पश्चिमी हस्तक्षेप के बिना कैसा होगा ईरान और इस्राईल के बीच युद्ध?

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पश्चिमी हस्तक्षेप के बिना कैसा होगा ईरान और इस्राईल के बीच युद्ध?

इस्राईल के ख़िलाफ़ ईरान के जवाब हमले की समाप्ति के बाद सैन्य विश्लेषकों ने इस युद्ध के आयामों और उसके नतीजों पर रोशनी डाली है।

सैन्य विश्लेषक जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं उनमें से एक इस्राईल की रक्षा प्रणाली की कमज़ोरी और उसकी ताक़त का मुद्दा है। 13 अप्रैल को अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों पर ईरान के हमलों में आयरन डोम की कमज़ोरी खुलकर सामने आई है और कई ईरानी ड्रोन और मिसाइलें इस्राईल की रक्षा दीवार से होकर गुज़र गईं। अब, सैन्य विश्लेषकों ने इस मुद्दे के "क्यों" और भविष्य में संभावित युद्धों में इस्राईल के सामने आने वाली समस्याओं की जांच की है।

ईरान का इस्राईल पर दंडात्मक हमला, एक ऐसा घाव जो कभी ठीक नहीं होगाः

ज़ायोनी शासन की रक्षा प्रणाली के प्रदर्शन के बारे में पूर्व इस्राईली प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट के बयानों ने प्रमुख पश्चिमी शक्तियों की मदद के अभाव में ईरान के हमले और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के हमलों से निपटने के लिए इस्राईल की क्षमताओं पर अधिक संदेह पैदा कर दिया है। ओलमर्ट ने एक बयान में कहा: "इस्राईली सेना अन्य देशों (अपने सहयोगियों) की मदद के बिना ईरान के 75 प्रतिशत से अधिक लक्ष्यों को असफल बनाने में कामयाब नहीं हो पाती। सैन्य और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ कर्नल "हातिम करीम अल फ़ल्लाही" के मुताबिक़, यह टिप्पणी बढ़ा-चढ़ा कर कहा गया है।

"हातिम करीम अल फ़ल्लाही" का भी मानना ​​है कि इस्राईल अकेले ईरान के 75 प्रतिशत ड्रोन और मिसाइलों को रोकने और नष्ट करने में सक्षम नहीं था, लेकिन इस सैन्य विश्लेषक ने अल जज़ीरा टीवी के साथ एक साक्षात्कार में इस बात पर ज़ोर दिया कि इस्राईल ईरान के सामने अकेला है और इसी कारण से, वह ईरान से बड़ा युद्ध लड़ने में सक्षम नहीं है। अल जज़ीरा के अनुसार, ईरान ने पिछले शुक्रवार की सुबह घोषणा की कि इस्फ़हान के आसमान में विस्फोट हुए हैं और पुष्टि की है कि ईरान के ख़िलाफ़ कोई मिसाइल हमला नहीं हुआ है और देश की संवेदनशील सुविधाओं को कोई नुक़सान नहीं हुआ है। इस बीच अमेरिकी मीडिया ने इस देश के अधिकारियों के हवाले से बताया कि 13 अप्रैल को ईरान के जवाबी हमले के जवाब में इस्राईल ने इस्फ़हान पर हमला किया था।

हातिम करीम अल फ़ल्लाही" के विश्लेषण के मुताबिक़, ईरान के हमले से इस्राईली सेना की क्षमताओं के बारे में कई तथ्य सामने आए हैं। सामने आई कमज़ोरियों में इस्राईल की वायु रक्षा प्रणाली की कमज़ोरी भी शामिल है। इस बीच, आयरन डोम की कमज़ोरी और अधिक स्पष्ट हो गई। आयरन डोम इससे पहले ग़ज़्ज़ा पट्टी से लॉन्च किए गए रॉकेटों से निपटने में भी सक्षम नहीं था। इस बारे में फ़ल्लाही आगे कहते हैं कि, "इस्राईल अपनी 3 बड़ी सहयोगी शक्तियों, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के हस्तक्षेप और मदद के बिना अवैध अधिकृत क्षेत्रों की ओर लॉन्च किए गए 25 प्रतिशत रॉकेटों को भी रोक या मार नहीं सकता है।"

हाल के हमलों में किन हथियारों का इस्तेमाल किया गया?

अल फ़ल्लाही अल-फलाही के अनुसार, इस्राईल के पास तीन वायु रक्षा प्रणालियाँ हैं: आयरन डोम, डेविड स्लिंग और एरो (Arrow)। इनके अलावा, ज़ायोनी शासन के पास इंटरसेप्टर विमान और विभिन्न वायु रक्षा हथियार हैं जिनका उपयोग दुश्मन के विमानों को मार गिराने के लिए प्रभावी हथियार के रूप में किया जाता है। हालाँकि, यह उल्लेखनीय उपकरण ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के सामने टिक नहीं सके और मिसाइलें और ड्रोन इस्राईल की रक्षा पंक्ति को पार करने में सक्षम थे। अल जज़ीरा के सैन्य और रणनीतिक विशेषज्ञ बताते हैं कि ईरान ने इस्राईल पर जवाबी हमले में अपने उन्नत हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया और केवल अपने पुराने हथियारों का इस्तेमाल किया और इनमें से कई ड्रोन को कम गति से और खुले तौर पर दुश्मन को गुमराह करने के लिए अवैध अधिकृत भूमि पर भेजा।

 

यह ध्यान देने योग्य है कि संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने 13 अप्रैल को इस्राईल को निशाना बनाने वाली ईरानी मिसाइलों और ड्रोनों को मार गिराने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और तेल अवीव के लिए अपना पूर्ण समर्थन घोषित किया, लेकिन घोषणा की कि वे इस क्षेत्र में तनाव नहीं बढ़ाना चाहते हैं। अल जज़ीरा के विश्लेषक इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ऐसे युद्ध में कि जिसमें केवल ईरान और इस्राईल आसने-सामने होते हैं, ज़ायोनी शासन के पास कोई मौक़ा नहीं होगा।

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