رضوی

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औरत को ऐसे महान वजूद के तौर पर देखिए जो महान इंसानों की परवरिश के ज़रिए पूरे समाज की कामयाबी का सबब बनती है,तब मालूम हो सकेगा कि औरत का हक़ क्या है और उसकी आज़ादी का क्या मतलब है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,औरत की आज़ादी, पश्चिम की गुमराह सभ्यता में इस बात पर टिकी है कि औरत को मर्द की भूखी निगाहों को शांत करने का साधन क़रार दे और मर्द उसका आनंद ले, क्या यह औरत की आज़ादी है?

वे लोग जो पश्चिमी दुनिया में मानवाधिकार की रक्षा का दम भरते हैं, हक़ीक़त में औरत पर ज़ुल्म करने वाले लोग हैं, औरत को ऐसे महान वजूद के तौर पर देखिए जो महान इंसानों की परवरिश के ज़रिए पूरे समाज की कामयाबी का सबब बनती है।

तब मालूम हो सकेगा कि औरत का हक़ क्या है और उसकी आज़ादी का क्या मतलब है। औरत को परिवार के गठन के बुनियादी सुतून के तौर पर देखिए कि अगरचे परिवार मर्द और औरत दोनों से गठित होता है और दोनों ही परिवार के गठन और उसकी रक्षा में प्रभावी हैं लेकिन परिवार के लिए सुकून व चैन और वह आराम व इत्मीनान जो घर के माहौल में मिलता है, औरत की बरताव और उसके ज़नाना स्वभाव की देन है।

इमाम ख़ामेनेई,

जन्नतुल बक़ी की तामीर के लिए दुनिया भर में आवाज़ उठायी जा रही है और आले सऊद शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं इसी के चलते बिहार के मुजफ्फरपुर में भी प्रदर्शन हुआ और हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जन्नतुल बक़ी की तामीर के लिए दुनिया भर में आवाज़ उठायी जा रही है और आले सऊद शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

इसी क्रम में भारत के बिहार राज्य के मुज़फ्फरपुर में नमाज़े जुमाआ के बाद जन्नतुल बक़ी की तामीर की मांग के साथ प्रदर्शन किया गया और हस्तक्षार अभियान भी चलाया गया।

नमाजे जुम्मा के बाद मौजूद लोगों ने आले साउद के खिलाफ नारे लगाए और जन्नतुल बकी की नवनिर्माण के लिए आवाज उठाई और उन्होंने कहा यह प्रदर्शन जारी रहेगा जब तक रौज़ा नहीं बन जाता।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता के प्रस्ताव को वीटो करने के संयुक्त राज्य अमेरिका के कदम की निंदा की है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी चाफ़ी ने कहा है कि वाशिंगटन के इस कदम ने अमेरिकी विदेश नीति की पाखंडी प्रकृति और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रति व्हाइट हाउस के रुख को पहले से कहीं अधिक उजागर कर दिया है।

कनानी ने कहा कि पिछले सात दशकों के दौरान राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्रों में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ज़ायोनी शासन को एकतरफा और असीमित समर्थन ने न केवल विश्व जनमत के सामने अमेरिकी शासकों को बदनाम किया है यह भी साबित हुआ कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक तटस्थ और जिम्मेदार देश नहीं है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बार फिर फिलिस्तीनियों की ऐतिहासिक भूमि पर समुद्र से नहर तक एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य स्थापित करने के फिलिस्तीनी राष्ट्र के कानूनी और निर्विवाद अधिकार पर जोर दिया, जिसमें यरूशलेम भी शामिल है। राजधानी, और कहा कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान का मानना ​​है कि लचीले और साहसी फिलिस्तीनी लोगों की इच्छाशक्ति अंततः इजरायल की नकली, नस्लवादी और आपराधिक सरकार सहित फिलिस्तीनियों के दुश्मनों पर विजय प्राप्त करेगी।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र के पूर्ण सदस्य के रूप में मान्यता देने के प्रस्ताव पर गुरुवार रात मतदान किया - सुरक्षा परिषद के 15 सदस्यों में से 12 ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि स्विट्जरलैंड और ग्रेट ब्रिटेन ने इसमें भाग नहीं लिया संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र सदस्य था जिसने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और इसे वीटो कर दिया।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव के लिए सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों, अर्थात् संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन से, बिना किसी विरोध या वीटो के, कम से कम नौ सकारात्मक वोटों की आवश्यकता होती है।

ईरान के मध्य शहर इस्फ़हान और उत्तर-पश्चिमी ईरान के पूर्वी अज़रबैजान प्रांत में ताब्रीज़ में वायु रक्षा प्रणाली हवा में कुछ संदिग्ध वस्तुओं को देखने के बाद सक्रिय हो गई और उस पर गोलीबारी शुरू कर दी।

प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, संदिग्ध वस्तुओं के अवलोकन के बाद इस्फ़हान और तबरीज़ शहरों की वायु रक्षा प्रणाली सक्रिय हो गई थी। जानकार सूत्रों के मुताबिक, इन शहरों में विस्फोटों की कुछ खबरों के बावजूद, विस्फोटों या मिसाइलें दागे जाने की कोई खबर नहीं है।

ईरानी सेना के वरिष्ठ अधिकारी मिहान दोस्त ने कहा है कि सुबह चार बजे इस्फ़हान प्रांत के उपनगरों में कई विस्फोट सुने गए. उनके मुताबिक, प्रांत के पूर्वी इलाके में हवा में एक संदिग्ध वस्तु देखी गई, जिसके बाद रक्षा प्रणाली ने उस पर गोलियां चला दीं. इन संदिग्ध वस्तुओं के बारे में अभी तक कोई विवरण नहीं है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, अत्यधिक संवेदनशीलता के कारण, एयर डिफेंस ने इस्फ़हान एयर बेस के आसपास के क्षेत्र में गोलीबारी की - इसके अलावा, तबरीज़ शहर के पश्चिम में और वाडी के आसपास एक संदिग्ध वस्तु देखे जाने के बाद तबरीज़ एयर डिफेंस को सक्रिय किया गया। रहमत ने दिया. स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, घटना में किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है और इन शहरों में हालात सामान्य हैं.

इमाम जुमआ क़ुम ने कहा: सीरिया में इज़राइली शासन की शरारतों का जवाब देने के लिए ईरान का ऑपरेशन बिल्कुल सही था और यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के आधार पर एक वैध रक्षात्मक ऑपरेशन था।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,कुम अलमुकद्देसा के इमाम जुमआ आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी में आज अपने खुत्बे के दरमियान कहा,इस ऑपरेशन ने दुनिया को हिलाकर रख दिया और इस क्षेत्र को प्रभावित किया हैं।

उन्होंने आगे बयान किया कि सीरिया में इज़राइली शासन की शरारतों का जवाब देने के लिए ईरान का ऑपरेशन बिल्कुल सही था और यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के आधार पर एक वैध रक्षात्मक ऑपरेशन था।

आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने आगे कहा,यह ऑपरेशन स्पष्ट था और साथ ही आश्चर्य की बात नहीं थी इस हमले की पहचान बहुत पहले ही कर ली गई थी जो ईरान के सशस्त्र बलों की बहादुरी का संकेत है।

कुम अलमुकद्देसा के इमाम जुमआ ने कहां, यह ऑपरेशन पूरी सूझबूझ के साथ अंजाम दिया गया इससे प्रकाश फोर्स के जरिए अंजाम दिया गया यह फोर्स के कमल की बात है जिन्होंने इस कमल को करके दिखाया इजरायल के खिलाफ और उनकी जितनी सराहना की जाए कम हैं।

आयतुल्लाह अराफ़ी ने कहा,यह ऑपरेशन ऐसी स्थिति में किया गया था जब अमेरिका, ब्रिटेन और क्षेत्र के गद्दार देश ईरान के हमलों को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे थे यह हमला सीमाओं के बाहर और ईरान की रक्षा में किया गया था।

मजलिस ए ख़ुबरगान रहबरी के सदस्य ने कहा: दुनिया ने खुद कहा कि इज़राइल की रक्षा प्रणालियाँ जैसे आयरन डोम और अन्य रक्षा प्रणालियाँ ईरानी मिसाइलों द्वारा नष्ट कर दी गई हैं।

कुम अलमुकद्देसा के इमाम जुमआ ने कहां, सच्चे वादे ने इजरायल के भरम को मिट्टी में मिला दिया और राजनीतिक, आर्थिक और रक्षा वर्चस्व को भी नष्ट कर दिया।

उन्होंने कहा, जब सुप्रीम लीडर ने कहा था कि इजराइल को सजा मिलेगी तो दुश्मनों ने कभी नहीं सोचा था कि इतना बड़ा हमला किया जाएगा।

 

 

 

ईरान के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि देश में कैंसर का इलाज मुफ़्त में किया जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री बहराम एनुल्लाही ने सेमनान प्रांत के कौसर अस्पताल में कैंसर क्लिनिक का उद्घाटन करते हुए कहाः देश में जल्द ही राष्ट्रीय स्क्रीनिंग अभियान लागू करके इस बीमारी के संदिग्ध लोगों का मुफ़्त में इलाज किया जाएगा।

रोगियों की सहायता के लिए ईरान स्वास्थ्य बीमा संगठन में विशेष रोग कोष सक्रिय किया गया है।

पिछले एक साल के दौरान, 107 प्रकार के रोगियों को इस योजना का लाभ प्रदान किया गया है।

इस संगठन की ज़िम्मेदारी, बीमा भुगतान के अलावा होने वाले ख़र्चों को वहन करना है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने न्यूयॉर्क में अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में कहा, अगर इज़रायल शासन कोई गलती करता है तो मक़बूज़ा फिलिस्तीन में हम तत्काल, निर्णायक और ऐसी कड़ी प्रतिक्रिया देंगे जिस पर इज़रायल शासन को पछतावे के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,तेहरान,इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री अमीर ने कहां,अगर ज़ायोनी शासन कोई गलती करता है, तो मक़बूज़ा फिलिस्तीन में हम तत्काल, निर्णायक और ऐसी कड़ी प्रतिक्रिया देंगे जिस पर ज़ायोनी शासन को पछतावे के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा।

ईरान ने एक बार फिर इस्फ़हान शहर में सुनी जाने वाली धमाकों की आवाज़ के बारे में बयान जारी करते हुए कहा कि इस घटना में कोई जानी माली नुकसान नहीं हुआ है।

इस्फ़हान प्रांत के सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने इस्फ़हान के पूर्व में अपेक्षाकृत तेज़ आवाज़ सुने जाने के बाद कहा कि यह आवाज़ इस्फ़हान की वायु रक्षा प्रणाली द्वारा संदिग्ध वस्तुओं पर की गई गोलीबारी से संबंधित थी और हमें इस से कोई क्षति पहुंची है न ही कोई दुर्घटना हुई है।वहीँ इस्राईल के किसी भी संभावित हमले के बारे में बात करते हुए

न्यूयॉर्क में मौजूद इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन से बातचीत में कहा, ''अगर ज़ायोनी शासन कोई गलती करता है, तो मक़बूज़ा फिलिस्तीन में हम तत्काल, निर्णायक और ऐसी कड़ी प्रतिक्रिया देंगे जिस पर ज़ायोनी शासन को पछतावे के अलावा कुछ हासिल नहीं होगा।

 

 

 

 

 

 बगदाद के दक्षिण में बाबिल प्रांत में आधी रात को एक अज्ञात ड्रोन विमान द्वारा दो इराकी सैन्य ठिकानों पर बमबारी की गई। हमले में हश्दुश शअबी बलों के गोला-बारूद के गोदाम को निशाना बनाया गया जबकि दूसरा हमला टैंक मुख्यालय पर हुआ।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, कलसो बेस पर अज्ञात ड्रोन द्वारा की गई बमबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और आठ अन्य घायल हो गए।

बगदाद में अल-मायादीन कार्यालय के निदेशक ने बताया कि इन आक्रामक हमलों ने कलसो बेस के मुख्य प्रवेश द्वार, एक कार गैरेज और हशद अल-शअबी बलों के दो कार्यालयों को निशाना बनाया। कहा जा रहा है कि यह हमले काफी घातक थे।

इराकी पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज "हश्दुश शअबी" के बयान में कहा गया है कि एक जांच टीम विस्फोट स्थल पर पहुंची और इस विस्फोट से माली नुकसान हुआ है जबकि कुछ लोग घायल भी हुए हैं।

ईरान ने इस्फ़हान और तबरेज़ सहित इस हमले को झूठ का पुलिंदा क़रार देते हुए इस ख़बर को पूरी तरह से नकार दिया है सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में से कोई भी तस्वीर इजरायली हमले को साबित नहीं करती।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , एक रिपोर्ट के अनुसार ,मिडिल ईस्ट अब व्यापक संघर्ष क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। एक अमेरिकी अधिकारी ने एबीसी न्यूज को बताया कि इजराइली मिसाइलों ने ईरान में एक साइट पर हमला किया है। हालांकि, अधिकारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि क्या हमले इराक और सीरिया पर भी हुए हैं।

अमेरिकन ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन (एबीसी) और अन्य मीडिया खबरों में दावा किया गया है कि इस्फ़हान और तबरेज़ सहित कई ईरानी शहरों में विस्फोट सुने गए। सोशल मीडिया पर वीडियो में मिसाइलों को छोड़े जाते हुए कई फोटो सामने आ रहे हैं।

यह हमला 13 अप्रैल को ईरान द्वारा इज़राइल पर पहला सीधा हमला शुरू करने के कुछ दिनों बाद हुआ। तेहरान ने इज़राइल पर 300 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए। ईरानी हमले सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक ईरानी दूतावास पर 1 अप्रैल को हुए इज़राइली हमले के जवाब में थे।

हालांकि ईरान ने इस हमले को झूठ का पुलिंदा क़रार देते हुए इस ख़बर को पूरी तरह से नकार दिया है। सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में से कोई भी तस्वीर इजरायली हमले को साबित नहीं करती।

बता दें कि 13 अप्रैल को ईरान ने इज़रायल पर पहला सीधा हमला शुरू करते हुए इज़रायल पर 300 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए थे। ईरानी हमले सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक ईरानी दूतावास पर 1 अप्रैल को हुए इज़राइली हमले के जवाब में थे।

यह हमला ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई के आदेश पर किया गया था। इज़रायल पूरी दुनिया को अपनी ताक़त की धौस दिखाता था लेकिन इस हमले के बाद पूरे विश्व में जश्न मनाया गया था, क्योंकि गाजा पट्टी पर इजरायली अत्याचार और फिलिस्तीनियों के नरसंहार पर पर पूरे विश्व विशेष रूप से यूरोप की जनता विरोध प्रदर्शन कर रही थी।

इज़रायल जो मीडिया द्वारा अपनी ताक़त का ढिंढोरा पीटता था, इस हमले के बाद उसकी ताकत की पोल पूरी दुनिया के सामने खुल गई है। कमाल की बात तो यह है कि, हमास के हमले के बाद फौरन इजरायल का दौरा करने वाले आमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और ब्रिटेन के राष्ट्रपति ऋषि सुनक ने ईरान द्वारा किए गए हमले के बाद इजरायल का दौरा करने की बजाय अपने देश में ही रहना ज़्यादा बेहतर समझा।

बाइडेन ओर सुनक यह बात अच्छी तरह जानते हैं कि, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई जो कहते हैं वह करते ज़रूर हैं। यही कारण है कि आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बयान के बाद यूरोपीय देशों में खलबली मच गई थी। दूसरी तरफ ईजरायल अपनी ताकत की पोल खुलने पर पूरी तरह बौखलाया हुआ है। इसीलिए इजरायल हमले का दावा कर रहा है, जबकि ईरान ने इसे प्रोपेगैंडा और बकवास बताया है।

 

1948 में जब एक देश के रूप में इस्राईल की स्थापना की घोषणा की गई, तो विचारधारा की लड़ाई की शुरूआत हो गई।

7 अक्तूबर को अल-अक़सा स्टॉर्म से पहले इस्राईल, अमरीका में धार्मिक और राजनीतिक संप्रदायों की एक शक्तिशाली लॉबी के गठन में कामयाब हो चुका था। इस लॉबी ने प्रभावी ढंग से राजनीतिक और आर्थिक संस्थानों को नियंत्रित कर रखा है और वह असहमति की आवाज़ों को दबा देती है।

इस्राईल के असाधारण विचारों ने अमरीकी राजनेताओं और विशिष्ट हस्तियों के साथ ही अकसर नागरिकों के दिमाग़ पर गहरा प्रभाव डाला है।

अजीब बात यह है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच और बी'त्सेलम जैसी सैकड़ों रिपोर्टों के बावजूद, जो पिछले 76 वर्षों के दौरान फ़िलिस्तीनियों की सरज़मीन पर क़ब्ज़े, रंगभेद, दमन, यातना और नरसंहार पर ऐतिहासिक दस्तावेज़ हैं, ज़ायोनी शासन के प्रति वफ़ादार बने हुए हैं।

दमन की नीति

इन दिनों एक घटना की काफ़ी चर्चा है। वाशिंगटन प्रेस के एक सदस्य ने सार्वजनिक रूप से अमरीका द्वारा इस्राईल के समर्थन पर सवाल उठाने के बाद, अपनी काफ़ी पुरानी नौकरी खो दी।

उनका कहना थाः

आप इस देश में इस्राईल की आलोचना करके जीवित नहीं रह सकते हैं

एमएसएनबीसी के लोकप्रिय ऐंकर मेहदी हसन भी एक ऐसे पत्रकार हैं, जो इस्राईल की आलोचना और फ़िलिस्तीनियों के समर्थन के कारण, सज़ा पा चुके हैं।

एमएसएनबीसी जैसे समाचार संगठनों और कंपनियों को ज़ायोनी धाराओं से बहुत दबाव का सामना करना पड़ता है, अगर वे बातचीत के स्तर को ज़ायोनी शासन द्वारा निर्धारित रेड लाइन को पार करते हैं, तो उन्हें काफ़ी ज़्यादा दबाव झेलना पड़ता है। इसीलिए वे फ़िलिस्तीनियों की पीड़ा को बयान करने से परहेज़ करते हैं और अनिवार्य रूप से तेल-अवीव के प्रोपौगंडा नेटवर्क का एक हिस्सा बन गए हैं।

 

अमरीका की प्राथमिकता और नेतनयाहू का वर्चस्व

सात दशकों से ज़्यादा से अमराका का मुख्य एजेंडा, पश्चिम एशिया में अपनी स्थिति को मज़बूत करना और अपने हितों को सुरक्षित रखना रहा है। 1973 में सीनेट में प्रवेश करने के बाद से बाइडन इस्राईल के कट्टर समर्थक रहे हैं और अक्सर कहते सुने गए हैं कि मैं एक ज़ायोनी हूं। बाइडन प्रशासन, आज भी इस्राईल का अंधा समर्थन जारी रखे हुए है, जबकि इस्राईल लेबनान और सीरिया में घातक हवाई हमले कर रहा है और क्षेत्र में एक भयानक युद्ध छेड़ना चाहता है।

इस बीच, अमरीका में ग़ज़ा पट्टी पर इस्राईल के बर्बर हमलों के ख़िलाफ़ लोग प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें कुछ यहूदी संगठन भी शामिल हैं।

नेतनयाहू ने कई दशकों से दुनिया को यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि ईरान एक ख़तरा है और अमरीका को उसके ख़िलाफ़ युद्ध लड़ना चाहिए।

अक्तूबर के हमले के बाद से नेतनयाहू ने ईरान के ख़िलाफ़ अघोषित युद्ध छेड़ रखा है। इससे वह दुनिया की नज़र ग़ज़ा में जारी नरसंहार से हटा सकते हैं। इस काम के लिए उन्होंने इस्राईल में किसी हद तक आम राय को अपने पक्ष में कर लिया है, जिससे कुछ समय के लिए उनका राजनीतिक करियर बच गया है।

 

ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में इस्राईली पागलपन से पता चलता है कि वह फ़िलिस्तीनियों की नस्लकुशी के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

आख़िर में यह बिंदू अहम है कि इस्राईल और अमरीका में उसकी लॉबी, फ़िलिस्तीनियों के प्रतिरोध को तोड़ने और हमेशा के लिए उनका वजूद समाप्त करने के लिए वाशिंगटन को अपने अपराधों में शामिल रखना चाहते हैं।