हमारे मौजूदा काम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हमारे जीवनशैली, धार्मिक और सामाजिक समस्याओं के क्षेत्र में ऐसे बेहतरीन सहायक बनाना है जो इस्लामी सिद्धांतों पर आधारित हों और हमारे लक्षित लोगों को सही दिशा में मार्गदर्शन करें, क्योंकि पारंपरिक तरीके से संदेश देने का तरीका धीरे-धीरे खत्म हो रहा है।
नूर इस्लामिक कंप्यूटर रिसर्च सेंटर के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन बहरामी ने कहा कि आधुनिक तकनीक, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने धार्मिक प्रचार के तरीकों में बुनियादी बदलाव ला दिया है। उन्होंने बताया कि आज लोग अपने सवालों के जवाब सीधे डिजिटल माध्यमों और चैट बॉट्स से प्राप्त करते हैं और अक्सर उन्हीं जवाबों पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में हौज़ा ए इल्मिया की जिम्मेदारी है कि वह इस माहौल को समझे और इस क्षेत्र में प्रभावी मौजूदगी बनाए।
संरक्षक ने यह भी कहा कि नए दौर के धर्म प्रचारक को डिजिटल टूल्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस होना चाहिए ताकि वह मजबूत और ठोस तरीके से अपना संदेश पहुंचा सके, बशर्ते उसे अपने श्रोताओं की भाषा, सोच और मानसिकता की समझ हो।
उन्होंने यह भी कहा कि आधुनिक युग में धार्मिक प्रचार के लिए आधुनिक तकनीक विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग अनिवार्य है क्योंकि अब ज्ञान का बड़ा हिस्सा पारंपरिक संस्थानों से नहीं बल्कि डिजिटल प्लेटफार्मों से आ रहा है। इसलिए, यह जरूरी है कि धर्म प्रचारक उन जगहों पर मौजूद हों जहां आज का श्रोता रहता, सोचता और जानकारी प्राप्त करता है। इसी संदर्भ में, इस्लामी आधारों पर स्मार्ट धार्मिक सहायक विकसित करना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि इस दिशा में कार्य आरंभ हो चुका है। पहले से एक हदीस चैट बूट सक्रिय है जो सवालों के जवाब में धार्मिक परंपराओं की रोशनी में मदद करता है, और हाल ही में एक कुरआनी चैट बूट भी लॉन्च किया गया है जो कुरआन की व्याख्या और ज्ञान के अनुसार मार्गदर्शन करता है।
नूर इस्लामिक कंप्यूटर रिसर्च सेंटर का विजन है कि जल्द ही यह एक समग्र इस्लामी ज्ञान का श्रेष्ठ सहायक बनकर उभरे।













