धार्मिक प्रतिभाओं के विकास में माता-पिता की भूमिका अहम है

Rate this item
(0 votes)
धार्मिक प्रतिभाओं के विकास में माता-पिता की भूमिका अहम है

अराक़ स्थित फातिमा ज़हरा (स.ल.) धर्मिक विद्यालय की पूर्व छात्रा ने एक धार्मिक कार्यक्रम में बच्चों की धार्मिक क्षमताओं को पहचानने और उन्हें निखारने में माता-पिता की भूमिका पर प्रकाश डाला।

आज सुबह फातिमा ज़हरा (स) धार्मिक विद्यालय के सांस्कृतिक विभाग की पहल पर एक धार्मिक बैठक का आयोजन हुआ, जिसमें इस विद्यालय की स्नातक ख़ानूम हदादी ने भाग लिया।

बैठक में, ख़ानूम हदादी ने शैक्षिक दृष्टिकोण से बच्चों की व्यक्तिगत विशेषताओं पर ध्यान देने की अहमियत बताते हुए कहा,हर बच्चे की अपनी अलग क्षमताएँ और योग्यताएँ होती हैं, इसलिए हमें उनकी पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे अच्छे से विकसित हो सकें।

उन्होंने बच्चों की सफलता और उनके लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए माता-पिता द्वारा मार्गदर्शन और प्रोत्साहन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

क़ुरआन की आयत

“لا یُكَلِّفُ اللهُ نفساً إلا وُسعَها”
(अर्थ: अल्लाह किसी जान पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ नहीं डालता) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा:"प्रयास उसी सीमा तक करना चाहिए जितनी क्षमता हो, क्योंकि ईश्वर कभी किसी उसकी शक्ति से अधिक अपेक्षा नहीं करता।

अपने संबोधन में उन्होंने माता-पिता को यह सुझाव दिया,बच्चों की रुचियों और क्षमताओं पर विशेष ध्यान दें,आपस में उनकी तुलना न करें,ऐसा माहौल तैयार करें जहाँ वे अपनी योग्यताओं को व्यक्त कर सकें,और दूसरों के निर्णय या आलोचना से न डरें।

अंत में उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि बच्चों की धार्मिक परवरिश के हर चरण में ईश्वर की रज़ा (संतुष्टि) को ध्यान में रखा जाए।

Read 4 times