रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के मोर्चे से तअल्लुक़ रखने वाले कुछ टीचर्ज़ ने दूसरों को अपने जीवन का आख़िरी पाठ जो पढ़ाया वह शहादत का पाठ था।
ज़ायोनी शासन के साथ जंग में शहीद होने वाले चार टीचरों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में हिज़्बुल्लाह के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल शैख़ नईम क़ासिम ने कहा कि वो अपनी शहादत से सबके लिए आदर्श बन गए हैं। अली साद नाम के टीचर की अपने छात्रों से विदाई की वीडियो वायरल हो गई है।
शहीद के पिता अहम साद कहते हैं कि अली साद अपने छात्रों से दोस्तों की तरह पेश आते थे। अपने छात्रों की कामयबी पर ख़ुशी में डूब जाते थे। अली साद की मां बताती हैं कि अली साद अपना ज़्यादातर समय छात्रों पर ख़र्च करते थे वह आदर्श टीचर थे उन्होंने अपना सारा वक़्त छात्रों को पढ़ाने के लिए समर्पित कर रखा था। उन्होंने अपनी शहादत से हम सबको बहुत बड़ा पाठ दिया।
एक अन्य टीचर अली फ़तूनी अपने छात्रों के साथ कैंपिंग के लिए जाते थे और वहां क्लास आयोजित करते थे। वह अपना ख़ाली समय छात्रों के साथ बिताते थे।....शैख़ अली काज़िम फ़तूनी की बहन बताती हैं कि वह आइडियल टीचर थे और अपनी शहादत के बाद वह सारे टीचरों के लिए आदर्श बन गए।
अली फ़तूनी के पिता बताते हैं कि अली फ़तूनी ने दीनी तालीम भी हासिल की थी और पीएचडी भी कर रहे थे। उनके पास खाली समय नहीं था लेकिन अध्यापन को बहुत अहम फ़रीज़ा मानते थे। वो अपने छात्रों के लिए पूरी जान लगाए रहते थे। लेबनान का समाज दुश्मन के चौतरफ़ा हमलों का सामना कर रहा है बल्कि उसे दुश्मन की तरफ़ से हाइब्रिड जंग का सामना है। यह जंग बिल्कुल भी नहीं रुकती। इन हालात में रेज़िस्टेंस की राह प चलने वाले समाज में अध्यापन और शिक्षा का विषय बहुत अधिक अहम है। शहीद टीचर्ज़ रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के भीतर पाए जाने वाले इसी ईमान और आस्था के उदाहरण हैं।