ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने बल देकर कहा है कि शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी का मार्ग एकता और समरसता का मार्ग था और इस शहीद के मार्ग और मक़सद का अनुसरण करना चाहिये।
ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान ने शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के घर जाकर उनके परिजनों से मुलाक़ात की। पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस मुलाक़ात में पिज़िश्कियान ने शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी को श्रद्धासुमन अर्पित की और उन्हें संघर्ष व जेहाद और स्वयं से पद को दूर करने का आदर्श बताया।
ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि नई सरकार में पूरी निष्ठा के साथ लोगों की सेवा कर सकें और शहीदों के सामने शर्मिन्दा न हों और उनके सामने सर बुलंद हो।
इस मुलाक़ात में शहीद सुलैमानी के परिजनों ने भी जनरल सुलैमानी की सेवाओं को बयान किया और कहा कि शहीद सुलैमानी ने अपनी पूरी उम्र ईरानी लोगों की सेवा में बिता दी और उनका एक प्रसिद्ध जुमला था कि मेरी और मेरे जैसे हज़ारों लोगों की जान ईरानी राष्ट्र पर क़ुर्बान।
प्रतिरोध के महानायक शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के परिजनों ने कहा कि शहीद सुलैमानी जहां राष्ट्रीय हस्ती थे वहीं वह इस्लामी जगत के लिए एक महान व्यक्तित्व के स्वामी थे और वह पार्टी व धड़े से हटकर देखते थे और लोगों को एक विशेष धड़े व गुट के रूप में नहीं देखते थे।
जनरल शहीद क़ासिम सुलैमानी के परिजनों ने इसी प्रकार प्रतिरोध पर ध्यान देने और शहीद सुलैमानी के सम्मानजनक मार्ग को जारी रखने को नई सरकार से ईरानी लोगों की मांग व अपेक्षा बताया और कहा कि इंशा अल्लाह शोहदा मदद करेंगे कि जो लोगों की सेवा का रास्ता है उसमें आप कामयाब रहें।
उल्लेखनीय है कि इस मुलाक़ात के अंत में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के परिजनों ने प्रतिरोध के शहीदों के सरदार जनरल क़ासिम सुलैमानी की एक तस्वीर ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को भेंट किया।
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी के जेहाद की वर्दी के साथ ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पिज़िश्कियान की तस्वीर
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी सिपाहे पासदारान की क़ुद्स ब्रिगेड और पश्चिम एशिया में अमेरिका और ज़ायोनी सरकार के मुक़ाबले में प्रतिरोध के कमांडर थे। इराक़ और सीरिया में आतंकवादी गुट दाइश के ज़ाहिर होने के बाद उन्होंने इन देशों में उपस्थित होकर आतंकवाद से मुक़ाबले की कमान संभाली और इन देशों की सरकारों के सहयोग से आतंकवादी गुट दाइश से मुक़ाबला किया और इराक़ और सीरिया के जिन क्षेत्रों पर दाइश ने क़ब्ज़ा कर लिया था उन क्षेत्रों से दाइश को ख़त्म करने में शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी सैनिक टैक्टिकों को लागू करने और साम्राज्यवादियों के षडयंत्रों को नाकाम बनाने में इतने माहिर व दक्ष थे कि उन्होंने जनरल क़ासिम सुलैमानी को छायारहित जनरल की उपाधि दे रखी थी।
अंततः 63 साल की उम्र में 13 दैय 1398 हिजरी शमसी को शुक्रवार की सुबह को इराक़ में अमेरिका की एक आतंकवादी कार्यवाही में जनरल क़ासिम सुलैमानी शहीद हो गये।
अमेरिका की यह आतंकवादी कार्यवाही इस बात का कारण बनी कि ईरान ने इराक़ में अमेरिका की सैनिक छावनी एनुल असद पर जवाबी हमला करके मिसाइलों की बारिश कर दी और उसके बाद ईरान ने पश्चिम एशिया में अमेरिकी सैनिकों के ख़िलाफ़ ग़ैर आधिकारिक युद्ध आरंभ कर दिया।