सरदार शहीद सुलेमानी ने कहा, देर या सबेर वैश्विक न्यायालयों में इज़राईली शासन के अपराधी नेताओं पर मुकदमा चलाया जाएगा।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,बसीज मुस्तज़अफीन संगठन के प्रमुख ने ख़ुर्रमशहर में राष्ट्रीय रहआवर्द ए सारज़मीन-ए-नूर महोत्सव में कहा,देर या सबेर वैश्विक न्यायालय ज़ायोनी शासन के अपराधी नेताओं पर मुकदमा चलाने के लिए स्थापित किए जाएंगे।
सरदार शहीद सुलेमानी ने कहा कि बसीज का ऑर्डूई संगठन, राहियान-ए-नूर और पर्यटन विभाग अपने जिहादी सेवाओं के माध्यम से ईरानी राष्ट्र के युवाओं के लिए इस धरती के 'कर्बला' स्थलों की यात्रा का एक सुरक्षित अवसर प्रदान करने का प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि दिफा-ए-मक़दस के गौरवशाली कालखंड को फिर से जनता विशेष रूप से युवाओं और किशोरों तक पहुंचाना साथ ही बलिदान और शहादत की संस्कृति के प्रभावों और संदेशों को फैलाना राहियान-ए-नूर शिविरों के आयोजन के प्रमुख उद्देश्यों में से हैं।
बसीज के राहियान-ए-नूर और पर्यटन संगठन के प्रमुख, ब्रिगेडियर जनरल पासदार माजिद सूरी, ने ख़ुर्रमशहर में 20वें 'रहआवर्द-ए-सारज़मीन-ए-नूर' महोत्सव में कहा कि वर्ष 1403 (2024-25) में राहियान-ए-नूर के दौरों में 30% की वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि देश के पश्चिम उत्तर-पश्चिम दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम के युद्धकालीन स्थलों से लगभग 50,000 दस्तावेज़ और रिपोर्टें ज़ायरीन (यात्रियों) और सेवकों द्वारा पंजीकृत की गईं और सचिवालय को भेजी गईं।
ब्रिगेडियर जनरल सूरी ने कहा कि यह महोत्सव देश के 32 प्रांतों में आयोजित किया गया था और चयनित रचनाएं राष्ट्रीय केंद्र को भेजी गईं जहां विशेषज्ञों द्वारा उनका मूल्यांकन किया गया।
उन्होंने कहा कि यात्रियों की संख्या में 30% की वृद्धि सेवा नेटवर्क, मार्गदर्शकों और प्रांतीय बसीज और प्रतिरोध बलों के सहयोग का परिणाम है।
ब्रिगेडियर जनरल सूरी ने यह भी कहा,अगर देश की परिवहन क्षमता और बुनियादी ढांचे की स्थिति बेहतर होती तो हम इन दौरों में भाग लेने वाले ज़ायरीन की संख्या को दोगुना देख सकते थे।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कुछ क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी और परिवहन सीमाओं के कारण वे सभी ज़ायरीन की मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं रहे।
सूरी ने मेज़बान और मार्ग स्थित प्रांतों में बुनियादी ढांचे में सुधार की घोषणा करते हुए कहा कि इन परिवर्तनों ने दौरों की संख्या बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अंत में उन्होंने आशा व्यक्त की कि अधिकारियों के समर्थन और जिम्मेदार व्यक्तियों के प्रयासों से वे राहियान-ए-नूर कार्यक्रमों में और अधिक मात्रात्मक और गुणात्मक वृद्धि देखेंगे।