मौलाना सैयद रज़ा हैदर ज़ैदी ने मदारिस ए इल्मिया की मौजूदा स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा,जैसा मेडिकल कॉलेज होगा वैसे ही डॉक्टर तैयार होंगे जैसे मदरसे होंगे वैसे ही उलमा निकलेंगे आज के तलबा कल के उलमा हैं अगर मदारिस की बुनियाद मज़बूत होगी तो बेहतरीन उलमा तैयार होंगे लेकिन अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो लोग शिकायत और शिकवे करते रहेंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ,शाही आसफी मस्जिद में 27 दिसंबर 2024 को जुमा की नमाज़ हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद रज़ा हैदर जैदी की इमामत में अदा की गई वह हौज़ा-ए-इल्मिया हज़रत ग़ुफ़रानमाब लखनऊ के प्रिंसिपल हैं।
तक़वा की नसीहत:
मौलाना रज़ा हैदर जैदी ने नमाज़ियों को तक़वा अपनाने की नसीहत करते हुए कहा,मैं खुद को और आप सभी को तक़वा अपनाने की सलाह देता हूं। तक़वा का होना बहुत ज़रूरी है तक़वा का मतलब है फरायज़ को अदा करना और हराम कामों से बचना अल्लाह से दुआ है कि वह हमें मोहम्मद और उनके अहले-बैत के सदके में तक़वा की नेमत अता करे।
ईद ए ग़दीर की फज़ीलत:
मौलाना ने ईद-ए-ग़दीर की अहमियत बताते हुए कहा,अल्लाह ने ईद-ए-ग़दीर के दिन नेकियों और सवाब के ज़रिये मोमिनों पर एहसान किया है। तमाम ईदों में सबसे ज़्यादा सवाब ईद-ए-ग़दीर पर है। इतना सवाब न ईद-उल-फितर पर है, न ईद-उल-अज़हा पर इसकी वजह यह है कि इसी दिन दीन मुकम्मल हुआ।
मौलाना ने अमीरुल मोमिनीन इमाम अली (अ.स.) के खुत्बा-ए-ग़दीर का ज़िक्र करते हुए कहा,ग़दीर के दिन नेक काम करने से उम्र और माल में बरकत होती है जो भी इस दिन नेक काम करेगा अल्लाह उसकी रोज़ी में इज़ाफ़ा करेगा और उसकी उम्र लंबी करेगा।
मदारिस-ए-इल्मिया की मौजूदा स्थिति:
मौलाना ने कहा,आजकल मदारिस तलबा से खाली हो रहे हैं। लोग अपने बच्चों को मदारिस में नहीं भेज रहे यह गंभीर मसला है अगर हम मदारिस की बुनियाद को मज़बूत करेंगे तो इल्म और दीन के बेहतरीन अलमबरदार तैयार होंगे। लेकिन अगर ऐसा नहीं किया गया तो उलमा की कमी होगी और दीनी समाज को नुकसान पहुंचेगा।
तलबा की इज़्ज़त करें:
मौलाना ने कहा,आप अपनी दौलत न दें लेकिन कम से कम तलबा को हकीर तो न समझें। उन्हें ज़लील न करें। उनकी इज़्ज़त करें तलबा का हौसला बढ़ाएं, ताकि वे इल्म हासिल करने में दिलचस्पी लें।
एक वाक़े का ज़िक्र:
मौलाना ने एक वाक़े का ज़िक्र करते हुए कहा, इस्लामी इंक़लाब से पहले एक बार एक बादशाह ने हौज़ा-ए-इल्मिया का दौरा किया उसने देखा कि तलबा की संख्या बहुत कम है।उसने मर्जा-ए-तकलीद से पूछा कि ऐसा क्यों है।
मर्जा ने जवाब दिया, इसकी वजह यह है कि तुम तलबा की इज़्ज़त नहीं करते बादशाह ने पूछा, 'हमें क्या करना चाहिए?' मर्जा ने कहा, 'कल मेरे पास आओ। मैं घोड़े पर सवार रहूंगा और तुम उसकी लगाम पकड़कर मदरसे तक ले जाओ। बादशाह दीनदार था, उसने ऐसा ही किया। जब लोगों ने यह मंज़र देखा, तो दूसरे दिन हौज़ा-ए-इल्मिया तलबा से भर गया।
मौलाना ने जोर देकर कहा कि हमें मदारिस को मज़बूत करने और तलबा की इज़्ज़त करने की ज़रूरत है, क्योंकि आज के तलबा ही कल के उलमा हैं।