ईरान के एक प्रमुख धर्मगुरु और इमाम ख़ुमैनी के पोते आयतुल्लाह सैयद हसन ख़ुमैनी ने क़तर पर इज़रायल के हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिका समर्थित इज़रायली नीतियों की निरंतरता है, जिसका मकसद पूरे मध्य-पूर्व में पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना है।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ईरान के एक प्रमुख धर्मगुरु और इमाम ख़ुमैनी के पोते आयतुल्लाह सैयद हसन ख़ुमैनी ने क़तर पर इज़रायल के हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिका समर्थित इज़रायली नीतियों की निरंतरता है, जिसका मकसद पूरे मध्य-पूर्व में पूर्ण नियंत्रण स्थापित करना है।
सैयद हसन ख़ुमैनी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज की असल समस्या ईरान का परमाणु या मिसाइल कार्यक्रम नहीं, बल्कि क्षेत्र में इज़रायल का बढ़ता हुआ नियंत्रण और शक्ति है। यह शक्ति सभी राजनीतिक, सैन्य, मानवीय और नैतिक सीमाओं को पार करने के बराबर है।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रों के जीवन और सम्मान की रक्षा करना, साथ ही सुरक्षा के बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करना एक मानवीय जिम्मेदारी है। उनके मुताबिक, क़तर पर हमला पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी खतरे की घंटी है और यह उस नीति को दिखाता है जिसके बारे में इमाम ख़ुमैनी ने आधी सदी पहले ही चेतावनी दी थी।
सैयद हसन ख़ुमैनी ने आगाह किया कि लेबनान, ईरान और क्षेत्र के अन्य देशों में भी ऐसे हमलों की संभावना है। उन्होंने कहा कि इन साझा खतरों का एकमात्र प्रभावी जवाब इस्लामिक देशों के बीच सच्ची एकजुटता है।
उन्होंने यह भी कहा,आपसी मतभेद दुश्मन के लिए सबसे बड़ा अवसर होते हैं, और इन खतरों को केवल एकता के माध्यम से ही रोका जा सकता है।
इसी मौके पर, इमाम ख़ुमैनी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विभाग ने 39वें अंतर्राष्ट्रीय इस्लामिक एकता सम्मेलन में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया, जिसमें इमाम ख़ुमैनी के बहुभाषी लेख और कार्य दिखाए गए। इसका उद्देश्य दुनिया भर के बुद्धिजीवियों और धार्मिक नेताओं के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और एक पुल स्थापित करना था।