तालिबान सरकार को मान्यता देगा रूस, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बिखराव

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तालिबान सरकार को मान्यता देगा रूस, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बिखराव

अफ़ग़ानिस्तान ली सत्ता पर क़ाबिज़ तालिबान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बिखराव का दौर शुरू हो चुका है। रूस अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के खिलाफ जाते हुए तालिबान सरकार को मान्यता देने का मन बना रहा है।

अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद अगस्त 2021 में तालिबान ने बिना एक भी गोली चलाए सत्ता को अपने हाथ में ले ली। अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के साथ ही क्षेत्री देशों और इंटरनेशनल ताकतों के बीच एक आम सहमति थी। अमेरिका, चीन, रूस, भारत, पाकिस्तान और ईरान समेत अन्य प्रमुख शक्तियों के बीच इस बात पर आम सहमति थी कि तालिबान सरकार को तब तक मान्यता नहीं दी जाएगी, जब तक वह कुछ शर्तों को पूरा नहीं कर लेता।

इन शर्तों में समावेशी सरकार बनाना, महिलाओं और मानवाधिकारों का सम्मान करना और अफगान धरती को आतंकी समूहों के इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल न होने देना शामिल है।

लेकिन तालिबान को लेकर अंतरराष्ट्रीय सहमति टूटती दिख रही है। दरार का पहला संकेत मार्च में दिखा जब चीन ने तालिबान शासन की ओर से नियुक्त पूर्णकालिक राजदूत को स्वीकार कर लिया। चीन ने तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है। लेकिन पूर्णकालिक राजदूत को स्वीकार करना एक मौन मान्यता के तौर पर देखा जा रहा है।

अब अफगान तालिबान के साथ एक और देश पूर्ण संबंध स्थापित करने के करीब पहुंच गया है। रूस ने तालिबान सरकार को मान्यता का संकेत दिया है। पहले कदम के तहत रूसी न्याय और विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति पुतिन से अफगान तालिबान को आतंकी संगठनों की लिस्ट से हटाने की सिफारिश की। रूस ने 2003 में अफगान तालिबान पर प्रतिबंध लगा दिया था। अगर रूस प्रतिबंध हटा लेता है, तो तालिबान सरकार की संभावित मान्यता का रास्ता साफ हो जाएगा।

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