رضوی

رضوی

मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि वक्फ संपत्ति मुसलमानों की निजी संपत्ति है लेकिन बीजेपी इसके खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है।

वक्फ बिल के लिए गठित जेपीसी के सदस्य और एमआईएम अध्यक्ष बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को मुंबई में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों की रक्षा नहीं करना चाहती बल्कि मुसलमानों से वक्फ संपत्तियों को छीनना चाहती है के लिए बिल बनाया गया है नागपाड़ा में आयोजित इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में एमआईएम मुंबई के अध्यक्ष रईस लश्करिया और पूर्व विधायक वारिस पठान भी मौजूद थे। जब उनसे जेपीसी में वक्फ संशोधन विधेयक के विवरण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि चाहे वह संसद की समिति हो या जेपीसी इसके मामले गोपनीय हैं, इसलिए मैं इस संबंध में कुछ नहीं कह सकता, लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि मोदी सरकार ने निजी संपत्ति को छीनने और उसे जब्त करने के लिए एक संशोधन विधेयक लाया है।'

असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि वक्फ संपत्ति मुसलमानों की निजी संपत्ति है जबकि बीजेपी इसे सार्वजनिक संपत्ति बता रही है जो पूरी तरह से गलत है। भाजपा और आरएसएस द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड के पास देश में 940,000 एकड़ जमीन है और यह भी फैलाया जा रहा है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक संपत्ति है जबकि सच्चाई यह है कि ये सब बातें पूर्णतया झूठ हैं। उनमें कोई सच्चाई नहीं है।

लेबनान और इज़राईल के बीच जंग के चलते भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों से अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की आग्रह किया है।

हाल ही में हवाई हमलों और संचार उपकरणों में विस्फोट की घटना के बाद बेरूत में भारतीय दूतावास ने एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों से अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने का आग्रह किया है।

उन्होंने लेबनान में रहने वाले भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द देश छोड़ने की सलाह दी है और लोगों को अत्यधिक सावधानी बरतने और दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी है जिन्हें बढ़ती स्थिति के बीच यहां रहना होगा।

दूतावास ने बुधवार को अपने नोटिस में कहा,1 अगस्त, 2024 को जारी की गई सलाह की पुनरावृत्ति के रूप में और क्षेत्र में हालिया विकास और वृद्धि को देखते हुए भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक लेबनान की यात्रा न करने की दृढ़ता से सलाह दी जाती है।

लेबनान में पहले से मौजूद सभी भारतीय नागरिकों को भी लेबनान छोड़ने की दृढ़ता से सलाह दी जाती है जो लोग किसी भी कारण से रह गए हैं उन्हें अत्यधिक सावधानी बरतने अपनी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने और हमारी ईमेल आईडी के माध्यम से बेरूत में भारतीय दूतावास के संपर्क में रहने की सलाह दी जाती है।

 

 

 

 

 

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया हैं।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया हैं।

उन्होंने कहा कि पवित्र डिफ़ेंस, देश की मूल्यवान रक्षा का कारनामा होने के साथ ही अल्लाह और धर्म की राह में जेहाद का भी डिफ़ेंस था जिसने इस्लाम को नई ज़िंदगी दी, ईरानी राष्ट्र को लोकप्रिय बनाया और देश में आध्यात्मिकता का माहौल पैदा किया।

उन्होंने फिलिस्तीन और लेबनान की हालिया घटनाओं को पवित्र डिफ़ेंस की घटनाओं की तरह और अल्लाह की राह में जेहाद का एक उदाहरण बताया और कहा कि फ़िलिस्तीन नामक एक इस्लामी देश पर दुनिया के सबसे दुष्ट काफ़िरों में से एक ने अवैध क़ब्ज़ा कर लिया है और निश्चित शरई हुक्म यह है कि सभी को फ़िलिस्तीन और मस्जिदुल अक़सा को उनके अस्ल मालिकों को लौटाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।

इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि लेबनान हिज़्बुल्लाह संगठन, जिसने ग़ज़ा के लिए अपने सीने को ढाल बना लिया है और दुखद घटनाओं का सामना कर रहा है, अल्लाह की राह में जेहाद की स्थिति में है।

उन्होंने थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध से इस युद्ध की एक और समानता की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि इस जंग में काफ़िर और दुष्ट दुश्मन सबसे अधिक हथियारों और संसाधनों से लैस है और अमेरिका भी उसकी पीठ पर है और अमेरिकियों का यह दावा कि वे ज़ायोनीयों के कामों से अवगत नहीं हैं और इस संबंध में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, झूठ है। उन्हें जानकारी भी है, वे हस्तक्षेप भी कर रहे हैं और उन्हें ज़ायोनी शासन की जीत की ज़रूरत भी है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस संबंध में आगे कहा कि अमेरिका की इसी वर्तमान सरकार को आगामी चुनावों के लिए यह दिखाने की ज़रूरत है कि उसने ज़ायोनी सरकार की मदद की है और उसे जीत दिलाई है, हालांकि उसे अमेरिकी मुसलमानों के वोट भी चाहिए इसी लिए वह यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है।

अपने संबोधन के एक दूसरे हिस्से में उन्होंने सन 1980 में ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू किए जाने की वजह बताते हुए कहा कि ईरान की सीमाओं पर हमले की नीयत सद्दाम और बास पार्टी तक ही सीमित नहीं थी बल्कि उस समय की विश्व व्यवस्था के सरग़ना यानी अमेरिका, सोवियत संघ और उनके पिट्ठू भी हमला करने की ताक में थे।

इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि ईरान की बेमिसाल क्रांतिकारी जनता से बड़ी शक्तियों की दुशमनी की वजह यह थी कि इस क्रांति की नई सोच और संदेश उनके लिए असहनीय था और उनकी दुशमनी इस लिए थी कि इस्लामी क्रांति, दुनिया पर राज करने वाली भ्रष्ठ और विध्वंसक व्यवस्था और अन्य देशों पर अपनी संस्कृति और राय थोपने वाली व्यवस्था के ख़िलाफ़ एक खुली आवाज़ थी।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि वर्चस्सवादी, इस्लामी इंक़ेलाब के नए पैग़ाम को सहन नहीं कर सकते थे जो राष्ट्रों के लिए आकर्षक और विकास के रास्ते पर ले जाने वाला था, कहा कि वो ईरान पर हमले के मौक़े की ताक में थे और सद्दाम ने जो एक सत्ता लोभी, लालची, घटिया, ज़ालिम और निरंकुश व्यक्ति था बड़ी ताक़तों को यह मौक़ा दे दिया कि उनके बहकावे में आकर उसने ईरान पर हमला कर दिया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि आज अलग अलग मैदानों में ईरानी क़ौम की मज़बूत के साथ मौजूदगी की बरकत से किसी में भी ईरान की सीमाओं पर हमले की हिम्मत नहीं है और वे लोग आज एक दूसरी शक्ल में दुष्टता और दुश्मनी में लगे हुए हैं। इस बात को पूरी गहराई से समझना चाहिए कि दुश्मनी की वजह परमाणु ऊर्जा, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकार जैसे बहाने नहीं हैं बल्कि वो भ्रष्ट विश्व व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामिक रिपब्लिक की तरफ़ से पेश की जाने वाली नई सोच के विरोधी हैं।

उन्होंने थोपी गई जंग के आग़ाज़ में सैन्य संसाधनों के लेहाज़ से देश की ख़राब स्थिति की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि आम और भौतिक अनुमानों और उसूलों के अनुसार हमलावर पक्ष को एक या कुछ हफ़्तों के भीरत तेहरान तक पहंच जाना था लेकिन एक साल गुज़रने के बाद हमारी इन्हीं फ़ोर्सेज़ के हाथों ज़बरदस्त विजय ने जो जंग के शुरू में कमज़ोर थीं पूरी तरह से लैस सद्दाम की सेना पर गहरा वार किया और आठ साल बाद उसे देश की सीमाओं से बाहर ढकेल दिया गया और इस विजय की अस्ली वजह ईमान और संघर्ष था।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह कहा कि जंग केवल देश की रक्षा के लिए नहीं थी, हालांकि देश की रक्षा का शुमर अहम मूल्यों में होता है लेकिन जंग का मसला इससे कहीं आगे यानी इस्लाम की रक्षा और क़ुरआनी आदेशों पर अमल करने के अर्थ में था जिसे इस्लामी शिक्षाओं में अल्लाह की राह में जेहाद कहा जाता है।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पवित्र डिफ़ेंस ने इंकेलाब और इस्लाम को ज़िंदा रखा, कहा कि इसी बुनियाद पर पूरे का पूरा मोर्चा, इबादतगाह, दुआ, तवस्सुल, आधी रात को अल्लाह की बारगाह में गिड़गिड़ाना और निष्ठपूर्ण सेवा के मैदान में बदल गया और इस तरह की भावना की वजह से ही अल्लाह ने अपनी इज़्ज़त, मदद और फ़तह ईरानी क़ौम को प्रदान की।

इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने बुधवार 25 सितम्बर 2024 की सुबह पवित्र डिफ़ेंस और रेज़िस्टेंस के मैदान में सक्रिय हज़ारों लोगों और सीनियर सैनिकों से मुलाक़ात में थोपी गई जंग की शुरुआत के कारणों पर रौशनी डालते हुए नई बात और कशिश को दुनिया पर शासन करने वाली भ्रष्ट व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामी गणतंत्र के दो अहम तत्व क़रार दिया।

उन्होंने कहा कि पवित्र डिफ़ेंस, देश की मूल्यवान रक्षा का कारनामा होने के साथ ही अल्लाह और धर्म की राह में जेहाद का भी डिफ़ेंस था जिसने इस्लाम को नई ज़िंदगी दी, ईरानी राष्ट्र को लोकप्रिय बनाया और देश में आध्यात्मिकता का माहौल पैदा किया।

उन्होंने फिलिस्तीन और लेबनान की हालिया घटनाओं को पवित्र डिफ़ेंस की घटनाओं की तरह और अल्लाह की राह में जेहाद का एक उदाहरण बताया और कहा कि फ़िलिस्तीन नामक एक इस्लामी देश पर दुनिया के सबसे दुष्ट काफ़िरों में से एक ने अवैध क़ब्ज़ा कर लिया है और निश्चित शरई हुक्म यह है कि सभी को फ़िलिस्तीन और मस्जिदुल अक़सा को उनके अस्ल मालिकों को लौटाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।

इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि

लेबनान हिज़्बुल्लाह संगठन, जिसने ग़ज़ा के लिए अपने सीने को ढाल बना लिया है और दुखद घटनाओं का सामना कर रहा है, अल्लाह की राह में जेहाद की स्थिति में है।

उन्होंने थोपे गए आठ वर्षीय युद्ध से इस युद्ध की एक और समानता की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि

इस जंग में काफ़िर और दुष्ट दुश्मन सबसे अधिक हथियारों और संसाधनों से लैस है और अमेरिका भी उसकी पीठ पर है और अमेरिकियों का यह दावा कि वे ज़ायोनीयों के कामों से अवगत नहीं हैं और इस संबंध में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं, झूठ है। उन्हें जानकारी भी है, वे हस्तक्षेप भी कर रहे हैं और उन्हें ज़ायोनी शासन की जीत की ज़रूरत भी है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस संबंध में आगे कहा कि अमेरिका की इसी वर्तमान सरकार को आगामी चुनावों के लिए यह दिखाने की ज़रूरत है कि उसने ज़ायोनी सरकार की मदद की है और उसे जीत दिलाई है, हालांकि उसे अमेरिकी मुसलमानों के वोट भी चाहिए इसी लिए वह यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि इसमें उसका कोई हाथ नहीं है।

अपने संबोधन के एक दूसरे हिस्से में उन्होंने सन 1980 में ईरानी राष्ट्र के ख़िलाफ़ युद्ध शुरू किए जाने की वजह बताते हुए कहा कि ईरान की सीमाओं पर हमले की नीयत सद्दाम और बास पार्टी तक ही सीमित नहीं थी बल्कि उस समय की विश्व व्यवस्था के सरग़ना यानी अमेरिका, सोवियत संघ और उनके पिट्ठू भी हमला करने की ताक में थे।

इस्लामी क्रांति, दुनिया पर राज करने वाली भ्रष्ठ और विध्वंसक व्यवस्था के ख़िलाफ़ एक खुली आवाज़ थी

इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि ईरान की बेमिसाल क्रांतिकारी जनता से बड़ी शक्तियों की दुशमनी की वजह यह थी कि इस क्रांति की नई सोच और संदेश उनके लिए असहनीय था और उनकी दुशमनी इस लिए थी कि इस्लामी क्रांति, दुनिया पर राज करने वाली भ्रष्ठ और विध्वंसक व्यवस्था और अन्य देशों पर अपनी संस्कृति और राय थोपने वाली व्यवस्था के ख़िलाफ़ एक खुली आवाज़ थी।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि वर्चस्सवादी, इस्लामी इंक़ेलाब के नए पैग़ाम को सहन नहीं कर सकते थे जो राष्ट्रों के लिए आकर्षक और विकास के रास्ते पर ले जाने वाला था,

कहा कि वो ईरान पर हमले के मौक़े की ताक में थे और सद्दाम ने जो एक सत्ता लोभी, लालची, घटिया, ज़ालिम और निरंकुश व्यक्ति था बड़ी ताक़तों को यह मौक़ा दे दिया कि उनके बहकावे में आकर उसने ईरान पर हमला कर दिया।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि

आज अलग अलग मैदानों में ईरानी क़ौम की मज़बूत के साथ मौजूदगी की बरकत से किसी में भी ईरान की सीमाओं पर हमले की हिम्मत नहीं है और वे लोग आज एक दूसरी शक्ल में दुष्टता और दुश्मनी में लगे हुए हैं। इस बात को पूरी गहराई से समझना चाहिए कि दुश्मनी की वजह परमाणु ऊर्जा, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकार जैसे बहाने नहीं हैं बल्कि वो भ्रष्ट विश्व व्यवस्था के मुक़ाबले में इस्लामिक रिपब्लिक की तरफ़ से पेश की जाने वाली नई सोच के विरोधी हैं।

उन्होंने थोपी गई जंग के आग़ाज़ में सैन्य संसाधनों के लेहाज़ से देश की ख़राब स्थिति की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि

आम और भौतिक अनुमानों और उसूलों के अनुसार हमलावर पक्ष को एक या कुछ हफ़्तों के भीरत तेहरान तक पहंच जाना था लेकिन एक साल गुज़रने के बाद हमारी इन्हीं फ़ोर्सेज़ के हाथों ज़बरदस्त विजय ने जो जंग के शुरू में कमज़ोर थीं पूरी तरह से लैस सद्दाम की सेना पर गहरा वार किया और आठ साल बाद उसे देश की सीमाओं से बाहर ढकेल दिया गया और इस विजय की अस्ली वजह ईमान और संघर्ष था।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने इसी तरह कहा कि जंग केवल देश की रक्षा के लिए नहीं थी, हालांकि देश की रक्षा का शुमर अहम मूल्यों में होता है लेकिन जंग का मसला इससे कहीं आगे यानी इस्लाम की रक्षा और क़ुरआनी आदेशों पर अमल करने के अर्थ में था जिसे इस्लामी शिक्षाओं में अल्लाह की राह में जेहाद कहा जाता है।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर देते हुए कि पवित्र डिफ़ेंस ने इंकेलाब और इस्लाम को ज़िंदा रखा,

कहा कि इसी बुनियाद पर पूरे का पूरा मोर्चा, इबादतगाह, दुआ, तवस्सुल, आधी रात को अल्लाह की बारगाह में गिड़गिड़ाना और निष्ठपूर्ण सेवा के मैदान में बदल गया और इस तरह की भावना की वजह से ही अल्लाह ने अपनी इज़्ज़त, मदद और फ़तह ईरानी क़ौम को प्रदान की।

 

 

स्टॉकहोम में ईरान के दूतावास ने एक बयान जारी करके ईरान के ख़िलाफ स्वीडिश नागरिकों को मैसेज भेजने और पवित्र क़ुरआन को जलाने का बदला लेने के लिए उनको उकसाने के आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है।

स्वीडिश एटार्नी जनरल के कार्यालय ने दावा किया है कि 2023 में, ईरान की ख़ुफ़िया एजेन्सी ने एक एसएमएस ऑपरेटर को हैक करके जनता को पवित्र क़ुरआन जलाने वालों से बदला लेने के लिए भड़काने की कोशिश की थी।

स्टॉकहोम में इस्लामी गणतंत्र ईरान के दूतावास ने एक बयान में इस निराधार आरोप को खारिज करते हुए एलान किया है कि: इन चीज़ों को पेश करना और मीडिया में इनको जारी करना, दोनों देशों के बीच संबंधों के माहौल को ज़हरीला बनाकर प्रभावित कर सकता है।

स्टॉकहोम में ईरान के दूतावास ने स्वीडिश सरकार की आफ़िशल बॉडीज़ से ईरान के ख़िलाफ इन ग़ैर-दस्तावेज सामग्रियों को रोकने और स्वीडिश न्यायिक प्रणाली के सही फ़ैसलों द्वारा इस मामले पर मुक़द्दमा चलाने की अनुमति न देने की अपील की है।

 

 

इराकी शिया मिलिशिया कताइब हिजबुल्लाह ने धमकी दी कि अगर इजरायल ने इराक पर हमला किया तो वह अमेरिकी सेना की मौजूदगी पर हमला करेगा।

ईरान समर्थित शिया मिलिशिया के सुरक्षा नेता अबू अली अल-असकर ने बुधवार को एक बयान में कहा कि इराकी हवाई क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल द्वारा तीव्र गतिविधि देखी जा रही है, जो "इराक के खिलाफ इज़राइली आक्रमण की संभावना के संकेत देता है।

बयान में कहा गया तदनुसार, कताइब हिजबुल्लाह ने अपनी चेतावनी दोहराई है कि उसकी प्रतिक्रिया केवल इज़राइल तक सीमित नहीं होगी बल्कि इसमें संपूर्ण अमेरिकी उपस्थिति शामिल होगी।

समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, अलअस्कर ने इराक में शिया मिलिशिया समूह इस्लामिक रेजिस्टेंस से अपने अभियानों की संख्या और पैमाने तथा इजराइल के लिए खतरे के स्तर को बढ़ाने का भी आह्वान किया है।

इससे पहले दिन में, इराक में इस्लामिक प्रतिरोध ने प्रभावित स्थलों को निर्दिष्ट किए बिना या किसी हताहत की रिपोर्ट किए बिना "फिलिस्तीन और लेबनान में हमारे लोगों के साथ एकजुटता में" इजरायली ठिकानों पर कई ड्रोन और मिसाइल हमलों की जिम्मेदारी ली।

7 अक्टूबर, 2023 को गाजा में इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष की शुरुआत के बाद से, इराक में इस्लामिक प्रतिरोध ने गाजा में फिलिस्तीनियों के समर्थन में क्षेत्र में इजरायल और अमेरिकी ठिकानों पर कई हमले किए हैं।

 

 

शिया उलेमा काउंसिल ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष और इमाम जुमा मेलबर्न ने लेबनान में साम्राज्यवादी और ज़ायोनी आक्रमण पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इज़राइल ने पूरी दुनिया को शहीद बना दिया है और विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बन गया है।

ऑस्ट्रेलिया के शिया उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष और मेलबर्न में जुमा के इमाम मौलाना सैयद अबुल कासिम रिज़वी ने लेबनान में साम्राज्यवादी और ज़ायोनी आक्रमण पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि इज़राइल ने पूरी तरह से दुनिया एक शहीद है और वह शांति दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गई है।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि इजराइल की आक्रामकता का जवाब देने का समय आ गया है और अगर इजराइल के आतंकवाद को नहीं रोका गया तो दुनिया जल्द ही कब्रिस्तान में तब्दील हो सकती है।

मौलाना अबुल कासिम रिज़वी ने अंतरराष्ट्रीय शक्तियों और शांति संस्थानों से शांति की स्थापना के लिए अपनी भूमिका निभाने की मांग की। अंत में, उन्होंने प्रार्थना की कि अल्लाह शहीदों की पंक्ति को ऊपर उठाए और उनके उत्तराधिकारियों को धैर्य और दृढ़ता प्रदान करे, और उन्हें अत्याचारी के विनाश के रूप में उनके बलिदानों के लिए पुरस्कृत करे।

 

 

 

 

 

अमेरिकी सहयोगियों ने इज़रायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष में बातचीत की सुविधा के लिए तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है।

अमेरिका, फ्रांस और अन्य सहयोगियों ने संयुक्त रूप से इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ते संघर्ष में बातचीत की सुविधा के लिए तत्काल 21 दिनों के युद्धविराम का आह्वान किया है जिसने हाल के दिनों में लेबनान में 600 से अधिक लोगों की जान  गई है।

यह अपील बुधवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौके पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन और कतर द्वारा की गई थी।

देशों के एक संयुक्त बयान के अनुसार, 8 अक्टूबर, 2023 से लेबनान और इज़राइल के बीच की स्थिति असहनीय है और व्यापक क्षेत्रीय तनाव का अस्वीकार्य जोखिम पेश करती है यह किसी के हित में नहीं है न ही इज़राइल के लोगों के और न ही लेबनान के।

सहयोगियों ने इस बात पर जोर दिया कि निरंतर संघर्ष के बीच कूटनीति सफल नहीं हो सकती।

बयान में कहा गया यह एक राजनयिक समझौता करने का समय है जो सीमा के दोनों ओर के नागरिकों को सुरक्षा में लौटने की अनुमति देता है।

संयुक्त आह्वान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव (यूएनएससीआर) 1701 के अनुरूप, राजनयिक वार्ता के लिए जगह प्रदान करने के लिए 21-दिवसीय युद्धविराम का आग्रह किया गया जिसने 2006 के इज़राइल हिजबुल्लाह युद्ध को समाप्त किया और गाजा में युद्धविराम के संबंध में यूएनएससीआर 2735 के कार्यान्वयन का आग्रह किया है।

हम इज़राइल और लेबनान की सरकारों सहित सभी पक्षों से तुरंत युद्धविराम का समर्थन करने और कूटनीति को संकट को हल करने का वास्तविक मौका देने का आह्वान करते हैं।

ज़ायोनी सेना के रेडियो ने तेल अवीव पर हिज़्बुल्लाह के पहले मीसाइल हमले की ख़बर दी है।

अल जज़ीरा की बुधवार की रिपोर्ट के अनुसार, ज़ायोनी सेना के रेडियो ने आज एलान किया कि: मौजूदा लड़ाई के दौरान हिज़्बुल्लाह का पहला मीसाइल तेल अवीव पर दाग़ा गया।

ज़ायोनी सेना के रेडियो ने तेल अवीव की ओर हिज़्बुल्लाह के बैलिस्टिक मिसाइल को रोकने के लिए फ़्लाखान दाऊद मिसाइल सिस्टम को सक्रिय करने की भी ख़बर दी है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, तेल अवीव पर आज के हमले के साथ, लेबनान के हिज़्बुल्लाह ने पहली बार ज़ायोनी लक्ष्यों के ख़िलाफ़, लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया।

अल-मयादीन समाचार एजेन्सी ने भी दक्षिणी लेबनान में अपने संवाददाता के हवाले से एक रिपोर्ट में बताया है कि "क़ादिर-1" मिसाइल एक लंबी दूरी की मिसाइल है जिसका इस्तेमाल पहली बार इस युद्ध में किया गया था।

हिब्रू मीडिया ने यह भी बताया कि सायरन बजने के कारण कुछ ही मिनटों के भीतर दस लाख ज़ायोनी तेल अवीव में आश्रयों में दाख़िल हो गए। हिब्रू भाषा के मीडिया ने तेल अवीव के उत्तर में नेतन्या, शारून और इमक़ हैफ़र में सायरन बजने की भी सूचना दी।

हिब्रू मीडिया ने स्वीकार किया कि हिज़्बुल्लाह ने केवल एक दिन में ज़ायोनी शासन के ठिकानों पर 400 से अधिक रॉकेट और मीसाइल दाग़े हैं।

इन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उल्लेखित आंकड़ा पिछले वर्ष ज़ायोनी दुश्मन के साथ युद्ध की शुरुआत के बाद से हिज़्बुल्लाह द्वारा दाग़े गए रॉकेटों और मीज़ाइलों की सबसे अधिक संख्या है।

इज़राइल की सेना ने कहा है कि 2006 के बाद से लेबनान पर इज़राइल के सबसे भारी हमलों के दूसरे दिन हिजबुल्लाह ने इज़राइल में लगभग 300 रॉकेट और अन्य प्रोजेक्टाइल दागे है।

,उत्तरी इज़राइल के हाइफ़ा के दक्षिण में एक तटीय शहर एटलिट में एक विस्फोटक ड्रोन गिरा, यह पहली बार है कि हिजबुल्लाह का रॉकेट फायर इस क्षेत्र में पहुंचा है।

इज़राइल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने मंगलवार रात को कहा उन्होंने कहा कि दो अतिरिक्त ड्रोन भी लॉन्च किए गए थे क्षेत्र लेकिन रोक दिया गया। इज़राइल की बचाव सेवाओं के अनुसार ड्रोन से कोई हताहत नहीं है सेना ने कहा कि अधिकांश रॉकेटों को इजराइल की हवाई रक्षा प्रणालियों ने रोक लिया गया है।

हिजबुल्लाह ने एक बयान में हमले की पुष्टि की, कहा कि उसके लड़ाकों ने एटलिट बेस में इज़राइल की विशेष नौसैनिक कार्य इकाई शायेटेट 13 के मुख्यालय के खिलाफ हमलावर ड्रोन के एक स्क्वाड्रन के साथ एक हवाई अभियान चलाया इसके अधिकारियों और सैनिकों की स्थिति को निशाना बनाया और लक्ष्यों पर हमला किया।

अन्य मामलों में रॉकेट या इंटरसेप्टर मिसाइलों के हिस्से जो जमीन पर गिरे ऊपरी गलील के माउंट मेरोन क्षेत्र में आग लग गई। ऊपरी गलील के एक कस्बे, रोश पीना में एक आवासीय घर क्षतिग्रस्त हो गया और बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हो गया।

प्रभावित क्षेत्रों के अस्पतालों ने लगभग 23 लोगों का इलाज करने की सूचना दी लेकिन बाद में इज़राइल की मैगन डेविड एडोम आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा के बयानों से संकेत मिला कि जिन लोगों का इलाज किया गया वे शारीरिक चोटों से नहीं बल्कि घबराहट से पीड़ित है।