رضوی

رضوی

इज़राईल मीडिया ने दावा किया है कि ईरान ने मध्य और दक्षिणी इज़राइल की ओर 400 से अधिक मिसाइलें दागी हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने मध्य और दक्षिणी इज़राइल की ओर 400 से अधिक मिसाइलें दागी हैं।

समाचार एजेंसियों ने तस्वीरें प्रकाशित करते हुए ईरान के इज़राइल पर मिसाइल हमले की खबर दी है। यहूदी सेना ने पुष्टि की है कि कुछ समय पहले ईरान की ओर से इज़राइली भूमि पर मिसाइलें दागी गई थीं।

 रिपोर्टों के अनुसार, यहूदी मीडिया ने बताया कि ईरान ने मध्य और दक्षिणी इज़राइल की ओर 400 से अधिक मिसाइलें फायर की हैं।

इज़राइली सेना ने अपने सभी नागरिकों को निर्देश दिया है कि ईरान द्वारा इज़राइल पर मिसाइल हमले के बाद सभी लोग शरण स्थलों में रहें।

इस हमले के बाद इजरायल में चारों तरफ अफरा तफरी फैल गई हैं।

 

 

 

 

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू एडोल्फ हिटलर के बाद सबसे बड़े आतंकवादी हैं।

पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू एडोल्फ हिटलर के बाद सबसे बड़े आतंकवादी हैं क्योंकि यहूदी नेता ने फिलिस्तीन और लेबनान को गैस चैंबर में बदल दिया है।

महबूबा बोलीं इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने नेतन्याहू के खिलाफ फैसला सुनाया है लेबनान पर हमले ने साबित कर दिया है वे अपराधी है। फिलिस्तीन के बाद अब लेबनान में भी वह हज़ारों लोगों की हत्या कर रहा है।

महबूबा ने इजराइली एयर स्ट्राइक में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की हत्या की निंदा की। और लेबनान फिलिस्तीन के समर्थन में एक दिन के लिए अपना चुनाव प्रचार कैंसिल कर दिया है।

उन्होने ने कहां, नेतन्याहू सरकार के साथ संबंध रखने का सरकार का फैसला गलत है महात्मा गांधी के समय से ही हम फिलिस्तीन के साथ खड़े हैं ऐसी सरकार के साथ संबंध रखना और उसे हथियार और ड्रोन मुहैया कराना, जिसका इस्तेमाल लोगों की हत्या के लिए किया जा रहा है यह गलत फैसला है।

भाजपा मुझे क्या बताएगी? वे भाजपा फिलिस्तीन के लोगों के लिए नसरल्लाह के लंबे संघर्ष के बारे में क्या जानते हैं? उन्हें देखना चाहिए कि कश्मीर, लखनऊ और देश के अन्य हिस्सों में कितने लोग निकल रहे हैं और शहीद के लिए नारे लगा रहे हैं। उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि उनकी सोच कितनी गलत है।

आयतुल्लाहिल उज़मा वहीद ख़ुरासानी ने सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत पर गहरा दुःख व्यक्त किया हैं उन्होंने दुआ की कि अल्लाह उनकी रूह को शांति प्रदान करे उनके दर्जे बुलंद करे और उन्हें जवारे मसूमिन अ.स. में जगह करार दे।

एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाहिल उज़मा वहीद ख़ुरासानी ने सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत पर गहरा दुःख और शोक व्यक्त किया और प्रार्थना किया है कि अल्लाह उनकी रूह को शांति प्रदान करे, उनके दर्जे बुलंद करे और उन्हें सैय्यदु शुहदा अ.स. के सानिध्य में स्थान दे।

आयतुल्लाहिल उज़मा वहीद ख़ुरासानी के कार्यालय द्वारा जारी किया गया शोक संदेश इस प्रकार है।

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

إِنَّا لِلَّهِ وَإِنَّا إِلَیْهِ رَاجِعُونَ

मरज ए आलीक़द्र आयतुल्लाहिल उज़मा वहीद ख़ुरासानी ने हुज्जतुल इस्लाम हज़रत सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत पर एक शोक संदेश भेजा है, जिसे उनके प्रिय पुत्र ने एक टेलीफोनिक संपर्क के दौरान आयतुल्लाह वहीद ख़ुरासानी का संदेश पहुँचाया और दुःख व्यक्त किया हैं।

आयतुल्लाह वहीद ख़ुरासानी ने इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए, शहीद सैयद हसन नसरल्लाह के उच्च दर्जे और उन्हें सैयद-ए-शुहदा अ.स. की सानिध्य में स्थान प्राप्त होने की प्रार्थना की हैं।

उन्होंने उनके परिवारजनों के लिए धैर्य और महान प्रतिफल की दुआ की इसके साथ ही उन्होंने अल्लाह की बारगाह में प्रार्थना की कि इस अपराध के जिम्मेदार अपराधियों को ज़लील करे और उन्हें उनके कर्मो की सजा जल्द से जल्द मिले।

 

 

 

 

 

यमन पर अवैध राष्ट्र इस्राईल के बर्बर हमलों में घायल और शहीदों की संख्या बढ़कर 62 हो गई है।

यमन स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक इंटरव्यू में यमन पर ज़ायोनी शासन के हमले में घायल होने वालों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कल तटीय प्रांत हुदैदह पर इस्राईल के हमले में कम से कम 57 नागरिक घायल हुए हैं जबकि 5 आम नागरिक ज़ायोनी सेना हमले में शहीद हुए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार ईरान और भारत जल्द ही फारस की कड़ी में संयुक्त सैन्य अभ्यास करेंगे। मेहर न्यूज़ के अनुसार, कैप्टन अंशुल किशोर के नेतृत्व में भारत के तीन डेस्ट्रॉयर पर आधारित बेड़ा "अम्न और-ए-दोस्ती" शीर्षक के साथ ईरान के तटीय शहर बंदर अब्बास में लंगर डाल चुका है।

ईरानी नौसेना के कमांडर कैप्टन मसूद बेगी के मुताबिक, दोनों देशों की नौसेनाएं होर्मुज जलडमरूमध्य के उत्तर में संयुक्त अभ्यास करने जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि युद्ध और प्रशिक्षण बेड़े में सवार भारतीय बल ईरान में अपने चार दिवसीय प्रवास के दौरान बंदर अब्बास के सांस्कृतिक और मनोरंजक स्थानों का भी दौरा करेंगे।

ईरानी कमांडर ने कहा कि इस तरह की आपसी यात्राओं से दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध और मजबूत होंगे।

यूएन वूमेन द्वारा जारी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ग़ज़्ज़ा में करीब 15,000 गर्भवती महिलाएं भुखमरी की कगार पर हैं। फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में 177,000 महिलाएँ चिकित्सा समस्याओं का सामना कर रही हैं।

ग़ज़्ज़ा में स्वास्थ्य पर अपनी हालिया रिपोर्ट में, संयुक्त राष्ट्र महिला ने खुलासा किया कि "गाजा में लगभग 15,000 गर्भवती महिलाएं भुखमरी के कगार पर हैं। गाजा में महिलाओं को कई चिकित्सीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें वृद्ध महिलाओं में गैर-संचारी रोग, कैंसर और गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और पोषण शामिल हैं। अस्पतालों के ठीक से काम नहीं करने के कारण महिलाओं को चिकित्सा सेवाओं और आवश्यक दवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार 11 महीने से अधिक समय से चले युद्ध के परिणामस्वरूप गाजा में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पूरी तरह से नष्ट हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, "लगभग 84 प्रतिशत चिकित्सा सुविधाएं या तो क्षतिग्रस्त हो गई हैं या नष्ट हो गई हैं, और जहां चिकित्सा सेवाएं चालू हैं, वहां दवाओं, एम्बुलेंस, बुनियादी जीवन रक्षक आपूर्ति और पानी की भारी कमी है।"

फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में 177,000 महिलाएँ जीवन-घातक चिकित्सा समस्याओं का सामना कर रही हैं। इस संख्या में 162,000 महिलाएं मधुमेह, कैंसर, रक्तचाप, हृदय रोग जैसी गैर-संचारी बीमारियों का सामना कर रही हैं या हो सकती हैं। 15 हजार गर्भवती महिलाएं भुखमरी के कगार पर हैं. ज्ञात हो कि फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में इज़रायली आक्रमण के परिणामस्वरूप 41 हज़ार फ़िलिस्तीनियों की जान जा चुकी है जबकि 96 हज़ार से अधिक घायल हुए हैं।

 

 

 

 

 

हसन नसरुल्लाह की शगादत पर रविवार से तीन दिवसीय शोक का आह्वान किया था इसमें लोगों से विरोध के तौर पर अपने घरों में काले झंडे फहराने और दुकानें बंद करने को कहा गया था इसी के चलते जगह-जगह बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।

लेबनान में हुई हिज्बुल्लाह नेता हसन नसरुल्लाह की हत्या के विरोध में सैकड़ों लोगों ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पुराने शहर इलाके में प्रदर्शन किया कैंडल मार्च निकाले और इजराइल तथा अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी की यह विरोध प्रदर्शन शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद के आह्वान पर किया गया।

मौलाना ने नसरुल्लाह की मौत पर रविवार से तीन दिवसीय शोक का आह्वान किया है इसमें लोगों से विरोध के तौर पर अपने घरों में काले झंडे फहराने और दुकानें बंद करने को कहा गया है। साथ ही ज्यादा से ज्यादा जगहों पर विरोध प्रदर्शन और शोकसभाएं आयोजित करने की अपील भी की गयी है।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह को दफनाने को लेकर तरह-तरह की खबरें चल रही हैं।

कुछ इराकी मीडिया हाउस ने खबर दी थी कि शहीद हसन नसरुल्लाह की बेरूत में तशी के बाद कर्बला में लाया जाएगा, जहां उन्हें इमाम हुसैन के रौज़े में दफनाया जाएगा। हालाँकि हिज़्बुल्लाह नेताओं ने इस खबर का खंडन किया है।

अश-शर्क अल-अवसत के अनुसार, हिज़्बुल्लाह के करीबी सूत्रों ने कहा है कि शहीद हसन नसरुल्लाह को दफनाने के लिए इराक नहीं ले जाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार और तदफ़ीन लेबनान में होगी, लेकिन अभी तारीख तय नहीं की गई है।

चूंकि शहीद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार में कई देशों के गणमान्य लोगों के शामिल होने की उम्मीद है, इसलिए स्थिति सामान्य होने तक देरी होने की संभावना है।

 

इराकी सेना ने कहा कि मंगलवार को बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के इलाकों में दो कत्युशा रॉकेट गिरे, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ।

अलखफ़ाजी के एक बयान के अनुसार, हमला मंगलवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 00:20 बजे हुआ जब दो रॉकेट हवाई अड्डे के करीब के इलाकों पर गिरे, जिनमें से एक इराकी आतंकवाद-रोधी सेवा के बेस पर गिरा।

अलखफ़ाजी ने कहा कि इराकी सुरक्षा बलों को पश्चिमी बगदाद के अलअमेरिया पड़ोस में छोड़े गए एक ट्रक पर एक रॉकेट लॉन्चर मिला और लॉन्चर में कई बिना दागे रॉकेटों को निष्क्रिय कर दिया गया उन्होंने कहा कि अधिक जानकारी बाद में जारी की जाएगी।

इस बीच आंतरिक मंत्रालय के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी को बताया कि इराकी बलों ने पड़ोस की घेराबंदी कर दी है और हमलावरों की पहचान करने के लिए घटना की जांच शुरू कर दी है।

 

उन्होंने कहा कि हमले में हवाई अड्डे के पास अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों के आवास वाले इराकी सैन्य अड्डे को निशाना बनाया गया अभी तक किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

बगदाद के ग्रीन जोन में अमेरिकी सैनिकों और अमेरिकी दूतावास वाले इराकी सैन्य अड्डों पर अक्सर अज्ञात मोर्टार और रॉकेट हमले होते रहे हैं।

 

 

 

 

हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह, लेबनान और फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए जीवन भर लड़ने के बाद शुक्रवार को बैरूत के बाहरी इलाक़े में ज़ायोनियों के क्रूर और पाश्विक हमले में शहीद हो गए।

शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह लेबनान में हिज़्बुल्लाह के तीसरे महासचिव और 1982 में इसके संस्थापकों में से एक थे। हिज़्बुल्लाह के दूसरे महासचिव सैयद अब्बास मूसवी की 1992 में ज़ायोनी शासन के हमले में शहादत के बाद, उन्हें हिज़्बुल्लाह द्वारा इस संगठन के महासचिव के रूप में चुना गया था।

सैयद हसन नसरुल्लाह के समय में लेबनान का हिजबुल्लाह एक क्षेत्रीय शक्ति बन गया और कई आप्रेशन चलाकर 2000 में इज़राइल को लेबनान से बाहर खदेड़ने में कामयाब रहा। एक इंसान जिसका ज़िक्र इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह इमाम ख़ामेनेई ने एक महान मुजाहिद, नेता और प्रतिरोध के ध्वज वाहक के रूप में किया है।

हम प्रतिरोध के सरदार सैयद हसन नसरुल्लाह की जीवनी पर एक नज़र डालेंगे:

जीवन, जन्म और परिवार

लेबनान और दुनिया की मशहूर हस्तियों में से एक सैयद हसन नसरुल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को पूर्वी बैरूत के मोहल्ले में हुआ था। वह परिवार के नौ बच्चों में सबसे बड़े थे। उनके पिता सैयद अब्दुल करीम और उनकी मां "नहदिया सफ़ीउद्दीन" का संबंध दक्षिणी लेबनान के सूर शहर के उपनगरीय इलाके "बरज़ूरिया" गांव से थे जो बैरूत चले गए थे।

अप्रैल 1975 में, सैयद हसन नसरुल्लाह अपने परिवार के साथ अपने पिता के गृहनगर बाज़ूरिया गांव चले गए और सूर शहर में अपनी हाई स्कूल की शिक्षा जारी रखी।

सोलह साल की उम्र में, सूर शहर के इमामे जुमा शहीद सैयद मोहम्मद बाक़िरुस्सद्र के प्रोत्साहन से जो एक इराक़ी धर्मशास्त्री, बुद्धिजीवी और इराक़ के बासी शासन के विरोधी थे, उच्च स्तर की धार्मिक शिक्षा हासिल करने के लिए नजफ़ चले गए।

सैयद मोहम्मद ने एक पत्र के ज़रिए सैयद हसन को शहीद सद्र से मिलवाया था। शहीद सद्र ने सैयद हसन नसरुल्लाह की शिक्षा की स्थिति और ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शहीद सैयद अब्बास मूसवी को ज़िम्मेदारी सौंपी। 1978 में, सैयद हसन नसरुल्लाह ने धार्मिक शिक्षा केन्द्र के प्रारंभिक पाठ्यक्रम को पूरा किया और नजफ़ में दो साल रहने के बाद, इराक़ी बासी शासन के दबाव के कारण वह लेबनान लौट आए।

 

1979 में बालाबक में इमाम मुन्तज़ेरी धार्मिक शिक्षा केन्द्र की स्थापना की और साथ ही अपनी पढ़ाई का सिलसिला भी जारी रखा और साथ ही पढ़ाना भी शुरू कर दिया। सैयद हसन नसरुल्लाह ने 1978 में 18 साल की उम्र में फ़ातिमा यासीन से शादी की, और इस विवाह के परिणाम स्वरूप उन्हें 4 बेटे और एक बेटी हुई। उनका सबसे बड़ा बेटा सैयद हादी, 1997 में दक्षिणी लेबनान में इज़राइली सैनिकों के साथ संघर्ष के दौरान शहीद हो गया था, जब वह 18 साल का था।

सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियां

अपनी जवानी की शुरुआत में ही वह राजनीति में कूद पड़े। पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के पंथ के विद्वानों और विचारकों में से एक, इमाम मूसा सद्र से जो ईरान से लेबनान चले गए थे और लेबनानी शियाओं की सर्वोच्च सभा और अमल आंदोलन के संस्थापक थे, उनकी रुचि के कारण वह उनसे जुड़ गए। इमाम मूसा सद्र धर्मों और मज़हबों को जोड़ने के क्षेत्र में प्रसिद्ध विद्वानों और सिद्धांतकारों में थे।

सैयद हसन नसरुल्लाह, अपने भाई सैयद हुसैन के साथ, बाज़ूरिया में अमल आंदोलन के प्रमुख बने। यह एक ऐसा आंदोलन था जो लेबनान की जनता की रक्षा करने और सैन्य लेहाज़ से इज़राइली शासन से लोहा लेने के लिए बनाया गया था।

1982 में, लेबनान पर इज़राइली हमले के बाद सैयद हसन नसरुल्लाह संघर्षकर्ता धर्मगुरुओं के एक अन्य समूह के साथ अमल संगठन से अलग हो गए और अधिक सक्रिय संघर्ष के उद्देश्य से, उन्होंने एक ज़ायोनी-विरोधी मुक्ति आंदोलन के रूप में लेबनानी हिज़्बुल्लाह की स्थापना की।

1982 से 1992 तक, सैयद हसन नसरुल्लाह ने अपनी गतिविधियों को हिज़्बुल्लाह में केंद्रित किया। हिज़्बुल्लाह की केंद्रीय परिषद में होने के अलावा, वह लेबनान में ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े का मुकाबला करने के लिए प्रतिरोधकर्ता बलों की तैयारी और सैन्य इकाइयों की स्थापना में भी व्यस्त थे। कुछ समय के लिए, वह "इब्राहिम अमीन अल-सैयद" (बैरूत में हिजबुल्लाह के प्रमुख) के डिप्टी भी थे और कुछ समय के लिए वह हिज़्बुल्लाह के कार्यकारी डिप्टी रहे।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह के महासचिव का पद

सैयद अब्बास मूसवी की शहादत के बाद 16 फरवरी 1992 को सैयद हसन नसरुल्लाह हिजबुल्लाह के दूसरे महासचिव के रूप में हिज़्बुल्लाह के ज़रिए चुने गए थे। जब उन्हें हिजबुल्लाह के महासचिव के रूप में स्वीकार किया गया तब वह 32 वर्ष के थे।

महासचिव सैयद हसन के काल में, हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी शासन और आतंकवादी और तकफ़ीरी गुटों के ख़िलाफ अनेक जीतें हासिल कीं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण 2000 में दक्षिणी लेबनान की आज़ादी, 2006 में 33 दिवसीय युद्ध और साथ ही जनरल क़ासिम सुलैमानी के सहयोग से इराक और सीरिया में नक़ली आईएसआईएस सरकार को उखाड़ फेंकना शामिल है। इसी कारण से उन्हें प्रतिरोध का सैयद कहा गया है। साथ ही, इज़राइल के ख़िलाफ उनके प्रतिरोध और बारम्बार जीत की वजह से, उन्हें इस सदी में अरब और इस्लामी दुनिया में सबसे लोकप्रिय व्यक्ति या नेता के रूप में पहचाना जाता था।

नकाम क़ातेलाना हमले

सैयद हसन नसरुल्लाह को उनके कार्यकाल के दौरान कई बार ज़ायोनी शासन द्वारा आतंकवादी धमकियों और टारगेट किलिंग का सामना करना पड़ा। इनमें से कुछ हत्या की योजनाएं इस प्रकार हैं:

खाने में ज़हर द्वारा हत्या (2004)

इज़राइली विमानों द्वारा उनके निवास स्थल पर बमबारी (2006)

जिस इमारत में सैयद हसन नसरुल्लाह के मौजूद होने की आशंका थी, उस इमारत पर इजराइली विमानों द्वारा हमला (2011)

आख़िरकार यह महान मुजाहिद शुक्रवार की रात बैरूत पर ज़ायोनी शासन के आतंकवादी हमले में शहीद हो गया।