हमारे मुल्क की बहुत सी आंतरिक मुश्किलें इस विशेषता से अभाव के नतीजे में हैं। वह यह है कि सच्चाई नहीं है, बातों में सच्चाई नहीं है। सच्चाई का क्या मतलब है? मतलब यह है कि जो बात आप कर रहे हैं वो हक़ीक़त के मुताबिक़ हो। अगर आप जानते हैं कि हक़ीक़त के मुताबिक़ है और आपने उसे बयान किया तो सच्चाई है और अगर नहीं, यानी आपको नहीं मालूम कि यह हक़ीक़त के मुताबिक़ है या नहीं लेकिन फिर भी आपने बयान किया तो यह सच्चाई नहीं है। सोशल मीडिया को देखिए कि उसकी बातें, अफ़वाहें, झूठ, बेबुनियाद बातें, आपस में एक दूसरे पर आरोप, ग़ैर हक़ीक़ी बातों को एक दूसरे से जोड़ना, मुल्क में झूठा माहौल पैदा कर देता है। सब कोशिश करें कि ज़बान से सच्ची बात ही निकले।