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हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने इमामे ज़माना अलैहिस्सलाम के हवाले से कुछ इस तरीके से फरमाया वह कौन सा राज़ है जिसके तहत इमाम ज़माना अ.स.को छिपा कर रखा गया हैं।

नजफ अशरफ के केंद्रीय कार्यालय से हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने फरमाया,मारेफ़ते इमाम ए ज़माना अ.ज.के बारे में ,सवाल, वह कौन सा राज़ है जिसके तहत इमाम अ.ज.को छिपा कर रखा गया हैं हालाँकि अल्लाह इमाम अ.ज. की हिफ़ाज़त किसी और तरीक़े से कर सकता है?

 उत्तर: यह एक अजीब सवाल है अल्लाह ताला के लिए हज़रत मूसा अ.स. की हिफ़ाज़त करना मुमकिन था लेकिन इसके बावजूद अल्लाह ताला ने उन्हें छिपा कर उनकी हिफ़ाज़त की इसी तरह ख़ोदा चाहता तो हज़रत ईसा अ.स. को ज़मीन पर ही हत्या से महफ़ुज़ रख सकता था लेकिन अल्लाह ताला ने उनकी हेफ़ाज़त की उन्हें आसमान में छिपा कर अल्लाह ताला से उसके  काम के बारे में सवाल नहीं किया जाता है।

40 से अधिक वर्षो का अनुभव रखने वाले और हौज़ा तथा अल मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मे लंबे समय से शैक्षिक और प्रचार कार्यो मे सक्रिय हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अली रहमानी सबज़वारी, ने इस्लामी क्रांति की विजय की सालगिरह के मौके पर उन दिनों की यादों और इमाम ख़ुमैनी (र) के प्रचार के रहस्यों को साझा किया, जिनसे उन्होंने लोगों को सबसे बड़ी क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

40 से अधिक वर्षो का अनुभव रखने वाले और हौज़ा तथा अल मुस्तफ़ा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी मे लंबे समय से शैक्षिक और प्रचार कार्यो मे सक्रिय हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अली रहमानी सबज़वारी, ने इस्लामी क्रांति की विजय की सालगिरह के मौके पर उन दिनों की यादों और इमाम ख़ुमैनी (र) के प्रचार के रहस्यों को साझा किया, जिनसे उन्होंने लोगों को सबसे बड़ी क्रांति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।

नीचे उनके विचारों का सारांश दिया गया है:

"अगर सूरज न हो तो हम काले और सफेद में कोई अंतर नहीं देख सकते। लेकिन सूरज की रोशनी से हम प्राकृतिक दुनिया की विविधताओं को देख सकते हैं। इसी तरह, आध्यात्मिक और आंतरिक दुनिया में, सत्य और असत्य, अच्छाई और बुराई को हम समझते हैं।"

"आध्यात्मिक दृष्टि से, अगर दिल पर रौशनी न हो तो हम सही और गलत का अंतर नहीं पहचान सकते। यह रौशनी, जो दिलों को प्रकाशित करती है, वह रौशनी हज़रत मुहम्मद (स) की है। वह सत्य को रौशन करते हैं। जो व्यक्ति इस रौशनी से वंचित है, उसका आंतरिक दृष्टिकोण अंधा है।"

"कुछ लोग सत्य और अच्छाई को बुराई से अलग नहीं कर पाते। हज़रत मुहम्मद (स) का नूर ऐसा है कि यदि यह किसी के दिल पर पड़े, तो वह फिर कभी भटकता नहीं। यह नूर सभी पैगंबरों से पहले है, और यह मार्गदर्शन करता है कि लोग सत्य की ओर आएं।"

"इमाम ख़ुमैनी (र) की प्रभावशीलता व्यक्तिगत, सामाजिक और वैश्विक स्तर पर थी। उनका प्रभाव समय और स्थान की सीमाओं से परे था। उनका प्रभाव दिलों और दिमागों पर था, और उन्होंने सही शिक्षा और नैतिकता के साथ लोगों के दिलों को प्रभावित किया।"

"क्रांति से पहले, ईरान में केवल कुछ सीमित संसाधन थे, लेकिन इस्लामी क्रांति ने ईरान को विकास और समृद्धि की दिशा में अग्रसर किया। क्रांति के बाद ईरान में बिजली, गैस, सड़कों और कई अन्य सुविधाओं का विस्तार हुआ। पहले, शाह के शासन में, लोगों का जीवन बहुत कठिन था और बाहरी शक्तियाँ देश की अर्थव्यवस्था और संसाधनों पर नियंत्रण रखती थीं।"

"इमाम ख़ुमैनी (र) का तरीका लोगों को जागरूक करने में बहुत प्रभावी था, और उन्होंने अपनी क्रांति को व्यक्तिगत से लेकर सामाजिक और फिर राष्ट्रीय स्तर तक फैलाया। उनका तरीका वही था जो हज़रत मुहम्मद (स) ने मक्का और मदीना में अपनाया था।"

"हमारे पास इमाम ख़ुमैनी (र) जैसे नेतृत्व थे, जो धीरे-धीरे क्रांति की विचारधारा को फैलाते गए, और यह क्रांति मराज ए तक़लीद (धार्मिक विद्वानों) द्वारा पूरी तरह से समर्थित थी।"

"मैंने 1967 ई में तालीम शुरू की और 1972 ई में क़ुम में आकर इमाम ख़ुमैनी (र) के विचारों को समझने का मौका पाया। उन दिनों में हम उनके संदेशों को समझते हुए इंकलाबी विचारधारा को फैलाते थे। जब इमाम क़ुम लौटे, तो हम उनके स्वागत में गए थे, और उस दिन हम सभी बहुत चिंतित थे क्योंकि दुश्मन उनके विमान को गिरा सकते थे। लेकिन जैसे ही इमाम क़ुम पहुंचे, लोगों ने ‘इस्लामी क्रांति ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए, और फिर क्रांति ने जीत हासिल की।"

"इमाम ख़ुमैनी (र) के प्रभाव और नेतृत्व ने न केवल ईरान, बल्कि दुनिया भर के लोगों को जागरूक किया और इस्लामी क्रांति के सिद्धांतों को फैलाया।"

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि ईरानी राष्ट्र कभी भी विदेशियों के सामने नहीं झुकेगा, कहा: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प अगर बातचीत की कोशि में हैं, तो उन्होंने ये गलतियां क्यों कीं?

ईरान के राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने सोमवार को इस्लामिक क्रांति की सफलता की 46वीं वर्षगांठ पर इस बात पर ज़ोर दिया कि ईरान, गुंडागर्दी और ज़ोरज़बरदस्ती के ख़िलाफ पूरी ताकत से खड़ा है और वरिष्ठ नेता इमाम ख़ामेनेई के नेतृत्व में साजिशों के ख़िलाफ़ डटा रहेगा।

उनका कहना था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प बातचीत की बात करते हैं, लेकिन साथ ही वह ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों और साज़िशों के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर भी कर रहे हैं ।

राष्ट्रपति ने यह कहते हुए कि अमेरिका शांति प्रिय होने का दावा करता है, कहा: इस क्षेत्र की शांति किसने भंग की? इस क्षेत्र और ग़ज़ा में हत्या और विनाश का कारण कौन है? दुनिया का कौन सा स्वतंत्र व्यक्ति यह स्वीकार करता है कि आप महिलाओं, बच्चों और बीमारों पर बम बरसाते रहें?

राष्ट्रपति ने कहा कि हम कभी भी विदेशियों के सामने नहीं झुकेंगे। उन्होंने कहा कि दुश्मन ईरान पर हमला करने की अपनी इच्छा दफ़न कर दें।

राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने कहा: 22 बहमन अल्लाह का दिन है, क्योंकि ईरान के सभी लोग बिना किसी भेदभाव के मैदान में उतरे और अपनी ताकत, एकजुटता और एकता के बल पर विदेशियों के हाथ काट दिये और अत्याचारियों को देश से बाहर निकाल दिया।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति ने कहा: हम युद्ध की कोशिश में नहीं हैं, यह ज़ायोनी शासन था जिसने ईरान में नई सरकार की गतिविधियों के पहले ही दिन तेहरान में हमास आंदोलन के प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या कर दी थी।

राष्ट्रपति ने कहा, ये खुद आतंकवादी हैं और फिर हमें आतंकवादी कहते हैं। उन्होंने ईरान में कई लोगों की हत्या की, हम आतंक के शिकार हैं।

ईरान के राष्ट्रपति ने कहा: ट्रम्प का दावा है कि ईरान ने क्षेत्र की सुरक्षा बिगाड़ दी है जबकि अमेरिका के समर्थन से इज़राइल असुरक्षा का मुख्य कारण है और ग़ज़ा, लेबनान, सीरिया, ईरान और जहां भी वह चाहता है वहां के मज़लूमों पर बमबारी करता है।

इस्लामी क्रांति की सालगिरह के मौके पर क़ुम के लोगों ने 22 बहमन की रैली में भरपूर और व्यापक रूप से भाग लेकर क्रांति और इस्लामी व्यवस्था के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

एक रिपोर्ट के अनुसार , इस्लामी क्रांति की सालगिरह के अवसर पर क़म के लोगों ने 22 बहमन की रैली में भरपूर और व्यापक रूप से भाग लेकर क्रांति और इस्लामी व्यवस्था के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

रैली में शामिल लोग ईरान के झंडे और क्रांतिकारी नारों वाले बैनर हाथ में लिए हुए मुख्य रास्ते पर चल रहे थे इस मौके पर युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों की भारी भागीदारी ने एकता और अखंडता का दृश्य प्रस्तुत किया।

यह रैली हर साल इस्लामी क्रांति की सालगिरह पर पूरे ईरान में आयोजित की जाती है और क़म, जो एक महत्वपूर्ण धार्मिक और क्रांतिकारी शहर है यहाँ हमेशा जनता की बड़ी संख्या में भागीदारी होती है।

 प्रसारित की गई तस्वीरें और वीडियो क़म के लोगों की इमाम ख़ुमैनी र.ह. और रहबर मुअज्जम क्रांति के प्रति श्रद्धा और वफादारी को दर्शाती हैं।भागीदारों ने मर्ग बर अमरीका मर्ग बर इस्राइल और "इस्तेक़लाल, आज़ादी, जुम्हूरी इस्लामी" जैसे नारे लगाकर इस्लामी व्यवस्था और क्रांतिकारी दृष्टिकोण का समर्थन किया।

यह भव्य रैली एक बार फिर इस तथ्य को उजागर करती है कि ईरानी जनता एकता और अखंडता के साथ दुश्मनों की हर साजिश का सामना कर रही है और इस्लामी क्रांति के उद्देश्यों की रक्षा कर रही है।

 

ईरान में आज, 10 फरवरी 2025 को, इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई जा रही है इस आजादी के मौके पर बुजुर्ग बच्चे महिलाएं बड़े उत्साह और जोश के साथ शामिल हो रहे हैं।

ईरान में आज, 10 फरवरी 2025 को, इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई जा रही है इस आजादी के मौके पर बुजुर्ग बच्चे महिलाएं बड़े उत्साह और जोश के साथ शामिल हो रहे हैं।

1979 में हुई इस क्रांति ने देश में कई वर्षों से चली आ रही राजशाही शासन व्यवस्था को समाप्त कर दिया था जिसके परिणामस्वरूप ईरान एक इस्लामी गणराज्य बना।

इस अवसर पर, पूरे देश में दस दिवसीय अशर ए फज्र समारोह आयोजित किए जा रहे हैं जो 1 फरवरी से शुरू होकर 11 फरवरी तक चलते रहे। इन समारोहों में विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रम शामिल हैं, जिनमें परेड, प्रदर्शनी, और विशेष प्रार्थनाएं शामिल हैं।

इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, ईरान ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित किया है, जिनमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, और रक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति शामिल है। इन उपलब्धियों ने देश की स्वायत्तता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर ईरान के नागरिक अपने देश की स्वतंत्रता, संप्रभुता, और इस्लामी क्रांति के आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं, और आने वाले वर्षों में और भी प्रगति की आशा करते हैं।

इस खुशी के अवसर पर हम अपनी हौजा न्यूज़ एजेंसी की पूरी टीम की तरफ से सभी लोगों की खिदमत में बधाई पेश करते हैं।

हौज़ा ए इल्मिया की शोधकर्ता और शिक्षका ने कहा: 22 बहमन की रैली में पूरे राष्ट्र की व्यापक भागीदारी इस्लामी क्रांति के सभी महान शहीदों से नये सिरे से वचनबद्धता का प्रतीक है।

नरजिस शकरज़ादे ने ख़बरगुज़ारी हौज़ा के संवाददाता से बातचीत में कहा कि ईरानी जनता कल की रैली में एक बार फिर यह साबित करेगी कि वह अपने देश की उन्नति और इस्लामी क्रांति की सच्चाई की रक्षा के मार्ग पर पूरी ताकत के साथ डटी हुई है।

उन्होंने कहा, 22 बहमन की रैली में जनता विशेष रूप से युवाओं की व्यापक भागीदारी इस बात का संकेत है कि हम अपनी क्रांति के साथ खड़े हैं और अमेरिका तथा पश्चिमी ताकतों की धमकियों व प्रतिबंधों से प्रभावित नहीं होते।

उन्होंने आगे कहा कि हालांकि कुछ प्रशासनिक अव्यवस्थाओं के कारण आर्थिक हालात ने जनता पर दबाव बढ़ाया है फिर भी लोग यह समझते हैं कि अमेरिका से वार्ता और समझौता देश की समस्याओं का हल नहीं है। समस्याओं का समाधान सही योजनाओं, उचित प्रबंधन और देशी संसाधनों के उचित उपयोग में निहित है।

शकरज़ादे ने जोर देकर कहा कि 22 बहमन की रैली में भाग लेना इस्लामी क्रांति के सभी शहीदों से नये सिरे से वचनबद्धता का प्रतीक है।उन्होंने कहा 22 बहमन जनता के लिए अपने दुश्मनों के खिलाफ संघर्ष के मैदान में उतरने का सही अवसर है क्योंकि यह ऐतिहासिक रैली वस्तुत दुश्मनों के खिलाफ एक "सॉफ़्ट वॉर" का मोर्चा है।

इस दिन जनता क्रांति की सफलता का जश्न मनाते हुए विशेष रूप से इमाम ख़ुमैनी र.ह.और महान शहीदों के आदर्शों के प्रति अपनी निष्ठा दोहराती है और सर्वोच्च नेता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दुनिया के सामने प्रस्तुत करती है।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाज़ा पट्टी से फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना की आलोचना करते हुए इसे घोटाला बताया हैं।

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की गाज़ा पट्टी से फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना की आलोचना करते हुए इसे घोटाला बताया हैं।

शोल्ज़ और विपक्षी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन के नेता फ्रेडरिक मर्ज़ ने 23 फरवरी को बुंडेस्टैग चुनावों से पहले रविवार शाम को पहली टेलीविज़न बहस में हिस्सा लिया चर्चा किए गए प्रमुख विषयों में से एक यह था कि ट्रम्प के प्रशासन के तहत जर्मनी को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ कैसे जुड़ना चाहिए।

एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य पूर्व के मुद्दे को संबोधित करते हुए स्कोल्ज़ ने ट्रम्प के गाज़ा प्रस्ताव के प्रति अपने विरोध की पुष्टि की हैं।

शुक्रवार को एक अभियान कार्यक्रम में बोलते हुए स्कोल्ज़ ने अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए कहा,हमें गाजा की आबादी को मिस्र में नहीं बसाना चाहिए और योजना को पूरी तरह से अस्वीकार किया।

रविवार की बहस के दौरान शोल्ज़ ने ट्रम्प से निपटने के लिए अपनी रणनीति को स्पष्ट शब्दों और मैत्रीपूर्ण बातचीत के रूप में वर्णित किया।

मर्ज़ ने ट्रम्प के प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे अमेरिकी प्रशासन के परेशान करने वाले प्रस्तावों की एक श्रृंखला का हिस्सा बताया हालांकि उन्होंने सुझाव दिया कि जर्मनी को यह देखने के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिए कि अमेरिकी सरकार किन योजनाओं को गंभीरता से आगे बढ़ाने का इरादा रखती है।

संभावित अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर शोल्ज़ ने पुष्टि की कि यूरोपीय संघ यदि आवश्यक हो तो एक घंटे के भीतर कार्रवाई करने के लिए तैयार है।

इस बीच मर्ज़ ने यूरोपीय एकता के महत्व पर जोर दिया जिसमें ब्रेक्सिट के बावजूद ब्रिटेन के साथ सहयोग शामिल है चुनौतियों से निपटने के लिए एक आम यूरोपीय रणनीति का आह्वान किया।

 

महाराष्ट्र शिया उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सय्यद मोहम्मद असलम रिज़वी ने कहां,कि आज दीने इस्लाम के नाम पर कुछ लोग नफ़रत फैलाने का काम करते हैं जो सही नहीं है। इस्लाम ने हमेशा भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम दिया है ऐसे में हम लोगों को हज़रत मो. मुस्तफ़ा (स) और अहलेबैत (अ) के बताए हुए रास्ते पर चलने की ज़रूरत है।

जौनपुर; नगर के बलुआघाट स्थित पंजतनी कमेटी के कैम्प कार्यालय में महाराष्ट्र शिया उलेमा बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सै. मो. असलम रिजवी का सदस्यों ने जोरदार स्वागत कर अंगवस्त्रम व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

पुणे से आये मौलाना असलम रिज़वी ने कहा कि समाज को शिक्षित करने से जहां देश विकास करता है वहीं लोगों के जीने का दृष्टिकोण भी बदलता है। ऐसे में हम लोगों को चाहिए कि शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जो भी कदम उठाना पड़े उससे पीछे नहीं हटना चाहिए।

मौलाना असलम रिज़वी ने कहा कि आज दीने इस्लाम के नाम पर कुछ लोग नफ़रत फैलाने का काम करते हैं जो सही नहीं है। इस्लाम ने हमेशा भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम दिया है। ऐसे में हम लोगों को हज़रत मो. मुस्तफ़ा (स) और अहलेबैत (अ) के बताए हुए रास्ते पर चलने की ज़रूरत है।

उन्होंने कहा कि ग़रीब, बेसहारा व मज़लूमों की हमेशा मदद करनी चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म का हो क्योंकि इंसानियत से बड़ा कोई भी धर्म नहीं है। कर्बला में हजरत इमाम हुसैन ने दीने इस्लाम को बचाने के साथ-साथ मानवता की भी रक्षा की थी।

उन्होंने समाज के सभी वर्गों से शिक्षा में योगदान की अपील करते हुए कहा कि शिक्षा के दम पर लोगों के किरदार में निखार आता है तो वहीं देश-दुनिया में शिक्षा के दम पर उनके समाज की भी अलग पहचान बनती है, यही वजह थी कि हजरत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.) ने कहा था कि अगर शिक्षा को हासिल करने के लिए दूर देश भी जाना चाहिए तो पीछे नहीं हटना चाहिए।

इस मौके पर सै. अब्बास सिबतैन सिराजी, यूशा अब्बास, पंजतनी कमेटी के अध्यक्ष शाहिद मेहंदी, उपाध्यक्ष नेहाल हैदर,,अंजुमन हुसैनिया के अध्यक्ष सकलैन हैदर खान कंपू, महासचिव मिर्जा जमील, मिर्जा वकार, अफरोज कमर, मो. कमर सहित अन्य लोग मौजूद रहे। आभार सै. हसनैन कमर दीपू ने प्रकट किया।

आज जर्मन पुलिस ने बर्लिन में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और फिलिस्तीन समर्थक रैली के दौरान उन्हें फिलिस्तीनियों के खिलाफ इज़रायल की नस्लीय सफाई और नरसंहार के लिए नारे लगाने पर रोक दिया।

आज जर्मन पुलिस ने बर्लिन में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया और फिलिस्तीन समर्थक रैली के दौरान उन्हें फिलिस्तीनियों के खिलाफ इज़रायल की नस्लीय सफाई और नरसंहार के लिए नारे लगाने पर रोक दिया।

बर्लिन के वाटेनबर्गप्लात्ज़ मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार को सैकड़ों फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारी एकत्र हुए जिन्होंने वेस्ट बैंक में अत्याचार बंद करो और “इज़रायल को हथियार सप्लाई न करें जैसे नारे लगाए।

फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों के हाथों में झंडे थे जिन पर वेस्ट बैंक में अपना अत्याचार बंद करो”फिलिस्तीन को आज़ाद करो और फिलिस्तीनी बच्चों को बड़े होने का अधिकार है जैसे नारे लिखे हुए थे रैली के दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने अरबी में भाषण भी दिए और इज़रायल के अत्याचारों और अरब संगीत की धुन पर इज़रायल के नरसंहार और अमेरिकी सहायता के खिलाफ नारे भी लगाए।

पुलिस ने अरबी संगीत पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए प्रदर्शनों को रोकने को कहा। पुलिस वाहन के माध्यम से किए गए ऐलान में कहा गया कि अरबी में नारे लगाने और भाषण देने पर प्रतिबंध लगाया गया है और इसकी अवहेलना की वजह से इस प्रदर्शन को यहीं समाप्त हो जाना चाहिए।

अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को आदेश दिया कि वे चौक खाली करें और यहां से चले जाएं लगभग 50 प्रदर्शनकारियों ने चौक छोड़कर जाने से इनकार कर दिया और धरना दिया जिसकी वजह से पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की।

पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में भी लिया प्रदर्शनों से पहले पुलिस ने मार्च के दौरान केवल जर्मन और अंग्रेजी भाषा में नारे लगाने और भाषण देने की अनुमति दी गई थी। लगभग 250 पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद थे जब प्रदर्शन जारी थे।

आंखों के इलाज के इंतजार में बैठे जरूरतमंद मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट, दिल्ली और लाइफलाइन अस्पताल दिल्ली के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिसके तहत आंखों की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित जरूरतमंद मरीजों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

आंखों के इलाज के इंतजार में बैठे जरूरतमंद मरीजों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है। एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट, दिल्ली और लाइफलाइन अस्पताल दिल्ली के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिसके तहत आंखों की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित जरूरतमंद मरीजों को आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

इस समझौते के तहत योग्य मरीजों को आंखों का पूरा इलाज आधुनिक जांच और ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि वे बेहतर और साफ नजर पा सकें। इस योजना का उद्देश्य उन लोगों की मदद करना है जो आर्थिक कठिनाइयों के कारण महंगे इलाज का सामना नहीं कर पाते।

एएमआर मेडिकल एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रवक्ता के अनुसार,यह कदम आंखों के मरीजों के लिए एक आशा की किरण साबित होगा और हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक लोग इस सुविधा का लाभ उठा सकें।

संपर्क करें:

? 99712 76600

यह समझौता आंखों की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए एक दुर्लभ अवसर है, जहां वे कम लागत या मुफ्त में उच्च गुणवत्ता का इलाज प्राप्त कर सकेंगे।