लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने बल दिया है कि हिज़्बुल्लाह युद्धोन्मादी नहीं है किन्तु युद्ध से डरता भी नहीं है।
ज्ञात रहे कि 25 मई सन 2000 को हिज़्बुल्लाह ने लेबनान के अतिग्रहित भूमि के बड़े भू-भाग से ज़ायोनियों के चंगुल से स्वतंत्र करा लिया था।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार को दक्षिणी लेबनान की स्वतंत्रता और प्रतिरोध की विजय की 18वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपने भाषण में कहा वर्ष 1982 से 2000 तक प्रतिरोध के पास श्रमबल और संसाधन दोनों ही बहुत कम थे किन्तु प्रतिरोधक बल ने यह सिद्ध कर दिया कि वह विजय के योग्य हैं और विजय के अनुभव ने यह दर्शा दिया कि ज़ायोनी दुश्मन ने प्रतिरोध के सामने आत्मविश्वास खो दिया।
सैयद हसन नसरुल्लाह ने हिज़्बुल्लाह के विरुद्ध अमरीकी और फ़ार्स खाड़ी सहयोग परिषद के प्रतिबंधों की ओर संकेत करते हुए कहा कि प्रतिबंधों का उद्देश्य, लोगों को प्रतिरोध के केन्द्र से दूर करना है किन्तु अमरीका और उसके घटकों का प्रतिरोध के केन्द्र से टकराव, विफल हो गया है।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव ने कहा कि सीरिया में हिज़्बुल्लाह की उपस्थिति, आतंकवाद से संघर्ष के लिए थी। उन्होंने कहा कि अमरीका ने सीरिया की सरकार को गिराने के लिए पूरी दुनिया से आतंकवादियों को एकत्रित किया था किन्तु सीरिया के घटक इस देश के पतन की कभी भी अनुमति नहीं देंगे।