हुज्जतुल इस्लाम इज़दी ने कहा, अगर अमेरिका का समर्थन न होता तो कई साल पहले ही इस्राइली ग़ासिब हुकूमत का नापाक वजूद खत्म हो चुका होता इस्लामी ईरान, जब और जहां भी ज़रूरत पड़ी, मजलूमों की हिमायत समर्थन में सबसे आगे रहा है।
कोहबनान के इमामे जुमआ हुज्जतुल इस्लाम हसन इज़दी ने इस शहर में जुमा के खुतबों के दौरान ग़ज़्ज़ा की स्थिति की तरफ़ इशारा करते हुए कहा,ग़ज़्ज़ा की अवाम तन्हा (अकेले) और मजलूमियत के साथ अपना बचाव कर रही है।
उन्होंने कहा,अमेरिका और ज़ायोनी हुकूमत पूरी दुनिया को जंगल के क़ानून और वहशियत (दरिंदगी) की तरफ़ ले जा रहे हैं, जबकि हम देख रहे हैं कि ये ग़ासिब और ज़ालिम ज़ायोनी ग़ज़्ज़ा के बच्चों और औरतों को खून में नहला रहे हैं।
इमामे जुमा ने आगे कहा अगर अमेरिका का समर्थन न होता, तो कई साल पहले ही ज़ायोनी हुकूमत का नासूर मिट चुका होता। इस्लामी ईरान हमेशा मजलूमों की हिमायत में जहां ज़रूरत पड़ी, वहां मौजूद रहा है।
उन्होंने रहबर-ए-मुअज़्ज़म की हिदायतों का हवाला देते हुए कहा,इस्लामी देशों के बीच आपसी सहयोग और एतबार (भरोसा), दूसरों पर निर्भरता से बेहतर है। हमें अपने विरोधियों से बदगुमानी (संदेह) जरूर है, लेकिन अपनी काबिलियतों पर पूरा भरोसा भी है।