माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाई हैं।
اَللّهُمَّ قَرِّبْني فيہ اِلى مَرضاتِكَ وَجَنِّبْني فيہ مِن سَخَطِكَ وَنَقِماتِكَ وَوَفِّقني فيہ لِقِرائَة اياتِِكَ بِرَحمَتِكَ يا أرحَمَ الرّاحمينَ.
अल्लाह हुम्मा क़र्रिबनी फ़ीहि इला मरज़ातिक, व जन्निबनी फ़ीहि मिन सख़तिका व नक़िमातिक, व वफ़ फ़िक़्नी फ़ीहि ले क़िराअति आयातिक, बे रहमतिका या अरहमर्राहिमीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! मुझे इस महीने में अपनी ख़ुशनूदी से क़रीब कर दे और अपनी नाराज़गी और इंतक़ाम से दूर कर दे और तेरे (क़ुरआनी) आयतों की तिलावत करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमा, ऐ रहम करने वालों में सबसे ज़ियादा रहम करने वाले,