मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश सीएस करनन ने कहा है कि मुझे भारत में पैदा होने पर शर्म आती है।
मद्रास हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट तबादला किए जाने से नाराज़, करनन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वे पिछड़ी जाति से हैं, इसीलिए उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
करनन ने सुप्रीम कोर्ट के तबादला आदेश पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इस पर सोमवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति करनन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के अपने आदेश में लिखा है, मैं माननीय मुख्य न्यायाधीश से इस मुद्दे पर 29 अप्रेल तक लिखित बयान कोर्ट के समक्ष पेश करने का आग्रह करता हूं। बयान पेश किए जाने तक कलकत्ता हाई कोर्ट में तबादले के आदेश पर अंतरिम रोक लागू रहेगी।
करनन ने सुप्रीम कोर्ट के 1993 के एक आदेश का उल्लेख करते हुए लिखा है, मैं माननीय मुख्य न्यायाधीश से आग्रह करता हूं कि आप मेरे अधिकार क्षेत्र में दख़ल न दें, क्योंकि मैं एक मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद आदेश जारी करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में हूं और स्थानान्तरण का यह आदेश 1993 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ़ है।
न्यायाधीश करनन ने का कहना था कि मैं पूरी तरह बेक़सूर हूं। मैंने जब कुछ न्यायाधीशों के खिलाफ़ आरोप लगाए तो मेरे साथ जातिगत भेदभाव किया गया। अगर मेरे साथ इसी तरह भेदभाव किया गया तो मैं देश छोड़ दूंगा। अगर मेरे जन्मसिद्ध अधिकारों का हनन किया गया तो मैं किसी ऐसे देश में चला जाऊंगा जहां इस तरह का भेदभाव नहीं हो।