इमाम ज़माना (अलैहिस्सलाम) भले ही ग़ायब हैं, लेकिन वह एक रहमत का बादल हैं जो हमेशा बरसता रहता है। वह लोगों के सूखे रेगिस्तान को जीवन और खुशियाँ देता है। जो व्यक्ति इस प्यार के केंद्र से दया और मोहब्बत महसूस नहीं करता, वह वास्तव में बड़ा कमी वाला है।
इमाम अस्र (अलैहिस्सलाम) के एक अनजाने पहलू में से एक है उनकी इंसानों के प्रति प्यार और मोहब्बत। अफसोस की बात है कि पहले से ही इमाम को सिर्फ तलवार, खून-ख़राबा, सख्ती और बदले की नजर से दिखाया गया है, और उन्हें एक कठोर इंसान बताया गया है। लेकिन वास्तव में वह अल्लाह की असीम दया के रूप में, अपनी उम्मत के प्यार करने वाले पिता और दयालु साथी हैं।
एक हदीस क़ुदसी में, जब अम्बिया और आइम्मा का ज़िक्र खत्म होता है, वहाँ यह बात आती है:
"وَ أُکملُ ذَلِکَ بِابْنِهِ م ح م د رَحْمَةً لِلْعَالَمِین व अकमलो ज़ालेका बेइब्नेहि मीम हे मीम दाल रहमतन लिल आलामीना"
और मैं इसे उसके बेटे (म ह म द) से पूरा करता हूँ, जो सारी दुनिया के लिए रहमत है। (काफ़ी, भाग 1, पेज 528)
और खुद इमाम की एक हदीस में आया है:
"أَنَّ رَحْمَةَ رَبِّکُمْ وَسِعَتْ کُلَّ شَیءٍ وَ أَنَا تِلْکَ الرَّحْمَة अन्ना रहमता रब्बेकुम वसेअत कुल्ला शैइन व अना तिलकल रहमता "
निश्चय ही तुम्हारे रब की रहमत हर चीज़ को अपने नीचे लेती है और मैं वही अनंत रहमत हूँ। (बिहार उल अनवार, भाग 53, पेज 11)
मासूम इमामों के बयान में ऐसा कहा गया है:
"وَ أَشْفَقَ عَلَیهِمْ مِنْ آبَائِهِمْ وَ أُمَّهَاتِهِم व अशफ़क़ा अलैहिम मिन आबाएहिम व उम्माहातेहिम "
[इमाम] अपने लोगों के प्रति अपने पिता और माता से भी ज्यादा दयालु होते हैं। (बिहार उल अनवार, भाग 25, पेज 117)
इमाम ज़माना (अलैहिस्सलाम) एक महान शिक्षक, कोमल दिल वाले मार्गदर्शक और लोगों के दयालु पिता हैं। वे हर वक्त और हर हाल में अपने लोगों की भलाई का ध्यान रखते हैं। भले ही उन्हें उनकी ज़रूरत न हो, फिर भी वे सबसे अधिक दया और कृपा उनके लिए बरसाते हैं। जैसा कि उन्होंने खुद कहा है:
"لَوْ لَا مَا عِنْدَنَا مِنْ مَحَبَّةِ صَلَاحِکُمْ وَ رَحْمَتِکُمْ وَ الْإِشْفَاقِ عَلَیکُمْ لَکُنَّا عَنْ مُخَاطَبَتِکُمْ فِی شُغُل लौला मा इंदना मिन महब्बते सलाहेकुम व रहमतेकुम वल इश्फ़ाक़े अलैकुम लकुन्ना अन मुख़ातबतेकुम फ़ी शोग़ोलिन"
अगर यह सच न होता कि हम तुम्हारी भलाई चाहते हैं, तुम्हारे प्रति दया और ममता रखते हैं, तो हम तुम्हारी बुरी आदतों की वजह से तुम्हारी ओर ध्यान देना बंद कर देते। (बिहार उल अनवार, भाग 53, पेज 179)
इसलिए, इमाम ज़माना (अलैहिस्सलाम) भले ही ग़ायब हैं, लेकिन वह एक रहमत का बादल हैं जो हमेशा बरसता रहता है। वह लोगों के सूखे रेगिस्तान को जीवन और खुशियाँ देता है। जो व्यक्ति इस प्यार के केंद्र से दया और मोहब्बत महसूस नहीं करता, वह वास्तव में बड़ा कमी वाला है।
"اللهم هَبْ لَنَا رَأْفَتَهُ وَ رَحْمَتَهُ وَ دُعَاءَهُ وَ خَیرَه अल्लाहुम्मा हब लना राफ़तहू व रहमतहू व दुआअहू व ख़ैरहू "
हे खुदा! हमें उनके करुणा, रहमत, दुआ और भलाई दे। (मफातीहुल जिनान, दुआएं नुदबा)
श्रृंखला जारी है ---
इक़्तेबास : किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)