इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि इस्लामी गणतंत्र पवित्र क़ुरआन पर अमल की वजह से अमरीका के सामने डटा हुआ है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने बल दिया है कि इस्लामी गणतंत्र पिछले 40 साल से साम्राज्य की दादागीरी के सामने डटा हुआ है और उन दुश्मनों की आंखों के सामने जो इस व्यवस्था को मिटाना चाहते थे, उसकी क्षमता व शक्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने गुरुवार को पवित्र क़ुरआन की 35वीं अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने वालों से मुलाक़ात में इस्लामी जगत की प्रगति का एक मात्र मार्ग पवित्र क़ुरआन पर अमल बताते हुए कहा कि इस्लामी देश पवित्र क़ुरआन से दूर होने की वजह से अपमान से ग्रस्त हैं और अमरीकी राष्ट्रपति का बड़ी निर्लज्जता से यह कहना, "अगर हम न हों तो कुछ अरब देश एक हफ़्ता भी बाक़ी नहीं रह पाएंगे।", इसी बीमारी का नतीजा है।
उन्होंने कहा कि पवित्र क़ुरआन हमसे कहता है कि मोमिनों के बीच आपस में एकता और मेलजोल हो और नास्तिकता के मोर्चे से किसी तरह का संबंध व संपर्क न रखें, लेकिन खेद के साथ कहना पड़ता है कि कुछ इस्लामी देश ज़ायोनी शासन के साथ संबंध बनाए हुए हैं और पवित्र क़ुरआन के आदेश पर अमल न करने का नतीजा क्षेत्र में जंग और मौजूदा अपराध है।
तेहरान में 26 अप्रैल 2018 को आयोजित पवित्र क़ुरआन प्रतियोगिता की तस्वीर
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यमन की जनता की स्थिति को देखिए कि उन्हें किस पीड़ा का सामना है। उनके विवाह समारोह, शोक सभा में बदलते जा रहे हैं या अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और सीरिया की जनता की स्थिति भी इसी वजह से है क्योंकि मोमिनों के बीच एकता व मेलजोल को नज़रअंदाज़ कर दिया गया है और पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं पर अमल नहीं हो रहा है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि अगर पवित्र क़ुरआन को पढ़ें और उस पर अमल हो तो इस्लामी जगत का कल आज से बेहतर होगा और अमरीका देशों व इस्लामी जगत को धमकी देने की स्थिति में नहीं होगा।