माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।
اَللّهُمَّ لاتُؤاخِذْني فيہ بالْعَثَراتِ وَاَقِلْني فيہ مِنَ الْخَطايا وَالْهَفَواتِ وَلا تَجْعَلْني فيہ غَرَضاً لِلْبَلايا وَالأفاتِ بِعزَّتِكَ يا عِزَّ المُسْلمينَ...
अल्लाह हुम्मा ला तुआख़िज़नी फ़ीहि बिल असरात, व अक़िलनी फ़ीहि मिनल ख़ताया वल हफ़वात, व ला तज अलनी फ़ीहि ग़रज़न लिल बलाया, वल अफ़ाति बे इज़्ज़तिका या इज़्ज़ल मुस्लिमीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! इस महीने में मेरी लग़ज़िशों पर मेरी गिरफ़्त ना फ़रमा, मुझे ख़ताओं व गुनाहों में मुब्तला होने से दूर रख, मुझे मुश्किलों और आफ़तों का निशाना क़रार ना दे, तेरी इज़्ज़त के वास्ते, ऐ मुसलमानों की इज़्ज़त व अज़मत...
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.