इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री ने कहा है कि परमाणु समझौते के संदर्भ में आतंरिक और कांग्रेस की समस्याओं का समाधान अमरीकी सरकार का कर्तव्य है।
विदेशमंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने सोमवार की शाम दक्षिण अफ्रीका की अपनी समकक्ष के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में दक्षिण अफ्रीका के एक पत्रकार के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि हमें यह पता है कि अमरीका के भीतर और बाहर कुछ लोग, परमाणु समझौता नहीं चाहते और यदि अमरीकी सरकार, ईरानी जनता का सम्मान करना और समझौते को अंतिम रूप देने का इरादा रखती है तो अमरीकी कांग्रेस और इस देश के भीतर की समस्याओं का निवारण उसका कर्तव्य है और हमसे अमरीका की आतंरिक राजनीति का कोई संबंध नहीं है।
विदेशमंत्री ने कहा कि खेद की बात है कि ईरान में क्रांति के बाद अमरीका की शत्रुतापूर्ण कार्यवाहियों के कारण ईरानी जनता में अमरीका के प्रति अविश्वास जड़ पकड़ चुका है जिसका निवारण अमरीका को विश्वास बहाल करके करना होगा।
विदेशमंत्री ने कहा कि चरमपंथ और आतंकवाद अफ्रीका और हमारे क्षेत्र के लिए समान खतरा है और बड़े खेद की बात है कि बोको हराम, अन्नुस्रा फ्रंट, अश्शबाब , अलकाएदा और आईएसआईएल जैसे चरमपंथी संगठन इस्लाम के नाम पर वह काम करते हैं जिनका इस्लामी शिक्षाओं से कोई संबंध नहीं है किंतु इस प्रकार के खतरों की रोकथाम का रास्ता, विदेशी हस्तक्षेप कदापि नहीं है क्योंकि हम लीबिया में विदेशी हस्तक्षेप का परिणाम देख चुके हैं।
विदेशमंत्री ने रूसी पत्रकार के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने यमन के संकट और सऊदी अरब के गैर कानूनी हमलों के आरंभ से ही कहा है कि यमन की समस्या का सैन्य समाधान संभव नहीं है और इस प्रकार के हमलों से आज जनता के जनसंहार के अलावा कोई परिणाम निकलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि यमन के युद्ध विराम को स्थायी होना चाहिए ।