अंसारुल्लाह यमन के के नेता सैयद अब्दुल मलिक बदरुद्दीन अलहौसी ने अपनी हालिया स्पीच में ग़ज़ा में ज़ायोनिस्ट रेजीम के उन युद्ध अपराधों की बात की जो अमरीका के भरपूर समर्थन से जारी हैं और साथ ही अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बेहद बेतुके बयान की कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने बढ़ी ढिठाई से कहा था कि ग़ज़ा में ज़ायोनिस्ट रेजीम जो मौत का तांडव कर रही है वो नस्लीय सफ़ाया नहीं है।
अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि सड़कों पर फ़िलिस्तीनियों का क़त्लेआम, उन्हें भीड़भाड़ वाली जगहों पर निशाना बनाना और लाखों लोगों को भुखमरी में ढकेलना जो बाइडन की नज़र में नस्लीय सफ़ाया नहीं है।
हेल्थ केयर सिस्टम को ध्वस्त करना, दवाओं की सप्लपाई रोक देना, बीमारों को क़त्ल करना, उनमें बहुतों को ज़िंदा ही दफ़्न कर देना, विक्लांगों को गाड़ी से रौंद देना बाइडन की नज़र में क़त्लेआम नहीं है।
हज़ारों और लाखों की संख्या में लोगों को बेघर कर देना और फिर उनका पीछा करके शरण स्थलों पर उन्हें क़त्ल करना, रोटी की दुकानों पर हमला, पानी के कुओं पर हमला यह सब जो बाइडन को अपराध नज़र नहीं आता।
अलहौसी ने कहाः ताज्जुब की बात नहीं है कि ग़ज़ा में जो कुछ हो रहा है उसे बाइडन नस्लीय सफ़ाया नहीं मानते क्योंकि वाशिंग्टन दरअस्ल अपराधों का मास्टर है और इस मैदान में उसका बहुत लम्बा रिकार्ड है।
अमरीका के ज़रिए ग़ज़ा के क़रीब जेटी बनाए जाने और उसके बारे में अमरीकी अधिकारियों के दावों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ग़ज़ा पट्टी के इलाक़े में अमरीका की फ़्लोटिंग बंदरगाह दरअस्ल अमरीका की सैनिक छावनी है। जिस समय अमरीका इस इलाक़े में बक्तरबंद गाड़ियां और एयर डिफ़ेंस सिस्टम लाया उसी समय वो बेनक़ाब हो गया था।
अलहौसी ने कहाः अमरीका चाहता है कि ग़ज़ा पट्टी को जेल में बदल दे जहां प्रवेश का एक समुद्री रास्ता रहे और अमरीकी सैनिक उस पर नज़र रखें।हलहौसी ने आयरलैंड, नार्वे और स्पेन की ओर से फ़िलिस्तीन की स्वाधीनता को मान्यता दिए जाने के बारे में कहा कि तीन यूरोपीय देशों की ओर से फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता दिया जाना वैसे तो अधूरा क़दम है लेकिन यह अपने आप में बहुत अहम राजनैतिक डेवलपमेंट है।
उन्होंने कहाः वेस्ट जो बिल्लियों और दूसरे जानवरों के अधिकारों के लिए गला फाड़ता रहता है मानवता के ख़िलाफ़ अपराध और नस्लीय सफ़ाए में शामिल होने के बाद पूरी तरह बेनक़ाब हो गया है।
अब्दुल मलिक अलहौसी ने कहा कि आईसीसी के एटर्नी जनरल का बयान जिसमें उन्होंने जल्लाद और पीड़ित को एक समान क़रार दे दिया, अन्यायपूर्ण है। उन्होंने सवाल उठाया कि एटार्नी जनरल कैसे ज़ायोनिस्ट रेजीम के प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू और युद्ध मंत्री युआफ़ गालांट को फ़िलिस्तीनी नेताओं के समान क़रार दे सकते हैं जो फ़िलिस्तीन के न्यायपूर्ण लक्ष्यों के लिए लड़ रहे हैं।
उन्होंने अपनी स्पीच में कहा कि राष्ट्रपति रईसी की शहादत के गहरे दुख में हम पूरी तरह शरीक हैं। राष्ट्रपति रईसी दूसरे नेताओं से अलग थे, एक ओहेदादार के रूप में और अपनी जनता से गहरे संबंध के मामले में वो एक आदर्श हैं और यह अन्य नेताओं के लिए बहुत अहम नमूना है। राष्ट्रपति रईसी का शोक मनाने और उनके अंतिम संस्कार के लिए मिलियनों की संख्या में लोगों का बाहर आना अपने अवाम से उनके दिल के रिश्ते की निशानी है और यह चीज़ पूरी दुनिया के नेताओं से काफ़ी अलग है।
अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि विश्व स्तर पर इस्राईल के आइसोलेशन का दायरा तेज़ी से बढ़ता जा रहा है जबकि इस्राईल के ख़ौफ़नाक अपराधों पर कुछ देशों की ख़ामोशी पूरी मानवता का खुला अपमान है।
सैयद अलहौसी ने अपनी स्पीच के आख़िर में ग़ज़ा के समर्थन में इस्राईली जहाज़ों पर हमलों का सिलसिला जारी रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसी हफ़्ते 15 मिसाइलों और ड्रोन विमानों की मदद से लाल सागर, अरब सागर, अदन की खाड़ी और हिंद महासागर में आठ हमले किए गए। उन्होंने आगे कहा कि इसी हफ़्ते हमारा एक सैनिक आप्रेशन मेडीटेरियन सागर में अंजाम पाया। अब्दुल मलिक हौसी ने कहा कि अब तक हमारे हमलों में कुल 119 इस्राईली, अमरीकी और ब्रिटिश जहाज़ निशाना बन चुके हैं।अंसारुल्लाह के नेता ने कहा कि इसी हफ़्ते अमरीका के दो एमक्यू-9 ड्रोन यमन के मारिब और अलबैज़ा के इलाक़ों में मार गिराए गए।
उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीन का समर्थन हम जारी रखेंगे और यमनी राष्ट्र के तौर पर हमारा ज़िम्मेदारी का एहसास हरगिज़ फीका नहीं पड़ने वाला है।