
رضوی
बेन गुरियन हवाई अड्डे और अमेरिकी जहाज पर अंसारुल्लाह का हमला
यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ने तेल अवीव के बेन-गुरिन हवाई अड्डे और अमेरिकी विमानवाहक पोत हैरी ट्रूमैन पर एक कामयाब मिसाइल हमले की सूचना दी है।
यमन के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल यहिया सरी ने मंगलवार सुबह एक बयान में एलान किया कि यमनी सशस्त्र बलों ने मिसाइल जुल्फिक़ार और फिलिस्तीन-2 प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइलों से तेल अवीव में बेन-गुरिन हवाई अड्डे को निशाना बनाया।
उन्होंने आगे कहा: एक अन्य ऑपरेशन में, यमन की नौसेना, मिसाइल और ड्रोन यूनिट्स ने अमेरिकी हैरी ट्रूमैन एयर क्राफ़्ट कैरियर और कई अन्य जहाजों पर क्रूज मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया।
श्री यहिया सरी ने कहा: लाल सागर में पिछले 24 घंटों में अमेरिकी हमलावर जहाज़ों पर यह दूसरा हमला था जो कई घंटों तक चला।
यमन के सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ने ग़ज़ा पट्टी पर अतिक्रमण समाप्त होने और इस क्षेत्र की नाकाबंदी हटने तक ज़ायोनी शासन से संबंधित जहाजों के मार्ग को रोकने और मक़बूज़ा क्षेत्रों के अंदर तक हमले करने के लिए इस देश के अभियानों को जारी रखने पर ज़ोर दिया है।
अमेरिकी हमले में यमन का कैंसर अस्पताल पूरी तरह तबाह
इस बीच, यमन के सादा प्रांत में कैंसर के इलाज का विशेष अस्पताल अमेरिकी युद्धक विमानों के हमले में पूरी तरह नष्ट हो गया। इस अस्पताल पर भी छह दिन पहले अमेरिकी युद्धक विमानों ने हमला किया था।
उत्तरी यमन में सादा प्रांत के मानवाधिकार कार्यालय ने कल सोमवार को घोषणा की कि इस हमले में अस्पताल के पूरी तरह नष्ट होने के अलावा कई नागरिक भी घायल हुए हैं।
यमन की सर्वोच्च परिषद के सचिव: हम फ़िलिस्तीन के साथ किए गये वादे से जुड़े हैं
इन हमलों के बाद यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के सचिव यासिर अल-हूरी ने मंगलवार सुबह इर्ना से बातचीत में कहा: यमन का राष्ट्र, नेता और सशस्त्र बल, फ़िलिस्तीनी राष्ट्र और फिलिस्तीनी प्रतिरोध के साथ किए गए वादों पर क़ायम हैं।
यासिर अल-हूरी ने कहा: यमनी राष्ट्र मज़लूम फिलिस्तीनी राष्ट्र के नरसंहार का दर्शक नहीं बन सकता है और अन्य अरब देशों की तरह, फिलिस्तीन के समर्थन में बेकार बयानों से संतुष्ट नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा: यमन की सैन्य क्षमताएं और सुविधाएं, दिन-प्रतिदिन प्रगति और विकास कर रही हैं, और अमेरिकी हमलों का इस क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
इस यमनी अधिकारी ने कहा: फ़िलिस्तीन के मक़बूज़ा क्षेत्रों में ज़ायोनी शासन के ठिकानों पर प्रतिदिन होने वाले हमले और लाल सागर में अमेरिकी एयर क्राफ़्ट कैरियर से जंग में यमनी सशस्त्र बलों की उच्च तत्परता और क्षमता को दर्शाता है।
तेल अवीव में एमरजेंसी सायरन बज उठा
ज़ायोनी मीडिया ने यमन की ओर से मक़बूज़ा फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों की ओर रॉकेट दागे जाने की ख़बरें भी जारी की हैं। इसके बाद, तेल अवीव सहित मक़बूज़ा फिलिस्तीनी क्षेत्रों के बड़े क्षेत्रों में ख़तरे का सायरन बजने लगा।
क़ुद्स दिवस;इज़राईली अत्याचारों के खिलाफ मुसलमानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने का दिन
आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने क़ुद्स दिवस के अवसर पर जारी अपने संदेश में दुनिया भर के मुसलमानों से अपील की है कि वे सियोनी अत्याचार और बर्बरता के ख़िलाफ़ एकता और एकजुटता का व्यावहारिक प्रदर्शन करें।
आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने क़ुद्स दिवस के अवसर पर जारी अपने संदेश में दुनिया भर के मुसलमानों से अपील की है कि वह इज़राईली अत्याचार और बर्बरता के ख़िलाफ़ एकता और एकजुटता का व्यावहारिक प्रदर्शन करें।
आयतुल्लाहिल नूरी हमदानी के संदेश का पाठ निम्नलिखित है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
माह-ए-रमज़ानुल मुबारक के आख़िरी जुमआ को इमाम ख़ुमैनी रह.के आदेश के अनुसार यौम-अल-क़ुद्स के रूप में मनाया जाता है जिसका उद्देश्य दुनिया भर के मुस्तज़ाफ़ीन (पीड़ितों) को एक दिन में सियोनी क़ब्ज़ेकार सरकार के ख़िलाफ़ अपनी नफ़रत व्यक्त करने का अवसर देना है।
इस साल भी इस नाजायज़ सरकार के जुर्म अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुके हैं और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की ख़ामोशी या अप्रभावी कार्रवाइयों के कारण मज़लूमों ख़ासकर मासूम बच्चों का क़त्लेआम जारी है।
इंशाअल्लाह, एक बार फिर दुनिया भर के मुसलमान इस ज़ालिम सरकार और उसके संरक्षकों के ख़िलाफ़ अपनी एकता और एकजुटता का व्यावहारिक प्रदर्शन करेंगे और अपनी नफ़रत का खुलकर इज़हार करेंगे।
हुसैन नूरी हमदानी
इराक में अमेरिकी और ज़ायोनी प्रभाव क्षेत्रीय स्थिरता के लिए ख़तरा
बगदाद के इमाम जुमा आयतुल्लाह सय्यद यासीन मूसवी ने इराक में संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की और देश की स्थिरता और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए एकजुट होने का आग्रह किया।
बगदाद के इमाम जुमा आयतुल्लाह सय्यद यासीन मूसवी ने इराक में संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की और देश की स्थिरता और राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए एकजुट होने का आग्रह किया।
अपने जुमा के खुत्बे में आयतुल्लाह मूसवी ने चल रहे वैश्विक संकटों और क्षेत्र पर उनके प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि आज दुनिया में अराजकता वैश्विक शांति और स्थिरता के बारे में गंभीर सवाल उठा रही है।
उन्होंने अमेरिकी और ज़ायोनी नीतियों को युद्ध और विनाश का कारण बताते हुए कहा, "हम शांति चाहते हैं, लेकिन जब से ट्रम्प सत्ता में आए हैं, दुनिया में हिंसा और हत्या में वृद्धि ही देखी गई है।" उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को एक आपराधिक गिरोह का नेता बताया जो किसी भी मानवीय या कानूनी मूल्यों की परवाह किए बिना अपराध करता है।
आयतुल्लाह सय्यद यासीन मूसवी ने इराक में विदेशी हस्तक्षेप को देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए कहा, "कुछ अधिकारी अपने ही लोगों को धमका रहे हैं, जैसा कि इराकी विदेश मंत्री ने हाल के दिनों में किया, जो एक अस्वीकार्य कृत्य है।"
उन्होंने चेतावनी दी कि संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल इस क्षेत्र के एक नए विभाजन की योजना पर काम कर रहे हैं, जिसका अनुभव सूडान और यमन में पहले ही हो चुका है, और अब इराक में एक अलग कुर्द राज्य स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
बगदाद के इमाम जुमा ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका शिया ताकतों को कमजोर करने की योजना पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य इराकी सेना और पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) की शक्ति को सीमित करना है, ताकि इराक, फिलिस्तीनी प्राधिकरण की तरह, एक कमजोर संस्था बनी रहे जो केवल इजरायल के हितों की रक्षा करे।
ईश्वरीय आतिथ्य- 4
ईश्वरीय आतिथ्य- 4
रमज़ान का पवित्र महीना, आत्मनिर्माण और पापों से स्वयं को बचाने का बहुत अच्छा अवसर है।
यही कारण है कि बहुत से मुसलमान इस अवसर से लाभ उठाने का प्रयास करते हैं। रमज़ान का महीना विशेष महत्व का रखता है। यह महीना अपनी आत्मा को पवित्र करने का बेहतरीन अवसर है। यह लोगों के जीवन को गहराई से प्रभावित करता है। इस महीने में जो कुछ हासिल होता है वह कठिन उपासना का परिणाम होता है। ईश्वर चाहता है कि मनुष्य, पवित्र रमज़ान में इबादत करके ईश्वर से डरता रहे ताकि उसे कल्याण प्राप्त हो सके।
इस्लामी शिक्षाओं में बताया गया है कि ईश्वर की उपासना करके मनुष्य का अन्तिम लक्ष्य, कल्याण व सफलता प्राप्त करना है। पवित्र क़ुरआन की बहुत सी आयतों में तक़वा अर्थात ईश्वर से भय की बात कही गई है। तक़वे का भी लक्ष्य, कल्याण हासिल करना है। सूरए बक़रा की आयत संख्या 130 में ईश्वर कहता है कि और ईश्वर से डरते रहो ताकि तुम्हें फ़लाह या कल्याण प्राप्त हो जाए। क़ुरआन की आयतों में 40 बार फ़लाह शब्द का प्रयोग उसके विभिन्न रूपों में किया गया है।
फ़लाह का अर्थ होता है सामने मौजूद रुकावटों को दूर करना और उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समस्याओं को नियंत्रित करना जो कल्याण व सफलता का कारण बनता है। ईमान वाले ईश्वर पर भरोसा करते हुए लक्ष्य तक पहुंचने का हर संभव प्रयास करते हैं और संसार की क्षमता के अनुसार सफलताएं प्राप्त करते हैं किंतु उनके प्रयासों का संपूर्ण पारितोषिक प्रलय में दिया जाएगा और वे ईश्वरीय दया की छाया में और पवित्र व भले लोगों के साथ स्वर्ग में सदा के लिए रहेंगे। क़ुरआन के अनुसार वे स्वतंत्र लोग जो ईश्वर को दिल की गहराइयों से मानते हैं उनका ईश्वर पर अटूट भरोसा होता है। ऐसे लोग कठिन परिश्रम करके अच्छाइयां प्राप्त करते हैं। सूरे तौबा की 20वीं आयत में कहा गया है कि वे लोग जो ईमान और अमल अर्थात आस्था एवं कर्म को साथ-साथ रखते हैं, सफल रहते हैं।
मनुष्य के हर कार्य को अच्छा काम नहीं कहा जा सकता। केवल वही काम अच्छा काम माना जाएगा जो बुद्धि के आधार पर और पूरी निष्ठा के साथ किया गया हो। इस प्रकार से ईश्वर, ऐसा काम करने का निमंत्रण देता है जिसे पूरी निष्ठा के साथ किया जाए। अपने व्यवहार के बारे में मनुष्य के सतर्क रहने से वह अच्छे काम की ओर अग्रसर रहता है। ऐसे में वह केवल वे काम ही करता है जिससे ईश्वर नाराज़ न हो। जिन लोगों को इस बात पर विश्वास है कि ईश्वर हमें देख रहा है और हमारे सारे कर्मों से अवगत है वे सच्चाई के साथ भले काम करते हैं जो तक़वे का कारण बनते हैं।
अब जबकि रमज़ान का महीना चल रहा है एसे में हम यह काम बड़ी सरलता से कर सकते हैं। रोज़ा रखकर आंतरिक इच्छाओं पर नियंत्रण किया जा सकता है। रमज़ान के महीने में पवित्र क़ुरआन पढ़ने पर अधिक से अधिक बल दिया गया है। जितना भी संभव हो सके मनुष्य इस महीने में क़ुरआन पढ़ता रहे। यहां पर यह बात ध्यान योग्य है कि केवल क़ुरआन का पढ़ना की पर्याप्त नहीं है बल्कि इसका मुख्य लक्ष्य, क़ुरआन की बातों को समझकर उनपर अमल करना है।
रमज़ान के महीने के बारे में ईश्वर सूरे बक़रा की आयत संख्या 185 में कहता हैः रमज़ान का महीना वह महीना है जिसमें क़ुरआन ईश्वर की ओर से उतरा है, जो लोगों का मार्गदर्शक है तथा, असत्य से सत्य को अलग करने हेतु स्पष्ट तर्कों व मार्गदर्शन को लिए हुए है, तो तुम में से जो कोई भी ये महीना पाए तो उसे रोज़ा रखना चाहिए और जो कोई बीमार या यात्रा में हो तो वह उतने ही दिन किसी अन्य महीने में रोज़ा रखे, ईश्वर तुम्हारे लिए सरलता चाहता है, कठिनाई नहीं, तो तुम रोज़ा रखो यहां तक कि दिनों की संख्या पूरी हो जाए और तुम्हें मार्गदर्शन देने के लिए ईश्वर का महिमागान करो और शायद तुम (ईश्वर के प्रति) कृतज्ञ हो।
पवित्र क़ुरआन का तेइसवां सूरा, मोमेनून है। इसमें मोमिनों के बारे में बताया गया है ताकि उनकी सफलता को देखकर अन्य लोग भी कामयाबी के रास्ते पर आगे बढ़ें। बाद में सफलता के लिए कुछ विशेषताएं बयान की गई हैं। यह वे विशेषताए हैं जिनको व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर लागू किया जा सकता है। आरंभ में ईश्वर, मोमिनों को सफल बताता है। पहली आयत एक संक्षिप्त वाक्य में स्पष्ट रूप से लोक परलोक में ईमान वालों के निश्चित कल्याण व सफलता की सूचना देती है। इस आयत में फ़लाह शब्द का प्रयोग किया गया है। आयत में प्रयोग होने वाले शब्द फ़लाह का अर्थ होता है सामने मौजूद रुकावटों को दूर करना और उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समस्याओं को नियंत्रित करना जो विजय व सफलता का कारण बनता है। ईमान वाले ईश्वर पर भरोसा करते हुए लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं और संसार की क्षमता के अनुसार सफलताएं प्राप्त करते हैं किंतु उनके प्रयासों का संपूर्ण पारितोषिक प्रलय में दिया जाएगा और वे ईश्वरीय दया की छाया में और पवित्र व भले लोगों के साथ स्वर्ग में सदा के लिए रहेंगे।
सूरे मोमेनून में मोमिनों की प्रशंसा करते हुए ईश्वर पहले नमाज़ का उल्लेख करता है। नमाज़, ईश्वर से संपर्क का सबसे अच्छा माध्यम है। ईश्वर कहता है कि मोमिन वे लोग हैं जो पूरी विनम्रता के साथ नमाज़ पढ़ते हैं। विनम्रता ऐसी स्थिति है जिसका प्रभाव शरीर पर भी दिखाई देता है। रमज़ान के पवित्र महीने में रोज़ा रखने वाले के लिए सबसे अच्छा काम अपने ईश्वर की उपासना करना है। रोज़ेदार बड़ी ही श्रद्धा के साथ रमज़ान में अपने ईश्वर को याद करता है।
नमाज़, बंदगी का रहस्य और आज़ादी की पहचान है। इस सूरे में नमाज़ के अतिरिक्त एक अन्य विशेषता की ओर संकेत किया गया है जो लगभग सात आयतों में मिलता है। रोज़ेदार, इन विशेषताओं का अध्ययन करके अपनी अच्छी विशेषताओं में अधिक से अधिक वृद्धि कर सकते हैं। इन विशेषताओं को हमें ध्यान से पढ़ना चाहिए। निश्चित रूप से ईश्वर पर ईमान रखने वाले सफल रहे कि जो अपनी नमाज़ों में विनम्र रहते हैं। और जो लोग व्यर्थ बातों व कार्यों से मुंह मोड़ लेते हैं। और जो ज़कात अदा करते हैं। और जो स्वयं को व्यभिचार से बचाते हैं। सिवाय अपनी पत्नियों या (ख़रीदी हुई) दासियों के, कि इस पर वे निन्दनीय नहीं हैं। तो जो कोई इसके अतिरिक्त कुछ और चाहे तो ऐसे ही लोग सीमा लांघने वाले है। और जो लोग अपनी अमानतों और अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हैं। और जो सदैव अपनी नमाज़ों की रक्षा करते हैं। यही लोग तो वारिस हैं। जो स्वर्ग की विरासत पाएँगे (और) वे उसमें सदैव रहेंगे।
रमज़ान का महत्व समझाते हुए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम कहते हैं कि ईश्वर ने पवित्र रमज़ान को जागरूकता का प्रमुख कारक बताते हुए कहा कि यह महीना, ईश्वर के मार्ग पर चलने का बहुत अच्छा ज़माना है। इस महीने में कुछ लोग भलाई में एक-दूसरे से आगे बढ़ जाते हैं। इसी महीने में कुछ लोग उदंडता करके अपना नुक़सान कर लेते हैं। आश्चर्य है उन लोगों पर जो बहुत हंसते हैं और अपना समय खेल में गुज़ारते हैं। उस दिन जब भलाई करने वालों को उनकी भलाई का बदला दिया जाएगा, एसे में बुराई करने वाले घाटा उठाएंगे। ईश्वर के कथनानुसार वास्तविक कल्याण पाने वाले प्रकाश में रहेंगे।
ईश्वरीय आतिथ्य- 3
रमज़ान के महीने को ईश्वर की मेज़बानी का महीना और उत्कृष्टता तक पहुंचने का मार्ग कहा जाता है।
पूरे इतिहास में ईश्वरीय दूतों ने लोगों को ईश्वर की ओर आमंत्रित किया है। ईश्वरीय दूत हज़रत नूह ने कहा था, हे ईश्वर, मैंने अपनी उम्मत को रात-दिन तुझ पर ईमान लाने की दावत दी। अंतिम ईश्वरीय दूत हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) ने ईश्वर के आदेशानुसार लोगों से कहा, कह दो, यह मेरा मार्ग है, मैं समझदारी और जागरुकता से ईश्वर की ओर दावत देता हूं।
ईश्वर की ओर दावत की कुछ विशेषताएं हैं, जो उसे अन्य दावतों से अलग करती हैं। इस दावत की महत्वपूर्ण विशेषता, बुद्धिमत्ता और अच्छी बात है। क़ुराने मजीद में उल्लेख है, हे पैग़म्बर, लोगों को दृढ़ संकल्प, अच्छे एवं सुन्दर उपदेशों से अपने ईश्वर की ओर बुलाओ, और उनसे बहुत ही अच्छे अंदाज़ में वार्ता करो। निःसंदेह तुम्हारा पालनहार उन लोगों के बारे में अधिक जानता है जो उसके रास्ते से भटक जाते हैं या वे सही रास्ता अपना लेते हैं।
तीन साल तक गोपनीय रूप से लोगों का मार्गदर्शन करने के बाद, पैग़म्बरे इस्लाम (स) सफ़ा की पहाड़ी पर गए और पहली बार स्पष्ट रूप से लोगों को पुकार कर कहा, हे लोगो, कहो अल्लाह के अलावा और कोई ईश्वर नहीं है, ताकि तुम्हारा कल्याण हो जाए।
यह कल्याण या मोक्ष क्या है और किस तरह से प्राप्त किया जा सकता है? कल्याण का अर्थ है, भलाई और स्वास्थ्य के साथ लक्ष्य तक पहुंचना। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहता है, उसे चाहिए कि उसके लिए तैयारी करे और उस तक पहुंचने के लिए भूमि प्रशस्त करे। मोक्ष प्राप्ति के मार्ग में उतार चढ़ाव आते हैं, कभी यह अस्थायी होते हैं और इंसान के लिए चुनौतियां उत्पन्न करते हैं। मोक्ष प्राप्ति का कारण, एक ज़ीने की भांति है, जिसकी हर सीढ़ी लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करती है।
मोक्ष का मार्ग पैग़म्बरे इस्लाम (स) और शुरूआत में इस्लाम स्वीकार करने वालों की दावत से जुड़ा हुआ है, जो मक्के के गली कूचों में गूंजी थी और उसने इंसान के विवेक को जगाया था। क़ुराने मजीद के सूरए मोमेनून में हम पढ़ते हैं, वास्तव में मोमेनीन सफल हो गए। इस आयत के आधार पर, इंसान जब ईश्वर और उसके वादों पर ईमान ले आते हैं, तो वे मोक्ष के मार्ग पर क़दम बढ़ाते हैं, हालांकि संभव है इस मार्ग में उन्हें गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़े।
क़ुराने करीम की अन्य आयतों में आत्मा की शुद्धि को भी मोक्ष प्राप्ति का एक कारण बताया गया है। सूरए शम्स में ईश्वर कहता है, जिस किसी ने भी अपनी आत्मा को शुद्ध किया, निश्चित रूप से वह सफल हो गया, और जिसने अपनी आत्मा को गुनाहों से दूषित किया वह नुक़सान में रहा।
नैतिकता और रहस्यवाद के अनुसार, आत्मा की शुद्धि का अर्थ है, अनैतिकता और बुराईयों से आत्मा का शुद्धिकरण करना। जिसके परिणाम स्वरूप, कल्याण और मोक्ष प्राप्त होता है। क़ुरान के मुताबिक़, शुरू में इंसान की आत्मा एक सफ़ेद तख़्ती की तरह होती है, जिसे गुणों से सुसज्जित भी किया जा सकता है और बुराईयों से प्रदूषित भी। इन दोनों स्थितियों के चुनाव में इंसान आज़ाद होता है। अगर कोई व्यक्ति ख़ुद को बुराईयों से पाक रखता है, मानवीय गुणों को प्राप्त करता है और ईश्वर तक पहुंचने के लिए प्रयास करता है तो वह सफल हो जाता है। दूसरे शब्दों में ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण और सही कार्य अंजाम देना, आत्मनिर्माण है, न कि सामाजिक गतिविधियों को बंद कर देना और एक कोने में बैठकर ईश्वर तक पहुंचने की आशा रखना।
आत्मशुद्धता और आत्मनिर्माण का परिणाम, ईश्वर की बंदगी है। बंदगी यानी ईश्वर के सामने पूर्ण रूप से नतमस्तक होना, इसका अर्थ व्यापक है जो इबादत से अधिक विस्तृत है। ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए किसी भी काम को अपनी इच्छा से छोड़ना या उसे अंजाम देना बंदगी का ही भाग है। अगर इंसानों को मोक्ष प्राप्ति और कल्याण प्राप्ति के लिए नमाज़ पढ़ने और रोज़ा रखने का आदेश दिया गया है तो वह इसलिए कि इन कार्यों में बंदगी भी उन्हें अन्य इबादतों की भांति लक्ष्य की ओर मार्गदर्शित करती है।
बंदगी, ईश्वर के ज़िक्र और उसके गुणगान के साथ होती है, यही ज़िक्र मोक्ष प्राप्ति का एक ज़रिया है। क़ुरआन के अनुसार, अल्लाह का अधिक ज़िक्र करो, शायद तुम्हें मोक्ष प्राप्त हो जाए। जो लोग ईश्वर का ज़िक्र करते हैं, वे जानते हैं कि ईश्वर के नामों से ज़बान और दिल को प्रकाशमय करने से ईश्वर के साथ संपर्क स्थापित होता है और ईश्वर की पहचान हासिल होती है। इंसान की आत्मा ईश्वर के गणगान से शुद्ध होती है और इससे पारदर्शिता प्राप्त होती है। ईश्वर अपने गुणगान को दिलों को प्रकाशमय करने का कारण मानता है।
निराशा और मायूसी, इंसान को अँधेरे में डुबो देती है, इस प्रकार से कि हज़रत अली (अ) अपने बड़े को पहली नसीहत करते हुए दिल को तरो-ताज़ा रखने पर बल देते हुए कहते हैं, मेरे प्यारे बेटे, मैं तुम्हें बुराईयों से दूर रहने, ईश्वर के आदेशों का पालन करने, दिल और आत्मा को तरो-ताज़ा रखने और ईश्वरीय रस्सी को मज़बूती से पकड़े रहनी की नसीहत करता हूं।
क़ुरआने मजीद की व्याख्या करते हुए अल्लामा तबातबायी कहते हैं, ईश्वर का ज़िक्र करने से दिलों को शांति प्राप्त होती है। इसलिए कि इंसान के जीवन का उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति और कल्याण प्राप्ति के अलावा कुछ नहीं है और उसे किसी अचानक आने वाली आफ़त का कोई भय नहीं होता है। एकमात्र वह हस्ती कि जिसके हाथ में उसका कल्याण और अभिशाप है, वह वही ईश्वर है। समस्त मामले उसकी ही ओर पलटकर जाते हैं, वह वही है जो पालनहार है, जो चाहता है वह करता है और मोमिनों का स्वामी और उन्हें शरण देने वाला है। इसलिए उसका ज़िक्र और गुणगान ऐसे व्यक्ति के लिए जो मुसीबतों में घिरा हुआ है और किसी मज़बूत सहारे की तलाश में है कि जो उसका कल्याण कर सके, वह उसकी ख़ुशी और शांति का कारण है।
रमज़ान का महीना दुआओं के क़बूल होने का महीना और शरीर एवं आत्मा के शुद्धिकरण का महीना है। क़ुराने मजीद के अनुसार, ईश्वरीय अनुकंपाओं के ज़िक्र का एक फल, कल्याण एवं मोक्ष प्राप्ति है। सूरए आराफ़ की आयत 69 में उल्लेख है, ईश्वर की अनुकंपाओं को याद करो, क्योंकि तुम्हें कल्याण प्राप्त होगा।
ध्यान योग्य है कि ईश्वर इंसान को साइप्रेस पेड़ की भांति सिर बुलन्द होने की दावत देता है, इसलिए कि साइप्रेस एकमात्र ऐसा पेड़ है कि जो सीधा आसमान की ओर बढ़ता है, जबकि अन्य पेड़ों की डालियां चारो ओर फैलती हैं।
रमज़ान के महीने में ईश्वर का ज़िक्र और गुणगान हो रहा है, यह आत्मनिर्माण और बंदगी का महीना है, इस महीने में रोज़ेदार ईश्वर की मेज़बानी और प्रेम का लुत्फ़ उठाते हैं। इस महीने में उन लोगों को इस मूल्यवान दावत का फल मिलता है। इसका मूल्यवान फल, स्वयं से संपर्क, ईश्वर से संपर्क और उसके बंदों से संपर्क करना है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) के मुताबिक़, यह महानता, गौरव और सम्मान का महीना है और इसे अन्य महीनों पर प्राथमिकता दी गई है। बेहतर होगा प्रेम और शुद्ध नीयत के साथ इससे लाभान्वित हों और उसके सुन्दर दिनों और आध्यात्मिक सुबहों को ईश्वर से बातचीत एवं प्रेमपूर्वक दुआओं के लिए लाभ उठाएं और कल्याण प्राप्त करें।
संयुक्त राष्ट्र के लगभग 30 कर्मचारी गाज़ा छोड़ दिए
इज़रायल द्वारा संयुक्त राष्ट्र के फिलिस्तीन स्थित परिसरों पर हमले और पांच अंतरराष्ट्रीय कर्मियों की मौत के बाद गाजा पट्टी में तैनात संयुक्त राष्ट्र के लगभग 30 अंतरराष्ट्रीय कर्मचारी सुरक्षा चिंताओं के कारण इस क्षेत्र को छोड़ दिए।
संयुक्त राष्ट्र ने स्थानीय समयानुसार सोमवार को घोषणा की कि वह इजरायल के नए हमलों के बाद गाजा में अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने की योजना बना रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के गाजा में 13,000 से अधिक कर्मचारी हैं, जिनमें से अधिकांश फिलिस्तीनी हैं और चिकित्सा, नर्सिंग, ड्राइविंग जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं। पिछले 15 महीनों में इनमें से 250 से अधिक कर्मचारी मारे गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि स्थिति इतनी खतरनाक हो गई है कि गाजा में तैनात 100 अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों में से एक तिहाई को हटाया जाएगा। इसके तहत लगभग 30 कर्मचारी अपनी सुरक्षा के लिए गाजा छोड़ दिए।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि पिछले हफ्ते इजरायल ने गाजा में भीषण हमले किए जिनमें सैकड़ों नागरिकों और संयुक्त राष्ट्र कर्मियों की जानें गईं।उन्होंने कहा कि मार्च के शुरू से ही इजरायल ने गाजा में मानवीय सहायता रोक दी है। डुजारिक ने जोर देकर कहा,संयुक्त राष्ट्र गाजा नहीं छोड़ेगा, लेकिन सुरक्षा जोखिमों के कारण उसे अपनी उपस्थिति कम करनी पड़ रही है।
19 मार्च को इजरायली टैंक द्वारा दीर अलबलाह में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर हमला किया गया, जिसमें एक बुल्गारियाई कर्मचारी की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए।डुजारिक ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के स्थान युद्धरत पक्षों को पूरी तरह पता हैं फिर भी उन पर हमले किए जा रहे हैं।संयुक्त राष्ट्र ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है और एक स्वतंत्र जांच की मांग की है।
गाजा में हिंसा और मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते संयुक्त राष्ट्र को अपने कर्मचारियों की संख्या कम करनी पड़ रही है। हालांकि, संगठन ने स्पष्ट किया है कि वह फिलिस्तीनी नागरिकों की सहायता जारी रखेगा।
शहीद नसरुल्लाह अमर है वे दुनिया के सभी स्वतंत्रता प्रेमियों के लिए आदर्श हैं
नेल्सन मंडेला के पोते ने फ़िलिस्तीन के समर्थकों जिनमें ईरान भी शामिल है की सराहना करते हुए जोर दिया कि शहीद नसरुल्लाह कभी नहीं मरते और उनके विचार दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले सभी संघर्षकर्ताओं के लिए आदर्श बने रहेंगें।
महान अफ्रीकी स्वतंत्रता सेनानी और दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद विरोधी आंदोलन के नेता नेल्सन मंडेला के पोते जिन्होंने देश के पहले लोकतांत्रिक रूप से चुने गए राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था।
उन्होने शहीदों के जनाजे की भव्य रस्म में भाग लेते हुए बयान दिया उन्होंने बेरूत में इस्लामी उम्मत के शहीदों शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह और सैयद हाशिम सफीउद्दीन के जनाजे के अवसर पर कहा कि इज़राईल सैयद हसन नसरुल्लाह को शहीद कर दिया लेकिन उनके विचार उन सभी संघर्षरत लोगों के बीच जीवित रहेंगे, जो दुनिया भर में स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं। जैसे कि हम दक्षिण अफ्रीका में कहते हैं वह मरे नहीं हैं, बल्कि कई गुना बढ़ गए हैं।
शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह केवल हिज़्बुल्लाह के महासचिव नहीं थे बल्कि वे अरबों, फ़ारसियों, गोरों, काले लोगों और दुनिया भर के सभी उत्पीड़ितों के नेता थे।वह साम्राज्यवाद और वैश्विक दमनकारी शक्तियों के खिलाफ एक ऐतिहासिक नेता थे और हर स्वतंत्रता सेनानी के लिए एक प्रतीक और आदर्श बन गए।
उन्होंने आगे कहा,हम दक्षिणी दुनिया के सभी लोगों से अपील करते हैं कि वे फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के समर्थन में साहसिक रुख अपनाएं। सभी को शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की वीरता से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने बिना किसी भय के अपने रास्ते पर दृढ़ता से क़दम बढ़ाए
मानव प्रगति का रहस्य पवित्र कुरान में छिपा है
पवित्र कुरान के नुज़ूल के उपलक्ष्य में मुरादाबाद में एक समारोह आयोजित किया गया, जिसे डॉ. सैयद शहवार नकवी अमरोहवी ने संबोधित किया।
भारत के मुरादाबाद में शिया जामिया मस्जिद मिर्ज़ा कुली खान में कुरान के अवतरण की महानता के विषय पर बोलते हुए, शोधकर्ता डॉ. शाहवर हुसैन अमरोहवी ने कहा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान ने मानव जाति के मार्गदर्शन के लिए इस पुस्तक को अवतरित किया। इस पुस्तक में मानव प्रगति का रहस्य छिपा है। यह पुस्तक जीवन है. इसमें जीवन की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। अन्य धर्मों के लोग भी इस पुस्तक से लाभान्वित हो रहे हैं और अपने लक्ष्य प्राप्त कर रहे हैं। यदि इसकी शिक्षाएं समाज में व्यापक हो जाएं तो सर्वत्र शांति और सौहार्द स्थापित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि देश का हर व्यक्ति इस महान ग्रंथ की शिक्षाओं से परिचित हो और इसे अपने जीवन में शामिल कर प्रतिदिन इसका पाठ करे। इसके पाठ का सबसे बड़ा लाभ यह है कि व्यक्ति का जीवन प्रकाशमय हो जाता है, क्योंकि कुरान प्रकाश है और प्रकाश निश्चित रूप से अपना अस्तित्व प्रकट करता है।
इसलिए हमें अपने दिन की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से करनी चाहिए, ताकि हमारा दिन कुरान की छाया में गुजरे और हम कोई ऐसा काम न करें जो ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध हो। आज कुरान का अनुवाद हर भाषा में उपलब्ध है और हम जिस भी भाषा में चाहें, उससे लाभ उठा सकते हैं। इस आध्यात्मिक समागम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और प्रस्तुतियों को सुना।
दुश्मनों की योजना अधिकतम दबाव बनाने की है
छात्र संघ के प्रमुख ने स्पष्ट किया: "इन 46 वर्षों के दौरान लोगों की परीक्षा हुई है और उन्होंने दुश्मनों की ओर से कठिनाइयों और समस्याओं को देखा है, और दुश्मन ने भी इन मुद्दों पर निर्दयता से निपटा है, लेकिन दुश्मनों को जो संदेश दिया जाना चाहिए वह यह है कि "परीक्षित की परीक्षा लेना एक गलती है।"
आयतुल्लाह हुसैनी बुशहरी ने रमजान के पवित्र महीने को अल्लाह की इबादत का त्योहार बताया और कहा: "मैं अमीरुल मोमेनीन (अ) की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं, और मैं आपको नए साल की बधाई देता हूं, जो एक साल के क्षितिज के लिए एक नए प्रयास और योजना की शुरुआत है।"
उन्होंने कहा: "लगातार कई वर्षों से, सर्वोच्च नेता ने विभिन्न व्याख्याओं के साथ, देश के आर्थिक मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया है, क्योंकि दुश्मन ने, सांस्कृतिक और मीडिया आक्रमण में अपने प्रयासों के अलावा, जो क्रांति की शुरुआत से ही जारी है, आर्थिक मुद्दों में सबसे अधिक निवेश किया है, खासकर उन दिनों में जब नए अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर आए हैं।"
क़ुम के इमाम जुमा ने कहा कि यदि आर्थिक मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो दुश्मन हमारे लिए समस्याएं पैदा कर सकता है, और कहा: "इन 46 वर्षों के दौरान लोगों का परीक्षण किया गया है और उन्होंने दुश्मन की ओर से कठिनाइयों और समस्याओं को देखा है, और दुश्मन ने भी इन मुद्दों के साथ निर्दयता से निपटा है, लेकिन दुश्मनों को जो संदेश दिया जाना चाहिए वह यह है कि "परीक्षण किए गए का परीक्षण करना एक गलती है।"
उन्होंने कहा: "मुझे नहीं लगता कि दुश्मन इस संबंध में कुछ नया कर सकते हैं जो उन्होंने पहले नहीं किया हो।" बेशक, उनकी योजना अधिकतम दबाव बनाने की है, लेकिन अल्लाह तआला ने इस देश को जो क्षमताएं दी हैं, अच्छे लोग और एक सूचित, सतर्क नेतृत्व दिया है, और एक ऐसा दृश्य जिसमें हम उन्हें हर अवसर पर समाज के विभिन्न वर्गों को लक्षित और योजनाबद्ध भाषण देते हुए देखते हैं, क्रांति के पक्ष में समाज के स्थान को जब्त करने की कोशिश करते हुए, दुश्मनों को स्तब्ध और भ्रमित करते हुए, और उनकी साजिशों को विफल करते हुए देखते हैं, वे कृतज्ञता के योग्य हैं।
तैय्यब अर्दोग़ान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोगन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन जारी है इस्तांबुल के मेयर की गिरफ्तारी के बाद अर्दोग़ान के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन थमने का कोई संकेत नहीं है जनता में गुस्सा बढ़ रहा है जिसके चलते कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैय्यब एर्दोगन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन जारी है इस्तांबुल के मेयर की गिरफ्तारी के बाद अर्दोग़ान के खिलाफ शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन थमने का कोई संकेत नहीं है जनता में गुस्सा बढ़ रहा है जिसके चलते कई शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में अर्दोग़ान के खिलाफ उतरने का ऐलान करने वाले इस्तांबुल के मेयर इकराम इमामोग़्लू के मामले की सुनवाई करते हुए तुर्की की एक अदालत ने उनकी हिरासत बढ़ाने का आदेश दिए हैं, इस आदेश के बाद देश में हो रहे प्रदर्शनों के और तेज होने की आशंका है।यह गिरफ्तारी राष्ट्रपति अर्दोग़ान के खिलाफ बढ़ते विरोध का संकेत है और देश में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ा सकती है।
इमामोग्लू की परेशानी अदालत ने और बढ़ा दी है, अदालत ने इमामोग्लू को भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुकदमे का नतीजा आने तक जेल में रखने का आदेश दिया है, जिसके बाद उनके समर्थन में होने वाले प्रदर्शनों के उग्र होने की आशंका जताई जा रही है।
इमामोग्लू को एक प्रमुख विपक्षी नेता और लंबे समय से राष्ट्रपति अर्दोग़ान का संभावित प्रतिद्वंदी माना जाता है, उन्हें बुधवार को सरकार ने कथित भ्रष्टाचार और आतंकवाद के आरोप में हिरासत में ले लिया था। जिसकी वजह से देशभर में प्रदर्शन शुरू हुए थे। इमामोग्लू ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए इन्हें ‘बदनाम करने के अभियान’ का हिस्सा बताया है।
इमामोग्लू के सहयोगी अंकारा के मेयर मंसूर यावस ने मीडिया से कहा कि जेल जाना न्यायिक प्रणाली के लिए अपमानजनक है।