माहे रमज़ान के सत्ताईसवें दिन की दुआ (27)

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माहे रमज़ान के सत्ताईसवें दिन की दुआ (27)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

أللّهُمَّ ارْزُقني فيہ فَضْلَ لَيلَة القَدرِ وَصَيِّرْ اُمُوري فيہ مِنَ العُسرِ إلى اليُسرِ وَاقبَلْ مَعاذيري وَحُطَّ عَنِّي الذَّنب وَالوِزْرَ يا رَؤُفاً بِعِبادِہ الصّالحينَ.

अल्लाह हुम्मर ज़ुक्नी फ़ीहि फ़ज़्ला लैलतिल क़द्र, व सय्यिर उमूरी फ़ीहि मिनल उसरि इलल युस्र, वक़-बल मआज़ीरी व हुत्ता अन्नीज़ ज़न्ब, वल विज़रा या रउफ़न बे इबादिहिस्सालिहीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! इस महीने में मुझे शबे क़द्र की फ़ज़ीलत इनायत फ़रमा, और मेरे कामों को दुश्वारियों से आसानी की तरफ़ मोड़ दे, मेरे उज़्र (माफ़ी) को क़ुबूल फ़रमा, मुझ से हर गुनाह और हर बोझ को दूर कर दे, ऐ अपने नेक बन्दों पर मेहरबानी करने वाले.

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम,

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