क्या यमन की रक्षा प्रणाली एफ़-35 जैसे लड़ाकू विमानों के लिए ख़तरा है?

Rate this item
(0 votes)
क्या यमन की रक्षा प्रणाली एफ़-35 जैसे लड़ाकू विमानों के लिए ख़तरा है?

अमेरिकी वायुसेना और नौसेना ने एक हज़ार से अधिक बार यमन के विभिन्न क्षेत्रों को निशाना बनाया। पार्स टुडे के अनुसार, इन हमलों में अमेरिकियों ने हैरी ट्रूमैन और कार्ल विंसन विमानवाहक पोतों पर आधारित हमलावर विमानों का इस्तेमाल किया था।

यहां तक ​​कि बी-2 सामरिक बमवर्षक और अमेरिकी शस्त्रागार में सबसे भारी बंकर बस्टर बम जीबीयू-57 का भी इस्तेमाल किया गया, जिसका वज़न 14 टन है। यमनी भूमिगत लक्ष्यों पर इस बम का हमला सफल नहीं रहा। यही वजह है कि यमनियों ने प्रभावित सुरंगों के प्रवेश और निकास द्वारों का तेज़ी से पुनर्निमाण कर लिया। इसलिए कहा जा सकता है कि इन हथियारों के इस्तेमाल से अपेक्षित परिणाम नहीं मिले और अमेरिकियों को एहसास हुआ कि यमन के अंसारुल्लाह की सैन्य क्षमताओं को नष्ट करना आसान नहीं है।

लगातार विफलताओं और बढ़ती अमेरिकी सैन्य क्षति के साथ, जिसमें कई एफ़-18 और दर्जनों ड्रोन विमानों को मार गिराया जाना और उन्नत अमेरिकी लड़ाकू विमानों, विशेष रूप से पांचवीं पीढ़ी के एफ़-35 को निशाना बनाए जाने की संभावना शामिल है। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट और अचानक अपनी स्थिति में परिवर्तन करते हुए यमन में युद्ध विराम की घोषणा कर दी।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने 8 मई को यमन में अमेरिकी सैन्य अभियानों को रोकने का आदेश दिया। एनबीसी न्यूज़ ने बताया कि मार्च से अब तक इस अभियान पर अमेरिका को 1 बिलियन डॉलर से अधिक का ख़र्च आया है, जिसमें हमलों में इस्तेमाल किए गए हज़ारों बम और मिसाइलें भी शामिल हैं।

"ट्रम्प ने अचानक हौसियों पर हमले रोकने का आदेश क्यों दिया?" शीर्षक वाले लेख में न्यूयॉर्क टाइम्स ने यमन पर अमेरिकी हमलों को अचानक रोकने के कारणों का विश्लेषण किया है। इस आर्टिकल में उल्लेख किया गया है कि ट्रम्प की प्रारंभिक धारणा यह थी कि एक महीने की समय-सीमा के भीतर वांछित परिणाम प्राप्त कर लिए जाएंगे। लेकिन 1 बिलियन डॉलर ख़र्च करने और कई F/A-18 सुपर हॉर्नेट स्ट्राइक फ़ाइटर्स, साथ ही बड़ी संख्या में MQ-9 रीपर टोही और लड़ाकू ड्रोन खोने के बाद, ट्रम्प का धैर्य समाप्त हो गया।

रिपोर्ट के दूसरे भाग में उल्लेख किया गया है कि यमनियों ने अमेरिकी युद्धक विमानों पर विमान भेदी मिसाइलें दाग़ीं, जिससे उन्हें ख़तरा पैदा हो गया और ट्रम्प ने इन मुद्दों के मद्देनज़र हमलों को रोकने का फ़ैसला किया। यह ओमान की मध्यस्थता से किया गया और यह सहमति बनी कि यमन अमेरिकी जहाज़ों को निशाना नहीं बनाएगा और अमेरिकी यमन पर सैन्य हमला नहीं करेंगे। वास्तव में, कई अवसरों पर, अमेरिकी एफ़-35 और एफ-16 लड़ाकू विमानों को यमनी वायु रक्षा प्रणालियों द्वारा गंभीर चुनौती दी गई और लगभग वह निशाने पर आ गए थे, जिसने यमन के ख़िलाफ़ सैन्य अभियान को समाप्त करने के ट्रम्प के निर्णय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया।

सवाल यह है कि यमनियों ने शत्रुतापूर्ण अमेरिकी विमानों का सामना करने के लिए कौन सी रक्षा प्रणाली और कौन सी मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिससे ट्रम्प में इतनी घबराहट पैदा हो गई है? अगस्त 2019 के अंत में, यमनियों ने अपनी रक्षा मिसाइल का अनावरण किया, जिसे फ़ातिर-1 मिसाइल के रूप में जाना जाता है। यह मिसाइल लगभग 25 किलोमीटर की रेंज वाली सोवियत निर्मित एसएएम-6 वायु रक्षा प्रणाली की 3एम9 मिसाइल की नक़ल प्रतीत होती है, जिसे वर्षों पहले यमन को भी बेचा गया था। यह एक मध्यम दूरी की रक्षा प्रणाली है, जिसमें संभवतः अर्ध-सक्रिय रडार है, और यह अमेरिकी एमक्यू-9 ड्रोन को मार गिराने में सक्षम है।

सऊदी गठबंधन के साथ युद्ध के दौरान यमनियों ने सोवियत निर्मित आर-27 कम दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को इन्फ्रारेड मार्गदर्शन प्रणाली से लैस करके सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों में परिवर्तित करने के कारण एफ-15, टोरनेडो और अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टरों सहित कई सऊदी विमानों को मार गिराने में भी सफलता प्राप्त की थी।

इन विमानों को गिराए जाने के वीडियो फ़ुटेज से पता चलता है कि यमनियों ने पहले थर्मल कैमरों का उपयोग करके लक्ष्य का पता लगाया और फिर लक्ष्य विमान पर हीट-सीकिंग (इन्फ्रारेड) हेड वाली मिसाइल दाग़ी। प्रकाशित चित्र, इसकी उड़ान प्रोफ़ाइल और विस्फ़ोटक शक्ति के आधार पर, कम दूरी की आर-27 मिसाइल के उपयोग का संकेत देते हैं।

एफ़-35 एक स्टेल्थ विमान है, इस लड़ाकू विमान में निश्चित रूप से रडार वायु रक्षा प्रणालियों के विरुद्ध महत्वपूर्ण स्तर की सुरक्षा है। इस बीच, आर-27 मिसाइल जैसे इन्फ्रारेड-गाइडेड मिसाइलों से लैस कम दूरी की वायु रक्षा प्रणालियां, इस लड़ाकू विमान को पहचानने और उस पर मिसाइल दाग़ने में सक्षम हैं। इसीलिए यह एफ़-35 और एफ़-16 जैसे लड़ाकू विमानों के लिए गंभीर ख़तरा मानी जा रही हैं।

इस संबंध में, एक अमेरिकी अधिकारी ने "वॉर ज़ोन" वेबसाइट के साथ एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि अमेरिकी एफ़-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान को यमन से सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से बचने के लिए आक्रामक युद्धाभ्यास करने के लिए मजबूर होना पड़ा। अधिकारी ने कहा, "मिसाइलें इतनी नज़दीक आ गईं कि एफ़-35 को मजबूरन अपना क़दम पीछे खींचना पड़ा।" कई अमेरिकी अधिकारियों ने यह भी कहाः अमेरिका के कई एफ़-16 और एक एफ़-35 यमन के हवाई सुरक्षा द्वारा निशाना बनाए जाने वाले थे, जिससे अमेरिकियों के हताहत होने की संभावना काफ़ी वास्तविक हो गई थी।

इस प्रकार, यमनियों द्वारा अपने पास मौजूद हथियारों के उपयोग में किए गए नवाचारों को उन कारकों में गिना जाना चाहिए, जिनके कारण वाशिंगटन को यमन में सैन्य अभियानों का पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा और अंततः उन्हें रोकना पड़ा। वास्तव में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने यमन में सैन्य अभियानों में एक महत्वपूर्ण कारक को नज़रअंदाज कर दिया, अर्थात् यमनी सेना और अंसारुल्लाह आंदोलन के सेनानियों की व्यावसायिकता और यमन के ख़िलाफ़ सऊदी गठबंधन के लंबे युद्ध के अनुभवों से उनका लाभ। पश्चिमी मीडिया के झूठे दावों की वजह से उसने यह ग़लत धारणा बनाई कि वह पेशेवर सैन्य कौशल और संरचना की कमी वाले आदिम लोगों का सामना कर रहा है।

यमनी प्रतिरोध द्वारा 27 एमक्यू-9 रीपर ड्रोन को मार गिराया जाना, जिसकी क़ीमत 800 मिलियन डॉलर से अधिक है, और अमेरिकी एफ़-35 लड़ाकू जेट के लिए गंभीर ख़तरा होने जैसे परिणाम यह दर्शाते हैं कि अमेरिका के साथ विषम युद्ध में यमनी लड़ाकों के पास, अवर्णनीय साहस और बहादुरी के अलावा, ज्ञान, कौशल और सैन्य उपकरण हैं, जिनके कारण वे अमेरिका पर कठोर और प्रभावी प्रहार करने में सक्षम हैं, और उसे भयभीत कर सकते हैं। 

 

Read 2 times