ईदे गदीर एक बहुत ही महत्वपूर्ण इस्लामी ईद है इसे हज़रत अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) की विलायत और जानशीनी के ऐलान की याद में मनाया जाता है इस पाक दिन को ईद-ए-अकबर भी कहा जाता है।यह हैं ईद गदीर मनाने के मुख्य तरीके खूब इबादत करें और दुआएं मांगें ईद गदीर के दिन हमें अल्लाह की खूब इबादत करनी चाहिए और दुआएं मांगनी चाहिए।
,ईदे गदीर एक बहुत ही महत्वपूर्ण इस्लामी ईद है इसे हज़रत अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) की विलायत और जानशीनी के ऐलान की याद में मनाया जाता है इस पाक दिन को ईद-ए-अकबर भी कहा जाता है।यह हैं ईद गदीर मनाने के मुख्य तरीके खूब इबादत करें और दुआएं मांगें
ईद गदीर के दिन हमें अल्लाह की खूब इबादत करनी चाहिए और दुआएं मांगनी चाहिए।
क़ुरआन मजीद की तिलावत करें दुआ-ए-कुमेल, दुआ-ए-नुदबा और दुआ-ए-गदीर जैसी खास दुआऐ पढ़ें आमाल करें।
ज़ियारत अमीरुल मोमिनीन और ज़ियारत जामिया कबीरा पढ़ने की भी बहुत फ़ज़ीलत है।जश्न और महफिलें आयोजित करें
इस मुबारक मौके पर जश्न और महफिलें आयोजित की जानी चाहिए।
मस्जिदों और इमामबाड़ों में विशेष महफ़िलें और बयान आयोजित करें, जिनमें गदीर के वाकये की अहमियत और हज़रत अली (अ.स.) की फ़ज़ीलत पर रोशनी डाली जाए। उलमा और ज़ाकिरीन इस अवसर पर लोगों को दीन की तालीमात और इमामों की सीरत से अवगत कराएं।
खुशी का इज़हार कैसे करें ,ईद गदीर के दिन खुशी का इज़हार इन तरीकों से करें मोमिनों को आपस में मुबारकबाद दें और एक-दूसरे को खुशी का पैगाम भेजें नए कपड़े पहनें और घरों को साफ करें और सजाएं।
खाना खिलाएं और सदक़ह दें। इस दिन खास तौर पर सादाते किराम को तोहफ़े दिए जाते हैं। गरीबों और ज़रूरतमंदों को खाना खिलाएं और सदक़ा व खैरात दें। ऐसे काम नेकी और हमदर्दी के जज़्बात को बढ़ावा देते हैं।सिलह-ए-रहमी (रिश्तेदारों से संबंध बनाए रखना) करें रिश्तेदारों और दोस्तों से अपने संबंध मज़बूत करें ईदे गदीर के दिन रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने जाएं।
आपस में एक-दूसरे को तोहफ़े दें ताकि मोहब्बत और इत्तेहाद (एकता) के जज़्बात मज़बूत हों। छोटी-छोटी वीडियो, ऑडियो से पैगाम भेजकर और लिखित तरीके के ज़रिए गदीर के वाकये को आम लोगों तक पहुंचाएं।सोशल मीडिया और अन्य साधनों से इस दिन की अहमियत को उजागर करें।
ईदे गदीर मनाने का मुख्य उद्देश्य हज़रत अली (अ.स.) की विलायत और अल्लाह के दीन के मुकम्मल होने को याद रखना और उस पर अमल करना है। यह दिन हमें इबादतों, खुशी, एहसान और इस्लामी तालीमात को बढ़ावा देने का एक बेहतरीन मौका देता है। इसे हरगिज़ हाथ से जाने न दें।