क़ुरआन में अच्छे शासकों की विशेषताओं को ईरान के शहीद राष्ट्रपति में देखा जा सकता है

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क़ुरआन में अच्छे शासकों की विशेषताओं को ईरान के शहीद राष्ट्रपति में देखा जा सकता है

धार्मिक व आध्यात्मिक मामलों में ईरानी राष्ट्रपति के सलाहकार ने कहा कि अगर ऐसे शासक को ढूंढ़ रहे हैं जिसके अंदर क़ुरआन में बताई गयी विशेषतायें मौजूद हों तो बेहतर है कि ईरान के शहीद राष्ट्रपति की जीवनी पर एक दृष्टि डाल लें और उसकी समीक्षा करें।

मेहर न्यूज़ एजेन्सी रिपोर्ट दी है कि धार्मिक व आध्यात्मिक मामलों में राष्ट्रपति के सलाहकार हुज्तुल इस्लाम मोहम्मद हाज अबुल क़ासिम ने शहीद आयतुल्लाह रईसी और उनके साथ शहीद होने वालों के सम्मान में अज्ज़हरा हुसैनिया में आयोजित कार्यक्रम में सांत्वना देते हुए कहा कि हमारे राष्ट्रपति वास्तव में क़ुरआनी थे और इस दृष्टि से हमारे क़ुरआनी समाज के लिए एक नुकसान है।

उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति क़ुरआन से प्रेम करने वाले इंसान थे और जब वे माज़न्दरान की आख़िरी प्रांतीय यात्रा पर गये थे तो एअरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए जो प्रतिनिधिमंडल आने वाला था उसके पहुंचने से कुछ मिनट पहले ही राष्ट्रपति वहां पहुंच गये थे और जब मैं एअरपोर्ट पहुंचा तो उनकी बगल में बैठ गया और मैंने देखा कि वे पवित्र क़ुरआन की तिलावत कर रहे हैं।

राष्ट्रपति सूरे यासिन, साफ़्फ़ात और मुल्क की तिलावत बहुत अच्छी शैली में कर रहे थे या मैंने राष्ट्रसंघ में देखा था कि उन्होंने किस प्रकार पवित्र क़ुरआन का समर्थन किया और शायद वह एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिन्होंने राष्ट्रसंघ के इतिहास में यह गर्व अपने नाम दर्ज कराया और कुरआन को हाथ में लेने की उनकी तस्वीर संचार माध्यमों में अमर हो गयी।

धार्मिक मामलों में ईरान के शहीद राष्ट्रपति के सलाहकार ने क़ुरआनी गतिविधियों के प्रचार- प्रसार हेतु राष्ट्रपति के ध्यान की ओर संकेत किया और कहा कि कम ही राष्ट्रपति थे जिन्होंने सीधे रूप से क़ुरआनी संस्कृति के विस्तार की परिषद के कार्यक्रम में भाग लिया और अपनी मौजूदगी में इस परिषद का गठन किया।

हाज अबुल क़ासिम ने कहा कि राष्ट्रपति की क़ुरआनी पहचान के महत्वपूर्ण भाग का विश्लेषण उनकी ज़िन्दगी में करना चाहिये और अगर हम क़ुरआनी शासक को साक्षात रूप में देखना चाहते हैं तो बेहतर यह है कि शहीद राष्ट्रपति की ज़िन्दगी पर एक नज़र डाल लें और उसकी समीक्षा करें।

उन्होंने कहा कि महान ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन में अपने अच्छे शासकों का परिचय कराया है और हज़रत सुलैमान, हज़रत युसूफ़ और हज़रत ज़ुलक़रनैन सबके सब अच्छे शासक थे और उसके बाद महान ईश्वर कहता है कि इन सब का एक रोडमैप व उद्देश्य था और वे बेहतरीन उदाहरण व आर्दश थे। उनके अंदर समस्त विशेषतायें मौजूद थीं और साथ ही उनके अंदर निष्ठा थी और वे सबके सब सदव्यवहार के भी स्वामी थे।

अबुल क़ासिम पवित्र क़ुरआन के सूरे माएदा की 54वीं आयत की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि इस सूरे की छठी आयत महत्वपूर्ण विशेषता रखती है और कहा जा सकता है कि यह आयत अच्छे शासकों की विशेषताओं को अपने अंदर लिए हुए है।

अच्छे शासक की पहली विशेषता यह है कि वह महान ईश्वर से प्रेम करता हो और महान ईश्वर भी उससे प्रेम करता हो और ईश्वरीय शासकों के निकट भौतिक चीज़ों व कारणों का कोई महत्व नहीं होता है और जो क़ुरआनी शासक होता है उसका समस्त प्रयास महान ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करना होता है।

महान ईश्वर इस आयत में कहता है" हे ईमान लाने वालो! तुममें से जो भी मुर्तद हो जाये यानी अपने धर्म को छोड़ दे तो अल्लाह शीघ्र ही ऐसे गिरोह को लायेगा जिनसे अल्लाह प्रेम करता होगा और वह भी अल्लाह से प्रेम करता होगा और वह मोमिनों के सामने विन्रम और काफ़िरों के मुकाबले में सख़्त व ताक़तर होगा। यह अल्लाह का करम है जिसे चाहता है वह उसे देता है और अल्लाह का करम बहुत विस्तृत है और अल्लाह सर्वज्ञाता है।

अबुल क़ासिम कहते हैं" हमारे राष्ट्रपति अल्लाह से प्रेम करते थे और अगर अल्लाह से प्रेम करने वाले न होते तो रात-दिन लोगों के लिए न दौड़ते। मानवता विरोधी इस्राईल के ख़िलाफ़ "सच्चा वादा" नामक ऑप्रेशन भी हमारे प्रिय राष्ट्रपति के व्यापक समर्थन का परिणाम था। राष्ट्रपति के अंदर न थकने की भावना मेरे आश्चर्य का कारण थी।

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