
رضوی
इस्फ़हान के मैदाने नक़्शे जहान में यौम क़ुद्स पर प्रदर्शन
,माहे रमज़ान उल मुबारक के आख़िरी जुमआ और यौमे क़ुद्स के अवसर पर हर साल की तरह इस साल भी ईरान के सभी शहरों में फ़िलिस्तीन के समर्थन में विशाल रैलियों का आयोजन किया गया।
यौमे क़ुद्स के मौके पर इस्फ़हान के मैदाने नक़्शे जहान में जवान, बूढ़े, महिलाएं,बच्चें,हिस्सा लिए और फिलिस्तीनियों के समर्थन और बैतूल मुकद्दस की आज़ादी के लिए नारे लगाए
इस साल, क़ुद्स विश्व दिवस ऐसी स्थिति में मनाया गया, जब पिछले 6 महीने से ग़ज़ा के लोगों पर ज़ायोनी शासन ने ज़ुल्म का पहाड़ ढा रखा है। ग़ज़ा पर इस्राईल के बर्बर हमलों ने जहां 33,000 से ज़्यादा लोगों की जान ले ली है,
वहीं पूरा ग़ज़ा तहस-नहस हो गया है और लोग भुखमरी का शिकार हैं। दुनिया भर में इस्राईल के अत्याचारों के ख़िलाफ़ नाराज़गी बढ़ती जा रही है और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में लगातार वृद्धि हो रही है।
इस्राईल की आलोचना के कारण अमरीकी फ्लोस्फर का निमंत्रण रद्द
जर्मनी के शिक्षा केन्द्रों को भी पसंद नहीं आ रही है अवैध ज़ायोनी शासन की आलोचना।
नेनसी फ़्रेजर, जिनहें कोलोन विश्विद्यालय में अल्बर्ट्स मैगनस प्रोफेसरशिप के लिए आमंत्रित किया गया था, उनके निमंत्रणपत्र को इस यूनिवर्सिटी की ओर से निरस्त कर दिया गया।
ग़ज़्ज़ा में जिस तरह से फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों द्वारा अपराध किये जा रहे हैं उनपर पूरी दुनिया में हर वर्ग की ओर से आलोचना की जा रही है। इन्ही आलोचकों में से एक नेनवी फ़्रेज़र भी हैं जो एक मश्हूर विचारक एवं दार्शनिक हैं। नेनसी फ्रेज़र, वामपंथी नारीवादी दार्शनिक हैं।
सात अक्तूबर के बाद से जर्मनी में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कमी आई है विशेषकर वैज्ञानिक केन्द्रों में। हालांकि इससे पहले भी जर्मनी की एकेडमियों में इस्राईल की आलोचना और इस अवैध शासन के बायकाट को सहन नहीं किया जाता था।
ग़ज़्ज़ा में अब भी फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध ज़ायोनियों की हिंसक कार्यवाहियां जारी हैं। ज़ायोनियों की इन कार्यवाहियों में 33 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हुए है जबकि 75 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।
याद रहे कि ब्रिटिश उपनिवेशवादा के षडयंत्र के अन्तर्गत सन 1917 में इस्राईल के गठन की योजना तैयार हो चुकी थी किंतु विश्व के अन्य देशों से फ़िलिस्तीन की भूमि की ओर यहूदियों के पलायन के बाद 1948 में अवैध ज़ायोनी शासन के गठन की घोषणा की गई। उस समय से लेकर अबतक ज़ायोनियों के हाथों फ़िलिस्तीनियों की भूमि पर क़ब्ज़ा करने और उनके जातीय सफाए की कार्यवाहियां विभिन्न शैलियों में जारी हैं।
ग़ाज़ा के विभिन्न क्षेत्रों पर ज़ायोनी युद्धक विमानों की बमबारी
कब्जा करने वाले ज़ायोनी शासन के युद्धक विमानों ने गाजा के दक्षिणी इलाकों और खान यूनिस शहर पर भारी बमबारी की है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी सेना के ड्रोन ने नुसीरत शिविर की हवा में उड़ान भरी, जबकि ज़ायोनी सेना ने नुसीरत शिविर के उत्तर में अल-मगराबा क्षेत्र पर गोलाबारी की। फ़िलिस्तीनी सूत्रों का कहना है कि ज़ायोनी आक्रमण में कई फ़िलिस्तीनी घायल हुए हैं।
ज़ायोनी युद्धक विमानों ने पूर्वी खान यूनिस में अल-ज़िना और बानी सुहैला के क्षेत्रों पर भी बमबारी की और गाजा के दक्षिणी क्षेत्रों और खान यूनिस शहर के पश्चिमी क्षेत्रों को निशाना बनाया। ज़ायोनी सेना ने ग़ज़ा के दक्षिण-पश्चिमी इलाक़ों में भी भारी गोलाबारी की।
गाजा में 140 पत्रकारों की शहादत
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने रविवार सुबह अपनी नवीनतम रिपोर्ट में गाजा में ज़ायोनी सेना द्वारा मारे गए पत्रकारों की संख्या एक सौ चालीस बताई।
इस संगठन ने घोषणा की है कि ये पत्रकार 7 अक्टूबर से गाजा के खिलाफ हमलों की शुरुआत के बाद से इजरायली सेना के बमबारी और मिसाइल हमलों में शहीद हुए हैं.
संगठन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गाजा में होने वाली मानवीय त्रासदी को रोकने के लिए इज़राइल पर दबाव बढ़ाने का आह्वान किया है। एक हजार से अधिक बच्चे शहीद हो गए हैं और अनगिनत संख्या में घायल हुए हैं
तेल अवीव में ज़ायोनी शासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन
तेल अवीव में ज़ायोनी युद्ध मंत्रालय भवन के सामने नेतन्याहू के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल गया और ज़ायोनी पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर चिल्लाया।
तेल अवीव में ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू के ख़िलाफ़ ज़ायोनी प्रदर्शनकारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है, जो नेतन्याहू की बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं।
ज़ायोनी सूत्रों ने यह भी बताया है कि इज़रायली प्रदर्शनकारी युद्ध मंत्रालय के सामने एकत्र हुए और नेतन्याहू के इस्तीफे की मांग की। ज़ायोनी प्रदर्शनकारी हमास के साथ कैदी विनिमय समझौते की मांग कर रहे हैं।
ज़ायोनी सूत्रों का कहना है कि तेल अवीव में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान एक पुलिस अधिकारी घायल हो गया। ज़ायोनीस्ट रेडियो टीवी ने यह भी घोषणा की है कि प्रदर्शनकारियों पर एक कार की टक्कर के परिणामस्वरूप तीन प्रदर्शनकारी घायल भी हुए हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन और भूख हड़ताल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ भारत में विरोध प्रदर्शन जारी है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आज पंजाब में आम आदमी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता एक दिन की भूख हड़ताल पर चले गए हैं.
पंजाब भर में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता जिला मुख्यालयों के पास भूख हड़ताल पर बैठे हैं. रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पंजाब राज्य के आम आदमी पार्टी विधायक भी एक दिन की सांकेतिक भूख हड़ताल पर चले गए हैं, जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मानसिंह भी शामिल हुए हैं।
बता दें कि पिछले रविवार को इंडिया अलायंस ने दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में 31 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ एक महारैली का भी आयोजन किया था.
याद रहे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भारत के प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था, जिन्हें दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 15 अप्रैल तक जेल भेज दिया है। अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद देशभर में बीजेपी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.
बातचीत के लिए हमास की शर्तें, इस्माइल हानियेह
हमास के प्रमुख इस्माइल हानियेह ने इस बात पर जोर दिया है कि जो भी बातचीत होगी उसमें गाजा में स्थायी युद्धविराम और कब्जे वाले ज़ायोनी बलों की पूर्ण वापसी शामिल होनी चाहिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्माइल हनियेह ने इस बात पर जोर दिया है कि बातचीत में गाजा में स्थायी युद्धविराम और यहां से कब्जा करने वाले सैनिकों की पूर्ण वापसी शामिल होनी चाहिए।
इस रिपोर्ट के मुताबिक कल इस्माइल हानियेह और मध्यस्थों के बीच काहिरा वार्ता को लेकर कई बार टेलीफोन पर बातचीत हुई.
बताया गया है कि इस्माइल हनियेह ने टेलीफोन पर बातचीत में मध्यस्थों से आग्रह किया है कि जो भी बातचीत हो, उसमें स्थायी युद्धविराम, गाजा से कब्जे वाले ज़ायोनी सैनिकों की पूर्ण वापसी और फिलिस्तीनी शरणार्थियों की उनके क्षेत्रों में बिना शर्त वापसी शामिल होनी चाहिए। मुझे शामिल होना चाहिए.
गौरतलब है कि काहिरा में हमास और ज़ायोनी सरकार के बीच संघर्ष विराम और कैदियों की अदला-बदली को लेकर मार्च में बातचीत शुरू हुई थी, जो पिछले गुरुवार को बिना किसी नतीजे के ख़त्म हो गई। फ़िलिस्तीनी स्थिरीकरण मोर्चा के नेताओं का कहना है कि ज़ायोनी सरकार ने अब तक काहिरा वार्ता में दिखाया है कि वह युद्ध को रोकना नहीं चाहती है और ज़ायोनी सरकार फ़िलिस्तीनियों को कोई सुविधा दिए बिना अपने युद्धबंदियों को मुक्त करने का प्रयास कर रही है जैसे-जैसे वार्ता रुकती रही, हमास प्रतिनिधिमंडल ने अप्रत्यक्ष वार्ता छोड़ दी और परामर्श के लिए फ़िलिस्तीन लौट आया।
मस्जिद ए अलअक्सा में आमाले शबे क़द्र में 2लाख फ़िलिस्तीनियों ने भाग लिया
लाखों नमाज़ियों ने इज़राइल द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद शबे क़द्र (रमज़ान की सत्ताईसवीं )को मस्जिद ए अलअक्सा में नमाज़ अदा की।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार कब्ज़ा करने वाले ज़ायोनीवादियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, लाखों रोज़ेदारों ने शबे क़द्र (रमजान की सत्ताईसवीं) को अलअक्सा मस्जिद में मग़रिबिन और तरावीह की नमाज़ अदा की।
कुद्स के बंदोबस्ती मंत्रालय ने घोषणा की कि 200,000 रोज़ेदारों ने अलअक्सा मस्जिद में मगरबीन और तरावीह की नमाज़ अदा की।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सेना ने अलअक्सा ए मस्जिद के प्रवेश द्वारों पर उपासकों पर हमला किया और उन्हें मारा पिटा,नमाज़ के बाद नमाज़ियों और मुअतक्फीन ने गाज़ा की हिमायत में नारे लगाए
हमारी कोई वैधता नहीं है, इस्राईली संचार माध्यमों में बढ़ती आलोचना
ग़ज़्ज़ा युद्ध के 180 से अधिक दिन गुज़र जाने के बावजूद हिब्रू भाषा के संचार माध्यमों में ज़ायोनी शासन के मंत्रीमण्डल के क्रियाकलापों की आलोचना बढ़ती जा रही है।
ज़ायोनी समाचारपत्र हआरेत्ज़ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध को आरंभ हुए छह महीनों का समय बीतने के बावजूद इस्राईल की हालत, दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है।
इस रिपोर्ट में आया है कि हमको युद्ध रोक देना चाहिए और हमास में नियंत्रण से अपने बंदियों को वापस उनके घरों को लाना चाहिए। समाचारपत्र हआरेत्ज़ के अनुसार ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतनयाहू को अपने पद से हट जाना चाहिए।
ज़ायोनी संचार माध्यमों में इस बात पर विशेष रूप से बल दिया गया है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध को आरंभ हुए आधा साल गुज़र चुका है किंतु अबतक निर्धारित लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सके हैं। इन 6 महीनों के दौरान न तो कोई हमारा बंधक वापस अपने घर पर आया है और न ही हमास को पराजित किया जा सका है।
हआरेत्ज़ की रिपोर्ट बताती है कि इस्राईल को अपने क्रियाकलापों पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि निर्धारित लक्ष्यों तक पहुंचना बहुत ही कठिन दिखाई दे रहा है। ज़ायोनी शासन के लिए ग़ज़्ज़ा युद्ध में उसके रिज़र्व फोर्स के कम से कम 1500 सैनिकों के हताहत होने हज़ारों के घायल होने की बात बताती है कि इस्राईलियों को इस युद्ध का बड़ा बदला देना होगा।
हिब्रू भाषा के संचार माध्यमों के अनुसार इस्राईल के मंत्रीमण्डल की विफलता केवल ग़ज़्ज़ा तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसका उत्तरी मोर्चा भी उसके लिए मुसीबत बना हुआ है क्योंकि वहां पर इस्राईलियों की वापसी के लिए इस क्षेत्र से हिज़बुल्ला को पीछे हटाना लगभग असंभव दिखाई दे रहा है।
यह संचार माध्यम इस बात की पुष्टि करते हैं कि सात अक्तूबर से लेकर अबतक इस्राईल की हालत हर रोज़ ख़राब होती जा रह है। हम इस्राईल के भीतर उसकी कूटनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सुरक्षा संबन्धी समस्याओं में अभूतपूर्व वृद्धि के साक्षी हैं।
ग़ज़्ज़ा युद्ध के छह महीने गुज़रने के साथ ही इस्राईल, अपनी वैधता खो चुका है। इस समय वह बहुत ही अलग-थलग पड़ चुका है। इसके अधिकारियों को इस समय प्रतिबंधों और क़ानूनी कार्यवाहियों का ख़तरनाक ढंग से सामना है।
इस बीच इस्राईल ने वार्ता प्रक्रिया की तुलना में सैन्य दबाव डालने को वरीयता यह कहते हुए दे रखी है कि जब-जब हमास पर दबाव बढ़ा है, उसकी रणनीति लचीली हो जाती है। हालांकि ज़ायोनियों की यह स्ट्रैटेजी भी विफल सिद्ध हुई। ग़ज़्ज़ा युद्ध के आरंभ से अबतक आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कम से कम 604 इस्राईली सैनिक मारे जा चुके हैं।
इससे पहले अवैध ज़ायोनी शासन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री एहूद ओलमर्ट ने ग़ज़्ज़ा युद्ध के तत्काल रोके जाने और इस्राईली बंदियों की वापसी पर बल दिया था। उन्होंने कहा था कि इस स्थति में इस्राईल की उपलब्धि, युद्ध को जारी रखने की तुलना में अधिक होती।ओलमर्ट का कहना है कि नेतनयाहू, स्वयं को मुक्ति दिलाने के लिए युद्ध को जारी रखे हुए है वह इस्राईली बंदियों की आज़ादी के लिए युद्ध नहीं कर रहा है। उनका कहना था कि इस युद्ध में नेतनयाहू की ओर से निर्धारित किये गए लक्ष्य, हासिल नहीं हो पाएंगे।
ग़ज़्ज़ा युद्ध से संबन्धित ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार इस युद्ध में ज़ायोनियों के हमलों में अबतक 33000 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं। ज़ायोनियों के हमलों से 75000 से अधिक फ़िलिस्तीनी घायल हुए हैं।
याद रहे कि ब्रिटिश उपनिवेशवादा के षडयंत्र के अन्तर्गत सन 1917 में इस्राईल के गठन की योजना तैयार हो चुकी थी किंतु विश्व के अन्य देशों से फ़िलिस्तीन की भूमि की ओर यहूदियों के पलायन के बाद 1948 में अवैध ज़ायोनी शासन के गठन की घोषणा की गई। उस समय से लेकर अबतक ज़ायोनियों के हाथों फ़िलिस्तीनियों की भूमि पर क़ब्ज़ा करने और उनके जातीय सफाए की कार्यवाहियां विभिन्न शैलियों में जारी हैं।
माहे रमज़ान के सत्ताईसवें दिन की दुआ (27)
माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।
أللّهُمَّ ارْزُقني فيہ فَضْلَ لَيلَة القَدرِ وَصَيِّرْ اُمُوري فيہ مِنَ العُسرِ إلى اليُسرِ وَاقبَلْ مَعاذيري وَحُطَّ عَنِّي الذَّنب وَالوِزْرَ يا رَؤُفاً بِعِبادِہ الصّالحينَ.
अल्लाह हुम्मर ज़ुक्नी फ़ीहि फ़ज़्ला लैलतिल क़द्र, व सय्यिर उमूरी फ़ीहि मिनल उसरि इलल युस्र, वक़-बल मआज़ीरी व हुत्ता अन्नीज़ ज़न्ब, वल विज़रा या रउफ़न बे इबादिहिस्सालिहीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! इस महीने में मुझे शबे क़द्र की फ़ज़ीलत इनायत फ़रमा, और मेरे कामों को दुश्वारियों से आसानी की तरफ़ मोड़ दे, मेरे उज़्र (माफ़ी) को क़ुबूल फ़रमा, मुझ से हर गुनाह और हर बोझ को दूर कर दे, ऐ अपने नेक बन्दों पर मेहरबानी करने वाले.
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम,