पश्चिमी एशिया के क्षेत्र में जो नई स्थिति जन्म ले रही है वह हक़ीक़त में उस रसूख़ की लड़ाई का नतीजा है जो कई वर्षों से इस्लामी गणतंत्र ईरान के नेतृत्व में इस्लामी प्रतिरोधक ब्लाक और अमरीका के बीच जारी है। इस युद्ध में अमरीका के घटक उसका साथ दे रहे हैं।
वैसे तो यह लड़ाई पिछले लगभग चालीस साल से जारी है लेकिन हालिया दस वर्षों में यह लड़ाई अधिक जटिल और व्यापक हो चली है।
वर्तमान परिस्थितियां दो परिवर्तनों को रेखांकित करती हैं। एक तो अमरीका की ताक़त और रसूख़ में स्पष्ट कमी तथा दूसरी ईरान की शक्ति और प्रभाव में तेज़ वृद्धि। बहुत से विशलेषकों का मानना है कि अमरीका इलाक़े में ईरान के मुक़ाबले में बुरी तरह उलझाव और कन्फ़्युजन का शिकार है, इसी लिए उसको लगातार विफलताओं का सामना करना पड़ रहा है।
वरिष्ठ विशलेषक माइकल यांग ने दि नेशनल इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले अपने लेख में लिखा है कि अमरीका के पास इलाक़े में ईरान के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए कोई रणनीति ही नहीं है। इसी बारे में जार्ज फ़्रेडमैन इस बात पर ज़ोर देते हुए लिखते हैं कि अमरीका इराक़ में जन्म लेने वाली इस्लामी जागरूकता की लहर की वजह से तबाह हाल हो चुका है। इसी जागरूकता के कारण इलाक़े के समीकरण अमरीका के अहित और ईरान के हित में बदल गए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि अमरीका नए इराक़ के तथ्यों से ख़ुद को समन्वित नहीं कर पा रहा है। अमरीकी नीतियों के चलते दाइश संगठन अस्तित्व में आया इस समस्या ने ख़ुद भी ईरान के लिए इलाक़े के दरवाज़े पूरी तरह खोल दिए। वाशिंग्टन ईरान की परमाणु शक्ति में ही उलझा रहा जबकि वह इस हक़ीक़त से अनभिज्ञ रहा कि ईरान का राजनैतिक प्रभाव उसकी परमाणु शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है।
सेंट एंथोनी कालेज के शरमेन नरवानी ने हाल ही में एक कालम में लिखा कि अब जबकि 2017 का साल समाप्त होने वाला है तो सीरिया युद्ध में शामिल देश इस देश में न्यू आर्डर की स्थापना की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन अमरीका इसमें कोई स्थान नहीं है। पश्चिमी एशिया में जारी बदलाव का दूसरा पहले ईरान के बढ़ते प्रभाव पर आधारित है। इस इलाक़े के संकटों के समाधान में ईरान की प्रभावी भूमिका को देखते हुए बहुत से पश्चिमी स्ट्रैटेजिस्ट भी इसे ईरान के उदय का क्षण मान रहे हैं। उनका मानना है कि इलाक़े की स्थिति अपरिहार्य दिशा में बढ़ रही है और दुनिया की कोई भी ताक़त ईरान को पीछे हटाने की क्षमता नहीं रखती।
जार्ज फ़्रेडमैन ने हफ़िंग्टन पोस्ट में एक कालम लिखा है जिसका शीर्षक है ईरान मध्यपूर्व को नया रूप दे रहा है। इस कालम में फ़्रेडमैन ने लिखा है कि मध्यपूर्व एक नई और पूरी तरह से भिन्न शक्ल प्राप्त कर चुका है। ईरान के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत है।