे हैं ताकि अपने विचार में ईरान को झुका दें, पवित्र रक्षा के काल की बर्बरतापूर्ण शैली की ही पुनरावृत्ति है। लेकिन उस दौर का अनुभव इतिहास के उस जटिल दौर से ईरान के सफलतापूर्वक गुज़रने और अत्याचार के ख़िलाफ़ तनिक भी पीछे न हटने का सूचक है।
इंडोनेशिया सूनामी, 400 से अधिक हताहत, ईरान ने बढ़ाया मदद के लिए हाथ
इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप और पालू शहर में भीषण भूकंप और सूनामी के परिणाम में होने वाले जानी व माली नुक़सान पर ईरान ने खेद प्रकट करते हुए इंडोनेशिया की मदद करने के लिए अपनी तत्परता की घोषणा की है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासिमी ने इंडोनेशिया में आने वाले भूकंप में होने वाली तबाही पर खेद प्रकट करते हुए दुर्घटना के शिकार लोगों के परिजनों और सरकार से सहृदयता व्यक्त करते हुए इस देश की सहायता के लिए तेहरान की तत्परता की घोषणा की है।
ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता बहराम क़ासिमी ने कहा कि इंडोनेशिया की मुसिबत की इस घड़ी में ईरान इस देश के साथ खड़ा है।
ज्ञात रहे कि इंडोनेशिया के सोलावीसी द्वीप और पालो शहर में भीषण भूकंप और सूनामी के परिणाम में 400 से अधिक लोग हताहत हो चुके हैं।
इस बारे में इंडोनेशिया के अधिकारियों ने पुष्टि की है। हालांकि अभी अस्पतालों में सैकड़ों की संख्या में घायलों इलाज चल रहा है। ऐेसे में मरने वालों की संख्या में वृद्धि हो सकती है। शुक्रवार की शाम को इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप में भूकंप और सुनामी आई थी।
इंडोनेशिया की राष्ट्रीय आपदा एजेंसी ने अभी तक 384 लोगों के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि की है। ये सभी मौतें सुनामी से प्रभावित शहर पालू में हुई हैं। विभाग ने चेतावनी दी है कि अभी मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
खबर है आपदा प्रभावित शहर के करीब 350000 लोगों के घर ढह गए हैं या छतिग्रस्त हो गए हैं। भूकंप के बाद अगले दिन भी शहर में करीब 5 फिट ऊंची सुनामी की लहरें आईं। घटना शुक्रवार को उस वक्त हुई तब बहुत से लोग बीच पर मनाए जाने वाले एक वार्षिक उत्सव की तैयारी कर रहे थे।
घायलों की तादाद इतनी अधिक है कि सभी अस्पताल बुरी तरह से भर चुके हैं। बहुत से मरीजों को खुले आसमान के नीचे लेटाकर सड़कों पर ही इलाज किया जा रहा है। जबकि मृतकों के परिजनों को हर संभव मदद मुहैया कराई जा रही है।
भारत ने की अहवाज़ में हुए आतंकवादी हमले की निंदा
ईरान के दक्षिण पश्चिमी नगर अहवाज़ में हुई आतंकवादी घटना की भारत ने कड़े शब्दों में निंदा की है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 22 सितंबर को इस्लामी गणतंत्र ईरान के दक्षिण पश्चिमी नगर अहवाज़ में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इस घटना में शहीद और घायल होने वाले परिवारों के साथ सहानुभूति जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि हम दिल की गहराईयों से इस्लामी गणतंत्र ईरान के अहवाज़ शहर में होने वाले आतंकवादी हमलों में शहीद होने वाले लोगों के परिवार वालों के साथ संवेदना व्यक्त करते हैं और इस हमले से हुए घायलों के जल्द ठीक होने की ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। याद रहे कि इससे पहले पाकिस्तान, लेबनान, इराक़, सीरिया, रूस, चीन और संयुक्त राष्ट्र संघ सहित दुनिया के कई देशों ने अहवाज़ में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की थी।
उल्लेखनीय है कि तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश से जुड़े आतंकी गुट अल-अहवाज़िया ने, जिसे ब्रिटेन और सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त है, शनिवार को ईरान के दक्षिणी प्रांत ख़ूज़िस्तान के शहर अहवाज़ में उस समय एक पार्क से आम लोगों पर आतंकी हमला किया जब देश की सशस्त्र सेना परेड कर रही थी। अहवाज़ नगर में होने वाले इस हमले में 25 लोग शहीद हुए जबकि 60 अन्य घायल हो गए हैं।
अहवाज़ की कटु घटना में लिप्त तत्वों को कठोर सज़ा दी जाएगी
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने अहवाज़ के आतंकी हमले को कायरतापूर्ण कार्यवाही ठहराते हुए कहा कि यह तय है कि अहवाज़ की कटु घटना में लिप्त तत्वों को कठोर सज़ा दी जाएगी।
ईरान की इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने इंडोनेशिया एशियन गेम्ज़ में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों से एक मुलाक़ात में शनिवार को अहवाज़ में होने वाली आतंकी घटना का उल्लेख किया और कहा कि रिपोर्टों से पता चला है कि यह काम उन्हीं कायर तत्वों का है जो सीरिया और इराक़ में जब भी कहीं फंस जाते हैं तो अमरीकी उन्हें मुक्ति दिलाते हैं और इन्हें सऊदी अरब और इमारात से पैसे मिलते हैं।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस दुखद घटना ने फिर साबित कर दिया कि उन्नति और उत्थान के मार्ग में ईरान राष्ट्र को बहुत से शत्रुओं का सामना है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने इस अवसर पर यह भी बताया कि इस्राईल के खिलाड़ियों से ईरान के खिलाड़ी क्यों कोई मुक़ाबला नहीं करते। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि इस्लामी क्रान्ति आने के बाद इस्लामी गणतंत्र ईरान ने ज़ायोनी शासन तथा दक्षिणी अफ़्रीक़ा के अपारथाइड शासन को मन्यता देने से इंकार कर दिया था, दक्षिणी अफ़्रीक़ा की अपारथाइड व्यवस्था ध्वस्त हो गई और झूठा, अतिग्रहणकारी और नस्ल परस्त ज़ायोनी शासन भी समाप्त हो जाएगा।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने ज़ोर देकर कहा कि ईरान ज़ायोनी शासन के साथ किसी भी मुक़ाबले में भाग नहीं लेगा और हम यह मानते हैं कि यह इंकार ही जिसका एक नमूना पिछले साल अली रज़ा करीमी ने पेश किया अपने आप में वास्तविक चैंपियनशिप है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का कहना था कि अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में ईरान के खिलाड़ियों का गौरवपूर्ण प्रदर्शन दुनिया के आज़ाद राष्ट्रों की खुशी तथा साम्राज्यवादी मोर्चे के आक्रोश का कारण है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि साम्राज्यवादी शक्तियां हर मैदान में ईरानी राष्ट्र की विजय से नाराज़ होते हैं इसलिए ईरानी खिलाड़ियों की विजय ईरानी राष्ट्र की विजय तथा ईरान के दुशमन मोर्चे की पराजय है।