माहे रमज़ान के बीसवें दिन की दुआ (20)

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माहे रमज़ान के बीसवें दिन की दुआ (20)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

أللّهُمَّ افْتَحْ لي فيہ أبوابَ الجِنان وَأغلِقْ عَنَّي فيہ أبوابَ النِّيرانِ وَوَفِّقْني فيہ لِتِلاوَة القُرانِ يامُنْزِلَ السَّكينَة في قُلُوبِ المؤمنين.

अल्लाह हुम्मा इफ़तह ली फ़ीहि अबवाबल जिनान, व अग़लिक़ अन्नी फ़ीहि अबवाबल नीरान, व वफ़्फ़िक़नी फ़ीहि ले तिलावतिल क़ुरआन, या मुन-ज़िलस सकीनति फ़ी क़ुलूबिल मोमिनीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! इस महीने में मुझ पर जन्नत के दरवाज़े खोल दे, और जहन्नम की भड़कती आग के दरवाज़े मुझ पर बंद कर दे, और मुझे इस महीने में तिलावते क़ुरआन की तौफ़ीक़ अता फ़रमा, ऐ मोमिनीन के दिलों में सुकून नाज़िल करने वाले... 

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

 

 

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