इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अगले संसदीय व विशेषज्ञ परिषद के चुनावों में जनता की भरपूर उपस्थिति को शत्रुओं के षड्यंत्रों की विफलता का कारक बताया है।
सन 1978 में तबरीज़ की जनता की क्रांति की वर्षगांठ के अवसर पर इस प्रांत के विभिन्न वर्गों के लोगों ने तेहरान में वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की। बुधवार को होने वाली इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने इस बात पर बल देते हुए कि आगामी 26 फ़रवरी के चुनाव, राष्ट्र की चेतना , व्यवस्था की रक्षा और राष्ट्रीय गौरव व स्वाधीनता के प्रतीक हैं, कहा कि चुनाव में जनता की पूरी सूझबूझ के साथ भरपूर उपस्थिति, शत्रुओं की इच्छाओं के विपरीत कार्यवाही करेगी।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि शत्रु चुनाव के लिए एक विशेष कार्यक्रम द्वारा अपने षड्यंत्रों को व्यवहारिक बनाने के प्रयास में है। इस आधार पर ईरानी राष्ट्र को देश के मुख्य मालिक के रूप में कुछ वास्तविकताओं से अवगत होना चाहिए ताकि घटिया सोच व्यवहारिक न हो सके।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी क्रांति की सफलता के आरंभ से ही विदेशियों की योजना, ईरान में चुनाव के आयोजन के मार्ग में बाधाएं डालना रही है और उन्होंने इसके लिए अथक प्रयास किए किन्तु जब वे निराश हो गये तो उन्होंने हालिया वर्षों में चुनाव पर ही प्रश्न चिन्ह लगाने पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया और वे चुनावों पर अपना प्रभाव डालना चाहते हैं।
वरिष्ठ नेता ने अमरीका और बहुत सी यूरोपीय सरकारों की नीतियों को ज़ायोनी नेटवर्क से प्रभावित बताया। उन्होंने कहा कि परमाणु मामले में अमरीका के क्रियाकलापों को भी इसी परिधि में देखना चाहिए।
वरिष्ठ नेता ने दुनिया के पूंजीनिवेशकों द्वारा ईरान में पूंजी निवेश में वाश्गिंटन द्वार डाली जाने वाली बाधाओं पर आधारित अमरीका के एक अधिकारी के हालिया बयान की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस प्रकार के बयान इस बात के सूचक हैं कि ईरान से अमरीका की दुश्मनी बहुत ही गहरी है। उन्होंने कहा कि इस्लामी क्रांति की सफलता और पिछले 37 वर्षों तक अमरीका और ज़ायोनी शासन का अपने हितों तक न पहुंचना, अमरीका के लिए कलंक का टीका है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने ग्यारह फ़रवरी को इस्लामी क्रांति की सफलता की वर्षगांठ के अवसर पर निकलने वाली देश व्यापी रैलियों में जनता की व्यापक उपस्थिति पर आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह जनता की चेतना, मज़बूत इरादे और उसके प्रतिरोध का चिन्ह है।