رضوی

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इराकी सेना ने कहा कि मंगलवार को बगदाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आसपास के इलाकों में दो कत्युशा रॉकेट गिरे, जिससे कोई हताहत नहीं हुआ।

अलखफ़ाजी के एक बयान के अनुसार, हमला मंगलवार को स्थानीय समयानुसार सुबह 00:20 बजे हुआ जब दो रॉकेट हवाई अड्डे के करीब के इलाकों पर गिरे, जिनमें से एक इराकी आतंकवाद-रोधी सेवा के बेस पर गिरा।

अलखफ़ाजी ने कहा कि इराकी सुरक्षा बलों को पश्चिमी बगदाद के अलअमेरिया पड़ोस में छोड़े गए एक ट्रक पर एक रॉकेट लॉन्चर मिला और लॉन्चर में कई बिना दागे रॉकेटों को निष्क्रिय कर दिया गया उन्होंने कहा कि अधिक जानकारी बाद में जारी की जाएगी।

इस बीच आंतरिक मंत्रालय के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी को बताया कि इराकी बलों ने पड़ोस की घेराबंदी कर दी है और हमलावरों की पहचान करने के लिए घटना की जांच शुरू कर दी है।

 

उन्होंने कहा कि हमले में हवाई अड्डे के पास अमेरिकी सैन्य विशेषज्ञों के आवास वाले इराकी सैन्य अड्डे को निशाना बनाया गया अभी तक किसी भी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

बगदाद के ग्रीन जोन में अमेरिकी सैनिकों और अमेरिकी दूतावास वाले इराकी सैन्य अड्डों पर अक्सर अज्ञात मोर्टार और रॉकेट हमले होते रहे हैं।

 

 

 

 

हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह, लेबनान और फिलिस्तीन की आज़ादी के लिए जीवन भर लड़ने के बाद शुक्रवार को बैरूत के बाहरी इलाक़े में ज़ायोनियों के क्रूर और पाश्विक हमले में शहीद हो गए।

शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह लेबनान में हिज़्बुल्लाह के तीसरे महासचिव और 1982 में इसके संस्थापकों में से एक थे। हिज़्बुल्लाह के दूसरे महासचिव सैयद अब्बास मूसवी की 1992 में ज़ायोनी शासन के हमले में शहादत के बाद, उन्हें हिज़्बुल्लाह द्वारा इस संगठन के महासचिव के रूप में चुना गया था।

सैयद हसन नसरुल्लाह के समय में लेबनान का हिजबुल्लाह एक क्षेत्रीय शक्ति बन गया और कई आप्रेशन चलाकर 2000 में इज़राइल को लेबनान से बाहर खदेड़ने में कामयाब रहा। एक इंसान जिसका ज़िक्र इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह इमाम ख़ामेनेई ने एक महान मुजाहिद, नेता और प्रतिरोध के ध्वज वाहक के रूप में किया है।

हम प्रतिरोध के सरदार सैयद हसन नसरुल्लाह की जीवनी पर एक नज़र डालेंगे:

जीवन, जन्म और परिवार

लेबनान और दुनिया की मशहूर हस्तियों में से एक सैयद हसन नसरुल्लाह का जन्म 31 अगस्त 1960 को पूर्वी बैरूत के मोहल्ले में हुआ था। वह परिवार के नौ बच्चों में सबसे बड़े थे। उनके पिता सैयद अब्दुल करीम और उनकी मां "नहदिया सफ़ीउद्दीन" का संबंध दक्षिणी लेबनान के सूर शहर के उपनगरीय इलाके "बरज़ूरिया" गांव से थे जो बैरूत चले गए थे।

अप्रैल 1975 में, सैयद हसन नसरुल्लाह अपने परिवार के साथ अपने पिता के गृहनगर बाज़ूरिया गांव चले गए और सूर शहर में अपनी हाई स्कूल की शिक्षा जारी रखी।

सोलह साल की उम्र में, सूर शहर के इमामे जुमा शहीद सैयद मोहम्मद बाक़िरुस्सद्र के प्रोत्साहन से जो एक इराक़ी धर्मशास्त्री, बुद्धिजीवी और इराक़ के बासी शासन के विरोधी थे, उच्च स्तर की धार्मिक शिक्षा हासिल करने के लिए नजफ़ चले गए।

सैयद मोहम्मद ने एक पत्र के ज़रिए सैयद हसन को शहीद सद्र से मिलवाया था। शहीद सद्र ने सैयद हसन नसरुल्लाह की शिक्षा की स्थिति और ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शहीद सैयद अब्बास मूसवी को ज़िम्मेदारी सौंपी। 1978 में, सैयद हसन नसरुल्लाह ने धार्मिक शिक्षा केन्द्र के प्रारंभिक पाठ्यक्रम को पूरा किया और नजफ़ में दो साल रहने के बाद, इराक़ी बासी शासन के दबाव के कारण वह लेबनान लौट आए।

 

1979 में बालाबक में इमाम मुन्तज़ेरी धार्मिक शिक्षा केन्द्र की स्थापना की और साथ ही अपनी पढ़ाई का सिलसिला भी जारी रखा और साथ ही पढ़ाना भी शुरू कर दिया। सैयद हसन नसरुल्लाह ने 1978 में 18 साल की उम्र में फ़ातिमा यासीन से शादी की, और इस विवाह के परिणाम स्वरूप उन्हें 4 बेटे और एक बेटी हुई। उनका सबसे बड़ा बेटा सैयद हादी, 1997 में दक्षिणी लेबनान में इज़राइली सैनिकों के साथ संघर्ष के दौरान शहीद हो गया था, जब वह 18 साल का था।

सामाजिक एवं राजनीतिक गतिविधियां

अपनी जवानी की शुरुआत में ही वह राजनीति में कूद पड़े। पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों के पंथ के विद्वानों और विचारकों में से एक, इमाम मूसा सद्र से जो ईरान से लेबनान चले गए थे और लेबनानी शियाओं की सर्वोच्च सभा और अमल आंदोलन के संस्थापक थे, उनकी रुचि के कारण वह उनसे जुड़ गए। इमाम मूसा सद्र धर्मों और मज़हबों को जोड़ने के क्षेत्र में प्रसिद्ध विद्वानों और सिद्धांतकारों में थे।

सैयद हसन नसरुल्लाह, अपने भाई सैयद हुसैन के साथ, बाज़ूरिया में अमल आंदोलन के प्रमुख बने। यह एक ऐसा आंदोलन था जो लेबनान की जनता की रक्षा करने और सैन्य लेहाज़ से इज़राइली शासन से लोहा लेने के लिए बनाया गया था।

1982 में, लेबनान पर इज़राइली हमले के बाद सैयद हसन नसरुल्लाह संघर्षकर्ता धर्मगुरुओं के एक अन्य समूह के साथ अमल संगठन से अलग हो गए और अधिक सक्रिय संघर्ष के उद्देश्य से, उन्होंने एक ज़ायोनी-विरोधी मुक्ति आंदोलन के रूप में लेबनानी हिज़्बुल्लाह की स्थापना की।

1982 से 1992 तक, सैयद हसन नसरुल्लाह ने अपनी गतिविधियों को हिज़्बुल्लाह में केंद्रित किया। हिज़्बुल्लाह की केंद्रीय परिषद में होने के अलावा, वह लेबनान में ज़ायोनी शासन के क़ब्ज़े का मुकाबला करने के लिए प्रतिरोधकर्ता बलों की तैयारी और सैन्य इकाइयों की स्थापना में भी व्यस्त थे। कुछ समय के लिए, वह "इब्राहिम अमीन अल-सैयद" (बैरूत में हिजबुल्लाह के प्रमुख) के डिप्टी भी थे और कुछ समय के लिए वह हिज़्बुल्लाह के कार्यकारी डिप्टी रहे।

लेबनान के हिज़्बुल्लाह के महासचिव का पद

सैयद अब्बास मूसवी की शहादत के बाद 16 फरवरी 1992 को सैयद हसन नसरुल्लाह हिजबुल्लाह के दूसरे महासचिव के रूप में हिज़्बुल्लाह के ज़रिए चुने गए थे। जब उन्हें हिजबुल्लाह के महासचिव के रूप में स्वीकार किया गया तब वह 32 वर्ष के थे।

महासचिव सैयद हसन के काल में, हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी शासन और आतंकवादी और तकफ़ीरी गुटों के ख़िलाफ अनेक जीतें हासिल कीं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण 2000 में दक्षिणी लेबनान की आज़ादी, 2006 में 33 दिवसीय युद्ध और साथ ही जनरल क़ासिम सुलैमानी के सहयोग से इराक और सीरिया में नक़ली आईएसआईएस सरकार को उखाड़ फेंकना शामिल है। इसी कारण से उन्हें प्रतिरोध का सैयद कहा गया है। साथ ही, इज़राइल के ख़िलाफ उनके प्रतिरोध और बारम्बार जीत की वजह से, उन्हें इस सदी में अरब और इस्लामी दुनिया में सबसे लोकप्रिय व्यक्ति या नेता के रूप में पहचाना जाता था।

नकाम क़ातेलाना हमले

सैयद हसन नसरुल्लाह को उनके कार्यकाल के दौरान कई बार ज़ायोनी शासन द्वारा आतंकवादी धमकियों और टारगेट किलिंग का सामना करना पड़ा। इनमें से कुछ हत्या की योजनाएं इस प्रकार हैं:

खाने में ज़हर द्वारा हत्या (2004)

इज़राइली विमानों द्वारा उनके निवास स्थल पर बमबारी (2006)

जिस इमारत में सैयद हसन नसरुल्लाह के मौजूद होने की आशंका थी, उस इमारत पर इजराइली विमानों द्वारा हमला (2011)

आख़िरकार यह महान मुजाहिद शुक्रवार की रात बैरूत पर ज़ायोनी शासन के आतंकवादी हमले में शहीद हो गया।

 

 

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध हिज़्बुल्लाह ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि महान योद्धा, हिज़्बुल्लाह के अज़ीम कमांडर हाज अली करकी उर्फ ​​अबुल फ़ज़्ल शहीद हो गए हैं। वह 1982 से ही दक्षिणी लेबनान में हिज़्बुल्लाह के सैन्य प्रभारी थे। अली करकी अपने मुजाहिद भाइयों के एक समूह के साथ ज़ायोनी अपराधियों के खिलाफ हिज़्बुल्लाह के सैन्य अभियान का हिस्सा थे। बेरूत के बाहरी इलाके में ज़ायोनी हमलों में वह शहीद हसन नसरुल्लाह समेत शहीद हो गए।

महत्वपूर्ण बात यह है कि हिज़्बुल्लाह के बाकी कमांडरों के विपरीत, इस प्रिय शहीद की कोई भी तस्वीर आज तक प्रकाशित नहीं की गई थी। यहां तक ​​कि उनकी पुरानी या सेंसर की गई कोई तस्वीर और वीडियो भी नहीं थी।

हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह की शहादत से भारत में भी शोक की लहर है लखनऊ में भी हुई जोरदार प्रदर्शन और लोगों ने दुकान बंद करके निकाला कैंडल मार्च।

लखनऊ: हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरुल्लाह की शहादत से भारत में भी शोक की लहर है जहां एक ओर ताज़ियाती जलसे किए जा रहे हैं तो वहीं लोग सड़कों पर निकल इज़राइल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

जम्मू कश्मीर मेरठ के बाद लखनऊ में भी हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद शिया समुदाय में आक्रोश है। सड़कों पर हजारों का हुजूम हिजबुल्लाह ज़िंदाबाद इज़राइल मुर्दाबाद के नारे लगाता दिखा।

रविवार शाम लखनऊ छोटे इमामबाड़ा से लेकर बड़ा इमामबाड़ा तक हजारों की संख्या में शिया मुसलमानों ने विरोध मार्च निकाला। हाथों में हसन नसरल्लाह की तस्वीर लेकर जिंदाबाद के नारे लगाए। शिया मुसलमान ने इसराइल के प्रधानमंत्री का पोस्टर जलाकर विरोध जताया।

1 किलोमीटर लंबा कैंडल मार्च निकाला

प्रदर्शनकारी ने कहा कि आज का दिन हमारे लिए ब्लैक डे है। हम सभी लोग नसरल्लाह कुछ श्रद्धांजलि देने और इसराइल के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। छोटा इमामबाड़ा से लेकर बड़ा इमाम तक लगभग 1 किलोमीटर लंबा प्रदर्शन किया। नसरल्लाह हमारे बहुत मजबूत लीडर और शिया कौम के मार्गदर्शक थे।

नसरल्लाह ने शिया समाज और मानवता के लिए कई बड़े काम किए हैं जिनको बुलाया नहीं जा सकता। ISIS के हमलों के दौरान इमाम अली की बेटी हजरत जैनब के दरगाह की सुरक्षा किया था। उन्होंने हमेशा फिलिस्तीन के पीड़ितों का साथ दिया। इस पूरी घटना का जिम्मेदार इस्राइल है, वो बेगुनाहों का लहू बहा रहा है।

इस्राइल को बताया- मौत का जिम्मेदार

वहीं अन्य प्रदर्शनकरी ने बताया कि हसन नसरल्लाह की मौत का शिया समुदाय तीन दिनों तक शोक मनाएगा। आज हम लोग सड़कों पर उतर कर इस्राइल का विरोध कर रहे हैं। इजराइल का प्रधानमंत्री पीड़ितों की मदद करने वालों पर हमला कर रहा है।

हम दुनिया के 56 मुस्लिम मुल्कों से यह गुहार लगाते हैं कि एक साथ आए और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं। तीन दिन तक गम मनाएंगे, अपने घरों की छतों पर काला झंडा लगाकर श्रद्धांजलि देंगे। हमारी मांग है कि इस्राइल फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों पर अपनी आक्रामकता को तत्काल रोके।

हिंदुस्तान में वली फकीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन महदी महदवीपुर ने एक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के बहादुर नेता की शहादत पर गहरा दुःख और शोक व्यक्त करते हुए संवेदना व्यक्त की है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हिंदुस्तान में वली-ए-फ़कीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन महदी महदवीपुर ने एक संदेश में हिज़बुल्लाह लेबनान के बहादुर नेता की शहादत पर गहरा दुःख और अफ़सोस व्यक्त करते हुए संवेदना प्रकट की है।

उनका पूरा संदेश निम्नलिखित है:

इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन

लेबनान में हिज़बुल्लाह के प्रतिरोध के प्रतीक, महान मुजाहिद,और दूरदर्शी नेता हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन जनाब आगा सैयद हसन नसरुल्लाह की दर्दनाक और हृदयविदारक शहादत की खबर अत्यंत दुखद और ह्रदय को दु:ख पहुंचाने वाली थी।

इस महान मुजाहिद और उच्च कोटि के धार्मिक विद्वान ने 32 वर्षों तक इस्लामी प्रतिरोध संगठन हिज़बुल्लाह का नेतृत्व करते हुए, ज़ायोनी क़ब्ज़ा करने वाली सरकार इसराइल के खिलाफ संघर्ष किया और अनेकों बार ज़ायोनी इसराइली सेना की शैतानी साज़िशों को नाकाम किया।

यही हिज़बुल्लाह की ताकत और उनका महान उद्देश्य है, जिसने लेबनान को इसराइली ज़ायोनी सेनाओं के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई, उसे पूरी तरह से स्वतंत्र और गर्वित बनाया, और लेबनान के सम्मानित नागरिकों, चाहे वे किसी भी धर्म या संप्रदाय से हों, उन्हें संस्कृति और सभ्यता की ओर अग्रसर किया।

मासूम बच्चों के हत्यारों ज़ायोनी इसराइली सेनाओं के खिलाफ हिज़बुल्लाह हमेशा लेबनान और इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे के लिए एक मज़बूत दीवार बनकर खड़ी रही है। पिछले एक साल से, ग़ज़ा में ज़ायोनी इसराइली सेनाओं की आक्रामकता के खिलाफ ग़ज़ा के मज़लूम फ़िलिस्तीनी मुसलमानों की रक्षा में हिज़बुल्लाह बहादुरी और साहस के साथ अब भी खड़ी है और अपने जान माल की कुर्बानी देकर इस संघर्ष का सामना किया है।

इस्लामी प्रतिरोध के नेता सैयद हसन नसरुल्लाह का रास्ता स्वतंत्रता, दृढ़ता, बलिदान, वफादारी, शहादत की चाह, वीरता, और ईमानदारी से किया गया जिहाद है जिसे दुनिया के सभी पीड़ित और मजलूम लोग हर हाल में पूरी ताकत से आगे बढ़ाएंगे।

इस महान क्षति पर इमाम-ए-ज़माना इमाम महदी अ.ज.इस्लामी क्रांति के महान नेता हज़रत आयतुल्लाहिल  उज़मा ख़ामेनई हिज़बुल्लाह के बहादुर और दिलेर सदस्य, समर्थक, दुनिया के सभी स्वतंत्रता और न्याय के प्रेमी लोग, विशेष रूप से सैयद प्रतिरोध सैयद हसन नसरुल्लाह के परिवार के प्रति हम गहरी संवेदना और शोक प्रकट करते हैं।

इंशाअल्लाह हिज़बुल्लाह पहले से भी अधिक राष्ट्रीय संगठित और मज़बूत रूप में सामने आएगी और सैयद मज़लूम सैयद नसरुल्लाह का रक्त इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे में नई ऊर्जा और शक्ति का संचार करेगा।

इंशाअल्लाह

वस्सलाम;

मेंहदी महदवीपुर

 

लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद भारत में भी भारी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है इजराइल के हमलों के खिलाफ सहारनपुर हलवाना सादात के लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया साथ ही लेबनान को अपना पूरा समर्थन देने की अपील कर रहे हैं।

सहारनपुर, लेबनान में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद भारत में भी भारी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला है इजराइल के हमलों के खिलाफ सहारनपुर हलवाना सादात के लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही लेबनान को अपना पूरा समर्थन देने की अपील कर रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हिजबुल्लाह चीफ की तस्वीर हाथ में लेकर जोरदार नारेबाजी की इस प्रदर्शन में बच्चे भी शामिल थे प्रदर्शनकारियों ने इजराइल विरोधी और अमेरिका विरोधी नारे लगाए और लेबनान के शीर्ष नेता की हत्या की निंदा की।

इस दौरान उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह खत्म नहीं हुआ है। तुमने एक हिजबुल्लाह चीफ को मारा है, अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा, हिजबुल्लाह जिंदाबाद, अमेरिका मुरदाबाद-इजराइल मुरदाबाद के नारे लगे। ख़ामेनई ज़िंदाबाद, सिस्तानी ज़िंदाबाद की सदाएं भी गूंजी।

इस दौरान प्रदर्शनकारी ने कहा कि हम लेबनान को भरोसा देना चाहते कि वो बिल्कुल भी फिक्र ना करें, क्योंकि हम उनके साथ हैं। शिया समुदाय उनके साथ है। हम उनका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। आपको पता नहीं कि आपने किसको शहीद किया है। आपने एक हिजबुल्लाह को मारा है, अब हर घर से हिजबुल्लाह निकलेगा। हिजबुल्लाह जिंदाबाद…।

 

 

 

 

 

आयतुल्लाहिल उज़्मा जाफ़र सुब्हानी ने प्रतिरोध के महान नेता और विद्वान सय्यद हसन नसरुल्लाह की दमनकारी शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिरोध के स्कूल के प्रशिक्षित लोग दुश्मन की जड़ें काट देंगे।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा जाफ़र सुब्हानी ने महान प्रतिरोध नेता और विद्वान सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की और कहा कि प्रतिरोध के स्कूल के प्रशिक्षित लोग दुश्मन की जड़ें काट देंगे।

आयतुल्लाह जाफ़र सुब्हानी के शोक संदेश का पाठ इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

"इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन"

मज़लूमाना शहादत, प्रतिरोध का प्रतीक, प्रतिष्ठित विद्वान, क़ुद्स और मज़लूम फ़िलिस्तीनियों के रक्षक की शहादत ने इस्लामी दुनिया को गहरा दुःख पहुँचाया है।

ये वे महान व्यक्तित्व थे जो मुसलमानों और इस्लामी भूमि के अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी पूरी ऊर्जा के साथ खड़े हुए और अपने 30 वर्षों के बुद्धिमान नेतृत्व के दौरान प्रतिरोध को अमली जामा पहनाया। शहादत और प्रतिरोध का पेड़, जो उत्पीड़कों के खिलाफ खड़ा है, कभी नहीं मुरझाएगा बल्कि दिन-ब-दिन मजबूत और अधिक फलदायी होगा।

कमजोर दुश्मन सोचता है कि अगर ऐसे महान लोगों को मार दिया जाएगा, तो प्रतिरोध का झंडा जमीन पर गिर जाएगा, लेकिन सय्यद हसन नसरुल्लाह के स्कूल के महान और प्रशिक्षित लोग इस परचम को उठाकर दुश्मन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे ।

मैं हज़रत वली अस्र (अ), सय्यद हसन नसरुल्लाह के सम्मानित परिवार, लेबनान के सम्मानित और बहादुर लोगों और दुनिया भर के आज़ाद लोगों की सेवा में सय्यद मक़ावमत और उनके परिवार की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। मैं इस महान शहीद की आत्मा की शांति, उनके परिवार के लिए धैर्य की दुआ करता हूं।

जाफ़र सुब्हानी

क़ुम अल-मुक़द्देसा

दक्षिणी लेबनान के तैरे देब्बा शहर में एक नागरिक सुरक्षा केंद्र को निशाना बनाकर किए गए इज़राइली हवाई हमले में चार पैरामेडिक्स मारे गए जबकि कई अन्य घायल हो गए हैं।

दक्षिणी लेबनान के तैरे देब्बा शहर में एक नागरिक सुरक्षा केंद्र को निशाना बनाकर किए गए एक इज़राइली हवाई हमले में चार पैरामेडिक्स मारे गए। जबकि कुछ और अन्य के भी घायल होने की सूचना है।

वहीं इराक़ और सीरिया के बीच सीमावर्ती पट्टी के पास अमेरिकी हवाई हमले इराक़ के सैयदुश्शोहदा ब्रिगेड के एक ठिकाने को भी निशाना बनाया था बैरूत के दक्षिणी उपनगरीय क्षेत्र ज़ाहिया पर इजराइल ने हवाई हमले किए है।

बता दें कि इजराइल ने लेबनान में जंग रोकने से इनकार कर दिया है बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस ने बताया है कि अमेरिका-फ्रांस की तरफ से जंग रोकने की मांग की थी इसका नेतन्याहू ने जवाब नहीं दिया है बताया जा रहा है नेतन्याहू की सलाह पर सेना पूरी ताकत से लेबनान में लड़ाई जारी रखेगी।

गौरतलब है कि इजराइल ने लेबनान के यूनीन इलाके में गुरुवार को हमला किया इसमें 23 सीरियाई लोगों की मौत हो गई।

यह सभी लोग लेबनान में काम के लिए गए थे। इसके बाद शुक्रवार को बैरूत में हमले किए थे। जिसमें  हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह उनकी बेटी जैनब और दामाद शहीद हो गए थे। इजराइल के लगातार हमलों में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई घायल हो चुके है।

सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर क़ुम मुक़द्दसह के हौज़ा-ए-इल्मिया फैज़िया में एक विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें छात्रों और आम जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इस्राइली हुकूमत के ज़ुल्म के खिलाफ अपना ग़म और ग़ुस्सा ज़ाहिर किया हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर क़ुम अलमुक़द्देसा के हौज़ा ए इल्मिया फैज़िया में एक विरोध प्रदर्शन किया गया जिसमें छात्रों और आम जनता ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया और इस्राइली हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ अपने ग़म और ग़ुस्से का इज़हार किया।

इजलास की शुरुआत सुबह 9 बजे मदरसा-ए-इल्मिया फैज़िया में हुआ जहां प्रतिभागियों ने अज़ा अज़ा अस्त आज ख़ामेनेई इमाम साहिब-ए-अज़ा अस्त आज" और सैयद हसन नसरुल्लाह पेश ख़ुदा अस्त आज जैसे नारे लगाए।

प्रदर्शनकारियों ने रहबर-ए-मुअज्ज़म इंक़लाब और शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की तस्वीरें उठाई हुई थीं और फ़िलिस्तीन और लेबनान के मज़लूम आवाम के साथ एकजुटता का इज़हार किया।

प्रदर्शनकारियों ने मर्ग बर अमरीका मर्ग बर इस्राइल जिनायत इस्राइल जिनायत अमरीका अस्त" और "वाए अगर ख़ामेनेई इज़्न-ए-जिहादम दहद" जैसे नारे लगाकर अपने जज़्बात का इज़हार किया।

इजलास में रहबर-ए-मुअज्ज़म इंक़लाब सैयद अली ख़ामेनेई का पैग़ाम भी पढ़ा गया जिसमें सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर ताज़ियत पेश की गई।

फ़ुक़हा की काउंसिल और तेहरान के इमाम-ए-जुमा आयतुल्लाह सैयद अहमद ख़ातमी ने इस इजलास में खिताब करते हुए इस्राइली हुकूमत के अत्याचारों की मज़म्मत की और मुक़ावमत की हिमायत जारी रखने का अज़्म ज़ाहिर किया।

इजलास के आख़िर में प्रदर्शनकारियों ने मदरसा-ए-फ़ैज़िया से मस्जिद ए क़ुद्स तक रैली निकाली जिसमें वे अपने नारों के ज़रिए अमरीका और इस्राइल के खिलाफ अपने एहसासात का इज़हार कर रहे थे।

कश्मीर में एक बार फिर फिलिस्तीन और लेबनान में जारी ज़ायोनी आतंकी गतिविधियों के खिलाफ विशाल विरोध प्रदर्शन किया गया। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर के हज़ारों लोगों ने सड़कों पर उतर कर ज़ायोनी शासन द्वारा हिज़्बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह की हत्या की कड़ी निंदा की।