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हमास;युद्धविराम वार्ता का नया दौर शुरू हुआ
फिलिस्तीनी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन हमास के प्रवक्ता ने बुधवार को घोषणा कि है की गाज़ा पट्टी में युद्धविराम वार्ता का एक नया दौर शुरू हुआ है।
हमास के प्रवक्ता हाज़िम कासिम ने जानकारी देते हुए कहा कि हमास इस वार्ता में पूरी तरह से जिम्मेदार और सकारात्मक भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिकी विशेष दूत एडम बोहलर भी इस वार्ता में मौजूद हैं उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद है कि इस दौर की वार्ता में दूसरे चरण की ओर ठोस प्रगति होगी जो आक्रमणों को रोकने गाजा से कब्जाधारियों की वापसी और कैदियों के आदान-प्रदान के समझौते का मार्ग प्रशस्त करेगा।
दूसरी ओर हमास के एक अन्य सदस्य अब्दुल्लतीफ अलकानू ने कहा कि जायोनी शासन युद्धविराम समझौते का पालन नहीं कर रहा है जो अंतरराष्ट्रीय इच्छाशक्ति और मध्यस्थों के प्रयासों के विपरीत है उन्होंने कहा कि हमास ने जायोनी शासन को समझौते का पालन करने और फिलिस्तीनी लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए वार्ता के हर चरण में लचीलापन और सकारात्मक व्यवहार दिखाया है।
अलकानू ने कहा कि हम दोहा वार्ता में नए कदमों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो दूसरे चरण के समझौते को लागू करने गाजा में सहायता पहुंचाने और युद्ध को समाप्त करने की गारंटी देगा।
जायोनी शासन के आधिकारिक टेलीविजन ने हाल ही में घोषणा की कि इस शासन ने अमेरिका के साथ एक समझौता किया है जिसके तहत वाशिंगटन की हमास के साथ वार्ता इजरायल के समन्वय में होगी।
जायोनी शासन के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने रविवार को अपने कैबिनेट के कुछ मंत्रियों को बताया कि अमेरिका की हमास के साथ वार्ता पूरी तरह से इजरायल के समन्वय में होगी।
इसी बीच जायोनी मीडिया ने अमेरिका और हमास के बीच सीधी वार्ता के बाद कुछ जायोनी अधिकारियों के हवाले से कहा कि यदि अमेरिकी राष्ट्रपति "डोनाल्ड ट्रम्प" हमास के साथ किसी समझौते पर पहुंचते हैं तो नेतन्याहू के लिए इसका विरोध करना मुश्किल होगा और अमेरिका इस पर अमल करेगा।
हमने पूरी ताकत से अपनी इज्जत और शक्ति की रक्षा की है
इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख कमांडर सरदार हुसैन सलामी ने कहा कि हम पूरी ताकत के साथ अपनी इज्जत और शक्ति की रक्षा कर रहे हैं और आज हमारा राष्ट्रीय संकल्प यही है कि हम अपने हितों और मूल्यों की सुरक्षा के लिए खड़े रहें।
तीसरे नूरी कुरानिक फेस्टिवल के मौके पर पत्रकारों से बातचीत में सरदार सलामी ने कहा अगर ईमान वाले सच्चे विश्वास के साथ लड़ेंगे तो वे निश्चित रूप से विजयी होंगे।
उन्होंने आगे कहा,जो भी अल्लाह के रास्ते में शहीद होता है उसे शहीद माना जाता है और शहीदों को अनंत जीवन प्राप्त होता है।
डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों पर प्रतिक्रिया देते हुए सरदार सलामी ने कहा,अमेरिकी सरकार का दबाव हमेशा से रहा है और आज भी जारी है लेकिन हमें विश्वास है कि उन्हें अपने अतीत की गलतियों से सबक लेना चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा,हम पूरी ताकत से अपनी इज्जत और शक्ति की रक्षा कर रहे हैं और आज हमारा राष्ट्रीय संकल्प यही है कि हम अपने हितों और मूल्यों की सुरक्षा के लिए खड़े रहें।
हज़ारों स्टूडेंट्स ने हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की
मुल्क के हज़ारों की तादाद में स्टूडेंट्स ने बुधवार 12 मार्च 2025 की शाम को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की यह सालाना मुलाक़ात हर साल रमज़ान के मुबारक महीने में होती है।
सिरीया में विद्रोहियों द्वारा आम नागरिकों की हत्याओं का सिलसिला जारी
शाम के पश्चिमी क्षेत्रों में अल जौलानी से जुड़े विद्रोहियों द्वारा आम नागरिकों की हत्याओं का सिलसिला जारी है जिसमें अब तक 1,225 लोग मारे जा चुके हैं जब जौलानी ने हाल के हमलों को समाप्त करने का दावा किया था।
शाम के पश्चिमी क्षेत्रों में, अल-जौलानी से जुड़े विद्रोहियों द्वारा आम नागरिकों की हत्याओं का सिलसिला जारी है, जिसमें अब तक 1,225 लोग मारे जा चुके हैं। यह हत्याएं उस समय हुई हैं जब अल-जौलानी ने हाल के हमलों को समाप्त करने का दावा किया था और एक तथाकथित जांच समिति बनाने की घोषणा की थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, विद्रोहियों ने सबूतों को मिटाने के लिए कई लाशों को छिपाया या उन्हें हथियारों के साथ पेश किया ताकि मृतकों को योद्धा के रूप में दिखाया जा सके।
सीरियाई मानवाधिकार संगठन के अनुसार, अलजुलानी के लड़ाके अब तक 47 सामूहिक हत्याएं कर चुके हैं, जिनमें लाड़किया में 658, टार्टस में 384, हमा में 171 और होम्स में 12 नागरिक मारे गए हैं।
पर्यवेक्षक समूह ने इन भयावह घटनाओं को "युद्ध अपराध" करार देते हुए वैश्विक समुदाय से मांग की है कि वह तत्काल जांच टीमें भेजकर इन अपराधों को दस्तावेजी रूप दें और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।
यह बर्बरता ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन अत्याचारों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिससे आशंका है कि यह हत्याएं भविष्य में और भी भयावह रूप ले सकती हैं।
फ़िलिस्तीनी कभी भी विदेशी वर्चस्व को स्वीकार नहीं करेंगा। हमास
हमास ने कहा है कि फ़िलिस्तीनी लोगों को अपनी ज़मीन पर शासन करने का अधिकार है और जब तक इज़रायली कब्ज़ा जारी रहेगा तब तक वे आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। डायस्पोरा में हमास कार्यालयों के प्रमुख खालिद मेशाल ने कहा कि उन पर बाहर से कोई राजनीतिक व्यवस्था नहीं थोपी जा सकती।
हमास ने कहा है कि फ़िलिस्तीनी लोगों को अपनी ज़मीन पर शासन करने का अधिकार है और जब तक इज़रायली कब्ज़ा जारी रहेगा तब तक वे आत्मसमर्पण नहीं करेंगे। डायस्पोरा में हमास कार्यालयों के प्रमुख खालिद मेशाल ने कहा कि उन पर बाहर से कोई राजनीतिक व्यवस्था नहीं थोपी जा सकती।
रविवार को हमास ने मिस्र के काहिरा में फ़िलिस्तीनी कैदियों के सम्मान में एक कार्यक्रम में मशाल के भाषण का एक वीडियो साझा किया। ये वो कैदी हैं जिन्हें इज़रायल के साथ कैदी अदला-बदली और युद्धविराम समझौते के तहत रिहा किया गया था उन्होंने कहा कि “गाजा केवल उसके लोगों का है गाजा और वेस्ट बैंक के लोग अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।
मेशाल ने जोर देकर कहा कि इजरायल से घिरे गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी अपनी जमीन से मजबूती से जुड़े रहेंगे। उन्होंने कहा कि “फिलिस्तीन के पास फिलिस्तीन के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जबकि अरब और इस्लामी देशों के लिए हमारा सम्मान बना हुआ है, हमारी मातृभूमि की जगह कोई नहीं ले सकता। वहां एक सरकार होगी और कोई विदेशी राजनीतिक व्यवस्था नहीं थोपी जाएगी।
उन्होंने फिलिस्तीन के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय एकता के महत्व पर प्रकाश डाला और अरब जगत से फिलिस्तीनी लोगों के पक्ष में खड़े होने की अपील की।
उन्होंने कहा कि गाजा एक बड़ी साजिश का सामना कर रहा है, जो आबादी को भूखा रखकर निर्वासन के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि गाजा का भविष्य, इसका शासन, इसके हथियार और इसके प्रतिरोध की ताकत दांव पर है।
पिज़िश्कियानः ईरान हमेशा क्षेत्र की सुरक्षा का रक्षक रहा है
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने नार्वे के प्रधानमंत्री के साथ टेलीफ़ोनी वार्ता में ज़ायोनी सरकार को पश्चिम एशिया में संकट और तनाव उत्पन्न करने का अस्ली कारण बताया।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने रविवार की शाम को नार्वे के प्रधानमंत्री Jonas Gahr Storre से टेलीफ़ोनी वार्ता में कहा कि ईरान हमेशा क्षेत्र की शांति व सुरक्षा का रक्षक रहा है। इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति ने ज़ायोनी सरकार को क्षेत्र में संकट और तनाव का अस्ली कारण बताया और कहा कि ज़ायोनी सरकार युद्धोन्माद और जंगी कार्यवाहियों के अलावा फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों का नस्ली सफ़ाया करने के प्रयास में है और साथ ही दुष्प्रचार करके ईरान की शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों को असुरक्षा का कारण दर्शाने की चेष्टा में है।
इस टेलीफ़ोनी वार्ता में ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने बल देकर कहा कि इमाम ख़ामेनेई के फ़त्वे के आधार ईरान कभी भी परमाणु हथियार बनाने के प्रयास में नहीं रहा है और सच्चाई के साथ परमाणु ऊर्जा की अंतरराष्ट्रीय एजेन्सी के साथ सहयोग किया और करेगा। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि हम हर प्रकार के तनाव, अशांति और युद्ध को ख़ुद अपने लिए, क्षेत्र और विश्व के लिए हानिकारक समझते हैं।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने टेलीफ़ोनी वार्ता की समाप्ति पर कहा कि हमारी सिद्धांतिक नीति का आधार तनाव को समाप्त करना और क्षेत्र में एकता उत्पन्न करना है मगर अपने देश की सुरक्षा और हितों के खिलाफ़ हर प्रकार की धमकी का पूरी शक्ति के साथ मुक़ाबला करेंगे।
राष्ट्रसंघ में ईरानी प्रतिनिधित्वः ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करने के संबंध में वार्ता नहीं होगी
राष्ट्रसंघ में ईरानी प्रतिनिधित्व ने सोशल प्लेटफ़ार्म पर भी लिखा है कि अगर वार्ता से तात्पर्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में पायी जाने वाली संभावित चिंता को दूर करना है तो उसकी समीक्षा की जा सकती है मगर अगर वार्ता का लक्ष्य ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना है तो ईरान कभी भी वार्ता नहीं करेगा और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ख़त्म करना वह कार्य है जिसे बराक ओबामा भी न कर सके।
ईरानः दबाव और धौंस में हम वार्ता नहीं करेंगे
ईरान के विदेशमंत्री सय्यद अब्बास इराक़ची ने रविवार को सोशल साइट एक्स पर अपने पेज पर इस ओर संकेत किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम हमेशा पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा है और मूलतः उसके सैन्यकरण की कोई बात ही नहीं है। उन्होंने ईरान के ख़िलाफ़ ट्रम्प की धमकियों की ओर संकेत करते हुए लिखा कि ईरान दबाव और धौंस में वार्ता की समीक्षा भी नहीं करेगा क्योंकि वार्ता और दादागीरी व आदेश देने में अंतर है।
इराक़ची ने कहा कि अमेरिका ने जब भी ईरान से सम्मानपूर्वक ढंग से वार्ता की उसे भी परस्पर सम्मान का सामना हुआ और जब भी उसने धमकी वाला दृष्टिकोण अपनाया उसे ईरानी मुक़ाबले का सामना हुआ।
उन्होंने लिखा कि इस समय हम तीन यूरोपीय देशों और रूस और चीन से परस्पर सम्मान और बराबरी के आधार पर अलग- अलग वार्ता और विचार- विमर्श कर रहे हैं और समीक्षा का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम के संबंध में ग़ैर क़ानूनी प्रतिबंधों को समाप्त करने के बदले में भरोसा व विश्वास उत्पन्न करने के मार्गों को पता लगाना है।
पश्चिमी युवाओं को नशीली दवाओं से बचाने के लिए ईरान पैसा खर्च करता है
ईरान अभी भी अफ़ग़ानिस्तान से यूरोपीय देशों तक नशीले पदार्थों की तस्करी के मुख्य पारगमन मार्गों में से एक है और इस देश ने नशीले पदार्थों के नियंत्रण की वैश्विक चुनौती में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
अपनी इंसानी ज़िम्मेदारियों के अनुरूप, ईरान ने पिछले कुछ दशकों में मादक पदार्थों की तस्करी के ख़िलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस क्षेत्र में भारी निवेश के साथ, ईरान पश्चिम एशिया में मादक पदार्थों की खोज और विनाश के क्षेत्र में एक बड़ी बाधा बनने में कामयाब रहा है।
दूसरी ओर, ईरान के मादक पदार्थ विरोधी मुख्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकियों की 20 साल की उपस्थिति, मादक पदार्थों के उत्पादन में वृद्धि के सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक रही है, इसीलिए वर्ष 2000 में, अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़े के समय, इस देश के कुल नशीले पदार्थ का उत्पादन लगभग 200 टन था, लेकिन 2021 में, यह मात्रा 9,500 टन तक पहुंच गई, जिसका मतलब है कि अफगानिस्तान में अमेरिकियों की उपस्थिति के दौरान नशीले पदार्थों का उत्पादन पचास गुना बढ़ गया।
ऐसी स्थिति में, यदि इस अशुभ घटना को रोकने के लिए ईरान के अथक प्रयास और लगातार जारी उपाय न होते, तो नशीले पदार्थों की लत की व्यापकता के मामले में दुनिया की स्थिति बहुत खराब हो जाती, मिसाल के तौर पर, इस्लामी गणतंत्र ईरान, उत्पादन के मुख्य स्रोत (अफ़ग़ानिस्तान) से नज़दीकी की वजह से और यूरोप के लिए निकटतम मार्ग है, जो मुख्य बाजार और तस्करों का अंतिम गंतव्य है जिसमें 4 हज़ार से अधिक शहीद और 12 हज़ार से अधिक लोग घायल हुए हैं जबकि प्रति वर्ष एक अरब डॉलर से अधिक का ख़र्च करके देश में नशीली दवाओं की तस्करी और दूसरे देशों में इसके प्रवेश को रोकने के उद्देश्य से की गई सीमाओं की नाकेबंदी से तीन दशकों में 12 हजार टन से अधिक विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों की खोज की जा सकी है।
दूसरी ओर, ईरान के खिलाफ क्रूर प्रतिबंधों और मादक पदार्थों की तस्करी से लड़ने की व्यापक चुनौतियों के बावजूद, ईरान मादक पदार्थों की तस्करी के पारगमन मार्ग को इस तरह से अवरुद्ध करने में सक्षम रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ लड़ाई में ईरान को ध्वजवाहक के रूप में याद किया है।
इस संबंध में, राष्ट्रपति के प्रतिनिधि और ईरान के एंटी-नारकोटिक्स मुख्यालय के महासचिव हुसैन जुल्फ़ेक़ारी ने सोमवार को वियना में संयुक्त राष्ट्र संघ के यूरोपीय मुख्यालय में नारकोटिक ड्रग्स पर आयोग की 68 वीं वार्षिक बैठक में दवाओं की वैश्विक समस्या से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सिफारिशें पेश करते हुए कहते हैं: सहयोग को बढ़ावा देना, सूचनाओं के आदान प्रदान के तंत्र को मज़बूत करना, अनुभवों का हस्तांतरण, तकनीकी सहायता, उपकरणों का प्रावधान और नशीले पदार्थों की खेती, उत्पादन, पारगमन और खपत से प्रभावित देशों को आवश्यक टेक्नालाजीज़ का हस्तांतरण, नशीले पदार्थों की रोकथाम के लिए आवश्यक हैं।
श्री हुसैन जुल्फ़िक़ारी ने मादक पदार्थों के ख़िलाफ लड़ाई में एकतरफा प्रतिबंधों को सबसे महत्वपूर्ण समस्या माना और नारकोटिक्स आयोग तथा मानवाधिकार परिषद के कई प्रस्तावों के कार्यान्वयन के अनुरूप, उन्होंने प्रतिबंधों को समाप्त करने और मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई की अग्रिम पंक्ति के देशों को प्रभावी तकनीकी और उपकरण सहायता प्रदान करने का आह्वान किया है।
नई पीढ़ी की तरबियत महिलाओं की मूल ज़िम्मेदारी है।
प्रतिनिधि वली ए फ़क़ीह और इमाम-जुमआ हमदान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक आदर्श समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
प्रतिनिधि वली ए फ़क़ीह और इमाम-जुमआ हमदान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक आदर्श समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहां, मजमअ-ए-बानवान-ए-फ़आल-ए-फ़रहंगी-एउस्तान(सांस्कृतिक रूप से सक्रिय महिलाओं का संघ) को एक गर्व का मंच बताया जो महिलाओं की सामाजिक और सांस्कृतिक सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महिलाएं सांस्कृतिक क्षेत्र में गहरा प्रभाव छोड़ सकती हैं और उनकी गतिविधियाँ समाज के विकास में अहम भूमिका निभा सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आज इस्लाम के दुश्मन पारिवारिक व्यवस्था को कमजोर करने की साज़िशों में लगे हुए हैं, और इस सांस्कृतिक संघर्ष में महिलाएँ परिवार की रक्षा की पहली पंक्ति में खड़ी हैं।
इमाम जुमा हमदान ने महिलाओं की वैज्ञानिक और सामाजिक भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक सशक्त समाज का निर्माण, महिलाओं के प्रयासों के बिना संभव नहीं है।
उन्होंने इस बात की भी आवश्यकता पर ज़ोर दिया कि महिलाओं के ज्ञानवर्धक और सांस्कृतिक सम्मेलनों का आयोजन किया जाए, ताकि उनकी क्षमताओं को और अधिक प्रभावी ढंग से समाज की भलाई के लिए प्रयोग किया जा सके।
अंत में उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों की सफलता और उनका प्रभाव पूर्ण रूप से इख़्लास (ईमानदारी) पर निर्भर करता है, और जितनी अधिक निष्ठा होगी उतने ही अधिक सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगी।
ईरान ने सीरिया में हिंसा और असुरक्षा पर जताई चिंता
ईरान ने सीरिया में बढ़ती हिंसा और असुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान सीरिया के आंतरिक घटनाक्रमों पर बारीकी से नज़र रखता है और अरब राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और असुरक्षा की रिपोर्टों पर बहुत चिंता है।
ईरान ने सीरिया में बढ़ती हिंसा और असुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान सीरिया के आंतरिक घटनाक्रमों पर बारीकी से नज़र रखता है और अरब राज्य के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और असुरक्षा की रिपोर्टों पर बहुत चिंता है।
इस्माइल बक़ाई ने सीरिया में सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने और सभी सीरियाई समूहों के शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए परिस्थितियाँ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया उन्होंने इज़राइल की आक्रामकता और धमकियों के सामने सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
समाचार एजेंसी ने बताया कि इस्माइल बक़ाई ने कहा कि ईरान सीरिया में असुरक्षा और हिंसा और किसी भी समूह या जनजाति के "उत्पीड़ित" सीरियाई लोगों की हत्या और उन्हें अपंग बनाने का दृढ़ता से विरोध करता है।
गुरुवार से तटीय क्षेत्रों में सीरिया की अंतरिम सरकार के बलों और पूर्व सरकार से संबद्ध सशस्त्र विपक्षी समूहों के बीच भीषण झड़पों में लगभग 1200 लोग मारे गए हैं।
सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया कि पिछले दिसंबर में पिछली सरकार के पतन के बाद से यह झड़पें सबसे घातक झड़पों में से एक हैं।
इसने कहा कि सैन्य कर्मियों, विपक्षी लड़ाकों और नागरिकों की मौत हुई है, क्योंकि सरकारी बलों ने लताकिया, टारटस और हामा के गवर्नरेट में पूर्व शासन के सैन्य गुटों के अवशेषों पर अपनी कार्रवाई जारी रखी।
ऑब्जर्वेटरी ने कहा कि बंदूकधारियों द्वारा सैन्य बलों, चौकियों और तटीय क्षेत्र के मुख्यालयों पर घात लगाकर हमला किए जाने के बाद झड़पें शुरू हुईं।मृतकों में सीरिया के रक्षा और आंतरिक मंत्रालयों के 50 सैनिक और अधिकारी और 45 विपक्षी लड़ाके भी शामिल हैं।
ऑब्जर्वेटरी ने संकेत दिया कि ग्रामीण लताकिया और टारटस में लड़ाई जारी रहने के कारण प्रमुख स्थानों पर अतिरिक्त सुदृढीकरण और भारी हथियार तैनात किए गए हैं।
ईरान ज़बरदस्ती पलायन को क़ौमी सफ़ाया मानता है
ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने ग़ज़्ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे के लोगों के ज़बरदस्ती पलायन का विरोध किया।
ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने सोमवार को साप्ताहिक प्रेस कांफ्रेन्स में ग़ज़्ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे के लोगों के ज़बरदस्ती पलायन का विरोध करने के साथ कहा कि ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे के लोगों का ज़बरदस्ती पलायन नस्ली व क़ौमी सफ़ाया है।
इस्माईल बक़ाई ने इसी प्रकार ग़ज़ा पट्टी में ज़ायोनी सरकार के अपराधों की ओर संकेत करते हुए कहा कि अकाल और पानी काटने के साथ ग़ज़ा में नस्ली सफ़ाया जारी है।
विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने बल देकर कहा कि जब तक ज़ायोनी सरकार के अपराध जारी रहते हैं तब तक देशों को चाहिये कि वे ज़ायोनी सरकार के साथ अपने संबंधों को तोड़े रखें और उसका वित्तीय समर्थन न करें।
मलेशिया ने फ़िलिस्तीनियों को ज़बरदस्ती पलायन कराने की योजना की भर्त्सना करने की मांग की है
दूसरी ख़बर यह है कि सऊदी अरब के जद्दा नगर में इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी के विदेशमंत्रियों की बैठक से इतर मलेशिया के विदेशमंत्री हाजी मोहम्मद बिन हाजी हसन ने एलान किया है कि बड़े देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों को चाहिये कि वे फ़िलिस्तीनियों को ज़बरदस्ती पलायन कराने और ग़ज़ा के विलय की योजना की भर्त्सना करें। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस्लामी सहयोग संगठन ओआईसी राष्ट्रसंघ और दूसरे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के समन्वय से ग़ज़ा पट्टी, लेबनान और सीरिया जैसे युद्ध प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के लिए एक व्यापक योजना पेश कर सकेगा।
हाजी हसन ने फ़िलिस्तीनियों के ज़बरदस्ती पलायन और ग़ज़ा के विलय की योजना को एक अवास्तविक और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन बताया और बल देकर कहा कि मलेशिया ने हमेशा फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ ज़ायोनी सरकार के अपराधों और लेबनान, सीरिया और फ़िलिस्तीन की प्रभुसत्ता को कमज़ोर बनाने हेतु तेलअवीव के प्रयासों की भर्त्सना की है और वह बहुपक्षवाद, अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रसंघ के क़ानूनों के प्रति वचनबद्ध है।