नई पीढ़ी की तरबियत महिलाओं की मूल ज़िम्मेदारी है।

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नई पीढ़ी की तरबियत महिलाओं की मूल ज़िम्मेदारी है।

प्रतिनिधि वली ए फ़क़ीह और इमाम-जुमआ हमदान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक आदर्श समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

प्रतिनिधि वली ए फ़क़ीह और इमाम-जुमआ हमदान हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने महिलाओं की सांस्कृतिक भूमिका को उजागर करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक आदर्श समाज के निर्माण में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहां, मजमअ-ए-बानवान-ए-फ़आल-ए-फ़रहंगी-एउस्तान(सांस्कृतिक रूप से सक्रिय महिलाओं का संघ) को एक गर्व का मंच बताया जो महिलाओं की सामाजिक और सांस्कृतिक सेवाओं में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हबीबुल्लाह शआबानी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महिलाएं सांस्कृतिक क्षेत्र में गहरा प्रभाव छोड़ सकती हैं और उनकी गतिविधियाँ समाज के विकास में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि आज इस्लाम के दुश्मन पारिवारिक व्यवस्था को कमजोर करने की साज़िशों में लगे हुए हैं, और इस सांस्कृतिक संघर्ष में महिलाएँ परिवार की रक्षा की पहली पंक्ति में खड़ी हैं।

इमाम जुमा हमदान ने महिलाओं की वैज्ञानिक और सामाजिक भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि नई पीढ़ी की सही परवरिश और एक सशक्त समाज का निर्माण, महिलाओं के प्रयासों के बिना संभव नहीं है।

उन्होंने इस बात की भी आवश्यकता पर ज़ोर दिया कि महिलाओं के ज्ञानवर्धक और सांस्कृतिक सम्मेलनों का आयोजन किया जाए, ताकि उनकी क्षमताओं को और अधिक प्रभावी ढंग से समाज की भलाई के लिए प्रयोग किया जा सके।

अंत में उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों की सफलता और उनका प्रभाव पूर्ण रूप से इख़्लास (ईमानदारी) पर निर्भर करता है, और जितनी अधिक निष्ठा होगी उतने ही अधिक सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगी।

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