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तालिबान का दावा/अफ़ग़ानिस्तान में महिलाएं पूरी तरह सुरक्षित
तालिबान का कहना है कि उनके नियंत्रण वाले अफ़ग़ानिस्तान में महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह सुरक्षित हैं और उनके खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा नही हुई हैं।
तालिबान के उप प्रवक्ता हामिदुल्लाह फ़ितरत ने शनिवार (18 हुत, 8 मार्च – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस) को अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा कि महिलाओं की इज्जत, गरिमा और उनके धार्मिक अधिकारों की रक्षा इस्लामी अमीरात की प्राथमिकता है। उन्होंने दावा किया कि अफ़ग़ान महिलाएं पूरी सुरक्षा में हैं और किसी भी तरह की हिंसा से मुक्त जीवन जी रही हैं।
तालिबान प्रवक्ता ने यह भी कहा कि कोई भी व्यक्ति महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं कर सकता और न ही उन्हें अपमानित कर सकता है। उनके मुताबिक, तालिबान की अदालतें और अन्य संबंधित संस्थाएं इस बात को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं कि महिलाओं को उनके विवाह, दहेज, संपत्ति और अन्य धार्मिक अधिकार मिलें और इनकी निगरानी और सुरक्षा की जाए।
उन्होंने आगे कहा कि अफ़ग़ान महिलाओं के अधिकार इस्लामी शरीयत, अफ़ग़ानी संस्कृति और परंपराओं के अनुसार सुनिश्चित किए गए हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अफ़ग़ान समाज एक इस्लामी समाज है, जो पश्चिमी समाज और उसकी संस्कृति से पूरी तरह अलग है।
हालांकि, हकीकत इसके विपरीत है। तालिबान के शासन के तहत अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। उन्हें शिक्षा और काम करने के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया है, जो कि न केवल शरीयत की व्याख्या बल्कि अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के भी खिलाफ़ है।
ग़ज़्जा में युद्धविराम को बढ़ाने के लिए हमास की तीन मुख्य शर्तें
हमास आंदोलन ने एक बयान में बताया कि उसके एक प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र की खुफिया एजेंसी के प्रमुख से मुलाकात की और युद्धविराम समझौते के लिए तीन अहम शर्ते रखी हैं।
फ़िलस्तीनी संगठन हमास के प्रवक्ता ने अलजज़ीरा मुबाशिर चैनल को बताया कि हमास ने युद्धविराम वार्ता जारी रखने के लिए तीन मुख्य शर्तें रखी हैं
बंदियों का आदान-प्रदान ,ग़ाज़ा से इसरायली क़ब्ज़ा करने वाली सेनाओं की पूरी तरह वापसी,इसरायल की ओर से युद्ध दोबारा शुरू न करने की प्रतिबद्धता उन्होंने स्पष्ट किया कि मध्यस्थों के साथ दूसरी चरण की वार्ता शुरू करने को लेकर बातचीत जारी है, और आने वाले दिनों में कूटनीतिक गतिविधियों में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
साथ ही हमास के प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र की योजना को स्वीकार कर लिया है जिसमें एक स्वतंत्र फ़िलस्तीनी शख्सियतों वाली जन समर्थन समिति बनाई जाएगी जो ग़ाज़ा का प्रशासन संभालेगी।
यह समिति तब तक ग़ाज़ा का प्रबंधन करेगी जब तक फ़लस्तीनी गुट अपने आपसी मतभेदों को हल नहीं कर लेते और संसदीय एवं राष्ट्रपति चुनाव नहीं हो जाते।
ग़ौरतलब है कि इस योजना का इसरायली शासन, अमेरिका और फ़िलस्तीनी अथॉरिटी ने विरोध किया है।
इसी बीच, इसरायली चैनल 12 ने दावा किया है कि हमास ने युद्धविराम की मौजूदा स्थिति को बढ़ाने पर सहमति जताई है और आगामी हफ्तों में युद्ध फिर से शुरू होने की संभावना नहीं है।
ऐसा क्या हुआ कि अमेरिका, हमास से बातचीत को तैयार हो गया?
राजनीतिक विशेषज्ञों और विश्लेषकों ने फिलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के साथ बातचीत के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले का विश्लेषण किया।
इस्राईली मुद्दों के विशेषज्ञ "फ़ेरास याग़ी" ने अमेरिका और हमास के बीच सीधी बातचीत का ज़िक्र करते हुए इसे ट्रम्प प्रशासन के दृढ़ विश्वास का परिणाम क़रार दिया कि सीधी बातचीत से क़ैदियों की रिहाई में तेजी आएगी और यह क्षेत्र में व्यापक योजनाओं की प्रस्तावना है।
दूसरी ओर, एक अन्य फ़िलिस्तीनी विश्लेषक "हसन लाफ़ी" ने कहा: हमास के साथ अमेरिकी बातचीत के दो नकारात्मक और सकारात्मक पहलू हैं।
इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि ट्रम्प प्रशासन इस बात को लेकर आश्वस्त है कि हमास के बिना क़ैदियों की समस्या का समाधान संभव नहीं है और यह नेतन्याहू के सैन्य दबाव की हार जैसा है।
उनके अनुसार, नकारात्मक पहलू युद्ध रोकने की प्रतिबद्धता दिए बिना, अधिक कैदियों को रिहा करने की हमास के ख़िलाफ़ अमेरिकी चाल है।
फ़िलिस्तीन के राजनीतिक विश्लेषक अय्याद अल-क़रा ने कहा कि हमास के साथ अमेरिकी वार्ता एक व्यापक बातचीत शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण क़दम है जो क़ैदियों के मुद्दे से परे है और ग़ज़ा में युद्ध को रोकने और क़ब्ज़ा करने वालों को अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए मजबूर करने की संभावना की ओर ले जाती है।
उन्होंने कहा: ये वार्ताएं इज़राइली क़ब्ज़े में वाशिंगटन के विश्वास में गिरावट और हमास पर क़ाबू पाने या इसे राजनीतिक रूप से हाशिए पर डालने में उनकी नाकामी को ज़ाहिर करती हैं।
इस दौरान; अरब जगत के एक प्रमुख विश्लेषक अब्दुल बारी अतवान ने कहा, अरब मध्यस्थों के माध्यम से डोनल्ड ट्रम्प का बातचीत का रुख़, हमास के लिए शर्तें तय करने में सरकार और उनके दूत की निराशा का नतीजा है।
इस संबंध में इज़राइली टीवी चैनल "i24" ने भी हमास के ख़िलाफ़ डोनल्ड ट्रम्प और बेन्यामीन नेतन्याहू की निराधार धमकियों की ओर इशारा किया और कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति और ज़ायोनी प्रधानमंत्री अपनी धमकियों पर अमल करने में सक्षम नहीं हैं और अब हमास के साथ दोस्ती की कोशिश कर रहे हैं।
ग़ज़ा में युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त करने में नेतन्याहू की असमर्थता को जारी रखते हुए, अमेरिका और हमास के बीच सीधी बातचीत के बाद, ज़ायोनी शासन के चैनल 13 ने कुछ ज़ायोनी अधिकारियों के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा है कि: यदि डोनल्ड ट्रम्प हमास के साथ एक समझौते पर पहुंचते हैं, तो बेंजामिन नेतन्याहू के लिए इसका विरोध करना बहुत मुश्किल होगा और अमेरिकी इस पर कार्रवाई करेंगे।
इस बीच, फिलिस्तीन का इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन "हमास" अपनी सभी मांगों पर अमल किए जाने पर जोर दे रहा है जिसमें कैदियों की अदला-बदली, ग़ज़ा से क़ाब्ज़ि सेनाओं की पूर्ण वापसी और वार्ता जारी रखने के लिए युद्ध फिर से शुरू न करने की ज़ायोनी शासन की प्रतिबद्धता शामिल है।
इस्लाम औरत को सम्मान की नज़र से देखता है
इस्लाम में औरत को एक माँ, बेटी, बहन और पत्नी के रूप में विशेष दर्जा दिया गया है। कुरआन और हदीस में महिलाओं के अधिकार, सम्मान और सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया है,इस्लाम औरत को सम्मान की नज़र से देखता है।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,इस्लाम में औरत को एक माँ, बेटी, बहन और पत्नी के रूप में विशेष दर्जा दिया गया है। कुरआन और हदीस में महिलाओं के अधिकार, सम्मान और सुरक्षा पर ज़ोर दिया गया है,इस्लाम औरत को सम्मान की नज़र से देखता है।
इस्लाम चाहता है कि औरत में इतनी इज़्ज़त और शान रहे कि उसे इस बात की तनिक भी परवाह न हो कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं। यानी औरत में आत्म-सम्मान ऐसा हो कि उसे इस बात की परवाह नहीं होनी चाहिए कि कोई मर्द उसे देख रहा है या नहीं देख रहा है।
यह स्थिति कहाँ और यह बात कहाँ कि औरत अपना लेबास, अपना श्रंगार, अपनी चाल और अपने बातचीत के अंदाज़ को किस तरह का अपनाए कि लोग उसे देखें?ग़ौर कीजिए इन दोनों बातों में कितना अंतर है!
इस्राईल द्वारा किये जा रहे नस्ली सफ़ाये में ब्रिटेन उसका सहयोगी
सोशल साइट X के एक यूज़कर्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता ने ब्रिटेन को ग़ज़ा पट्टी में इस्राईल द्वारा किये जा रहे अपराधों में उसका भागीदार बताया है।
सोशल साइट X के एक यूज़कर्ता और राजनीतिक कार्यकर्ता जेर्मी कोर्बिन ने इस्राईल द्वारा ग़ज़ा पर किये गये हमले का उल्लेख किया है।
उन्होंने लिखा कि वह ब्रिटेन द्वारा ग़ज़ा पट्टी में निभाई जा रही भूमिका व योगदान के बारे में स्वतंत्र और एक पूर्णरूप जांच कराये जाने के इच्छुक हैं। उन्होंने लिखा कि हमारी सरकार नस्ली सफ़ाये में इस्राईल की भागीदार है और हम उसके समस्त पहलुओं व आयामों को जानने का अधिकार रखते हैं।
टैरिफ़ युद्ध में कोई पक्ष विजेता नहीं है
सोशल साइट X के एक अन्य यूज़कर्ता एलेक्स कोल ने ट्रम्प के टैरिफ़ युद्ध की उपमा गड्ढा खोदने से दी है।
उन्होंने ट्रम्प को संबोधित करते हुए लिखा कि हे मूर्ख कमीने, उस गड्ढे का खोदना जारी रख और वह भी यह काम जारी रखेगा। कोई भी टैरिफ़ युद्ध में विजयी नहीं होगा।
नैटो, जूलानी सरकार के कृत्यों का अस्ली कारण व ज़िम्मेदार
सोशल साइट X के एक अन्य यूज़र जैक्सन हिंकल ने इस समय सीरिया में होने वाली लड़ाइयां और जूलानी सरकार के तत्वों द्वारा अलवियों के आम नागरिकों के मारे जाने की ओर संकेत किया और लिखा कि सीरिया में आतंकवादी अकारण ही आम लोगों के मकानों पर हमले कर रहे हैं! यह वही चीज़ है जिसका ज़िम्मेदार नैटो है।
तुर्किये और क़तर 14 साल से सीरिया को बर्बाद व ख़त्म करने की चेष्टा में थे .
इसराइल ने ग़ाज़ा में बिजली सप्लाई काट दिया
इसरायल के ऊर्जा मंत्रालय ने ग़ज़ा पट्टी को दी जाने वाली बिजली आपूर्ति को रोकने का आदेश जारी कर दिया।
इसरायल के ऊर्जा और राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा मंत्री इसरायल काट्ज़ ने घोषणा की है कि उन्होंने इज़रायल इलेक्ट्रिसिटी कंपनी को ग़ज़ा को बिजली आपूर्ति बंद करने का निर्देश दिया है उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है,मैंने एक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत इसरायल इलेक्ट्रिसिटी कंपनी को ग़ज़ा पट्टी में बिजली आपूर्ति रोकने का निर्देश दिया है।
शनिवार को ग़ाज़ा पट्टी से इतिहास में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर रॉकेट हमला किया गया। इसरायली सेना के अनुसार, तीन हज़ार से अधिक रॉकेट इसरायल की ओर दागे गए, और दर्जनों लड़ाके इसरायली सीमा क्षेत्रों में घुस गए। इस हमले के जवाब में इसरायल ने पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया और सैनिकों ने सीमावर्ती इलाकों को सुरक्षित करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी।
हामास की सैन्य शाखा क़सम ब्रिगेड्स, ने घोषणा की कि उसने इसरायल पर 5000 से अधिक रॉकेट दागे हैं। इसके जवाब में, इसरायली सेना ने आयरन स्वॉर्ड्स ऑपरेशन की शुरुआत की और ग़ज़ा में हमास के ठिकानों पर बड़े पैमाने पर हमले किए।
इसरायल के रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने कहा कि देशभर में सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है और बड़ी संख्या में रिज़र्व सैनिकों को तैनात किया जा रहा है।
इयाल ज़मीर: "2025 युद्ध का वर्ष है"
ज़ायोनी शासन के युद्धमंत्री ने सीरिया में खूनी संघर्ष की छाया में इस स्थिति का राजनीतिक इस्तेमाल करने की कोशिश की है।
ज़ायोनी शासन के युद्धमंत्री इज़राइल काट्ज़ ने कल सीरिया में मौजूदा घटनाक्रम के जवाब में कहा: अल-जूलानी ने आधिकारिक कपड़े पहनकर एक उदारवादी चेहरा दिखाया था, लेकिन अब उनके चेहरे से नक़ाब उतर गयी है।
काट्ज़ ने सीरिया में सरकार बदलने के बाद से ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े के विस्तार को उचित ठहराते हुए दावा किया: इज़राइल खुद को सीरिया के खतरों से बचाता है, और हमारी सेनाएं हरमून हाइट्स सहित सीरियाई क्षेत्रों में रहेंगी और गोलान और अल-जलील हाइट्स की रक्षा करेंगी।
दूसरी ओर, इज़राइल के अत्यंत कट्टरपंथी और युद्धप्रेमी तथा और इज़राइल के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ ईयाल ज़मीर ने अपने युद्धोन्मादी बयानों में दावा किया: यह वर्ष ग़ज़ा और ईरान पर ध्यान केंद्रित करने के साथ युद्ध का वर्ष होगा।
उधर ग़ज़ा के मुद्दे पर इज़राइली विदेशमंत्री गैदिउन सार ने गंभीर घेराबंदी और मानवीय सहायता रद्द किए जाने के बीच ग़ज़ापट्टी में फिर से अकाल के खतरे के बारे में संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतरराष्ट्रीय संगठनों की चेतावनियों को खारिज कर दिया।
शनिवार को सार ने दावा किया कि वह इन चेतावनियों को केवल झूठ मानते हैं। उन्होंने दावा किया कि ज़ायोनी शासन पर मानवीय सहायता भेजने का कोई दायित्व नहीं है।
अमेरिका की हरकतें और वाशिंगटन का व्यवहार भी अन्य विषय हैं जिन पर मक़बूज़ा क्षेत्रों के अंदर अभी भी शोर है।
पिछले कुछ समय से ज़ायोनी शासन और अमेरिका के बीच संबंधों के प्रकार को लेकर समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष की खबरें आती रही हैं। इस संदर्भ में ज़ायोनी शासन की कैबिनेट के विपक्ष के प्रमुख "याईर लैपिड" ने कहा कि अमेरिका, इज़राइली कैबिनेट की कमजोरी के कारण हमास के साथ बातचीत कर रहा है क्योंकि उसे अपने नागरिकों के जीवन की चिंता है।
बेशक, इज़राइल और अमेरिका के बीच अनौपचारिक बातचीत में, यह भी बताया गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के सलाहकार और उनके दामाद के पिता मासाद बोलुस ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में अपने घर पर वेस्ट बैंक के ज़ायोनी निवासियों के प्रमुख "योसी डेगन" से मुलाकात की और ज़ायोनी शासन के लिए अपने समर्थन पर ज़ोर दिया।
इस बैठक के दौरान, बोलुस ने डेगन से कहा: इज़राइल और लेबनान में अपने भाइयों और बहनों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना मेरे लिए सम्मान की बात है।
अमेरिका से बातचीत समय की बर्बादी है
ख़ुरासान-ए-शुमाली के विलायत फ़क़ीह के प्रतिनिधि और इमाम ए जुमआ ने कहा कि अमेरिका फिरऔनी और नमरूदी सोच रखता है और ऐसे देश के साथ बातचीत करना समय की बर्बादी है।
ख़ुरासान-ए-शुमाली के विलायत फ़क़ीह के प्रतिनिधि और इमाम ए जुमआ ने कहा कि अमेरिका फिरऔनी और नमरूदी सोच रखता है और ऐसे देश के साथ बातचीत करना समय की बर्बादी है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रज़ा नूरी ने नमाज़-ए-जुमा के खुतबे में कहा,हज़रत इमाम ख़ुमैनी र.ह. और रहबर-ए-मुअज़्ज़म (अयतुल्लाह ख़ामेनेई) ने हमेशा इस्लामी ईरान की इज़्ज़त को दुनिया में बरक़रार रखने की कोशिश की है और दुश्मनों की ज़्यादती का ठोस जवाब दिया है।
उन्होंने कहा कि आज इस्तेकबारी (साम्राज्यवादी) ताक़तें हमारे संसाधनों को लूटने, हमारे देश को तबाह करने और हमारे धार्मिक विचारों को मिटाने के प्रयास में हैं।
उन्होंने आगे कहा,जब भी हमने बातचीत का रास्ता अपनाया और विश्वास बहाली की कोशिश की हमारे खिलाफ और अधिक प्रतिबंध लगा दिए गए।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन रज़ा नूरी ने कहा कि रहबर-ए-मुअज़्ज़म ने फ़रमाया कि हमारा तजुर्बा बताता है कि अमेरिका से बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अमेरिका अपने सहयोगी देशों जैसे कनाडा के साथ भी सही व्यवहार नहीं करता।
बज़नुर्द के इमाम-जुमआ ने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा ईरान से बातचीत की पेशकश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,यह साफ़ ज़ाहिर है कि अमेरिका झूठ बोल रहा है, उसकी नीयत नेक नहीं है और उसका असली मकसद हमारे मुल्क को कमज़ोर करना है।
उन्होंने कहा,मैं इस पाक महीने में अधिकारियों और जनता से अपील करता हूँ कि वे एकता और हमदर्दी के साथ तरक्की और बुलंदी की राह पर आगे बढ़ें।उन्होंने आगे कहा,हज़रत ख़दीजा (स.अ.) ने नबी-ए-अकरम (स.अ.) के साथ मज़बूती से खड़े होकर उनके मिशन का रास्ता आसान बनाया।
इत्रे क़ुरआन (5) हिदायत के बाद रसूले खुदा (स) से असहमति और उसके परिणाम
यह आयत स्पष्ट करती है कि पैग़म्बर (स) के मार्गदर्शन से दूर हो जाना और ईमान वालों के मार्ग से भटक जाना विनाश का अंत है। अल्लाह तआला ऐसे व्यक्ति को उसी रास्ते पर छोड़ देता है जिसे उसने स्वयं चुना था, और अन्ततः वह नरक का पात्र बन जाता है। इसलिए, अल्लाह के रसूल (स) की आज्ञा का पालन करना और ईमान वालों के मार्ग पर चलना ही मोक्ष का एकमात्र साधन है।
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
وَمَنْ يُشَاقِقِ الرَّسُولَ مِنْ بَعْدِ مَا تَبَيَّنَ لَهُ الْهُدَىٰ وَيَتَّبِعْ غَيْرَ سَبِيلِ الْمُؤْمِنِينَ نُوَلِّهِ مَا تَوَلَّىٰ وَنُصْلِهِ جَهَنَّمَ ۖ وَسَاءَتْ مَصِيرًا. व मय युशाक़ेक़िर रसूला मिन बादे मा तबय्यना लहुल हुदा व यत्तबिग़ ग़ैरा सबीलिल मोमेनीना नवल्लेहि व नुसलेहि जहन्नमा व साआतुम मसीरा (नेसा 115)
अनुवाद: और जो शख्स रसूल से झगड़ने लगे, इसके बाद कि उस पर हिदायत खुल चुकी हो और ईमान वालों के रास्ते के अलावा किसी और रास्ते पर चले, तो हम उसे फिर उसी रास्ते पर फेर देंगे जिस पर वह फिर गया था और उसे जहन्नम में डाल देंगे, जो सबसे बुरी जगह है।
विषय:
यह आयत अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के प्रति विरोध, ईमान वालों के मार्ग से भटकाव और उसके परिणामों पर प्रकाश डालती है।
पृष्ठभूमि:
यह आयत सूरह अन-निसा से ली गई है, जो मदनी काल में अवतरित हुई थी। इसमें इस्लामी समाज, नियमों और पाखंडियों की भूमिका पर चर्चा की गई है। आयत 115 में विशेष रूप से उन लोगों का उल्लेख किया गया है जो सत्य स्पष्ट होने के बावजूद अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का विरोध करते हैं और ईमान वालों के मार्ग के अलावा कोई दूसरा मार्ग अपनाते हैं।
तफ़सीर:
सत्य और मार्गदर्शन स्पष्ट हो जाने के बाद, हठ और शत्रुता के कारण अल्लाह के रसूल (स) के आदेश का विरोध करना, तथा रसूल (स) की आज्ञाकारिता में ईमान वालों द्वारा अपनाए गए मार्ग के अलावा अपनी इच्छाओं के अनुसार दूसरा मार्ग खोजना, कुफ़्र और पथभ्रष्टता की निशानी है। यहां दो मुद्दे ध्यान देने योग्य हैं:
मैं। [व यत्तबिग ग़ैरा सबीलिल मोमेनीना] अर्थात् वह ईमान वालों का मार्ग छोड़कर किसी अन्य मार्ग पर चलता है। इस वाक्य में, कुछ टिप्पणीकारों ने तर्क दिया है कि सर्वसम्मति एक तर्क है कि जब विश्वासी एक मुद्दे पर सर्वसम्मति से एक रास्ता चुनते हैं, तो दूसरों के लिए उस सर्वसम्मति का पालन करना अनिवार्य है।
तथ्य यह है कि इस आयत का किसी इज्माअ से कोई संबंध नहीं है, बल्कि इसमें रसूल (स) की आज्ञाकारिता और विरोध न करने का उल्लेख है। इसका उद्देश्य यह बताना है कि जो कोई भी व्यक्ति अल्लाह के रसूल (स) का विरोध न करने और उनका अनुसरण करने में ईमान वालों द्वारा अपनाए गए दृष्टिकोण से भिन्न दृष्टिकोण अपनाता है, वह नरक में जाने वाला व्यक्ति है। जबकि इज्माअ विश्वासियों के अपने व्यवहार से संबंधित है।
द्वितीय. [नोवल्लेहि मा तवल्ला] इस वाक्य से यह स्पष्ट हो जाता है कि जबरदस्ती का सिद्धांत झूठा है। मनुष्य अपने कार्यों में स्वतंत्र है और किसी भी प्रकार का दबाव उस पर नियंत्रण नहीं करता। इस वाक्य पर [तफ़सीर अल-मनार] के लेखक की टिप्पणी, अशरी के जबरदस्ती के सिद्धांत की अमान्यता पर पढ़ने लायक है।
महत्वपूर्ण बिंदू:
- जो कोई रसूल का विरोध करेगा अल्लाह उसे उसके हाल पर छोड़ देगा: [वह उसे उसके हाल पर छोड़ देगा]...
- जिस किसी को अल्लाह अपने हाल पर छोड़ दे, उसके लिए यही बड़ी सज़ा है: [और उसका भाग्य बहुत बुरा है]...
परिणाम:
यह आयत स्पष्ट करती है कि पैगम्बर (स) के मार्गदर्शन से विमुख होना तथा ईमान वालों के मार्ग से भटक जाना विनाश का अंत है। अल्लाह तआला ऐसे व्यक्ति को उसी रास्ते पर छोड़ देता है जिसे उसने स्वयं चुना था, और अन्ततः वह नरक का पात्र बन जाता है। इसलिए, अल्लाह के रसूल (स) की आज्ञा का पालन करना और ईमान वालों के मार्ग पर चलना ही मोक्ष का एकमात्र साधन है।
सूर ए नेसा की तफ़सीर
हम्द का अर्थ और उसका सही इस्तेमाल
हम्द' का मतलब किसी इंसान या किसी वजूद की तारीफ़ करना किसी ऐसे अमल या ख़ूबी की वजह से जिसे उसने अपने अख़्तियार से अंजाम दिया हो।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,(अलहम्दो लिल्लाहे रब्बिल आलमीन) इसमें 'हम्द' का मतलब किसी इंसान या किसी वजूद की तारीफ़ करना किसी ऐसे अमल या ख़ूबी की वजह से जिसे उसने अपने अख़्तियार से अंजाम दिया हो।
अगर किसी में कोई ख़ुसूसियत हो लेकिन वह उसके अख़्तियार से न हो तो उसके लिए हम्द शब्द इस्तेमाल नहीं होता..मिसाल के तौर पर अगर हम किसी की ख़ूबसूरती की तारीफ़ करना चाहें, तो अरबी में उसके लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन किसी शख़्स की बहादुरी के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है।
किसी की दानशीलता की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है, किसी के भले काम की तारीफ़ के लिए हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है या उसकी किसी ऐसी ख़ूबी की तारीफ़ के लिए जो उसने अख़्तियार से अपने भीतर पैदा की है।
हम्द शब्द का इस्तेमाल हो सकता है..अलहम्द का मतलब हर तरह की तारीफ़ अल्लाह से विशेष है। यह जुमला जो बात हमको समझाना चाहता है, यह है कि उन सभी भलाइयों, उन सभी ख़ूबसूरतियों, उन सभी चीज़ों जिनके लिए हम्द की जा सकती है, सब अल्लाह से विशेष हैं..